كورنثوس الأولى 5 – NAV & HCV

Ketab El Hayat

كورنثوس الأولى 5:1-13

التعامل مع قضية الزاني

1قَدْ شَاعَ فِعْلاً أَنَّ بَيْنَكُمْ زِنىً. وَمِثْلُ هَذَا الزِّنَى لَا يُوجَدُ حَتَّى بَيْنَ الْوَثَنِيِّينَ. ذَلِكَ بِأَنَّ رَجُلاً مِنْكُمْ يُعَاشِرُ زَوْجَةَ أَبِيهِ. 2وَمَعَ ذَلِكَ، فَأَنْتُمْ مُنْتَفِخُونَ تَكَبُّراً، بَدَلاً مِنْ أَنْ تَنُوحُوا حَتَّى يُسْتَأْصَلَ مِنْ بَيْنِكُمْ مُرْتَكِبُ هَذَا الْفِعْلِ! 3فَإِنِّي، وَأَنَا غَائِبٌ عَنْكُمْ بِالْجَسَدِ وَلكِنْ حَاضِرٌ بَيْنَكُمْ بِالرُّوحِ، قَدْ حَكَمْتُ عَلَى الْفَاعِلِ كَأَنِّي حَاضِرٌ: 4بِاسْمِ رَبِّنَا يَسُوعَ الْمَسِيحِ، إِذْ تَجْتَمِعُونَ مَعاً، وَرُوحِي مَعَكُمْ، فَبِسُلْطَةِ رَبِّنَا يَسُوعَ الْمَسِيحِ، 5يُسَلَّمُ مُرْتَكِبُ هَذَا الْفِعْلِ إِلَى الشَّيْطَانِ، لِيَهْلِكَ جَسَدُهُ؛ أَمَّا رُوحُهُ فَتَخْلُصُ فِي يَوْمِ الرَّبِّ يَسُوعَ. 6لَيْسَ افْتِخَارُكُمْ فِي مَحَلِّهِ! أَلَسْتُمْ تَعْلَمُونَ أَنَّ خَمِيرَةً صَغِيرَةً تُخَمِّرُ الْعَجِينَ كُلَّهُ؟ 7فَاعْزِلُوا الْخَمِيرَةَ الْعَتِيقَةَ مِنْ بَيْنِكُمْ لِتَكُونُوا عَجِيناً جَدِيداً، لأَنَّكُمْ فَطِيرٌ! فَإِنَّ حَمَلَ فِصْحِنَا، أَيِ الْمَسِيحَ، قَدْ ذُبِحَ. 8فَلْنُعَيِّدْ إِذَنْ، لَا بِخَمِيرَةٍ عَتِيقَةٍ، وَلا بِخَمِيرَةِ الْخُبْثِ وَالشَّرِّ، بَلْ بِفَطِيرِ الْخَلاصِ وَالْحَقِّ.

9كَتَبْتُ إِلَيْكُمْ فِي رِسَالَتِي أَنْ لَا تُعَاشِرُوا الزُّنَاةَ. 10فَلا أَعْنِي زُنَاةَ هَذَا الْعَالَمِ أَوِ الطَّمَّاعِينَ أَوِ السَّرَّاقِينَ أَوْ عَابِدِي الأَصْنَامِ عَلَى وَجْهِ الإِطْلاقِ، وَإلَّا كُنْتُمْ مُضْطَرِّينَ إِلَى الْخُرُوجِ مِنَ الْمُجْتَمَعِ الْبَشَرِيِّ! 11أَمَّا الآنَ فَقَدْ كَتَبْتُ إِلَيْكُمْ بِأَنْ لَا تُعَاشِرُوا مَنْ يُسَمَّى أَخاً إِنْ كَانَ زَانِياً أَوْ طَمَّاعاً أَوْ عَابِدَ أَصْنَامٍ أَوْ شَتَّاماً أَوْ سِكِّيراً أَوْ سَرَّاقاً. فَمِثْلُ هَذَا لَا تُعَاشِرُوهُ وَلا تَجْلِسُوا مَعَهُ لِتَنَاوُلِ الطَّعَامِ. 12فَمَالِي وَلِلَّذِينَ خَارِجَ (الْكَنِيسَةِ) حَتَّى أَدِينَهُمْ؟ أَلَسْتُمْ أَنْتُمْ تَدِينُونَ الَّذِينَ دَاخِلَهَا؟ 13أَمَّا الَّذِينَ فِي الْخَارِجِ، فَاللهُ يَدِينُهُمْ. «فَاعْزِلُوا مَنْ هُوَ شِرِّيرٌ مِنْ بَيْنِكُمْ».

