प्रेरितमन के काम 4 – NCA & HCV

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

प्रेरितमन के काम 4:1-37

धरम महासभा के आघू म पतरस अऊ यूहन्ना

1जब पतरस अऊ यूहन्ना मनखेमन ले गोठियावत रिहिन, त पुरोहित, अऊ मंदिर के रखवारमन के अधिकारी अऊ सदूकी मन ओमन करा आईन। 2ओमन बहुंते गुस्सा करिन, काबरकि पतरस अऊ यूहन्ना मनखेमन ला सिखोवत रिहिन अऊ यीसू के मरे म ले जी उठे के बारे म परचार करत रिहिन। 3ओमन पतरस अऊ यूहन्ना ला धरके दूसर दिन तक हवालात म रखिन, काबरकि संझा हो गे रिहिस। 4पर बचन के सुनइया बहुंत झन बिसवास करिन, अऊ ओमन के गनती बढ़के पांच हजार मनखे के आस-पास हो गीस।

5दूसर दिन अधिकारी, अगुवा, कानून के गुरूमन 6महा पुरोहित हन्नास अऊ काइफा, अऊ यूहन्ना, सिकन्दर अऊ महा पुरोहित के घर के मन यरूसलेम म जुरिन। 7ओमन पतरस अऊ यूहन्ना ला मांझा म ठाढ़ करके ओमन ले पुछिन, “तुमन ए काम ला कोन सक्ति या काकर नांव ले करे हवव?”

8तब पतरस ह पबितर आतमा ले भरके ओमन ला कहिस, “हे मनखेमन के अधिकारी अऊ अगुवामन! 9ए खोरवा मनखे संग जऊन भलई करे गे हवय, आज हमन ले ओकर बारे म पुछताछ करे जावत हवय कि ओह कइसने बने होईस, 10त तुमन अऊ जम्मो इसरायली मनखेमन एला जान लेवव कि यीसू मसीह नासरी, जऊन ला तुमन कुरुस ऊपर चघाय रहेव, पर परमेसर ह ओला मरे म ले जियाईस, ओकरे नांव म ए मनखे ह तुम्‍हर आघू म चंगा होके ठाढ़े हवय।

11एह ‘ओही पथरा ए,

जऊन ला तुम राज मिस्‍त्रीमन बेकार समझेव,

पर ओह कोना के मुख पथरा बन गीस।’4:11 भजन-संहिता 118:22

12कोनो आने के दुवारा उद्धार नइं मिलय, काबरकि स्‍वरग के खाल्‍हे, मनखेमन ला अऊ कोनो आने नांव नइं दिये गीस, जेकर दुवारा हमन उद्धार पा सकन।”

13जब ओमन पतरस अऊ यूहन्ना के हिम्मत ला देखिन अऊ ए जानिन कि एमन अनपढ़ अऊ सधारन मनखे अंय, त ओमन अचरज करिन। अऊ ओमन पतरस अऊ यूहन्ना ला चिन डारिन कि एमन यीसू के संग म रिहिन। 14पर ओमन ओ मनखे ला जऊन ह चंगा होय रिहिस, ओमन के संग ठाढ़े देखके बिरोध म कुछू नइं कह सकिन। 15पर ओमन पतरस अऊ यूहन्ना ला धरम महासभा ले बाहिर जाय के हुकूम दीन अऊ फेर ओमन आपस म बिचार करन लगिन, 16“हमन ए मनखेमन के संग का करन? काबरकि यरूसलेम के जम्मो रहइयामन जानत हवंय कि एमन एक बहुंत बड़े चमतकार के काम करे हवंय, अऊ हमन एला इनकार नइं कर सकन। 17पर ए बात ह मनखेमन म अऊ जादा झन फइले, एकरसेति हमन एमन ला चेता देवन कि एमन फेर कोनो मनखे ले ए नांव लेके झन गोठियावंय।”

18तब ओमन पतरस अऊ यूहन्ना ला फेर भीतर बलाके हुकूम दीन कि यीसू के नांव म न तो कुछू बोलव अऊ न कुछू सीखोवव। 19पर पतरस अऊ यूहन्ना ओमन ला जबाब दीन, “तुहीच मन नियाय करव कि का एह परमेसर के नजर म ठीक ए कि हमन परमेसर के बात ला छोंड़के तुम्‍हर बात ला मानन। 20ए हमर ले नइं हो सकय कि जऊन ला हमन देखे अऊ सुने हवन, ओकर बारे म झन गोठियावन।”

