Mithali 16 – NEN & HCV

Kiswahili Contemporary Version (Neno: Bibilia Takatifu)

Mithali 16:1-33

116:1 Mt 10:19; Mit 19:21Mipango ya moyoni ni ya mwanadamu,

bali jibu la ulimi hutoka kwa Bwana.

216:2 1Sam 16:7; 2Nya 6:30; Lk 16:15; Dan 5:27Njia zote za mtu huonekana safi machoni pake mwenyewe,

bali makusudi hupimwa na Bwana.

316:3 2Nya 20:20; Za 20:4Mkabidhi Bwana lolote ufanyalo,

nayo mipango yako itafanikiwa.

416:4 Isa 43:7; Kut 9:16; 2Nya 34:24; Rum 9:22Bwana hufanya kila kitu kwa kusudi lake mwenyewe;

hata waovu kwa siku ya maangamizi.

516:5 Za 40:4; Mit 6:16; 11:20-21Bwana huwachukia sana wote wenye kiburi cha moyo.

Uwe na hakika kwa hili: Hawataepuka kuadhibiwa.

616:6 Kut 20:20; Mit 14:16; Dan 4:26Kwa upendo na uaminifu uovu huondolewa;

kwa kumcha Bwana mtu hujiepusha na ubaya.

716:7 Kol 1:10; Mwa 39:21; Za 105:15; Yer 39:12; 40:1; 42:12; Dan 1:9Njia za mtu zinapompendeza Bwana,

huwafanya hata adui zake waishi naye kwa amani.

816:8 Za 37:16; Mit 15:16; 17:1; Mhu 4:6Afadhali kitu kidogo pamoja na haki

kuliko mapato mengi pamoja na udhalimu.

916:9 Yer 10:23Moyo wa mtu huifikiri njia yake,

bali Bwana huelekeza hatua zake.

1016:10 Mit 17:7Midomo ya mfalme huzungumza kwa hekima ya kiungu,

wala kinywa chake hakipotoshi haki.

1116:11 Law 19:36; Mit 11:1; Eze 45:10Vipimo na mizani za halali hutoka kwa Bwana;

mawe yote ya kupimia yaliyo katika mfuko ameyafanya yeye.

1216:12 Mit 26:28; 25:5; 29:14; 31:5Wafalme huchukia sana kutenda maovu,

kwa maana kiti cha ufalme hufanywa imara kwa njia ya haki.

1316:13 Mit 22:11Wafalme hufurahia midomo ya uaminifu;

humthamini mtu asemaye kweli.

1416:14 Mwa 40:2; Ay 29:24Ghadhabu ya mfalme ni mjumbe wa mauti,

bali mtu mwenye hekima ataituliza.

1516:15 2Nya 36:16; Mit 29:1; Yer 19:1116:15 Mwa 40:2; Ay 29:24; Mit 19:12; 25:2-7Uso wa mfalme ungʼaapo, inamaanisha uhai;

upendeleo wake ni kama wingu la mvua wakati wa vuli.

1616:16 Za 49:20; Ay 28:15; Mit 3:13-14Ni bora kiasi gani kupata hekima kuliko dhahabu,

kuchagua ufahamu kuliko fedha!

1716:17 Mit 4:24-27; Isa 35:8; Mdo 24:16Njia kuu ya wanyofu huepuka ubaya;

yeye aichungaye njia yake, huchunga maisha yake.

1816:18 Es 5:12; Mit 29:23Kiburi hutangulia maangamizi,

roho ya majivuno hutangulia maanguko.

19Ni afadhali kuwa mnyenyekevu katika roho

miongoni mwa walioonewa

kuliko kugawana nyara pamoja na wenye kiburi.

2016:20 Isa 30:18; Za 32:10; Yer 17:7Yeyote anayekubali mafundisho hustawi,

tena amebarikiwa yeye anayemtumaini Bwana.

2116:21 Mit 16:23Wenye hekima moyoni huitwa wenye ufahamu,

na maneno ya kupendeza huchochea mafundisho.

