耶利米书 3 – CCB & HCV

Chinese Contemporary Bible (Simplified)

耶利米书 3:1-25

1耶和华说:“如果丈夫休掉妻子,

妻子离去另嫁别人,

前夫怎会再娶她呢?

那样做岂不完全玷污了土地吗?

你曾与许多情人苟合,

现在要归向我吗?

2“你举目看看那些光秃的高山,

哪里没有被你玷污过呢?

你坐在路旁等候情郎,

就像旷野的游牧者,

你的淫乱恶行玷污了土地。

3因此,秋雨不降,

春雨不来。

你却仍然不知羞耻,

一副娼妓的嘴脸。

4你不是刚对我说,

‘我父啊!你从我年幼时就做我的朋友。

5难道你会永远发怒、

怀恨到底吗?’

你虽然这样说,

却仍大肆作恶。”

呼吁不忠的以色列悔改

6约西亚王执政期间,耶和华对我说:“你看见以色列的不忠不贞了吗?她在高山上、在绿荫下放纵情欲。 7我以为她放纵之后会回到我身边,她却执迷不悟。她不忠的妹妹犹大也看见了这事。 8因为以色列不忠贞,我给她休书,把她休掉。她不忠的妹妹犹大却不害怕,竟也去淫乱。 9以色列肆意淫乱,拜石头木头,玷污了土地。 10尽管如此,她不忠的妹妹犹大只是假装归向我,并不诚心。这是耶和华说的。”

11耶和华对我说:“不忠贞的以色列比奸诈的犹大罪过还轻。 12你去向北方宣告,

“‘耶和华说,

不忠贞的以色列啊,回转吧!

我必不向你们发怒,

因为我充满慈爱,

不会永远怀怒。’

这是耶和华说的。

13‘你必须要承认自己的罪,

承认背叛了你的上帝耶和华,

在绿荫树下祭拜各种外邦的神明,

不听从我的话。’

这是耶和华说的。

14“‘不忠贞的子民啊,回转吧!

因为我是你们的主人3:14 主人”或译作“丈夫”。

我要从你们中间选些人带回锡安

每座城邑或每个宗族选一两个人。’

这是耶和华说的。

15“我要赐给你们合我心意的牧人,让他们用知识与智慧牧养你们。 16你们在地上繁衍昌盛的时候,人们不会再提及耶和华的约柜,不会再把它放在心上,不会再感到需要它,也不会再造一个。这是耶和华说的。 17那时,耶路撒冷会被称为‘耶和华的宝座’,万国都要聚集在耶路撒冷敬拜耶和华,不再执迷不悟地作恶。 18那时,犹大人必与以色列人一同从北方来到我赐给你们祖先作基业的地方。

19“我曾想,我多么愿意把你们当成我的儿女,

赐给你们万国中最肥美的土地。

我原以为你们会叫我‘父亲’,

再不离弃我。

20然而,以色列人啊!

你们竟对我不忠,

就像妻子不忠于丈夫。

这是耶和华说的。”

21从光秃的山头传来声音,

以色列子民哭泣呼求的声音,

因为他们走入歧途,

忘掉了他们的上帝耶和华。

22耶和华说:“不忠贞的子民啊,

归来吧!

我要医治你们不忠贞的病。”

他们说:“是的,我们要到你面前,

因为你是我们的上帝耶和华。

23在高山丘陵上狂欢、

拜偶像真是枉然,

唯有我们的上帝耶和华才能拯救以色列

24“从我们年幼时,那些可耻的神像就吞噬了我们祖先辛苦得来的牛羊和儿女。 25我们躺在自己的羞耻中,让我们的耻辱遮盖我们吧!因为我们和我们的祖先都得罪了我们的上帝耶和华,我们自幼至今一直没有顺服我们的上帝耶和华。”

Hindi Contemporary Version

येरेमियाह 3:1-25

1“यदि कोई व्यक्ति किसी स्त्री से तलाक कर लेता है

और वह उसे त्याग कर चली जाती है और वह किसी अन्य पुरुष के साथ रहने लगती है,

क्या वह पहला पुरुष फिर भी उसके पास लौटेगा?

