กันดารวิถี 30 – TNCV & HCV

Thai New Contemporary Bible

กันดารวิถี 30:1-16

คำปฏิญาณ

1โมเสสแจ้งหัวหน้าเผ่าต่างๆ ของอิสราเอลว่า “องค์พระผู้เป็นเจ้าทรงบัญชาดังนี้คือ 2ผู้ใดถวายปฏิญาณต่อองค์พระผู้เป็นเจ้าหรือลั่นวาจาสาบานว่าจะทำสิ่งใด ก็อย่าผิดคำปฏิญาณให้เขาทำตามที่ลั่นวาจาไว้ทุกประการ

3“หญิงสาวคนใดที่ยังอยู่ในการปกครองของบิดาและกล่าวปฏิญาณต่อองค์พระผู้เป็นเจ้าหรือกล่าวคำสาบาน 4และบิดาของนางได้ยินนางกล่าวปฏิญาณหรือคำสาบานนั้น แต่เขาไม่ได้ทักท้วงอะไร คำปฏิญาณหรือคำสาบานทุกประการของนางก็ยังมีผลอยู่ 5แต่หากบิดาของนางได้ยินและคัดค้านคำปฏิญาณหรือคำสาบานนั้นก็เป็นโมฆะ องค์พระผู้เป็นเจ้าจะไม่ทรงถือโทษนางเนื่องจากบิดาของนางคัดค้าน

6“หากนางแต่งงานหลังจากที่ได้กล่าวปฏิญาณหรือพลั้งปากสาบานโดยไม่ยั้งคิด 7และสามีของนางได้ทราบคำปฏิญาณนั้นในภายหลังและไม่ได้ทักท้วงอะไร คำปฏิญาณหรือคำสาบานของนางก็ยังคงมีผลอยู่ 8แต่หากสามีของนางได้ทราบและคัดค้านคำปฏิญาณหรือวาจาพลั้งปากของนางนั้นก็เป็นโมฆะ และองค์พระผู้เป็นเจ้าจะไม่ทรงถือโทษนาง

9“แต่คำปฏิญาณหรือคำสาบานของหญิงม่ายหรือหญิงที่ถูกหย่าร้างจะยังมีผลบังคับ

10“หากหญิงที่อยู่กินกับสามีกล่าวคำปฏิญาหรือคำสาบานผูกมัดตัวเอง 11และสามีของนางได้ยินคำปฏิญาณนั้น แต่ไม่ได้คัดค้านหรือทักท้วงอะไร คำปฏิญาณหรือคำสาบานทุกประการก็ยังคงมีผลอยู่ 12แต่หากสามีของนางได้ยินแล้วคัดค้านคำปฏิญาณหรือคำสาบานจากปากของนางถือเป็นโมฆะ และองค์พระผู้เป็นเจ้าจะไม่ทรงถือโทษนาง 13ฉะนั้นสามีของนางอาจจะรับรองคำปฏิญาณหรือทำให้เป็นโมฆะก็ได้ 14แต่หากเขาไม่ได้พูดอะไรนับตั้งแต่ที่เขาได้ยิน ให้ถือว่าเขาได้รับรองคำปฏิญาณนั้นแล้ว การที่เขาไม่ได้กล่าวทักท้วงใดๆ ให้ถือเป็นการยืนยันรับรองคำปฏิญาณหรือคำสาบานนั้นๆ 15แต่ถ้าเขามากล่าวทักท้วงในภายหลัง เขาจะต้องรับผิดชอบต่อความผิดของนาง”

16ทั้งหมดนี้คือระเบียบซึ่งองค์พระผู้เป็นเจ้าประทานแก่โมเสสเกี่ยวกับความสัมพันธ์ระหว่างสามีกับภรรยา และบิดากับบุตรสาวในปกครอง

Hindi Contemporary Version

गणना 30:1-16

संकल्प और शपथ

1इसके बाद मोशेह इस्राएलियों के गोत्रों के प्रधानों के सामने आए और उन्होंने उनसे कहा: “याहवेह द्वारा दी गई आज्ञा यह है: 2यदि कोई व्यक्ति याहवेह के लिए कोई संकल्प लेता है, अथवा वह स्वयं को शपथ लेकर किसी ज़रूरी वाचा से बांध लेता है, वह अपनी शपथ को नहीं तोड़ेगा. वह अपने मुख से बोले हुए वचनों के अनुसार करेगा.

