Псалтирь 25 – NRT & HCV

New Russian Translation

Псалтирь 25:1-12

Псалом 25

1Псалом Давида.

Господи, оправдай меня,

ведь я жил непорочной жизнью.

Я уповал на Господа,

не колеблясь.

2Проверь меня, Господи,

испытай меня,

исследуй сердце мое и разум.

3Ведь Твоя милость пред очами моими;

я всегда хожу в Твоей истине.

4Я не сижу с людьми лживыми

и с коварными не пойду.

5Я ненавижу сборище грешников

и с нечестивыми не сажусь.

6Буду омывать свои руки в невинности

и кругом обходить Твой жертвенник, Господи,

7воспевая Тебе хвалу

и говоря о всех чудесах Твоих.

8Господи, я люблю дом, в котором Ты обитаешь,

место, где слава Твоя живет.

9Не погуби души моей с грешными,

жизни моей с кровожадными,

10у которых в руках злой умысел,

чьи правые руки взяток полны.

11А я живу беспорочно.

Избавь меня и помилуй!

12Ноги мои стоят на ровной земле;

в большом собрании восхвалю я Господа.

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 25:1-22

स्तोत्र 25

दावीद की रचना.

1याहवेह, मैंने आप पर

अपनी आत्मा समर्पित की है.

2मेरे परमेश्वर, मैंने आप पर भरोसा किया है;

मुझे लज्जित होने न दीजिए,

और न मेरे शत्रु मेरा पीछा करने पाएं.

3कोई भी, जिसने आप पर अपनी आशा रखी है

लज्जित कदापि नहीं किया जा सकता,

लज्जित वे किए जाएंगे,

जो विश्वासघात करते हैं.

4याहवेह, मुझे अपने मार्ग दिखा,

मुझे अपने मार्गों की शिक्षा दीजिए.

5अपने सत्य की ओर मेरी अगुवाई कीजिए और मुझे शिक्षा दीजिए,

क्योंकि आप मेरे छुड़ानेवाले परमेश्वर हैं,

दिन भर मैं आपकी ही प्रतीक्षा करता रहता हूं.

6याहवेह, अपनी असीम दया तथा अपने करुणा-प्रेम25:6 करुणा-प्रेम ख़ेसेद इस हिब्री शब्द का अर्थ में अनुग्रह, दया, प्रेम, करुणा ये शामिल हैं का स्मरण कीजिए,

जो अनंत काल से होते आए हैं.

7युवावस्था में किए गए मेरे अपराधों का

तथा मेरे हठीले आचरण का लेखा न रखिए;

परंतु, याहवेह, अपनी करुणा में मेरा स्मरण रखिए,

क्योंकि याहवेह, आप भले हैं!

8याहवेह भले एवं सत्य हैं,

तब वह पापियों को अपनी नीतियों की शिक्षा देते हैं.

9विनीत को वह धर्ममय मार्ग पर ले चलते हैं,

तथा उसे अपने मार्ग की शिक्षा देते हैं.

10जो याहवेह की वाचा एवं व्यवस्था का पालन करते हैं,

उनके सभी मार्ग उनके लिए प्रेमपूर्ण एवं विश्वासयोग्य हैं.

11याहवेह, अपनी महिमा के निमित्त,

मेरा अपराध क्षमा करें, यद्यपि मेरा अपराध घोर है.

12तब कौन है वह मनुष्य, जो याहवेह से डरता है?

याहवेह उस पर वह मार्ग प्रकट करेंगे, जिस पर उसका चलना भला है.

13तब समृद्ध होगा उसका जीवन,

और उसकी सन्तति उस देश पर शासन करेगी.

14अपने श्रद्धालुओं पर ही याहवेह अपने रहस्य प्रकाशित करते हैं;

उन्हीं पर वह अपनी वाचा प्रगट करते हैं.

15मेरी आंखें एकटक याहवेह को देख रहीं हैं,

क्योंकि वही मेरे पैरों को फंदे से मुक्त करेंगे.

16हे याहवेह, मेरी ओर मुड़कर मुझ पर कृपादृष्टि कीजिए,

क्योंकि मैं अकेला तथा पीड़ित हूं.

17मेरे हृदय का संताप बढ़ गया है,

मुझे मेरी यातनाओं से बचा लीजिए.

18मेरी पीड़ा और यातना पर दृष्टि कीजिए,

और मेरे समस्त पाप क्षमा कर दीजिए.

19देखिए, मेरे शत्रुओं की संख्या कितनी बड़ी है,

यह भी देखिए कि मेरे प्रति कितनी उग्र है उनकी घृणा!

20मेरे जीवन की रक्षा कीजिए और मुझे बचा लीजिए;

मुझे लज्जित न होना पड़े,

क्योंकि मैं आपके आश्रय में आया हूं.

21खराई तथा सच्चाई मुझे सुरक्षित रखें,

क्योंकि मैंने आप पर ही भरोसा किया है.

22हे परमेश्वर, इस्राएल को बचा लीजिए,

समस्त संकटों से इस्राएल को मुक्त कीजिए!