Hindi Contemporary Version

1 कोरिंथ 5:1-13

परिवार में व्यभिचार

1तुम्हारे बीच में हो रहा वेश्यागामी हर जगह चर्चा का विषय बन गया है, वह भी ऐसा यौनाचार, जो गैर-यहूदियों तक में नहीं पाया जाता: किसी ने तो अपने पिता की स्त्री को ही रख लिया है. 2इसके अलावा इस पर लज्जित होने के बजाय तुम्हें इसका गर्व है! ऐसे व्यक्ति को तो तुम्हारे बीच से निकाल देना चाहिए था? 3शारीरिक रूप से अनुपस्थित होने पर भी मैं तुम्हारे बीच आत्मा में उपस्थित हूं और मैं उस बुरा काम करनेवाले के विरुद्ध अपना निर्णय ऐसे दे चुका हूं मानो मैं स्वयं वहां उपस्थित हूं. 4जब तुम प्रभु येशु मसीह के नाम में इकट्ठा होते हो, और मसीह येशु की सामर्थ्य के साथ आत्मा में मैं तुम्हारे बीच, 5तब उस बुरा काम करनेवाले को शैतान के हाथों सौंप दिया जाए कि उसका शरीर तो नाश हो जाए, किंतु प्रभु के दिन उसकी आत्मा का उद्धार हो.

6तुम्हारा घमंड करना बिलकुल भी अच्छा नहीं है. क्या तुम नहीं जानते कि थोड़े से खमीर से ही पूरा गूंथा हुआ आटा खमीर हो जाता है? 7निकाल फेंको इस खमीर को कि तुम एक नया गूंथा हुआ आटा बन जाओ, जैसे कि तुम अखमीरी ही हो, क्योंकि हमारा फ़सह वास्तव में मसीह की बलि द्वारा पूरा हुआ है. 8हम बुराई व दुष्टता के पुराने खमीर से नहीं परंतु सीधाई व सच्चाई की अखमीरी रोटी से उत्सव मनाएं.

9अपने पत्र में मैंने तुम्हें लिखा था कि बुरा काम करनेवालों से कोई संबंध न रखना. 10मेरा मतलब यह बिलकुल न था कि तुम संसार के उन सभी व्यक्तियों से, जो बुरा काम करनेवाले, लोभी, ठग या मूर्तिपूजक हैं, कोई संबंध न रखना, अन्यथा तुम्हें तो संसार से ही बाहर हो जाना पड़ेगा. 11वास्तव में मेरा मतलब यह था कि तुम्हारा ऐसे किसी साथी विश्वासी के साथ, जो बुरा काम करनेवाले, लोभी, मूर्तिपूजक, बकवादी, पियक्कड़ या ठग हो, संबंध रखना तो दूर, भोजन करना तक ठीक न होगा.

12कलीसिया से बाहर के व्यक्तियों का न्याय भला मैं क्यों करूं? किंतु क्या, यह तुम्हारा काम नहीं है कि उनकी जांच करना, जो कलीसिया में हैं? 13बाहरी व्यक्तियों का न्याय परमेश्वर करेंगे. “बाहर निकाल दो अपने बीच से कुकर्मी को.”5:13 व्यव 17:7; 19:19; 21:21; 22:21, 24; 24:7