耶利米书 4 – CCB & HCV

Chinese Contemporary Bible (Simplified)

耶利米书 4:1-31

1耶和华说:“以色列啊,

如果你回转归向我,

回转归向我,

从我眼前除掉可憎的神像,

不再离开我;

2如果你本着诚实、正直、公义,

凭永活的耶和华起誓,

你必成为万国的祝福,

得到他们的尊敬4:2 你必成为万国的祝福,得到他们的尊敬”或译“万国必得到耶和华的祝福,并以祂为荣”。。”

3耶和华对犹大人和耶路撒冷人说:

“要开垦你们的荒地,

不要在荆棘中撒种。

4你们要自行割礼,

除掉心中的污垢,归向耶和华。

不然,我必因你们的恶行而发烈怒,如火燃烧,

无人能够扑灭。

5“你们要在犹大耶路撒冷宣告,

‘要在全国吹起号角’,高声呼喊,

‘要集合起来,

我们要逃进坚城。’

6你们要向锡安举起旗帜,

赶快逃亡,不要迟延,

因为我要从北方降下灾祸,

大肆毁灭。”

7毁灭列国者已发起攻击,

如狮子冲出巢穴,

要使你们的土地荒凉,

城邑沦为废墟,无人居住。

8为此,你们要腰束麻布,

嚎啕大哭,

因为耶和华向我们发的烈怒还没有止息。

9耶和华说:“到那天,君王和官长必丧胆,祭司和先知必惊骇。” 10我说:“唉!主耶和华啊,你完全欺骗了这群百姓和耶路撒冷人,因为你说,‘你们会安享太平。’其实剑锋已指着他们的咽喉了。”

11那时,耶和华必对这群百姓和耶路撒冷人说:“一阵热风从荒野光秃的山头吹向我的子民,不是为扬场、吹净糠秕。 12那是我发出的一阵强风。现在我要宣告我对他们的审判。”

13看啊,仇敌必如云涌来,

他的战车快如旋风,

他的战马比飞鹰还快。

我们有祸了!

我们灭亡了!

14耶路撒冷啊,

要洗去你内心的邪恶,

这样你才能得救。

你心怀恶念要到何时呢?

15传来消息,

以法莲山区报出恶讯。

16耶和华说:“你们去通知列国,

耶路撒冷宣告,

‘围攻的人从远方来,

犹大的城邑高声喊杀,

17像看守田园一样包围耶路撒冷

因为耶路撒冷背叛了我。’

这是耶和华说的。

18你的所作所为给你招致这灾祸,

是你自食恶果,你会痛彻心肺!”

19我的心啊,我的心啊!

我伤心欲绝,烦躁不安。

我无法保持缄默,

因为我听见了号角声和呐喊声。

20恶讯频传,山河破碎,

我的帐篷忽然倒塌,

幔子顷刻破裂。

21我还要看这旌旗、

听这号声到何时呢?

22耶和华说:“我的子民愚顽,

不认识我,

是蒙昧无知的儿女,

只知行恶,不知行善。”

23我俯瞰大地,

一片空虚混沌;

我仰望天空,毫无亮光。

24我眺望群山,大山在颤抖,

小山在摇晃。

25我四下观看,只见杳无人烟,

飞鸟绝迹。

26我四下观看,只见良田变荒野,

城邑都在耶和华的烈怒下沦为废墟。

27耶和华说:“遍地将要荒凉,

然而不会被我彻底毁灭。

28因此,地要悲哀,

天要昏暗,

因为我言出必行,

决不反悔。”

29各城的人听到骑兵和弓箭手的呐喊,

都纷纷逃命。

有的跑入丛林,有的爬进岩洞。

各城荒弃,无人居住。

30你这荒凉的城啊!

你在做什么?

纵然你穿上红袍,

戴上金饰,

描眉画眼,

又有什么用呢?

你的情人藐视你,

要杀害你。

31我听见好像妇人分娩时的喊叫声,

好像妇人生头胎时的痛苦呻吟。

那是锡安4:31 ”希伯来文是“女子”,可能是对锡安的昵称,下同6:223的喊叫声,

她在喘息,伸出双手说:

“噢!我有祸了,

我要死在杀戮者手上了。”

Hindi Contemporary Version

येरेमियाह 4:1-31

1याहवेह की यह वाणी है,

“इस्राएल, यदि तुम लौटो, तो तुम्हारा मेरे पास लौट आना उपयुक्त होगा,

यदि तुम वे घृणास्पद वस्तुएं मेरे समक्ष से दूर कर दो

और यदि तुम अपने संकल्प से विचलित न हो,

2और तुम पूर्ण निष्ठा में, न्यायपूर्णता में तथा पूर्वजों में यह शपथ लो,

‘जीवित याहवेह की शपथ,’

तब जनता स्वयं ही याहवेह द्वारा आशीषित की जाएंगी

तथा याहवेह में उनका गौरव हो जाएगा.”

