นางรูธ 3 – TNCV & HCV

Thai New Contemporary Bible

นางรูธ 3:1-18

รูธและโบอาสที่ลานนวดข้าว

1วันหนึ่งนาโอมีกล่าวกับรูธว่า “ลูกเอ๋ย ไม่ควรหรือที่แม่จะหาเหย้าเรือนให้ลูกได้อยู่ดีมีสุข? 2โบอาสคนที่ลูกไปกับคนงานหญิงของเขาน่ะ เป็นญาติสนิทของเราไม่ใช่หรือ? คืนนี้เขาจะมาฝัดข้าวบาร์เลย์ที่ลานนวดข้าว 3จงอาบน้ำ พรมน้ำหอม สวมเสื้อผ้าชุดที่ดีที่สุด แล้วไปที่ลานนวดข้าว แต่อย่าให้เขารู้ว่าลูกอยู่ที่นั่นจนกว่าเขาจะกินและดื่มเสร็จแล้ว 4ลูกจงคอยสังเกตว่าเขานอนที่ไหน แล้วจงเปิดผ้าห่มที่เท้าของเขาขึ้น แล้วนอนที่นั่น เขาจะบอกลูกเองว่าให้ทำอะไรบ้าง”

5รูธตอบว่า “ลูกจะทำทุกอย่างตามที่แม่บอก” 6นางจึงไปยังลานนวดข้าว และทำตามที่แม่สามีแนะนำทุกประการ

7เมื่อโบอาสรับประทานอาหารอิ่มหนำสำราญแล้ว เขาก็นอนลงข้างกองเมล็ดข้าว รูธจึงย่องเข้ามาเปิดผ้าห่มที่เท้าของโบอาสขึ้นและนอนลงที่นั่น 8โบอาสตกใจตื่นขึ้นมากลางดึก พบว่ามีผู้หญิงนอนอยู่แทบเท้า

9เขาถามว่า “เธอเป็นใครน่ะ?”

รูธตอบว่า “ดิฉันคือรูธผู้รับใช้ของท่าน โปรดคลี่ชายเสื้อของท่านคลุมตัวดิฉันด้วย เพราะท่านเป็นญาติสนิทซึ่งจะช่วยไถ่ได้”

10โบอาสกล่าวว่า “ลูกเอ๋ย ขอองค์พระผู้เป็นเจ้าทรงอวยพรเธอเถิด ครั้งนี้เธอได้แสดงน้ำใจต่อนาโอมียิ่งกว่าครั้งก่อนๆ เพราะเธอไม่ได้เลือกคนหนุ่มๆ ไม่ว่าจะรวยหรือจน 11บัดนี้ลูกเอ๋ย อย่ากลัวเลย ฉันจะทำตามที่เธอขอทุกอย่าง พี่น้องชาวเมืองทุกคนต่างรู้ว่าเธอเป็นหญิงจิตใจงาม 12ฉันเป็นญาติสนิทก็จริง แต่มีญาติสนิทซึ่งมีสิทธิ์ไถ่อีกคนหนึ่งที่ใกล้ชิดยิ่งกว่าฉัน 13คืนนี้ค้างเสียที่นี่ ตอนเช้าฉันจะไปพูดกับคนนั้น ถ้าเขาจะไถ่ก็ดีแล้ว ให้เขาทำหน้าที่ของเขา แต่ถ้าเขาไม่เต็มใจ องค์พระผู้เป็นเจ้าทรงพระชนม์อยู่แน่ฉันใด ฉันก็จะทำหน้าที่นี้ฉันนั้น นอนเสียที่นี่เถอะ จนกว่าจะถึงเช้า”

14ดังนั้นนางจึงนอนอยู่แทบเท้าของเขาจนกระทั่งเช้า แต่ตื่นขึ้นตอนเช้ามืดก่อนที่จะมีใครสังเกตเห็น และโบอาสกล่าวว่า “อย่าให้ใครรู้ว่ามีผู้หญิงมาที่ลานนวดข้าวนี้เลย”

15เขากล่าวด้วยว่า “เอาผ้าคลุมผมมากางออกเถิด” เมื่อนางทำตาม เขาก็ตวงข้าวบาร์เลย์ 6 ทะนานให้นางแบกไป แล้วเขา3:15 หรือนางก็กลับเข้าไปในเมือง

16เมื่อรูธกลับมาหาแม่สามี นาโอมีถามว่า “เป็นอย่างไรบ้างลูกของแม่?”

