मत्ती 8 – NCA & HCV

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

मत्ती 8:1-34

कोढ़ी मनखे

(मरकुस 1:40-45; लूका 5:12-16)

1जब यीसू ह पहाड़ ले उतरिस, त एक बड़े भीड़ ओकर पाछू हो लीस। 2तब एक झन मनखे जऊन ला कोढ़ के बेमारी रहय, ओकर करा आईस, अऊ ओह यीसू ला दंडवत करके कहिस, “हे परभू, यदि तेंह चाहस, त मोला सुध कर सकथस।”

3यीसू ह अपन हांथ ला ओकर अंग लमाईस अऊ ओला छू के कहिस, “मेंह चाहथंव; तेंह सुध हो जा।” अऊ तुरते ओ मनखे ह कोढ़ के बेमारी ले सुध हो गीस। 4तब यीसू ह ओला कहिस, “देख, तें कोनो ला कुछू झन कहिबे। पर जा अऊ अपनआप ला पुरोहित ला देखा, अऊ मूसा के कानून के मुताबिक भेंट चघा, ताकि मनखेमन जानय कि तेंह कोढ़ के बेमारी ले ठीक हो गे हवस।8:4 मरकुस 1:45

रोमी सेना के अधिकारी के बिसवास

(लूका 7:1-10)

5जब यीसू ह कफरनहूम सहर म आईस, त एक झन रोमी सेना के अधिकारी ओकर करा आईस अऊ ओकर ले बिनती करके कहिस, 6“हे परभू, मोर सेवक ह घर म पड़े हवय; ओला लकवा मार दे हवय, अऊ ओह अब्‍बड़ दुःख भोगत हवय।”

7यीसू ह ओला कहिस, “मेंह जाहूं अऊ ओला चंगा करहूं।” 8तब रोमी सेना के अधिकारी ह ए जबाब दीस, “हे परभू, मेंह एकर लइक नो हंव कि तेंह मोर घर म आ। पर सिरिप मुहूं ले कहि दे, अऊ मोर सेवक ह ठीक हो जाही। 9काबरकि मेंह खुदे आने अधिकारी के खाल्‍हे म काम करथंव, अऊ मोर खाल्‍हे म सैनिकमन काम करथें। जब मेंह एक झन ला कहिथंव, ‘जा’, त ओह जाथे अऊ दूसर झन ले कहिथंव, ‘आ’, त ओह आथे। जब मेंह अपन सेवक ले कहिथंव, ‘एला कर’, त ओह करथे।”

10एला सुनके यीसू ह चकित हो गीस, अऊ जऊन मन ओकर पाछू-पाछू आवत रिहिन, ओमन ला ओह कहिस, “मेंह तुमन ला सच कहत हंव कि मेंह इसरायली मनखेमन म घलो अइसने मजबूत बिसवास नइं देखेंव। 11मेंह तुमन ला कहत हंव कि कतको मनखेमन पूरब अऊ पछिम दिग ले आहीं अऊ अब्राहम, इसहाक अऊ याकूब के संग स्‍वरग के राज के भोज म सामिल होहीं। 12पर जऊन मन ला स्‍वरग राज म होना चाही, ओमन ला बाहिर अंधियार म डार दिये जाही, जिहां ओमन रोहीं अऊ अपन दांत पीसहीं।”

13तब यीसू ह रोमी सेना के अधिकारी ले कहिस, “जा, जइसने तेंह बिसवास करे हवस वइसने तोर बर होही।” अऊ ओकर सेवक ह ओहीच घरी चंगा हो गीस।

यीसू ह बहुंते झन ला चंगा करथे

(मरकुस 1:29-34; लूका 4:38-41)

14जब यीसू ह पतरस के घर म आईस, त ओह देखिस कि पतरस के सास ह जर के मारे खटिया म पड़े रहय। 15यीसू ह ओकर हांथ ला छुईस अऊ ओकर जर ह उतर गीस, अऊ ओह उठके यीसू के सेवा टहल करे लगिस।

