撒母耳記上 26 – CCBT & HCV

Chinese Contemporary Bible (Traditional)

撒母耳記上 26:1-25

大衛再次放過掃羅

1西弗人到基比亞掃羅,說:「大衛正躲在曠野附近的哈基拉山中。」 2掃羅就帶領三千以色列精兵到西弗的曠野去追捕大衛3他們在曠野附近路邊的哈基拉山上紮營。大衛在曠野聽說掃羅追來了, 4就派人去打探消息,得知掃羅的追兵果然已到。 5大衛來到掃羅的營地,看見了他和他的元帥——尼珥的兒子押尼珥睡覺的地方,他睡在軍營中間,其他人圍繞著他紮營。 6大衛亞希米勒洗魯雅的兒子約押的兄弟亞比篩:「誰願意跟我到掃羅的營裡?」亞比篩答道:「我願意。」 7大衛亞比篩就趁夜間走進掃羅的軍營,發現掃羅正在熟睡,他的矛插在地上,靠近他的頭,押尼珥和其他人睡在他周圍。 8亞比篩大衛說:「現在上帝把你的敵人交在你手中了,讓我一矛把他釘在地上,決不用刺第二下。」 9大衛卻說:「不要殺他,誰殺害耶和華所膏立的王,都難逃罪責。 10我憑永活的耶和華起誓,耶和華必親手擊殺他。他要麼壽終而死,要麼命喪沙場。 11我在耶和華面前絕不敢出手傷害祂所膏立的王。我們拿走他旁邊的矛和水瓶吧。」 12大衛拿上掃羅的矛和水瓶同亞比篩離開了,沒有人看見,沒有人知道,他們都在沉睡,沒有人醒來,因為耶和華使他們都熟睡了。

13大衛爬上營地對面的山坡,遠遠地站在山頂上,與他們相距很遠。 14他呼喊掃羅的士兵和尼珥的兒子押尼珥:「押尼珥,你回答我!」押尼珥問道:「你是誰,竟敢在王面前喊叫?」 15大衛說:「你不是勇士嗎?在以色列有誰比得上你呢?有人來刺殺你的王,你的主,你為何沒有保護他呢? 16你失職了。我憑永活的耶和華起誓,你們都該死。因為你們沒有保護你們的主——耶和華所膏立的王。你看看王身邊的矛和水瓶在哪裡?」

17掃羅聽出是大衛的聲音,就說:「我兒大衛!是你嗎?」大衛答道:「我主我王啊,是我。 18我主為什麼又要追殺僕人呢?我做錯了什麼,犯了什麼罪? 19我主我王,請聽僕人說,如果是耶和華使你與我作對,願祂悅納我獻上的祭物;如果這是出於人的主意,願他們在耶和華面前受咒詛。因為他們趕我離開耶和華所賜的產業,叫我去服侍外族人的神明。 20求你不要讓我死在遠離耶和華的異鄉!以色列王為何要像在山上獵殺鷓鴣一樣追捕一隻跳蚤呢?」

21掃羅說:「我犯罪了。我兒大衛,你回來吧,我不會再傷害你,因為你今日保存了我的性命。我真是糊塗,犯了大錯。」 22大衛答道:「王的矛在這裡,請派一個人來拿回去吧。 23耶和華賜福給公義、信實的人。今天耶和華把你交在我手中,但我不願下手傷害耶和華所膏立的王。 24我今天保存了你的性命,願耶和華也保存我的性命,救我脫離一切患難。」 25掃羅大衛說:「我兒大衛,願你蒙福。你一定能建功立業,戰勝仇敵。」於是,大衛起身離開,掃羅也回家去了。

Hindi Contemporary Version

1 शमुएल 26:1-25

एक बार फिर दावीद द्वारा शाऊल को प्राण दान

1यह वह मौका था जब ज़ीफ़ नगर के लोगों ने जाकर शाऊल को सूचित किया, “दावीद जेशिमोन के पूर्व में हकीलाह पहाड़ियों में छिपे हुए हैं.”

