مَرقُس 16 – PCB & HCV

Persian Contemporary Bible

مَرقُس 16:1‏-20

عيسی زنده می‌شود

1‏-2عصر روز شنبه، در پايان روز استراحت، مريم مجدليه، سالومه و مريم مادر يعقوب داروهای معطر خريدند تا مطابق رسم يهود، جسد مرده را با آن معطر سازند.

روز بعد كه يكشنبه بود، صبح زود پيش از طلوع آفتاب، دارو را به سر قبر بردند. 3در بين راه تمام گفتگويشان دربارهٔ اين بود كه چگونه آن سنگ بزرگ را از جلو در قبر جابه‌جا كنند.

4وقتی بر سر قبر رسيدند، ديدند كه سنگ بزرگ جابه‌جا شده و درِ قبر باز است! 5پس داخل قبر كه مثل يک غار بود شدند و ديدند فرشته‌ای با لباس سفيد در طرف راست قبر نشسته است. زنان لرزيدند.

6ولی فرشته به ايشان گفت: «نترسيد. مگر به دنبال عيسای ناصری نمی‌گرديد كه روی صليب كشته شد؟ او اينجا نيست. عيسی دوباره زنده شده است! نگاه كنيد، اين هم جايی كه جسدش را گذاشته بودند! 7اكنون برويد و به شاگردان او و پطرس مژده دهيد كه او پيش از شما به جليل می‌رود تا شما را در آنجا ببيند، درست همانطور كه پيش از مرگ به شما گفته بود.»

8زنان پا به فرار گذاشتند و از ترس می‌لرزيدند به طوری که نتوانستند با كسی صحبت كنند.

9عيسی روز يكشنبه صبح زود زنده شد. اولين كسی كه او را ديد مريم مجدليه بود، كه عيسی از وجود او هفت روح ناپاک بيرون كرده بود. 10‏-11او نيز رفت و به شاگردان عيسی كه گريان و پریشانحال بودند، مژده داد كه عيسی را زنده ديده است! اما ايشان سخن او را باور نكردند. 12تا اينكه عصر همان روز، عيسی خود را به دو نفر از ايشان نشان داد. آنان از شهر اورشليم به طرف دهی می‌رفتند. ابتدا او را نشناختند، چون ظاهر خود را عوض كرده بود. 13سرانجام وقتی او را شناختند، با عجله به اورشليم بازگشتند و به ديگران خبر دادند. ولی باز هیچکس حرفشان را باور نكرد.

14در آخر عيسی به آن يازده شاگرد، وقتی كه شام می‌خوردند ظاهر شد و ايشان را به خاطر بی‌ايمانی و سماجتشان سرزنش كرد، زيرا گفته‌های كسانی را كه او را بعد از مرگ زنده ديده بودند، باور نكرده بودند.

15سپس به ايشان گفت: «حال بايد به سراسر دنيا برويد و پيغام انجيل را به مردم برسانيد. 16كسانی كه ايمان بياورند و غسل تعميد بگيرند، نجات می‌يابند، اما كسانی كه ايمان نياورند، داوری خواهند شد.

17«كسانی كه ايمان می‌آورند، با قدرت من، ارواح پليد را از مردم بيرون خواهند كرد و به زبانهای تازه سخن خواهند گفت. 18مارها را برخواهند داشت و در امان خواهند بود، و اگر زهر كشنده‌ای بخورند صدمه‌ای نخواهند ديد، دست بر بيماران خواهند گذاشت و ايشان را شفا خواهند داد.»

19چون عيسای خداوند سخنان خود را به پايان رساند، به آسمان صعود كرد و به دست راست خدا نشست.

20شاگردان به همه جا رفته، پيغام انجيل را به همه رساندند. خداوند نيز با ايشان كار می‌كرد و با معجزاتی كه عطا می‌نمود، پيغام ايشان را ثابت می‌كرد.

Hindi Contemporary Version

मार्कास 16:1-20

मसीह येशु का मरे हुओं में से जी उठना

1शब्बाथ समाप्‍त होते ही मगदालावासी मरियम, याकोब की माता मरियम तथा शालोमे ने मसीह येशु के शरीर को तेल से अभिषेक के उद्देश्य से सुगंध द्रव्य मोल लिए. 2सप्‍ताह के पहले दिन भोर के समय जब सूर्य उदय हो ही रहा था, वे कब्र की गुफ़ा पर आ गईं. 3वे आपस में यह विचार कर रही थी, “कब्र के द्वार पर से हमारे लिए पत्थर कौन हटाएगा?”