21तब ओमन पतरस अऊ यूहन्ना ला धमकाके छोंड़ दीन। ओमन दंड देय के बारे म कुछू फैसला नइं कर सकिन, काबरकि जऊन घटना होय रिहिस, ओकर खातिर जम्मो मनखेमन परमेसर के इस्तुति करत रिहिन। 22ओ मनखे जऊन ह अद्भूत ढंग ले बने होय रिहिस, ओह चालीस साल ले जादा उमर के रिहिस।

बिसवासीमन के पराथना

23पतरस अऊ यूहन्ना उहां ले छूटके अपन संगीमन करा आईन अऊ महा पुरोहित अऊ अगुवामन के कहे ओ जम्मो बात ओमन ला बताईन। 24एला सुनके ओमन के संगीमन एक मन होके, चिचिया-चिचियाके परमेसर ले ए पराथना करिन, “हे मालिक, तेंह स्‍वरग अऊ धरती अऊ समुंदर अऊ जऊन कुछू ओम हवय, ओ जम्मो ला बनाय हवस। 25तेंह पबितर आतमा के दुवारा अपन दास हमर पुरखा दाऊद के मुहूं ले ए कहय:

‘आनजातमन हो-हल्‍ला काबर मचाथें?

अऊ मनखेमन काबर बेकार म सडयंत्र करथें?

26परभू परमेसर अऊ ओकर मसीह के बिरोध म धरती के राजामन ठाढ़ होथें।

अऊ अधिकारीमन एक संग जुरथें।’4:26 भजन-संहिता 2:1-2

27सही म, तोर पबितर सेवक यीसू, जऊन ला तेंह अभिसेक करे हवस, ओकर बिरोध म, हेरोदेस अऊ पुन्तियुस पीलातुस, आनजात अऊ इसरायलीमन के संग ए सहर म सडयंत्र करे बर जुरिन, 28अऊ ओमन ओहीच काम करिन जऊन ह पहिली ले तोर सामरथ अऊ ईछा म ठहराय गे रिहिस।

29अब हे परभू, ओमन के धमकी ला धियान दे अऊ अपन दासमन के मदद कर कि तोर बचन ला बड़े हिम्मत के संग बोलंय। 30चंगा करे बर अपन हांथ ला बढ़ा अऊ अद्भूत चिन्‍हां अऊ चमतकार के काम तोर पबितर सेवक यीसू के नांव म कर।”

31जब ओमन पराथना कर चुकिन, त ओ जगह जिहां ओमन जुरे रिहिन, डोल गीस, अऊ ओमन जम्मो झन पबितर आतमा ले भर गीन अऊ परमेसर के बचन ला हिम्मत के संग सुनाईन।

बिसवासीमन के सामूहिक जिनगी

32जम्मो बिसवास करइयामन एक हिरदय अऊ एक चित के रहंय। इहां तक कि कोनो अपन संपत्ति ला अपन नइं कहय, पर जम्मो झन के संपत्ति म जम्मो झन के हक रहय। 33प्रेरितमन बड़े सामरथ ले परभू यीसू के जी उठे के गवाही देवत रिहिन अऊ ओ जम्मो के ऊपर परभू के अब्‍बड़ अनुग्रह रिहिस। 34ओमन म कोनो गरीब नइं रिहिन, काबरकि जेमन करा जमीन या घर रिहिस, ओमन ओला समय-समय म बेंचके, ओकर दाम ला लानय अऊ ओला प्रेरितमन के गोड़ म मढ़ा देवंय, 35अऊ जइसने जेकर जरूरत रहय, वइसने ढंग ले, हर एक ला बांट देवत रिहिन।

36यूसुफ नांव के एक मनखे रिहिस; ओह लेवी बंस के रिहिस, अऊ साइप्रस दीप के रहइया रिहिस। प्रेरितमन ओकर नांव बरनबास (जेकर मतलब उत्साहित करइया के बेटा होथे) रखे रिहिन। 37ओह अपन एक ठन खेत ला बेंचिस अऊ ओ रकम ला लानके प्रेरितमन के गोड़ म मढ़ा दीस।