2तब शाऊल तैयार होकर इस्राएल के तीन हज़ार सर्वोत्तम योद्धाओं को लेकर दावीद की खोज करते हुए ज़ीफ़ की मरुभूमि में जा पहुंचे. 3शाऊल ने अपने शिविर जेशिमोन के पूर्व में हकीलाह की पहाड़ी के मार्ग के निकट खड़े किए. मगर दावीद निर्जन प्रदेश में ही रहे. जब दावीद को यह मालूम हुआ कि शाऊल उन्हें खोजते हुए यहां तक आ पहुंचे हैं, 4उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए अपने दूत वहां भेज दिए.

5बाद में दावीद खुद गए और उस स्थान की जांच पड़ताल की, जहां शाऊल की सेना ने पड़ाव डाला हुआ था. उन्होंने वह स्थल देखा, जहां शाऊल और सेनापति, नेर के पुत्र अबनेर, सोए हुए थे. शाऊल विशेष सुरक्षा के स्थल में सोए थे और सारी सेना उन्हें घेरे हुए सोई हुई थी.

6दावीद ने हित्ती अहीमेलेख तथा ज़ेरुइयाह के पुत्र, योआब के भाई अबीशाई को संबोधित करते हुए प्रश्न किया, “कौन है तत्पर मेरे साथ शाऊल के शिविर में सेंध लगाने के लिए?”

“मैं चलूंगा आपके साथ.” अबीशाई ने उत्तर दिया.

7उस रात दावीद तथा अबीशाई सेना के पड़ाव में चले गए. वहां शाऊल विशेष सुरक्षा के स्थल में सोए हुए थे. उनका भाला उनके सिर के निकट भूमि में गड़ा हुआ था, तथा अबनेर तथा सारी सेना उन्हें घेरे हुए सो रही थी.

8यह देख अबीशाई ने दावीद से कहा, “आज तो परमेश्वर ने आपके शत्रु को आपके हाथों में सौंप दिया है. मैं अपने भाले के एक ही प्रहार से उन्हें भूमि में नत्थी कर देता हूं; मुझे दूसरा प्रहार करने की आवश्यकता तक न होगी.”

9मगर दावीद ने अबीशाई को उत्तर दिया, “उन्हें मत मारो! क्या, याहवेह के अभिषिक्त पर हाथ उठाकर कोई निर्दोष रह सकता है?” 10दावीद ने आगे कहा, “जीवन्त याहवेह की शपथ, स्वयं याहवेह ही उनका संहार करेंगे, या उनकी मृत्यु उनके लिए निर्धारित समय पर होगी, या यह युद्ध करने जाएंगे और वहां मारे जाएंगे. 11याहवेह ऐसा कभी न होने दें कि मैं याहवेह के अभिषिक्त पर हाथ उठाऊं, अब ऐसा करो: उनके सिर के निकट गाड़ हुए भाले को उठाओ और उनके उस जल पात्र को भी, और चलो हम लौट चलें.”

12दावीद ने वह भाला तथा सिर के निकट रखे जल पात्र को उठाया और वे दोनों वहां से बाहर निकल आए. उन्हें न तो किसी ने देखा और न ही किसी को इसके विषय में कुछ ज्ञात ही हुआ. उन सभी पर घोर निद्रा छाई हुई थी; याहवेह द्वारा उन पर डाली गई घोर निद्रा.

13तब दावीद पहाड़ी के दूसरी ओर चले गए, और दूर जाकर पहाड़ी के शीर्ष पर जा खड़े हुए. उनके और पड़ाव के मध्य अब दूरी हो गई थी. 14वहां से दावीद ने सेना और नेर के पुत्र अबनेर को पुकारकर कहा, “अबनेर, आप मुझे उत्तर देंगे?”

अबनेर ने उत्तर दिया, “कौन हो तुम, जो राजा को पुकार रहे हो?”