4किंतु जब उन्होंने कब्र की ओर दृष्टि की तो पाया कि कब्र द्वार पर से पत्थर लुढ़का हुआ था, जबकि वह बहुत बड़ा था. 5कब्र में प्रवेश करने पर उन्होंने दायीं ओर एक युवा व्यक्ति को बैठे हुए देखा, जो उज्जवल, सफ़ेद वस्त्रों में था. वे हैरान रह गईं.

6उस व्यक्ति ने उन्हें बुलाकर कहा, “आश्चर्य मत कीजिए. आप यहां नाज़रेथवासी येशु को, जिन्हें क्रूस पर चढ़ाया गया था, खोज रही हैं. वह मरे हुओं में से जीवित हो गए हैं. वह यहां नहीं है. यह देखिए, यही है वह जगह, जहां उन्हें रखा गया था. 7मगर अब उनके शिष्यों और पेतरॉस को यह सूचना दे दीजिए कि वह उनके पहले ही गलील प्रदेश पहुंच जाएंगे. उनसे आपकी भेंट वहीं होगी—ठीक वैसा ही जैसा उन्होंने कहा था.”

8कांपते हुए तथा भौंचक्का वे बाहर आईं और कब्र की गुफ़ा से भागीं. डर के कारण उन्होंने किसी से कुछ न कहा.

9जब सप्‍ताह के पहले दिन तड़के मसीह येशु जीवित हुए, उन्होंने सबसे पहले स्वयं को मगदालावासी मरियम पर प्रकट किया, जिसमें से उन्होंने सात दुष्टात्माओं को निकाला था. 10उसने जाकर विलाप तथा रोते हुए अपने साथियों को इसका समाचार दिया. 11उन्होंने इस पर विश्वास नहीं किया कि मसीह येशु अब जीवित हैं तथा मरियम ने उन्हें देखा है.

12इसके बाद मसीह येशु दो अन्यों पर भी, जब वे अपने गांव की ओर जा रहे थे, प्रकट हुए. 13इन्होंने जाकर अन्यों को भी इस विषय में बताया किंतु उन्होंने भी इस पर विश्वास न किया.

14तब वह ग्यारह शिष्यों पर भी प्रकट हुए. वे सब चौकी पर बैठे हुए थे. उन्होंने शिष्यों के अविश्वास तथा मन की कठोरता की उल्लाहना की क्योंकि उन्होंने उनके जीवित होने के बाद देखनेवालों का विश्वास नहीं किया था.

15मसीह येशु ने उन्हें आदेश दिया, “सारे जगत में जाकर सारी सृष्टि में सुसमाचार का प्रचार करो. 16वह, जिसने विश्वास किया है तथा जिसका बपतिस्मा हो चुका है, बचा रहेगा; किंतु वह, जिसने विश्वास नहीं किया है, दंडित होगा. 17जिन्होंने विश्वास किया है, उन्हें ये अद्भुत चमत्कार चिह्न दिखाने की क्षमता प्रदान की जाएगी: मेरे नाम में वे दुष्टात्माओं को निकालेंगे, वे अन्य भाषाओं में बातें करेंगे, 18वे सांपों को अपने हाथों में ले लेंगे, घातक विष पी लेने पर भी उनकी कोई हानि न होगी और वे रोगियों पर हाथ रखेंगे और वे स्वस्थ हो जाएंगे.”

19प्रभु येशु जब उनसे यह कह चुके, वह स्वर्ग में उठा लिए गए. वहां वह परमेश्वर की दायीं ओर बैठ गए. 20शिष्य लौट गए तथा सभी जगह इसकी घोषणा की. प्रभु उनके साथ सक्रिय थे तथा वह अपनी प्रतिज्ञा की सच्चाई अद्भुत चमत्कारों के द्वारा करते रहे.16:20 कुछ हस्तलेखों में वचन 9–20 उपलब्ध नहीं है