3यहूदिया एवं येरूशलेम के निवासियों के लिए याहवेह का आदेश है:

“उस भूमि पर हल चला दो,

कंटीली भूमि में बीजारोपण न करो.

4यहूदिया तथा येरूशलेम के वासियो,

याहवेह के लिए अपना ख़तना करो,

ख़तना अपने हृदय की खाल का करो,

अन्यथा मेरा कोप अग्नि-समान भड़क उठेगा और यह ज्वाला ऐसी होगी,

जिसे अलग करना किसी के लिए संभव न होगा—

क्योंकि यह तुम्हारे दुष्कर्मों का परिणाम है.

उत्तर दिशा से आनेवाली आपत्ति

5“यहूदिया में प्रचार करो और येरूशलेम में यह वाणी कहो:

‘सारे देश में नरसिंगा का नाद करो!’

उच्च स्वर में यह कहा जाए:

‘सब एकत्र हों!

तथा हम सब गढ़ नगरों में शरण ले लें!’

6ज़ियोन की ओर झंडा ऊंचा किया जाए!

चुपचाप खड़े न रहो, आश्रय की खोज करो!

क्योंकि मैं उत्तर दिशा से महा संकट ला रहा हूं,

यह पूरा विनाश होगा.”

7झाड़ियों में छिपा सिंह बाहर निकल आया है;

राष्ट्रों का विनाशक प्रस्थित हो चुका है.

वह अपने आवास से बाहर आ चुका है

कि वह तुम्हारे देश को निर्जन बना दे.

तुम्हारे नगर खंडहर रह जाएंगे

उनमें कोई भी निवासी न रह जाएगा.

8तब साधारण वस्त्र धारण करो,

रोओ और विलाप करो,

क्योंकि याहवेह का प्रचंड क्रोध हमसे

दूर नहीं हटा है.

9“उस दिन ऐसा होगा,” यह याहवेह की वाणी है,

“राजा का तथा उच्चाधिकारी का साहस शून्य हो जाएगा,

तब पुरोहित भयभीत एवं,

भविष्यद्वक्ता अचंभित रह जाएंगे.”

10इस पर मैं कह उठा, “प्रभु याहवेह! आपने तो येरूशलेम के निवासियों को यह आश्वासन देते हुए पूर्णतः धोखे में रखा हुआ है, ‘तुम शांत एवं सुरक्षित रहोगे,’ जबकि उनके गर्दन पर तलवार रखी हुई है!”

11-12उस समय इस प्रजा एवं येरूशलेम से कहा जाएगा, “मरुभूमि की वनस्पतिहीन ऊंचाइयों से मेरे आदेश पर एक प्रबल उष्ण वायु प्रवाह उठेगा, उसका लक्ष्य होगा मेरी प्रजा की पुत्री; यह वायु सुनसान तथा समाप्‍ति के लिए नहीं है. अब मैं उनके विरुद्ध न्याय-दंड घोषित करूंगा.”

13देखो! वह घुमड़ते मेघों के सदृश बढ़ा चला आ रहा है,

उसके रथ बवंडर सदृश हैं,

उसके घोड़े गरुड़ों से अधिक द्रुतगामी हैं.

धिक्कार है हम पर! हम मिट गए है!

14येरूशलेम, अपने दुष्ट हृदय को धोकर साफ़ करो, कि तुम सुरक्षित रह सको.

और कब तक तुममें कुविचारों का निवास रहेगा?

15दान से एक स्वर कह रहा है,

एफ्राईम पर्वत से बुराई का प्रचार किया जा रहा है.

16“इसी समय राष्ट्रों में सूचना प्रसारित की जाए,

येरूशलेम में इसका प्रचार किया जाए:

‘जो नगर की घेराबंदी करेंगे वे दूर देश से आ रहे हैं,

वे यहूदिया के नगरों के विरुद्ध अपने स्वर उठाएंगे.