2216:22 Mit 10:11Ufahamu ni chemchemi ya uzima kwa wale walio nao,

bali upumbavu huleta adhabu kwa wapumbavu.

2316:23 Ay 15:5; Mit 16:21Moyo wa mtu mwenye hekima huongoza kinywa chake,

na midomo yake huchochea mafundisho.

2416:24 Mit 24:13-14Maneno ya kupendeza ni kama sega la asali,

ni matamu kwa nafsi na uponyaji kwenye mifupa.

2516:25 Mit 12:15; 14:12; Es 3:6Iko njia ionekanayo kuwa sawa kwa mtu,

bali mwisho wake huelekeza mautini.

2616:26 Mit 9:12; Mhu 6:7Shauku ya mfanyakazi humhimiza kufanya kazi;

njaa yake humsukuma aendelee.

2716:27 Yak 3:6Mtu mbaya kabisa hupanga mabaya,

maneno yake ni kama moto uunguzao.

2816:28 Mit 14:17; 17:9Mtu mpotovu huchochea ugomvi,

nayo maongezi ya upuzi hutenganisha marafiki wa karibu.

29Mtu mkali humvuta jirani yake

na kumwongoza katika mapito yale mabaya.

3016:30 Mit 6:13Yeye akonyezaye kwa jicho lake anapanga upotovu;

naye akazaye midomo yake amenuia mabaya.

3116:31 Mit 20:29Mvi ni taji ya utukufu;

hupatikana kwa maisha ya uadilifu.

3216:32 Mit 19:11Ni afadhali mtu mstahimilivu kuliko shujaa,

mtu anayeitawala hasira yake kuliko yule autekaye mji.

3316:33 Yos 7:14; Yn 1:7Kura hupigwa kwa siri,

lakini kila uamuzi wake hutoka kwa Bwana.

Hindi Contemporary Version

सूक्ति संग्रह 16:1-33

1मनुष्य के मन में योजना अवश्य होती हैं,

किंतु कार्य का आदेश याहवेह के द्वारा ही किया जाता है.

2मनुष्य की दृष्टि में उसका अपना समस्त चालचलन शुद्ध ही होता है,

किंतु याहवेह ही उसकी अंतरात्मा को परखते हैं.

3अपना समस्त उपक्रम याहवेह पर डाल दो,

कि वह तुम्हारी योजनाओं को सफल कर सकें.

4याहवेह ने हर एक वस्तु को एक विशेष उद्देश्य से सृजा—

यहां तक कि दुष्ट को घोर विपत्ति के दिन के लिए.

5हर एक अहंकारी हृदय याहवेह के लिए घृणास्पद है;

स्मरण रहे: दंड से कोई भी नहीं बचेगा.

6निस्वार्थ प्रेम तथा खराई द्वारा अपराधों का प्रायश्चित किया जाता है;

तथा याहवेह के प्रति श्रद्धा के द्वारा बुराई से मुड़ना संभव होता है.

7जब किसी व्यक्ति का चालचलन याहवेह को भाता है,

वह उसके शत्रुओं तक को उसके प्रति मित्र बना देते हैं.

8सीमित संसाधनों के साथ धर्मी का जीवन

अनुचित रूप से अर्जित अपार संपत्ति से उत्तम है.

9मानवीय मस्तिष्क अपने लिए उपयुक्त मार्ग निर्धारित कर लेता है,

किंतु उसके पैरों का निर्धारण याहवेह ही करते हैं.

10राजा के मुख द्वारा घोषित निर्णय दिव्य वाणी के समान होते हैं,

तब उसके निर्णयों में न्याय-विसंगति अनुपयुक्त है.

11शुद्ध माप याहवेह द्वारा निर्धारित होते हैं;

सभी प्रकार के माप पर उन्हीं की स्वीकृति है.

12बुराई राजा पर शोभा नहीं देती,

क्योंकि सिंहासन की स्थिरता धर्म पर आधारित है.

