الْمَزْمُورُ الثَّمَانُونَ
لِقَائِدِ الْمُنْشِدِينَ. عَلَى السُّوسَنِّ.
1أَصْغِ يَا رَاعِيَ إِسْرَائِيلَ، يَا مَنْ قُدْتَ (قَوْمَ) يُوسُفَ كَالْقَطِيعِ. تَجَلَّ يَا مَنْ بِنِعْمَتِكَ تَجْلِسُ عَلَى عَرْشِكَ فَوْقَ الْكَرُوبِيمِ 2اسْتَثِرْ قُوَّتَكَ الْعَظِيمَةَ أَمَامَ أَفْرَايِمَ وَبَنْيَامِينَ وَمَنَسَّى، وَتَعَالَ لإِنْقَاذِنَا. 3يَا اللهُ رُدَّنَا إِلَيْكَ وَأَنِرْ بِوَجْهِكَ عَلَيْنَا فَنَخْلُصَ.
4يَا رَبُّ إِلَهَ الْجُنُودِ، إِلَى مَتَى تَظَلُّ غَاضِباً عَلَى صَلاةِ شَعْبِكَ. 5لَقَدْ أَطْعَمْتَهُمْ خُبْزَ الدُّمُوعِ وَسَقَيْتَهُمْ كُؤُوساً طَافِحَةً بِالْعَبَرَاتِ 6جَعَلْتَنَا مَصْدَرَ نِزَاعٍ لِجِيرَانِنَا وَمَثَارَ هُزْءٍ لأَعْدَائِنَا. 7يَا إِلَهَ الْجُنُودِ رُدَّنَا إِلَيْكَ، وَأَنِرْ بِوَجْهِكَ عَلَيْنَا فَنَخْلُصَ. 8نَقَلْتَ كَرْمَةً (أَيْ الشَّعْبَ) مِنْ مِصْرَ. طَرَدْتَ أُمَماً وَغَرَسْتَهَا مَكَانَهُمْ. 9أَوْسَعْتَ لَهَا فَتَأَصَّلَتْ جُذُورُهَا فِي الْعُمْقِ وَمَلأَتِ الأَرْضَ. 10غَطَّى الْجِبَالَ ظِلُّهَا، وَشَابَهَتْ أَغْصَانُهَا الأَرْزَ الْعَظِيمَ، 11مَدَّتْ قُضْبَانَهَا إِلَى الْبَحْرِ الْمُتَوَسِّطِ وَفُرُوعَهَا إِلَى نَهْرِ الْفُرَاتِ. 12لِمَاذَا هَدَمْتَ سِيَاجَهَا فَيَقْطِفَهَا كُلُّ عَابِرِي الطَّرِيقِ؟ 13يُتْلِفُهَا الْخِنْزِيرُ الطَّالِعُ مِنَ الْغَابَةِ، وَيَرْعَاهَا وَحْشُ الْبَرَارِي.
14يَا إِلَهَ الْجُنُودِ ارْجِعَنَّ. تَطَلَّعْ مِنَ السَّمَاوَاتِ وَانْظُرْ إِلَى هَذِهِ الْكَرْمَةِ وَتَعَهَّدْهَا بِنِعْمَتِكَ. 15(تَفَقَّدْ) هَذِهِ الكَرْمَةَ الَّتِي غَرَسَتْهَا يَمِينُكَ، وَابْنَ آدَمَ الَّذِي اخْتَرْتَهُ لِنَفْسِكَ. 16لَقَدْ أَحْرَقَهَا أَعْدَاؤُنَا بِالنَّارِ. لَيْتَهُمْ مِنْ زَجْرِ طَلْعَتِكَ يَبِيدُونَ. 17لِتَكُنْ يَدُكَ عَلَى الإِنْسَانِ الْجَالِسِ عَنْ يَمِينِكَ، عَلَى ابْنِ آدَمَ الَّذِي اخْتَرْتَهُ لِنَفْسِكَ، 18فَلَا نَرْتَدَّ عَنْكَ. أَحْيِنَا فَنَدْعُوَ بِاسْمِكَ. 19يَا رَبُّ يَا إِلَهَ الْجُنُودِ رُدَّنَا إِلَيْكَ، وَأَنِرْ بِوَجْهِكَ عَلَيْنَا فَنَخْلُصَ.
