هوشع 14 – NAV & HCV

Ketab El Hayat

هوشع 14:1-9

التوبة تأتي بالبركة

1ارْجِعْ تَائِباً يَا إِسْرَائِيلُ إِلَى الرَّبِّ إِلَهِكَ، لأَنَّكَ قَدْ تَعَثَّرْتَ بِخَطِيئَتِكَ. 2احْمِلُوا مَعَكُمْ كَلامَ ابْتِهَالٍ وَارْجِعُوا إِلَى الرَّبِّ قَائِلِينَ لَهُ: «انْزِعْ إِثْمَنَا، وَتَقَبَّلْنَا بِفَائِقِ رَحْمَتِكَ، فَنُزْجِيَ إِلَيْكَ حَمْدَ شِفَاهِنَا كَالْقَرَابِينِ. 3إِنَّ أَشُّورَ لَنْ تُخَلِّصَنَا، وَلَنْ نَعْتَمِدَ عَلَى خُيُولِ مِصْرَ لإِنْقَاذِنَا، وَلَنْ نَقُولَ لِلأَوْثَانِ صَنْعَةِ أَيْدِينَا: ’أَنْتُمْ آلِهَتُنَا‘ لأَنَّ فِيكَ وَحْدَكَ يَجِدُ الْيَتِيمُ رَحْمَةً».

4أَنَا أُبْرِئُ ارْتِدَادَهُمْ وَأُحِبُّهُمْ فَضْلاً، لأَنَّ غَضَبِي قَدْ تَحَوَّلَ عَنْهُمْ. 5وَأَكُونُ كَالطَّلِّ لإِسْرَائِيلَ، فَيُزْهِرُ كَالسَّوْسَنِ، وَتَتَأَصَّلُ جُذُورُهُ كَأَرْزِ لُبْنَانَ. 6تَمْتَدُّ أَغْصَانُهُ وَيَصِيرُ جَمَالُهُ كَشَجَرَةِ الزَّيْتُونِ وَشَذَاهُ كَأَرْزِ لُبْنَانَ. 7وَيَعُودُونَ وَيُقِيمُونَ فِي ظِلِّهِ وَيَزْدَهِرُونَ كَالْحِنْطَةِ، وَيُزْهِرُونَ كَالْكَرْمَةِ، وَيَذِيعُ ذِكْرُهُمْ كَخَمْرِ لُبْنَانَ. 8يَقُولُ أَفْرَايِمُ تَائِباً: «مَالِي وَلِلأَصْنَامِ!» فَيُجِيبُ الرَّبُّ: «قَدِ اسْتَمَعْتُ وَأَنَا رَعَيْتُكَ بِعَيْنِ الرِّضَى وَصِرْتُ لَكَ كَشَجَرَةِ سَرْوٍ خَضْرَاءَ، وَمِنِّي أَمُدُّكَ بِثَمَرِكَ».

9مَنْ هُوَ حَكِيمٌ فَلْيَسْمَعْ هَذِهِ الأُمُورَ، وَمَنْ هُوَ فَطِنٌ فَلْيَفْهَمْهَا، لأَنَّ طُرُقَ اللهِ مُسْتَقِيمَةٌ، فِيهَا يَسْلُكُ الأَبْرَارُ، أَمَّا الْمُنَافِقُونَ فَيَعْثُرُونَ.

Hindi Contemporary Version

होशेआ 14:1-9

आशीष पाने के लिये पश्चात्ताप

1हे इस्राएल, याहवेह अपने परमेश्वर के पास लौट आओ.

तुम्हारा पाप ही तुम्हारे पतन का कारण है!

2याहवेह की बातों को मानो

और उसके पास लौट आओ.

उससे कहो:

“हमारे सब पापों को क्षमा करें,

और अनुग्रहपूर्वक हमें ग्रहण करें,

कि हम अपने मुंह से धन्यवाद रूपी बलि चढ़ा सकें.

3अश्शूर हमारा उद्धार नहीं कर सकता;

हम युद्ध के घोड़ों पर नहीं चढ़ेंगे.

हम अपने हाथों से बनाये चीज़ों को

फिर कभी न कहेंगे ‘हमारे ईश्वर,’

क्योंकि अनाथ को आपसे ही करुणा मिलती है.”

4“मैं उनकी बेवफ़ाई को दूर करूंगा,

और स्वछंद रूप से उन्हें प्रेम करूंगा,

क्योंकि मेरा क्रोध उनके ऊपर से हट गया है.

5मैं इस्राएल के लिये ओस के समान होऊंगा;

वह कुमुदिनी के फूल के समान खिलेगा.

लबानोन के देवदार वृक्ष के समान

उसकी जड़ें नीचे दूर-दूर तक फैलेंगी;

6उसके कोमल अंकुर बढ़ेंगे.

उसका वैभव एक जैतून के पेड़ जैसा होगा,

और उसकी सुगंध लबानोन के देवदार के समान होगी.

7लोग फिर से उसकी छाया में निवास करेंगे;

वे अन्‍न की तरह उन्‍नति करेंगे,

वे अंगूर की लता की तरह बढ़ेंगे,

इस्राएल की प्रसिद्धि लबानोन के दाखमधु की तरह होगी.

8हे एफ्राईम, मूर्तियों से अब मेरा और क्या काम?

मैं उसे उत्तर दूंगा और उसका ध्यान रखूंगा.

मैं बढ़ते हुए सनोवर पेड़ के समान हूं;

तुम्हारा फलवंत होना मेरे कारण होता है.”

9बुद्धिमान कौन है? उन्हें इन बातों का अनुभव करने दो.

समझदार कौन है? उन्हें समझने दो.

याहवेह के रास्ते सही हैं;

धर्मी उन पर चलते हैं,

परंतु विद्रोही उन पर ठोकर खाकर गिरते हैं.