16जब सांझ होईस, त मनखेमन परेत आतमा ले जकड़े बहुंते मनखेमन ला यीसू करा लानिन। यीसू ह सिरिप गोठ के दुवारा ओ परेत आतमामन ला निकार दीस अऊ जम्मो बेमरहामन ला चंगा करिस। 17ए किसम ले, यसायाह अगमजानी के दुवारा कहे गय ए बचन ह पूरा होईस:

“ओह हमर कमजोरी ला ले लीस,

अऊ हमर रोगमन ला दूर करिस।”8:17 यसायाह 53:4

यीसू के चेला बने के कीमत

(लूका 9:57-62)

18जब यीसू ह अपन चारों कोति मनखेमन के भीड़ ला देखिस, त ओह अपन चेलामन ला झील के ओ पार जाय के हुकूम दीस। 19तब मूसा के कानून के एक गुरू ह यीसू करा आके कहिस, “हे गुरू, तेंह जिहां कहीं घलो जाबे, मेंह तोर पाछू-पाछू चलहूं।”

20यीसू ह ओला कहिस, “कोलिहामन बर रहे के बिल हवय अऊ अकास के चिरईमन करा गुड़ा हवय, पर मनखे के बेटा करा रहे के कोनो ठऊर नइं ए।”

21अऊ एक झन जऊन ह यीसू के चेला रिहिस, ओकर ले कहिस, “हे परभू, पहिली मोला जावन दे कि मेंह अपन मरे ददा ला माटी दे दंव।”

22पर यीसू ह ओला कहिस, “तेंह मोर पाछू हो ले, अऊ मुरदामन ला अपन मुरदा गाड़न दे।”

यीसू ह गर्रा ला सांत करथे

(मरकुस 4:35-41; लूका 8:22-25)

23तब यीसू ह डोंगा म चघिस अऊ ओकर चेलामन घलो ओकर संग गीन। 24अचानक झील म एक भयंकर गर्रा उठिस अऊ डोंगा ह पानी के लहरामन ले भरे लगिस। पर यीसू ह सोवत रहय। 25चेलामन यीसू करा गीन अऊ ओला उठाके कहिन, “हे परभू, हमन ला बचा। हमन पानी म बुड़त हवन।”

26यीसू ह ओमन ला कहिस, “हे अल्‍प बिसवासी मनखेमन हो, तुमन काबर डर्रावत हव?” तब ओह उठिस अऊ गर्रा अऊ पानी के लहरामन ला दबकारिस अऊ जम्मो ह पूरा-पूरी सांत हो गीस।

27ओ मनखेमन अचम्भो म पड़ गीन अऊ कहिन, “एह का किसम के मनखे अय? गर्रा अऊ पानी के लहरामन घलो एकर हुकूम मानथें।”

परेत आतमा बाधित दू झन मनखे के चंगई

(मरकुस 5:1-20; लूका 8:26-39)

28जब यीसू ह झील के ओ पार गदरेनीमन के इलाका म आईस, त दू झन मनखे, जेमन म परेत आतमा रहंय, मसानघाट ले निकरके ओकर करा आईन8:28 गदरेनी ह आनजातमन के इलाका रिहिस।। ओमन अतेक उदन्‍ड रिहिन कि कोनो ओ रसता म आय-जाय नइं सकत रिहिन। 29ओमन चिचियाके कहिन, “हे परमेसर के बेटा, हमर ले तोर का लेना देना? का तेंह ठहराय गय समय ले पहिली हमन ला इहां सताय बर आय हवस?”

30उहां ले कुछू दूरिहा म, सुरामन के एक बड़े झुंड ह चरत रहय। 31ओ परेत आतमामन यीसू ले बिनती करके कहिन, “यदि तेंह हमन ला निकारत हवस, त हमन ला ओ सुरामन के झुंड म पठो दे।”