15दावीद ने अबनेर से कहा, “क्या आप शूर व्यक्ति नहीं? अंततः सारे इस्राएल राष्ट्र में कौन है आपके तुल्य? तब आपने आज अपने स्वामी, राजा की सुरक्षा में ढील क्यों दी है? आज रात कोई व्यक्ति आपके स्वामी, राजा की हत्या के उद्देश्य से शिविर में घुस आया था. 16आपके द्वारा दी गई यह ढील खेद का विषय है. वस्तुतः जीवन्त याहवेह की शपथ, यह अपराध मृत्यु दंड के योग्य है, क्योंकि आपने अपने स्वामी, याहवेह के अभिषिक्त, की सुरक्षा में ढील दी है. देख लीजिए. राजा के सिरहाने गड़ा हुआ भाला तथा उनका जल पात्र कहां है?”

17शाऊल दावीद का स्वर पहचान गए. उन्होंने उनसे कहा, “दावीद, मेरे पुत्र, क्या यह तुम्हारा ही स्वर है?”

“जी हां, महाराज, मेरे स्वामी,” दावीद ने उत्तर दिया. 18तब दावीद ने ही आगे यह कहा, “मेरे स्वामी, आप क्यों अपने सेवक का पीछा कर रहे हैं? क्या है मेरा दोष? ऐसा कौन सा अपराध हो गया है मुझसे? 19तब महाराज, मेरे स्वामी, अपने सेवक द्वारा प्रस्तुत यह याचना सुन लीजिए! यदि स्वयं याहवेह ने ही आपको मेरे विरुद्ध यह करने के लिए उत्प्रेरित किया है, वह एक भेंट स्वीकार कर लें, मगर यदि यह सब किसी मनुष्य की प्रेरणा में किया जा रहा है, वे याहवेह द्वारा शापित हों. क्योंकि आज मुझे याहवेह द्वारा दी गई मीरास को छोड़कर इधर-उधर भटकना पड़ रहा है, मानो मुझे यह आदेश दिया गया हो, ‘जाओ अज्ञात देवताओं की आराधना करो,’ 20तब मेरी विनती है मेरा रक्त याहवेह द्वारा दी गई मीरास से दूर न गिरने दें, क्योंकि तथ्य यह है कि इस्राएल राष्ट्र के महाराज सिर्फ एक पिस्सू का पीछा करते हुए ऐसे आए हैं, जैसे कोई पर्वतों पर तीतर का पीछा करता है.”

21तब शाऊल कह उठे, “मुझसे पाप हुआ है. मेरे पुत्र दावीद, लौट आओ, क्योंकि अब से मैं तुम्हारी कोई हानि न करूंगा. आज तुमने मेरे प्राण को ऐसा मूल्यवान समझा है. बहुत ही मूर्खतापूर्ण रहे हैं मेरे द्वारा उठाए गए ये कदम और वास्तव में मुझसे बड़ी भूल हुई है.”

22दावीद ने उत्तर दिया, “महाराज, मैं आपका भाला यहां छोड़ रहा हूं. किसी सैनिक को इसे लेने के लिए भेज दीजिए. 23हर एक व्यक्ति के लिए उसकी धार्मिकता तथा सच्चाई के अनुसार ईनाम निर्धारित है. याहवेह ने आज आपको मेरे हाथों में सौंप दिया था, मगर याहवेह के अभिषिक्त पर मैंने हाथ नहीं उठाया. 24जिस प्रकार मेरी दृष्टि में आपके प्राण अमूल्य हैं, मेरे प्राण भी याहवेह की दृष्टि में अमूल्य बने रहें. वही मुझे सारी कठिनाइयों से विमुक्त करें.”

25तब शाऊल ने दावीद से कहा, “दावीद, मेरे पुत्र, तुम सराहनीय हो! तुम महान काम करोगे और तुम्हें सदैव सफलता ही प्राप्‍त होगी.”

दावीद, इसके बाद वहां से चले गए और शाऊल अपने घर को लौट गए.