स्तोत्र 80
संगीत निर्देशक के लिये. “वाचा की कुमुदिनी” धुन पर आधारित. आसफ की रचना. एक स्तोत्र.
1इस्राएल के चरवाहे, हमारी सुनिए, आप ही हैं,
जो योसेफ़ की अगुवाई भेड़ों के वृन्द की रीति से करते हैं.
आप, जो करूबों के मध्य विराजमान हैं,
प्रकाशमान हों! 2एफ्राईम, बिन्यामिन तथा मनश्शेह
के सामने अपने सामर्थ्य को प्रगट कीजिए;
और हमारी रक्षा कीजिए.
3परमेश्वर, हमें हमारी पूर्व स्थिति प्रदान कीजिए;
हम पर अपना मुख प्रकाशित कीजिए,
कि हमारा उद्धार हो जाए.
4याहवेह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर,
कब तक आपकी प्रजा की प्रार्थनाओं के प्रति,
आपका कोप भीतर ही भीतर सुलगता रहेगा?
5आपने आंसुओं को उनका आहार बना छोड़ा है;
आपने उन्हें विवश कर दिया है, कि वे कटोरे भर-भर आंसू पिएं.
6आपने हमें अपने पड़ोसियों के लिए विवाद का कारण बना दिया है,
हमारे शत्रु हमारा उपहास करते हैं.
7सर्वशक्तिमान परमेश्वर, हमें हमारी पूर्व स्थिति प्रदान कर दीजिए;
हम पर अपना मुख प्रकाशित कीजिए,
कि हमारा उद्धार हो जाए.
8मिस्र देश से आप एक द्राक्षालता ले आए;
आपने जनताओं को काटकर इसे वहां रोप दिया.
9आपने इसके लिए भूमि तैयार की,
इस लता ने जड़ पकड़ी और इसने समस्त भूमि आच्छादित कर दी.
10इसकी छाया ने तथा मजबूत देवदार की शाखाओं ने,
पर्वतों को ढंक लिया था.
11वह अपनी शाखाएं समुद्र तक,
तथा किशलय नदी तक फैली हुई थी.
12आपने इसकी सुरक्षा की दीवारें क्यों ढाह दीं,
कि आते जाते लोग इसके द्राक्षा तोड़ते जाएं?
13जंगली सूअर इसे निगल जाते,
तथा मैदान के पशु इसे अपना आहार बनाते हैं.
14सर्वशक्तिमान परमेश्वर, हम आग्रह करते हैं, आप लौट आइए!
स्वर्ग से दृष्टिपात कीजिए!
और इस ओर ध्यान दीजिए,
15और इस द्राक्षालता की हां उस पौधे की जिसे आपके दायें हाथ ने लगाया है,
तथा उस पुत्र को देखिए, जिसे आपने स्वयं सशक्त बनाया है.
16आपकी इस द्राक्षालता को काट डाला गया है, इसे अग्नि में भस्म कर दिया गया है;
आपकी फटकार-मात्र आपकी प्रजा को नष्ट करने के लिए काफ़ी है.
17उस पुरुष पर आपके दायें हाथ का आश्वासन स्थिर रहे, जो आपके दायें पक्ष में उपस्थित है,
वह मनुष्य का पुत्र जिसे आपने अपने लिए तैयार किया है.
18तब हम आपसे दूर न होंगे;
हमें जिलाइए, हम आपके ही नाम को पुकारेंगे.
19याहवेह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर, हमें पुनर्स्थापित कीजिए;
अपना मुख हम पर प्रकाशित कीजिए
कि हम सुरक्षित रहेंगे.