دوم تواريخ 35 – PCB & HCV

Persian Contemporary Bible

دوم تواريخ 35:1-27

يوشيا عيد پِسَح را جشن می‌گيرد

(دوم پادشاهان 23‏:21‏-23)

1يوشيای پادشاه دستور داد كه عيد پِسَح، روز چهاردهم ماه اول در اورشليم برگزار شود. بره‌های عيد پسح را همان روز سر بريدند. 2او همچنين كاهنان را بر سر كارهايشان گماشت و ايشان را تشويق نمود كه دوباره خدمت خود را در خانهٔ خداوند شروع كنند. 3يوشيا به لاويانی كه تقديس35‏:3 تقديس يعنی جدا کردن، مقدس ساختن و اختصاص دادن.‏ شده بودند و در سراسر اسرائيل تعليم می‌دادند اين دستور را داد:

«اكنون صندوق عهد در خانه‌ای است كه سليمان، پسر داوود، پادشاه اسرائيل، برای خدا ساخته است و ديگر لازم نيست شما آن را بر دوش خود بگذاريد و از جايی به جايی ديگر ببريد، پس وقت خود را صرف خدمت خداوند، خدايتان و قوم او بنماييد. 4‏-5مطابق مقرراتی كه داوود، پادشاه اسرائيل و پسرش سليمان وضع نموده‌اند، برای خدمت به دسته‌های تقسيم شويد. هر دسته در جای خود در خانه خدا بايستد و به يكی از طايفه‌های قوم اسرائيل كمک كند. 6بره‌های عيد پسح را سر ببريد، خود را تقديس نماييد و آماده شويد تا به قوم خود خدمت كنيد. از دستورات خداوند كه بوسيلهٔ موسی داده شده، پيروی نماييد.»

7سپس پادشاه سی هزار بره و بزغاله و سه هزار گاو جوان از اموال خود برای قربانی در عيد پسح به بنی‌اسرائيل داد. 8مقامات دربار نيز به طور داوطلبانه به قوم و به كاهنان و لاويان هدايايی دادند. حلقيا و زكريا و يحی‌ئيل كه ناظران خانهٔ خدا بودند، دو هزار و ششصد بره و بزغاله و سيصد گاو برای قربانی در عيد پسح به كاهنان دادند. 9كننيا، شمعيا، نتن‌ئيل و برادران او حشبيا، يعی‌ئيل و يوزاباد كه رهبران لاويان بودند پنج هزار بره و بزغاله و پانصد گاو برای قربانی در عيد پسح به لاويان دادند.

10وقتی ترتيبات لازم داده شد و كاهنان در جاهای خود قرار گرفتند و لاويان مطابق دستور پادشاه برای خدمت به گروه‌های مختلف تقسيم شدند، 11آنگاه لاويان بره‌های عيد پسح را سر بريده، پوستشان را از گوشت جدا كردند و كاهنان خون آن بره‌ها را روی قربانگاه پاشيدند. 12آنها قربانیهای سوختنی هر قبيله را جدا كردند تا مطابق نوشتهٔ تورات موسی آنها را به حضور خداوند تقديم نمايند. 13سپس طبق مقررات، گوشت بره‌های قربانی را بريان كردند و قربانیهای ديگر را در ديگها و تابه‌ها پختند و به سرعت بين قوم تقسيم كردند تا بخورند. 14كاهنان تا شب مشغول تقديم قربانیهای سوختنی و سوزاندن پيه قربانیها بودند و فرصت نداشتند برای خود خوراک پسح را تهيه كنند؛ پس لاويان، هم برای خود و هم برای كاهنان خوراک پسح را تهيه كردند.