क्या वह देश पूर्णतः अशुद्ध नहीं हो जाएगा?

किंतु तुम वह व्यभिचारी हो जिसके बर्तन अनेक हैं—

यह होने पर भी तुम अब मेरे पास लौट आए हो?”

यह याहवेह की वाणी है.

2“अपनी दृष्टि वनस्पतिहीन पर्वतों की ओर उठाओ और देखो.

कौन सा ऐसा स्थान है जहां तुम्हारे साथ कुकर्म नहीं हुआ है?

मरुभूमि में चलवासी3:2 चलवासी मूल भाषा में अरबी के सदृश,

तुम मार्ग के किनारे उनकी प्रतीक्षा करती रही.

अपनी दुर्वृत्ति से तथा अपने स्वच्छंद कुकर्म के द्वारा

तुमने देश को अशुद्ध कर दिया है.

3तब वृष्टि अशुद्ध रखी गई है,

वसन्त काल में वृष्टि हुई नहीं.

फिर भी तुम्हारा माथा व्यभिचारी सदृश झलकता रहा;

तुमने लज्जा को स्थान ही न दिया.

4क्या तुमने अभी-अभी मुझे इस प्रकार संबोधित नहीं किया:

‘मेरे पिता; आप तो बचपन से मेरे साथी रहे हैं,

5क्या आप मुझसे सदैव ही नाराज बने रहेंगे?

क्या यह आक्रोश चिरस्थायी बना रहेगा?’

स्मरण रहे, यह तुम्हारा वचन है और तुमने कुकर्म भी किए हैं,

तुमने जितनी चाही उतनी मनमानी कर ली है.”

विश्वासघाती इस्राएल

6तत्पश्चात राजा योशियाह के राज्य-काल में, याहवेह ने मुझसे बात की, “देखा तुमने, विश्वासहीन इस्राएल ने क्या किया है? उसने हर एक उच्च पर्वत पर तथा हर एक हरे वृक्ष के नीचे वेश्या-सदृश मेरे साथ विश्वासघात किया है. 7मेरा विचार था यह सब करने के बाद इस्राएली प्रजा मेरे पास लौट आएगी किंतु वह नहीं लौटी, उसकी विश्वासघाती बहन यहूदिया यह सब देख रही थी. 8मैं देख रहा था कि विश्वासहीन इस्राएल के सारे स्वच्छंद कुकर्म के कारण मैंने उसे निराश कर तलाक पत्र भी दे दिया था. फिर भी उसकी विश्वासघाती बहन यहूदिया भयभीत न हुई; बल्कि वह भी व्यभिचारी बन गई. 9इसलिये कि उसकी दृष्टि में यह स्वच्छंद कुकर्म कोई गंभीर विषय न था, उसने सारे देश को अशुद्ध कर दिया और पत्थरों एवं वृक्षों के साथ व्यभिचार किया. 10यह सब होने पर भी, यह घोर विश्वासघाती बहन यहूदिया अपने संपूर्ण हृदय से मेरे पास नहीं लौटी, वह मात्र कपट ही करती रही,” यह याहवेह की वाणी है.

11याहवेह ने मुझसे कहा, “विश्वासहीन इस्राएल ने स्वयं को विश्वासघाती यहूदिया से अधिक कम दोषी प्रमाणित कर दिया है. 12जाओ, उत्तर दिशा की ओर यह संदेश वाणी घोषित करो:

“ ‘विश्वासहीन इस्राएल, लौट आओ,’ यह याहवेह की वाणी है,

‘मैं तुम पर क्रोधपूर्ण दृष्टि नहीं डालूंगा,

क्योंकि मैं कृपालु हूं,’ यह याहवेह की वाणी है,

‘मैं सर्वदा क्रोधी नहीं रहूंगा.