นางก็เล่าทุกสิ่งทุกอย่างที่โบอาสทำให้นาโอมีฟัง 17แล้วกล่าวอีกว่า “เขาได้ให้ข้าวบาร์เลย์ 6 ทะนานแก่ฉันและพูดว่า ‘อย่ากลับไปหาแม่สามีมือเปล่าเลย’ ”

18แล้วนาโอมีกล่าวกับนางว่า “ลูกเอ๋ย อดใจรอจนกว่าจะรู้ผลเถิด เพราะโบอาสจะไม่อยู่เฉยจนกว่าจะจัดการเรื่องนี้ให้เรียบร้อยในวันนี้”

Hindi Contemporary Version

रूथ 3:1-18

रूथ अपनी सास के साथ ही रहती रही

1एक दिन रूथ की सास नावोमी ने रूथ से कहा, “मेरी बेटी, क्या यह मेरी जवाबदारी नहीं कि मैं तुम्हारा घर बसाने का प्रबंध करूं, कि अब इसमें तुम्हारा भला हो. 2सुनो, बोअज़ हमारे रिश्तेदार हैं, जिनकी दासियों के साथ तुम काम कर रही थी. देखो, आज शाम वह खलिहान में जौ फटकेंगे. 3सो अच्छी तरह से स्‍नान करके तैयार हो जा, सबसे अच्छे कपड़े पहनकर खलिहान में जाना, किंतु ध्यान रहे, जब तक बोअज़ भोजन खत्म न कर लें, तुम उन्हें अपनी उपस्थिति का अहसास न होने देना. 4किंतु तुम उस स्थान को अच्छी तरह से देख लेना, जहां वह सोने के लिए गए हैं. इसके बाद तुम वहां जाना, और उनके पैरों की चादर उठाकर तुम खुद भी वहीं लेट जाना. इसके बाद तुम्हारा क्या करना सही है, वही तुम्हें बताएंगे.”

5“जो जो आपने कहा है, मैं ठीक वैसा ही करूंगी,” रूथ ने इसके उत्तर में कहा. 6सो रूथ खलिहान में गई और वहां उसने ठीक वही किया, जैसा उसकी सास ने उसे कहा था.

7बोअज़ बहुत ही खुश थे, जब उन्होंने खाना-पीना खत्म किया, वह अनाज के ढेर के पास सोने के लिए चले गए. तब रूथ दबे पांव वहां आई, और बोअज़ के पैरों की चादर उठाकर वहां लेट गई. 8बीच रात में जब बोअज़ ने करवट ली तो वह चौंक पड़े, कि एक स्त्री उनके पैरों के निकट लेटी हुई थी!

9उन्होंने पूछा, “कौन हो तुम?”

“मैं रूथ हूं, आपकी दासी.” रूथ ने उत्तर दिया. “आप हमारे छुड़ानेवाले हैं, सो अपनी दासी को अपने पंखों की शरण प्रदान करें.”

10“बेटी,” बोअज़ ने इसके उत्तर में कहा, “याहवेह की कृपादृष्टि तुम पर बनी रहे. समर्पण और निष्ठा की तुम्हारी यह प्रीति तुम्हारी पहले की प्रीति से बढ़कर है. तुमने यहां के किसी भी धनी या साधारण युवक से विवाह का विचार नहीं किया. 11अब, मेरी बेटी, किसी भी विषय की चिंता न करो. तुम्हारी इच्छा के अनुसार मैं सभी कुछ करूंगा, क्योंकि नगर में सभी को यह मालूम है कि तुम अच्छे चरित्र की स्त्री हो. 12यह सही है कि मैं तुम्हारा छुड़ाने वाला हूं, किंतु इस रीति में एक और व्यक्ति है, जिसका अधिकार मुझसे पहले है. 13अभी तुम यहीं ठहरो, सुबह यदि वह व्यक्ति अपना दायित्व पूरा करता है तो बहुत अच्छा, नहीं तो जीवित याहवेह की शपथ, मैं तुमसे प्रतिज्ञा करता हूं, कि मैं तुम्हें छुड़ाऊंगा. सुबह होने तक यहीं सोती रहो.”

14सो रूथ सुबह होने तक बोअज़ के पैताने सोती रहीं, किंतु इसके पहले कि उजाला हो और कोई उन्हें पहचान सके, वह उठ गई. बोअज़ ने उससे कहा, “किसी को यह पता न चले कि तुम खलिहान में आई थी.”

15तब बोअज़ ने उससे आगे कहा, “अपनी ओढ़नी आगे फैलाओ.” सो उसने अपनी ओढ़नी वहां बिछा दी, बोअज़ ने छः माप3:15 छः माप लगभग पच्चीस किलोग्राम जौ उसकी ओढ़नी में डाल दिए और उसे उसके कंधे पर रख दिया, और वह नगर में चली गयी.

16जब रूथ अपनी सास के पास पहुंची, नावोमी ने उससे पूछा, “मेरी पुत्री, बताओ कैसा रहा?”

तब रूथ ने अपनी सास को वह सब बता दिया, जो बोअज़ ने उसके लिए किया था. 17रूथ ने आगे कहा, “उन्होंने मुझे ये छः माप जौ भी यह कहते हुए दिए हैं, ‘अपनी सास के पास खाली हाथ न जाना.’ ”

18इस पर नावोमी ने रूथ से कहा, “मेरी पुत्री, अब धीरज धरकर देखती जाओ कि आगे क्या-क्या होता है. क्योंकि वह व्यक्ति आज इस विषय को सुलझाए बिना शांत न बैठेगा.”