15دستهٔ سرايندگان كه از نسل آساف بودند به سر كار خود بازگشتند و مطابق دستوراتی كه بوسيلهٔ داوود پادشاه، آساف، هيمان و يدوتون نبی پادشاه صادر شده بود، عمل كردند. نگهبانان دروازه‌ها پست خود را ترک نكردند زيرا برادران لاوی ايشان برای آنها خوراک آوردند. 16مراسم عيد پسح در آن روز انجام شد و همهٔ قربانیهای سوختنی، همانطور كه يوشيا دستور داده بود، بر روی قربانگاه خداوند تقديم شد.

17تمام حاضرين، عيد پسح و عيد فطير را تا هفت روز جشن گرفتند. 18از زمان سموئيل نبی تا آن زمان هيچ عيد پسحی مثل عيدی كه يوشيا برگزار نمود، برگزار نشده بود و هيچ پادشاهی در اسرائيل نتوانسته بود به اين تعداد كاهن و لاوی و شركت كننده از سراسر يهودا و اورشليم و اسرائيل در عيد پسح جمع كند. 19اين عيد پسح در سال هجدهم سلطنت يوشيا برگزار شد.

پايان سلطنت يوشيا

(دوم پادشاهان 23‏:28‏-30)

20هنگامی كه يوشيا كارهای مربوط به خانهٔ خدا را به انجام رسانيده بود، نكو، پادشاه مصر، با قشون خود به كركميش واقع در كنار رود فرات آمد و يوشيا به مقابلهٔ او رفت. 21اما نكو قاصدانی با اين پيام نزد يوشيا فرستاد: «ای پادشاه يهودا، من با تو قصد جنگ ندارم، من آمده‌ام با دشمن35‏:21 در اينجا منظور از «دشمن»، آشور است. نگاه کنيد به دوم پادشاهان 23‏:29.‏ خود بجنگم، و خدا به من گفته است كه بشتابم. در كار خدا مداخله نكن والا تو را از بين خواهد برد، زيرا خدا با من است.» 22ولی يوشيا از تصميم خود منصرف نشد، بلكه سپاه خود را به قصد جنگ به درهٔ مجدو هدايت كرد. او لباس شاهانهٔ خود را عوض كرد تا دشمن او را نشناسد. يوشيا به پيام نكو، پادشاه مصر كه از جانب خدا بود، توجه نكرد.

23در جنگ، تيراندازان دشمن با تيرهای خود يوشيا را زدند و او به شدت مجروح شد. يوشيا به افرادش دستور داد كه او را از ميدان جنگ بيرون ببرند. 24پس او را از عرابه‌اش پائين آورده، بر عرابهٔ دومش نهادند و به اورشليم بازگرداندند و او در آنجا درگذشت. وی را در آرامگاه سلطنتی دفن كردند و تمام يهودا و اورشليم برای او عزا گرفتند. 25ارميای نبی برای يوشيا مرثيه‌ای ساخت. خواندن اين مرثيه در اسرائيل به صورت رسم درآمد، به طوری كه تا به امروز نيز اين مرثيه را مردان و زنان به ياد يوشيا می‌خوانند. اين مرثيه در كتاب «مراثی» نوشته شده است.

26‏-27شرح كامل رويدادهای دوران سلطنت يوشيا، اعمال خوب او و اطاعتش از كتاب شريعت خداوند در كتاب «تاريخ پادشاهان يهودا و اسرائيل» نوشته شده است.