13राजाओं को न्यायपूर्ण वाणी भाती है;

जो जन सत्य बोलता है, वह उसे ही मान देता है.

14राजा का कोप मृत्यु के दूत के समान होता है,

किंतु ज्ञानवान व्यक्ति इस कोप को ठंडा कर देता है.

15राजा के मुखमंडल का प्रकाश जीवनदान है;

उसकी कृपादृष्टि उन मेघों के समान है, जो वसन्त ऋतु की वृष्टि लेकर आते हैं.

16स्वर्ण की अपेक्षा ज्ञान को प्राप्‍त करना कितना अधिक उत्तम है,

और बुद्धिमत्ता की उपलब्धि चांदी पाने से.

17धर्मी का राजमार्ग कुटिलता को देखे बिना उसे दूर छोड़ता हुआ आगे बढ़ जाता है.

जो अपने चालचलन के प्रति न्यायी रहता है, अपने जीवन की रक्षा ही करता है.

18सर्वनाश के पूर्व अहंकार,

तथा ठोकर के पूर्व घमंड प्रकट होता है.

19निर्धनों के मध्य विनम्र भाव में रहना

दिन के साथ लूट की सामग्री में सम्मिलित होने से उत्तम है.

20जो कोई शिक्षा को ध्यानपूर्वक सुनता है,

उत्तम प्रतिफल प्राप्‍त करता है और धन्य होता है वह, जिसने याहवेह पर भरोसा रखा है.

21कुशाग्रबुद्धि के व्यक्ति अनुभवी व्यक्ति के रूप में प्रख्यात हो जाते हैं,

और मधुर बातों से अभिव्यक्ति ग्रहण योग्य हो जाती है.

22बुद्धिमान व्यक्ति में समझ जीवन-प्रदायी सोता समान है,

किंतु मूर्ख को अपनी ही मूर्खता के द्वारा दंड प्राप्‍त हो जाता है.

23बुद्धिमानों के मन उनके मुंह को समझदार बनाते हैं और उनके ओंठ ज्ञान प्रसार करते हैं,

और उसका वक्तव्य श्रोता स्वीकार भी कर लेते हैं.

24सुहावने शब्द मधु के छत्ते-समान होते हैं,

जिनसे मन को शांति तथा देह को स्वास्थ्य प्राप्‍त होता है.

25एक ऐसा मार्ग है, जो उपयुक्त जान पड़ता है,

किंतु इसका अंत है मृत्यु-द्वार.

26श्रमिक के श्रम की प्रेरणा है उसकी भूख;

अपने उदर की सतत मांग पर ही वह श्रम करता जाता है.

27अधर्मी व्यक्ति बुराई की योजना करता रहता है,

और जब वह बातें करता है, तो उसके शब्द भड़कती अग्नि-समान होते हैं.

28कुटिल मनोवृत्ति का व्यक्ति कलह फैलाता जाता है,

तथा परम मित्रों में फूट का कारण वह व्यक्ति होता है, जो कानाफूसी करता है.

29हिंसक प्रवृत्ति का व्यक्ति अपने पड़ोसी को आकर्षित कर

उसे बुराई के लिए प्रेरित कर देता है.

30वह, जो अपने नेत्रों से इशारे करता है, वह निश्चयतः कुटिल युक्ति गढ़ रहा होता है;

जो अपने ओंठ चबाता है, वह विसंगत युक्ति कर रहा होता है.

31श्वेत केश शानदार मुकुट हैं;

ये धर्ममय मार्ग पर चलने से प्राप्‍त होते है.

32एक योद्धा से बेहतर वह है, जो विलंब से क्रोध करता है;

जिसने एक नगर को अधीन कर लिया है, उससे भी उत्तम है जिसने अपनी अंतरात्मा पर नियंत्रण कर लिया है!

33किसी निर्णय पर पहुंचने के लिए मत अवश्य लिया जाता है,

किंतु हर एक निष्कर्ष याहवेह द्वारा ही निर्धारित किया जाता है.