32यीसू ह ओमन ला कहिस, “जावव।” तब परेत आतमामन ओ मनखेमन ले निकरके सुरामन म हमा गीन अऊ सुरामन के जम्मो झुंड ह तीर म खड़े पथरा ले झील म कूदिस, अऊ पानी म बुड़ मरिस। 33सुरा चरइया मनखेमन भाग गीन अऊ सहर म जाके जम्मो बात बताईन। ओमन ओ परेत आतमा ले बाधित मनखेमन के बारे म घलो बताईन। 34तब सहर के जम्मो मनखेमन यीसू करा भेंट करे बर आईन, अऊ जब ओमन ओला देखिन, त ओकर ले बिनती करके कहिन, “तेंह हमर इलाका ले चले जा।8:34 मत्ती 12:9-14

Hindi Contemporary Version

मत्तियाह 8:1-34

कोढ़ के रोगी की शुद्धि

1जब येशु पर्वत से उतरकर आए तब बड़ी भीड़ उनके पीछे-पीछे चलने लगी. 2एक कोढ़ के रोगी ने उनके सामने झुककर उनसे विनती करके कहा, “प्रभु, यदि आप चाहें तो मुझे शुद्ध कर सकते हैं.”

3येशु ने हाथ बढ़ाकर उसे स्पर्श करते हुए कहा, “मैं चाहता हूं. शुद्ध हो जाओ.” वह उसी क्षण कोढ़ रोग से शुद्ध हो गया. 4येशु ने उसे आज्ञा दी, “यह ध्यान रहे कि तुम इसके विषय में किसी को न बताओ. अब जाकर पुरोहित के सामने स्वयं को परीक्षण के लिए प्रस्तुत करो, और मोशेह द्वारा निर्धारित बलि भेंट करो कि तुम्हारा स्वास्थ्य-लाभ उनके सामने गवाही हो जाए.”

रोमी अधिकारी का विश्वास

5जब येशु ने कफ़रनहूम नगर में प्रवेश किया, तब एक शताधिपति ने आकर उनसे नम्रतापूर्वक निवेदन किया, 6“प्रभु, घर पर मेरा सेवक लकवा रोग से पीड़ित है और वह घोर पीड़ा में है.”

7येशु ने उसे आश्वासन दिया, “मैं आकर उसे चंगा करूंगा.”

8किंतु शताधिपति ने कहा, “नहीं प्रभु, नहीं, मैं इस योग्य नहीं कि आप मेरे घर आएं. आप केवल मुंह से कह दीजिए और मेरा सेवक स्वस्थ हो जाएगा. 9मैं स्वयं बड़े अधिकारियों के अधीन नियुक्त हूं और सैनिक मेरे अधिकार में हैं. मैं किसी को आदेश देता हूं, ‘जाओ!’ तो वह जाता है, और किसी को आदेश देता हूं, ‘इधर आओ!’ तो वह आता है. अपने सेवक से कहता हूं, ‘यह करो!’ तो वह वही करता है.”

10यह सुनकर येशु आश्चर्यचकित रह गए. उन्होंने पीछे आ रही भीड़ से कहा, “यह एक सच है कि मैंने इस्राएल राष्ट्र में भी किसी में ऐसा विश्वास नहीं देखा. 11मैं तुम्हें सूचित करना चाहता हूं कि स्वर्ग-राज्य में अब्राहाम, यित्सहाक और याकोब के साथ भोज में शामिल होने के लिए पूर्व और पश्चिम दिशाओं से अनेकानेक आकर संगति करेंगे, 12किंतु राज्य के वारिस बाहर अंधकार में फेंक दिए जाएंगे. वह स्थान ऐसा होगा जहां रोना और दांत पीसना होता रहेगा.”

13तब येशु ने शताधिपति से कहा, “जाओ, तुम्हारे लिए वैसा ही होगा जैसा तुम्हारा विश्वास है.” उसी क्षण वह सेवक चंगा हो गया.

पेतरॉस की सास की चंगाई

14जब येशु पेतरॉस के घर पर आए, उन्होंने उनकी सास को बुखार से पीड़ित पाया. 15उन्होंने उनके हाथ का स्पर्श किया और वह बुखार से मुक्त हो गई और उठकर उन सब की सेवा करने में जुट गई.