Hindi Contemporary Version

2 इतिहास 35:1-27

फ़सह उत्सव की पुनर्स्थापना

1तब योशियाह ने येरूशलेम में याहवेह के लिए फ़सह उत्सव मनाया. पहले महीने के चौदहवें दिन उन्होंने फ़सह पशुओं का वध किया. 2उसने पुरोहितों को उनके पदों पर ठहराया और उन्हें याहवेह के भवन संबंधी सेवा के लिए प्रोत्साहित भी किया. 3सारे इस्राएल में शिक्षा देने के लिए ठहराए गए लेवियों को, जो याहवेह के लिए अलग किए हुए थे, राजा ने आदेश दिया: “उस पवित्र संदूक को इस्राएल के राजा दावीद के पुत्र शलोमोन द्वारा बनवाए याहवेह के घर में प्रतिष्ठित कर दो. अब यह तुम्हारे कांधों के लिए बोझ नहीं रहेगा. अब आप लोग याहवेह अपने परमेश्वर और उनकी प्रजा इस्राएल की सेवा की ओर ध्यान लगाइए. 4स्वयं को अपने-अपने विभागों में कुलों के अनुसार इस्राएल के राजा दावीद और उनके पुत्र शलोमोन के लिखित निर्देशों के अनुसार इकट्ठा कर लीजिए.

5“इसके अलावा पवित्र स्थान जनसाधारण के कुलों के भागों के अनुसार खड़े हो जाइए, लेवी भी कुलों के भागों के अनुसार खड़े हो जाइए. 6अब फ़सह के लिए ठहराए गए पशु वध किए जाएं. स्वयं को शुद्ध कीजिए और अपने भाई-बंधुओं को मोशेह द्वारा सौंपे गए याहवेह के आदेश को पूरा करने के लिए तैयार कीजिए.”

7खुद योशियाह ने लोगों के लिए, जितने वहां उपस्थित थे, मेमनों का समूह और बकरी के बच्‍चे दान में दिए कि वे फ़सह के लिए इस्तेमाल हो. इनकी कुल संख्या हो गई थी तीस हज़ार और तीन हज़ार बछड़े. ये सभी राजा की संपत्ति में से दिए गए थे.

8राजा के अधिकारियों ने भी लोगों, पुरोहितों और लेवियों के लिए अपनी इच्छा से दान दिया. परमेश्वर के भवन के अधिकारी हिलकियाह, ज़करयाह और यहीएल ने पुरोहितों को फ़सह का बलिदान के लिए भेड़ों और बकरियों के दो हजार छ: सौ और तीन सौ बछड़े दान में दिए. 9इनके अलावा लेवियों के अधिकारी केनानियाह, नेथानेल, उसके भाई, हशाबियाह, येइएल और योज़ाबाद ने फ़सह बलि के लिए लेवियों को पांच हज़ार मेमने और पांच सौ बछड़े दान में दिए.

10तब राजा के आदेश के अनुसार फ़सह की तैयारी पूरी हो गई. पुरोहित अपने निर्धारित स्थान पर खड़े थे और लेवी अपने विभागों के अनुसार. 11उन्होंने फ़सह के लिए ठहराए गए पशुओं का वध करना शुरू किया. पुरोहित उनके द्वारा इकट्ठा हुआ लहू लेकर छिड़काव कर रहे थे और लेवी पशु-शवों की खाल उतार रहे थे. 12तब उन्होंने होमबलियों को अलग रख दिया, कि इन्हें लोगों में कुलों के अनुसार बांट दिया जाए, कि वे इसे याहवेह को पेश कर सकें, जैसा मोशेह की पुस्तक में लिखा है. 13तब उन्होंने फ़सह पशुओं को आग पर नियम के अनुसार भुना और पवित्र भेंटों को विभिन्‍न बर्तनों में उबाल लिया और जल्दी ही सभी लोगों को परोस दिया. 14इसके बाद उन्होंने अपने लिए और पुरोहितों के लिए भी तैयारी की, क्योंकि अहरोन के वंशज पुरोहित रात होने तक होमबलि और चर्बी चढ़ा रहे थे. इसलिये लेवियों को खुद अपने लिए और पुरोहितों के लिए जो अहरोन के वंशज थे, तैयारी करनी पड़ी.

15दावीद, आसफ, हेमान और राजा के दर्शी यदूथून द्वारा दिए गए निर्देश के अनुसार, आसफ के वंशज गायक भी अपने-अपने ठहराए गए स्थानों पर खड़े हुए थे. द्वारपालों को द्वार छोड़कर जाना ज़रूरी नहीं था, क्योंकि आवश्यक तैयारी उनके भाई-बन्धु लेवियों ने उनके लिए पहले ही कर ली थी.