17खेत के प्रहरियों सदृश वे अपना घेरा छोटा करते जा रहे हैं,

यह इसलिये कि उसने मेरे विरुद्ध विद्रोह किया है,’ ”

यह याहवेह की वाणी है.

18“तुम्हारे आचरण एवं तुम्हारे कार्यों के

कारण यह स्थिति आई है.

तुम्हारा है यह संकट.

कितना कड़वा!

इसने तुम्हारे हृदय को बेध दिया है!”

19मेरे प्राण, ओ मेरे प्राण!

मैं अकाल पीड़ा में हूं.

आह मेरा हृदय! मेरे अंदर में हृदय धड़क रहा है,

मैं शांत नहीं रह सकता.

क्योंकि मेरे प्राण, मैंने नरसिंगा नाद,

युद्ध की ललकार, सुनी है.

20विध्वंस पर विध्वंस की वाणी की गई है;

क्योंकि देश उध्वस्त किया जा चुका है.

अचानक मेरे तंबू ध्वस्त हो गए हैं,

मेरे पर्दे क्षण मात्र में नष्ट हो गए हैं.

21मैं कब तक झंडा-पताका को देखता रहूं

और कब तक नरसिंगा नाद मेरे कानों में पड़ता रहेगा?

22“क्योंकि निर्बुद्धि है मेरी प्रजा;

वह मुझे नहीं जानती.

वे मूर्ख बालक हैं;

उनमें समझ का अभाव है.

अधर्म के लिए उनमें बुद्धि अवश्य है;

किंतु सत्कर्म उनसे किया नहीं जाता है.”

23मैंने पृथ्वी पर दृष्टि की,

और पाया कि वह आकार रहित तथा रिक्त थी;

मैंने आकाश की ओर दृष्टि उठाई और मैंने पाया,

कि वहां कोई ज्योति-स्रोत न था.

24मैंने पर्वतों की ओर दृष्टि की,

और देखा कि वे कांप रहे थे;

और पहाड़ियां इधर-उधर सरक रही थी.

25मैंने ध्यान दिया, कि वहां कोई मनुष्य नहीं था;

तथा आकाश के सारे पक्षी पलायन कर चुके थे.

26मैंने देखा, और यह पाया कि फलदायी देश अब निर्जन प्रदेश हो चुका था;

तथा इस देश के सारे नगर याहवेह

तथा उनके उग्र कोप के समक्ष ध्वस्त हो चुके थे.

27यह याहवेह की वाणी है:

“सारा देश निर्जन हो जाएगा,

फिर भी मैं इसका पूरा विनाश न करूंगा.

28इसके लिए पृथ्वी विलाप करेगी

तथा ऊपर आकाश काला पड़ जाएगा,

इसलिये कि मैं यह कह चुका हूं और मैं निर्धारित कर चुका हूं,

मैं न अपना विचार परिवर्तित करूंगा और न ही मैं पीछे हटूंगा.”

29घुड़सवार एवं धनुर्धारियों की ध्वनि सुन हर एक

नगर भागने लगता है.

वे झाड़ियों में जा छिपते हैं;

वे चट्टानों पर चढ़ जाते हैं.

सभी नगर छोड़े जा चुके हैं;

उनमें कोई भी निवास नहीं कर रहा.

30और तुम जो निर्जन हो, अब क्या करोगी?

यद्यपि तुम भड़कीले वस्त्र धारण किए हुए हो,

यद्यपि तुमने स्वयं को स्वर्ण आभूषणों से सुसज्जित किया है?

यद्यपि तुमने अपने नेत्रों का श्रृंगार कर उन्हें सजाया है?

स्वयं को ऐसा सुरम्य स्वरूप देना व्यर्थ है.

तुम्हारे प्रेमियों के लिए तो तुम अब घृणित हो गई हो;

वे तो अब तुम्हारे प्राणों के प्यासे हैं.

31मुझे ऐसी कराहट सुनाई दी मानो कोई प्रसूता की कराहट हो ऐसी वेदना का स्वर,

जैसा उस स्त्री को होता है जिसका पहला प्रसव हो रहा हो.

यह पुकार ज़ियोन की पुत्री की चिल्लाहट है जिसका श्वांस फूल रहा है,

वह अपने हाथ फैलाकर कह रही है,

“हाय! धिक्कार है मुझ पर;

मुझे तो हत्यारों के समक्ष मूर्च्छा आ रही है.”