الخروج 5 – NAV & HCV

Ketab El Hayat

الخروج 5:1-23

طوب بلا تبن

1وَبَعْدَ ذَلِكَ ذَهَبَ مُوسَى وَهَرُونُ وَقَالا لِفِرْعَوْنَ: «هَذَا مَا يُعْلِنُهُ الرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: أَطْلِقْ شَعْبِي لِيَحْتَفِلَ لِي فِي الْبَرِّيَّةِ». 2فَقَالَ فِرْعَوْنُ: «مَنْ هُوَ الرَّبُّ حَتَّى أُطِيعَ أَمْرَهُ وَأُطْلِقَ إِسْرَائِيلَ؟ أَنَا لَا أَعْرِفُ الرَّبَّ وَلَنْ أُطْلِقَ بَنِي إِسْرَائِيلَ». 3ثُمَّ قَالا: «إِنَّ إِلَهَ الْعِبْرَانِيِّينَ قَدِ الْتَقَانَا، فَدَعْنَا نَذْهَبُ مَسِيرَةَ ثَلاثَةِ أَيَّامٍ فِي الصَّحْرَاءِ لِنُقَدِّمَ ذَبَائِحَ لِلرَّبِّ إِلَهِنَا لِئَلّا يُعَاقِبَنَا بِوَبَأٍ أَوْ سَيْفٍ». 4فَقَالَ لَهُمَا مَلِكُ مِصْرَ: «يَا مُوسَى وَهَرُونُ، لِمَاذَا تُعَطِّلانِ الشَّعْبَ عَنْ أَعْمَالِهِ؟ ارْجِعُوا إِلَى أَعْمَالِكُمُ الشَّاقَةِ». 5ثُمَّ قَالَ فِرْعَوْنُ: «هُوَذَا شَعْبُ الأَرْضِ قَدْ كَثُرَ الآنَ، وَأَنْتُمَا تُرِيدَانِ أَنْ تُرِيحَاهُمْ مِنَ الأَعْمَالِ الشَّاقَةِ».

6فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ أَمَرَ فِرْعَوْنُ الْقَائِمِينَ عَلَى تَسْخِيرِ الشَّعْبِ وَرُؤَسَاءَ الْعُمَّالِ قَائِلاً: 7«كُفُّوا عَنْ إِعْطَاءِ الشَّعْبِ تِبْناً لِصُنْعِ اللِّبْنِ كَمَا كُنْتُمْ تَفْعَلُونَ سَابِقاً، وَلْيَذْهَبُوا هُمْ وَيَجْمَعُوا تِبْناً لأَنْفُسِهِمْ. 8وَطَالِبُوهُمْ بِإِنْتَاجِ نَفْسِ كَمِّيَّةِ اللِّبْنِ السَّابِقَةِ. لَا تُنْقِصُوهَا فَإِنَّهُمْ كُسَالَى، لِذَلِكَ يَصْرُخُونَ قَائِلِينَ: دَعْنَا نَذْهَبُ وَنَذْبَحُ لإِلَهِنَا. 9ثَقِّلُوا الْعَمَلَ عَلَى كَوَاهِلِ الْقَوْمِ حَتَّى يَشْتَغِلُوا بِهِ وَلا يَلْتَفِتُوا إِلَى الأَقْوَالِ الْكَاذِبَةِ». 10فَخَرَجَ مُسَخِّرُو الشَّعْبِ وَرُؤَسَاءُ الْعُمَّالِ وَخَاطَبُوا الشَّعْبَ قَائِلِينَ: «هَكَذَا يَقُولُ فِرْعَوْنُ: لَنْ أُعْطِيَكُمْ تِبْناً. 11اذْهَبُوا أَنْتُمْ وَاجْمَعُوا لأَنْفُسِكُمْ تِبْناً حَيْثُ تَجِدُونَهُ عَلَى أَلّا يَنْقُصَ إِنْتَاجُكُمْ».