16जब संध्या हुई तब लोग दुष्टात्मा से पीड़ित लोगों को उनके पास लाने लगे और येशु अपने वचन मात्र से उन्हें दुष्टात्मा मुक्त करते गए, साथ ही रोगियों को स्वस्थ. 17यह भविष्यवक्ता यशायाह द्वारा की गई इस भविष्यवाणी की पूर्ति थी:

“उन्होंने स्वयं हमारी दुर्बलताओं को

अपने ऊपर ले लिया तथा हमारे रोगों को उठा लिया.”8:17 यशा 53:4

शिष्‍यत्‍व की कीमत

18अपने आस-पास भीड़ को देख येशु ने शिष्यों को झील की दूसरी ओर जाने की आज्ञा दी. 19उसी समय एक शास्त्री ने आकर येशु से विनती की, “गुरुवर, आप जहां कहीं जाएंगे, मैं आपके साथ रहूंगा.”

20येशु ने उसके उत्तर में कहा, “लोमड़ियों के पास उनकी गुफाएं तथा आकाश के पक्षियों के पास उनके बसेरे होते हैं, किंतु मनुष्य के पुत्र8:20 मनुष्य के पुत्र प्रभु येशु अपने ही बारे में कहने का एक तरीका के पास तो सिर रखने तक का स्थान नहीं है!”

21एक अन्य शिष्य ने उनसे विनती की, “प्रभु मुझे पहले अपने पिता की अंत्येष्टि की अनुमति दे दीजिए.8:21 अर्थात अपने पिता का अंतिम संस्कार तक परिचर्या करने की अनुमति

22किंतु येशु ने उससे कहा, “मृत अपने मरे हुओं का प्रबंध कर लेंगे, तुम मेरे पीछे हो लो.”

आंधी का शमन

23जब उन्होंने नाव में प्रवेश किया उनके शिष्य भी उनके साथ हो लिए. 24अचानक झील में ऐसा प्रचंड आंधी उठी कि लहरों ने नाव को ढांक लिया, किंतु येशु इस समय सो रहे थे. 25इस पर शिष्यों ने येशु के पास जाकर उन्हें जगाते हुए कहा, “प्रभु, हमारी रक्षा कीजिए, हम नाश हुए जा रहे हैं!”

26येशु ने उनसे कहा, “क्यों डर रहे हो, अल्पविश्वासियो!” वह उठे और उन्होंने आंधी और झील को डांटा, और उसी क्षण ही पूरी शांति छा गई.

27शिष्य हैरान रह गए, और विचार करने लगे, “ये किस प्रकार के व्यक्ति हैं कि आंधी और झील तक इनकी आज्ञा का पालन करते हैं!”

दुष्टात्माओं को सूअरों के झुंड में भेजना

28झील पार कर वे गदारा नामक प्रदेश में आए. वहां कब्रों की गुफाओं से निकलकर दुष्टात्मा से पीड़ित दो व्यक्ति उनके सामने आ गए. वे दोनों इतने अधिक हिंसक थे कि कोई भी उस रास्ते से निकल नहीं पाता था. 29येशु को देख वे दोनों चिल्ला-चिल्लाकर कहने लगे, “परमेश्वर-पुत्र, आपका हमसे क्या लेना देना? क्या आप समय से पहले ही हमें दुःख देने आ पहुंचे हैं?”

30वहां कुछ दूर सूअरों का एक झुंड चर रहा था. 31दुष्टात्मा येशु से विनती करने लगे, “यदि आप हमें बाहर निकाल ही रहे हैं, तो हमें इन सूअरों के झुंड में भेज दीजिए.”

32येशु ने उन्हें आज्ञा दी, “जाओ!” वे निकलकर सूअरों में प्रवेश कर गए और पूरा झुंड ढलान पर सरपट भागता हुआ झील में जा गिरा और डूब गया. 33रखवाले भागे और नगर में जाकर घटना का सारा हाल कह सुनाया; साथ ही यह भी कि उन दुष्टात्मा से पीड़ित व्यक्तियों के साथ क्या-क्या हुआ. 34सभी नागरिक नगर से निकलकर येशु के पास आने लगे. जब उन्होंने येशु को देखा तो उनसे विनती करने लगे कि वह उस क्षेत्र की सीमा से बाहर चले जाएं.