13तुम मात्र इतना ही करो: अपना अधर्म स्वीकार कर लो—

कि तुमने याहवेह, अपने परमेश्वर के प्रति अतिक्रमण का अपराध किया है,

तुम हर एक हरे वृक्ष के नीचे

अपरिचितों को प्रसन्‍न करती रही हो,

यह भी, कि तुमने मेरे आदेश की अवज्ञा की है,’ ”

यह याहवेह की वाणी है.

14“विश्वासहीनो, लौट आओ,” यह याहवेह का आदेश है, “क्योंकि तुम्हारे प्रति मैं एक स्वामी हूं. तब मैं तुम्हें, नगर में से एक को तथा परिवार में से दो को ज़ियोन में ले आऊंगा. 15तब मैं तुम्हें ऐसे चरवाहे प्रदान करूंगा जो मेरे हृदय के अनुरूप होंगे, जो तुम्हें ज्ञान और समझ से प्रेषित करेंगे. 16यह उस समय होगा, जब तुम उस देश में असंख्य और समृद्ध हो जाओगे,” यह याहवेह की वाणी है, “तब वे यह कहना छोड़ देंगे, ‘याहवेह की वाचा का संदूक.’ तब उनके हृदय में न तो इसका विचार आएगा न वे इसका स्मरण करेंगे; यहां तक कि उन्हें इसकी आवश्यकता तक न होगी, वे एक और संदूक का निर्माण भी नहीं करेंगे. 17उस समय वे येरूशलेम को याहवेह का सिंहासन नाम देंगे, सभी जनता यहां एकत्र होंगे. वे याहवेह की प्रतिष्ठा के लिए येरूशलेम में एकत्र होंगे तब वे अपने बुरे हृदय की कठोरता के अनुरूप आचरण नहीं करेंगे. 18उन दिनों में यहूदाह गोत्रज इस्राएल वंशज के साथ संयुक्त हो जाएगा, वे एक साथ उत्तर के देश से उस देश में आ जाएंगे जो मैंने तुम्हारे पूर्वजों को निज भाग स्वरूप में प्रदान किया है.

19“तब मैंने कहा,

“ ‘मेरी अभिलाषा रही कि मैं तुम्हें अपनी सन्तति पुत्रों में सम्मिलित करूं

और तुम्हें एक सुखद देश प्रदान करूं,

राष्ट्रों में सबसे अधिक मनोहर यह निज भाग.’

और मैंने यह भी कहा तुम मुझे ‘मेरे पिता’

कहकर संबोधित करोगे, और मेरा अनुसरण करना न छोड़ोगे.

20इस्राएल वंशजों निश्चय तुमने मुझसे वैसे ही विश्वासघात किया है,

जैसे स्त्री अपने बर्तन से विश्वासघात कर अलग हो जाती है,”

यह याहवेह की वाणी है.

21वनस्पतिहीन उच्च पर्वतों पर एक स्वर सुनाई दे रहा है,

इस्राएल वंशजों का विलाप एवं उनके गिड़गिड़ाने का,

वे अपने विश्वासमत से दूर हो चुके हैं

और उन्होंने याहवेह अपने परमेश्वर को भूलना पसंद किया है.

22“विश्वासविहीन वंशजों, लौट आओ;

तुम्हारी विश्वासहीनता का उपचार मैं करूंगा.”

“देखिए, हम आपके निकट आ रहे हैं,

क्योंकि आप याहवेह हमारे परमेश्वर हैं.

23यह सुनिश्चित है कि पहाड़ियों पर छल है

और पर्वतों पर उपद्रव है;

निःसंदेह याहवेह

हमारे परमेश्वर में ही इस्राएल की सुरक्षा है.

24हमारे बचपन से इस लज्जास्पद आचरण ने

हमारे पूर्वजों के उपक्रम को—

उनके पशुओं को तथा

उनकी संतान को निगल कर रखा है.

25उपयुक्त होगा कि हमारी लज्जा में समावेश हो जाएं,

कि हमारी लज्जा हमें ढांप ले.

क्योंकि हमने अपने बाल्यकाल से

आज तक याहवेह हमारे परमेश्वर के विरुद्ध पाप ही किया है;

हमने याहवेह,

हमारे परमेश्वर की अवज्ञा की है.”