16तब उस दिन राजा योशियाह के आदेश के अनुसार याहवेह की आराधना के लिए, फ़सह उत्सव मनाने और याहवेह की वेदी पर होमबलि चढ़ाने के लिए सभी कुछ तैयार पाया गया. 17इस प्रकार इस अवसर पर वहां उपस्थित इस्राएल वंशजों ने फ़सह उत्सव और खमीर रहित रोटी का उत्सव मनाया. 18भविष्यद्वक्ता शमुएल के समय से अब तक इस्राएल में फ़सह उत्सव का ऐसा समारोह नहीं मनाया गया था और न ही इस्राएल के किसी भी राजा ने पुरोहितों, लेवियों, सारे यहूदिया, उपस्थित इस्राएल और येरूशलेम वासियों के साथ इस तरह का समारोह कभी नहीं मनाया था, जैसे योशियाह ने मनाया था. 19यह फ़सह का उत्सव योशियाह के शासनकाल के अठारहवें साल में मनाया गया था.

रणभूमि में योशियाह की मृत्यु

20फिर, यह सब होने के बाद, जब योशियाह मंदिर में सब कुछ तैयार कर चुका, युद्ध की इच्छा से मिस्र का राजा नेको फरात नदी के तट पर कर्कमीश नामक स्थान तक आ गया. योशियाह भी उसका सामना करने वहां पहुंचा. 21मगर नेको ने उसके लिए इस संदेश के साथ दूत भेजे, “यहूदिया के राजा, आपसे मेरी कोई शत्रुता नहीं है. इस समय मैं आपसे युद्ध करने यहां नहीं आया हूं, बल्कि मैं उस परिवार के विरुद्ध आया हूं, जिससे मेरा विवाद है और परमेश्वर ने ही मुझे पूर्ति का आदेश दिया है. अपने ही हित में आप परमेश्वर के इस काम से अलग रहिए, कहीं ऐसा न हो कि वह आपको नाश करे, क्योंकि परमेश्वर यहां मेरी ओर हैं.”

22फिर भी योशियाह ने उसकी एक न सुनी. बल्कि उससे युद्ध करने के उद्देश्य से उसने भेष बदल लिया कि वह उससे युद्ध कर सके. वह नेको के द्वारा दिए परमेश्वर के संदेश को ठुकरा कर उससे युद्ध करने के उद्देश्य से मगिद्दो के मैदान में आ गया.

23राजा योशियाह मिस्री धनुर्धारियों के बाणों का निशाना हो गया. राजा ने अपने सेवक को आदेश दिया, “मुझे यहां से ले चलो; मुझे गहरी चोट लगी है.” 24तब उसके सेवकों ने उसे उस रथ से निकालकर उसके ही एक दूसरे रथ में बैठा दिया और उसे येरूशलेम ले गये, जहां उसकी मृत्यु हो गई. उसे उसके पूर्वजों की कब्र में रखा गया. योशियाह के लिए सारे यहूदिया और येरूशलेम ने विलाप किया.

25योशियाह के शोक में येरेमियाह ने एक विलापगीत प्रस्तुत किया. आज भी पुरुष और स्त्री गायक अपने शोक गीत में योशियाह का उल्लेख करते हैं. इस्राएल में इसे गाने की रीति हो गई है. इसे विलापगीत की पुस्तक में शामिल किया गया है.

26योशियाह के बाकी कामों का वर्णन और याहवेह की व्यवस्था के प्रति उसके पहले के समर्पण द्वारा किए गए सुधारों का वर्णन, 27शुरू से अंत तक उसके सभी कामों का वर्णन इस्राएल और यहूदिया के राजा नामक पुस्तक में किया गया है.