Hindi Contemporary Version

प्रेरितों 4:1-37

महासभा के सामने पेतरॉस तथा योहन

1जब वे भीड़ को संबोधित कर ही रहे थे, कि अचानक पुरोहित गण, मंदिर रखवालों का प्रधान तथा सदूकी उनके पास आ पहुंचे. 2वे अत्यंत क्रोधित थे क्योंकि प्रेरित भीड़ को शिक्षा देते हुए मसीह येशु में मरे हुओं के जी उठने की घोषणा कर रहे थे. 3उन्होंने उन्हें बंदी बनाकर अगले दिन तक के लिए कारागार में डाल दिया क्योंकि दिन ढल चुका था. 4उनके संदेश को सुनकर अनेकों ने विश्वास किया, जिनकी संख्या लगभग पांच हज़ार तक पहुंच गई.

5अगले दिन यहूदियों के राजा, पुरनिये और शास्त्री येरूशलेम में इकट्ठा थे. 6वहां महापुरोहित हन्‍ना, कायाफ़स, योहन, अलेक्सान्दरॉस तथा महायाजकीय वंश के सभी सदस्य इकट्ठा थे. 7उन्होंने प्रेरितों को सबके बीच खड़ा कर प्रश्न करना प्रारंभ कर दिया: “तुमने किस अधिकार से या किस नाम में यह किया है?”

8तब पवित्र आत्मा से भरकर पेतरॉस ने उत्तर दिया: “सम्माननीय राजागण और समाज के पुरनियों! 9यदि आज हमारा परीक्षण इसलिये किया जा रहा है कि एक अपंग का कल्याण हुआ है और इसलिये कि यह व्यक्ति किस प्रक्रिया द्वारा स्वस्थ हुआ है, 10तो आप सभी को तथा, सभी इस्राएल राष्ट्र को यह मालूम हो कि यह सब नाज़रेथवासी, मसीह येशु के द्वारा किया गया है, जिन्हें आपने क्रूस का मृत्यु दंड दिया, किंतु जिन्हें परमेश्वर ने मरे हुओं में से दोबारा जीवित किया. आज उन्हीं के नाम के द्वारा स्वस्थ किया गया-यह व्यक्ति आपके सामने खड़ा है. 11मसीह येशु ही वह चट्टान हैं

“ ‘जिन्हें आप भवन निर्माताओं ने ठुकरा कर अस्वीकृत कर दिया,

जो कोने का प्रधान पत्थर बन गए.’4:11 स्तोत्र 118:22

12उद्धार किसी अन्य में नहीं है क्योंकि आकाश के नीचे मनुष्यों के लिए दूसरा कोई नाम दिया ही नहीं गया जिसके द्वारा हमारा उद्धार हो.”

13पेतरॉस तथा योहन का यह साहस देख और यह जानकर कि वे दोनों अनपढ़ और साधारण व्यक्ति हैं, वे चकित रह गए. उन्हें धीरे धीरे यह याद आया कि ये वे हैं, जो मसीह येशु के साथी रहे हैं. 14किंतु स्वस्थ हुए व्यक्ति की उपस्थिति के कारण वे कुछ न कह सके; 15उन्होंने उन्हें सभागार से बाहर जाने की आज्ञा दी. तब वे आपस में विचार-विमर्श करने लगे, 16“हम इनके साथ क्या करें? यह तो स्पष्ट है कि इनके द्वारा एक असाधारण चमत्कार अवश्य हुआ है और यह येरूशलेम निवासियों को भी मालूम हो चुका है. इस सच को हम नकार नहीं सकते. 17किंतु लोगों में इस समाचार का और अधिक प्रसार न हो, हम इन्हें यह चेतावनी दें कि अब वे किसी से भी इस नाम का वर्णन करते हुए बातचीत न करें.”

18तब उन्होंने उन्हें भीतर बुलाकर आज्ञा दी कि वे न तो येशु नाम का वर्णन करें और न ही उसके विषय में कोई शिक्षा दें. 19किंतु पेतरॉस और योहन ने उन्हें उत्तर दिया, “आप स्वयं निर्णय कीजिए कि परमेश्वर की दृष्टि में उचित क्या है: आपकी आज्ञा का पालन या परमेश्वर की आज्ञा का. 20हमसे तो यह हो ही नहीं सकता कि जो कुछ हमने देखा और सुना है उसका वर्णन न करें.”