3“यदि कोई स्त्री याहवेह के लिए संकल्प करती है, वह युवावस्था में अपने पिता के घर में ही निवास करते हुए स्वयं को ज़रूरी वाचा में बांध लेती है, 4और उसका पिता उसके इस संकल्प और वाचा को सुन लेता है, जिसमें उसने स्वयं को बांध लिया है. उसके पिता को इस विषय में कोई आपत्ति नहीं होती, तब उसके सारे संकल्प मान्य रहेंगे, तथा वे सारी वाचाएं स्थायी हो जाएंगी. 5किंतु यदि उसका पिता इन संकल्पों को सुनकर उन्हें मना कर देता है, जैसे ही वह इन संकल्पों की सुनता है, उसका कोई भी संकल्प, जिसे उसने वाचा में बांधकर रखा है, प्रभावी न रह जाएगा; याहवेह भी उसे क्षमा कर देंगे क्योंकि उसके पिता ने उसे इनके विषय में मना कर दिया था.

6“फिर भी, यदि उसके द्वारा लिया गया संकल्प एवं सोच-विचार बिना कहे गए वचन में सीमित स्थिति में ही उसे विवाह करना पड़ जाता है, 7और उसके पति को इस बात का पता चल जाता है, किंतु उस अवसर पर यह सुनने पर भी उसकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं होती है, तब उसके द्वारा किए गए संकल्प तथा वाचा स्थिर बने रहेंगे, जिनमें उसने स्वयं को बांधा हुआ है. 8किंतु यदि उस अवसर पर उसके पति को इसका पता चल जाता है, वह अपनी पत्नी को इस विषय में मना कर देता है, तब वह अपनी पत्नी के संकल्प को खत्म कर देगा, जिसमें उसने स्वयं को बांध लिया था, जो उसके द्वारा बिना सोचे समझे कहा गया वचन था. याहवेह उसे इस विषय में क्षमा कर देंगे.

9“किंतु, यदि संकल्प किसी विधवा या किसी तलाकशुदा स्त्री द्वारा किया गया है, तो उसने जितने भी संकल्पों और मन्‍नतों में बांधी हुई रहेगी,

10“किंतु यदि वह विवाहित स्थिति में अपने पति के आवास में ही है, और उसने संकल्प किए है, शपथ ली हुईं है, 11और उसके पति को इसका पता चल चुका है, किंतु उसने इस पर उससे कुछ भी नहीं किया, उसने उसे इस विषय में कुछ मना भी नहीं किया, तब उसके सारे संकल्प सदा बने रहेंगे, तथा उसकी वे सभी वाचाएं जिनमें उसने स्वयं को बांधकर रखा था, सदा बने रहेंगे. 12किंतु यदि उसका पति इन्हें सुनते ही इन्हें खत्म कर देता है, तब उस स्त्री के द्वारा लिया गया संकल्प एवं उसके द्वारा स्वयं पर लगाई हुई वाचा खत्म हो जाएंगी; उसके पति द्वारा वे खत्म कर दिए गए हैं. याहवेह उन्हें क्षमा कर देंगे. 13हर एक संकल्प तथा हर एक वाचा जो उसने स्वयं को विनम्र रखने के लिए शुरू की है, उसके पति के द्वारा सदा के लिए रखा जा सकता है, या खत्म किया जा सकता है. 14किंतु यदि वास्तव में उसका पति दैनिक जीवन में इसका वर्णन ही नहीं करता है, तब इसके द्वारा पति अपनी पत्नी से किए गए संकल्पों एवं वाचाओं की पुष्टि करता है, जो उसने जवाबदारी के रूप में स्वयं पर लागू किए हुए हैं. उसने इस विषय का ज्ञान होने पर भी अपनी कोई भी प्रतिक्रिया ज़ाहिर नहीं की है. इसलिये यह उसके द्वारा की गई पुष्टि होगी. 15किंतु यदि उसने यह सुनने के बाद, इन्हें तोड़ दिया हो, तो वही अपनी पत्नी के दोष का भार उठाएगा.”

16ये वे विधियां हैं, जो याहवेह द्वारा मोशेह को दी गई हैं, जिनका संबंध पति-पत्नी के पारस्परिक संबंध से, तथा पिता-पुत्री के पारस्परिक संबंध से है, जब पुत्री युवावस्था तक पिता के घर पर रह रही होती है.