21इस पर यहूदी प्रधानों ने उन्हें दोबारा धमकी देकर छोड़ दिया. उन्हें यह सूझ ही नहीं रहा था कि उन्हें किस आधार पर दंड दिया जाए क्योंकि सभी लोग इस घटना के लिए परमेश्वर की स्तुति कर रहे थे. 22उस व्यक्ति की उम्र, जो अद्भुत रूप से स्वस्थ हुआ था, चालीस वर्ष से अधिक थी.

सताहट के समय प्रेरितों की प्रार्थना

23मुक्त होने पर प्रेरितों ने अपने साथियों को जा बताया कि प्रधान पुरोहितों और पुरनियों ने उनसे क्या-क्या कहा था. 24यह विवरण सुनकर उन सबने एक मन हो ऊंचे शब्द में परमेश्वर से प्रार्थना की: “परम प्रधान प्रभु, आप ही हैं जिन्होंने स्वर्ग, पृथ्वी, समुद्र और इनमें निवास कर रहे प्राणियों की सृष्टि की है. 25आपने ही पवित्र आत्मा से अपने सेवक, हमारे पूर्वज दावीद के द्वारा कहा:

“ ‘राष्ट्र क्रोधित क्यों होते हैं

जातियां व्यर्थ योजनाएं क्यों करती हैं?

26पृथ्वी के राजागण मोर्चा बांधते

और शासकलोग प्रभु के विरुद्ध

और उनके अभिषिक्त के विरुद्ध एकजुट हो उठ खड़े होते हैं.4:26 स्तोत्र 2:1, 2

27यह एक सच्चाई है कि इस नगर में हेरोदेस तथा पोन्तियॉस पिलातॉस दोनों ही इस्राएलियों तथा गैर-यहूदियों के साथ मिलकर आपके द्वारा अभिषिक्त, आपके पवित्र सेवक मसीह येशु के विरुद्ध एकजुट हो गए 28कि जो कुछ आपके सामर्थ्य और उद्देश्य के अनुसार पहले से निर्धारित था, वही हो. 29प्रभु, उनकी धमकियों की ओर ध्यान दीजिए और अपने दासों को यह सामर्थ्य दीजिए कि वे आपके वचन का प्रचार बिना डर के कर सकें 30जब आप अपने सामर्थ्यी स्पर्श के द्वारा चंगा करते तथा अपने पवित्र सेवक मसीह येशु के द्वारा अद्भुत चिह्नों का प्रदर्शन करते जाते हैं.”

31उनकी यह प्रार्थना समाप्‍त होते ही वह भवन, जिसमें वे इकट्ठा थे, थरथरा गया और वे सभी पवित्र आत्मा से भर गए और बिना डर के परमेश्वर के संदेश का प्रचार करने लगे.

शिष्यों का धन

32शिष्यों के इस समुदाय में सभी एक मन और एक प्राण थे. कोई भी अपने धन पर अपना अधिकार नहीं जताता था. उन सभी का धन एक में मिला हुआ था. 33प्रेरितगण असाधारण सामर्थ्य के साथ प्रभु येशु मसीह के दोबारा जी उठने की गवाही दिया करते थे और परमेश्वर का असीम अनुग्रह उन पर बना था. 34उनमें कोई भी निर्धन नहीं था क्योंकि उनमें जो खेतों व मकानों के स्वामी थे, अपनी संपत्ति बेचकर उससे प्राप्‍त धनराशि लाते 35और प्रेरितों के चरणों में रख देते थे, जिसे ज़रूरत के अनुसार निर्धनों में बांट दिया जाता था.

36योसेफ़ नामक एक सैप्रसवासी लेवी थे, जिन्हें प्रेरितों द्वारा बारनबास नाम दिया गया था, जिसका अर्थ है प्रोत्साहन का पुत्र, 37उन्होंने अपनी भूमि को बेच दिया और उससे प्राप्‍त धन लाकर प्रेरितों के चरणों में रख दिया.