12فَتَفَرَّقَ الشَّعْبُ فِي كُلِّ أَرْضِ مِصْرَ لِيَجْمَعُوا قَشّاً بَدَلاً مِنَ التِّبْنِ. 13وَكَانَ الْمُسَخِّرُونَ يَلِحُّونَ عَلَيْهِمْ قَائِلِينَ: «أَوْفُوا أَعْمَالَكُمْ، إِنْتَاجَ كُلِّ يَوْمٍ بِيَوْمِهِ كَمَا كَانَ الْحَالُ حِينَ تَوَافَرَ التِّبْنُ». 14وَجَلَدَ مُسَخِّرُو فِرْعَوْنَ رْؤَسَاءَ الْعُمَّالِ الَّذِينَ أَقَامُوهُمْ عَلَى بَنِي إِسْرَائِيلَ قَائِلِينَ لَهُمْ: «لِمَاذَا لَمْ تُوْفُوا قِسْطَكُمْ مِنْ إِنْتَاجِ اللِّبْنِ أَمْسِ وَالْيَوْمَ كَمَا كُنْتُمْ تَفْعَلُونَ سَابِقاً؟» 15فَأَقْبَلَ رُؤَسَاءُ عُمَّالِ بَنِي إِسْرَائِيلَ وَتَوَسَّلُوا إِلَى فِرْعَوْنَ قَائِلِينَ: «لِمَاذَا تَفْعَلُ هَكَذَا بِعَبِيدِكَ؟ 16إِنَّ عَبِيدَكَ لَا يَحْصُلُونَ عَلَى التِّبْنِ، وَمُطَالَبُونَ بِكَمِّيَّةِ اللِّبْنِ نَفْسِهَا، وَيُجْلَدُ عَبِيْدُكَ أَيْضاً. وَلَكِنَّ الذَّنْبَ هُوَ ذَنْبُ شَعْبِكَ». 17غَيْرَ أَنَّهُ قَالَ: «أَنْتُمْ كُسَالَى، لِذَلِكَ تَقُولُونَ: دَعْنَا نَذْهَبُ لِنَذْبَحَ لِلرَّبِّ. 18هَيَّا اذْهَبُوا وَاعْمَلُوا، فَالتِّبْنُ لَنْ يُعْطَى لَكُمْ، وَعَلَيْكُمْ أَنْ تُنْتِجُوا كَامِلَ كَمِّيَّةِ اللِّبْنِ نَفْسِهَا».

19فَوَجَدَ رُؤَسَاءُ عُمَّالِ بَنِي إِسْرَائِيلَ أَنْفُسَهُمْ فِي وَرْطَةٍ سَيِّئَةٍ بَعْدَ أَنْ قِيلَ لَهُمْ أَنْتِجُوا مِنْ لِبْنِكُمْ فَرِيضَةَ كُلِّ يَوْمٍ بِيَوْمِهِ. لَا تُنْقِصُوا مِنْهَا شَيْئاً 20وَصَادَفُوا مُوسَى وَهَرُونَ وَهُمَا وَاقِفَانِ فِي انْتِظَارِهِمْ عِنْدَ خُروجِهِمْ مِنْ لَدُنْ فِرْعَوْنَ 21فَقَالُوا لَهُمَا: «لِيَنْظُرْ إِلَيْكُمَا الرَّبُّ وَيَقْضِ. لَقَدْ كَرَّهْتُمَا فِينَا فِرْعَوْنَ وَحَاشِيَتَهُ، وَأَعْطَيْتُمَاهُمْ سَيْفاً فِي أَيْدِيهِمْ لِيَقْتُلُونَا».

وعد الله بالتحرير

22فَرَجَعَ مُوسَى إِلَى الرَّبِّ وَقَالَ: «لِمَاذَا أَسَأْتَ إِلَى شَعْبِكَ يَا رَبُّ؟ لِمَاذَا أَرْسَلْتَنِي؟ 23فَمُنْذُ أَنْ جِئْتُ لأُخَاطِبَ فِرْعَوْنَ بِاسْمِكَ، أَسَاءَ إِلَى الشَّعْبِ، وَأَنْتَ لَمْ تُخَلِّصْ شَعْبَكَ عَلَى الإِطْلاقِ».

Hindi Contemporary Version

निर्गमन 5:1-23

इस्राएलियों के काम को बढ़ाया जाना

1इसके बाद मोशेह तथा अहरोन गये व फ़रोह से कहा, “याहवेह, जो इस्राएल के परमेश्वर हैं, उनका कहना है, ‘मेरी प्रजा को जाने दो कि वे निर्जन प्रदेश में जाकर मेरे सम्मान में एक उत्सव मना सकें.’ ”

2किंतु फ़रोह ने उत्तर दिया, “कौन है याहवेह, जिसकी बात मैं मानूं और इस्राएल को यहां से जाने दूं? मैं याहवेह को नहीं जानता और मैं इस्राएल को यहां से जाने नहीं दूंगा.”

3यह सुनकर उन्होंने कहा, “इब्रियों के परमेश्वर ने हमसे कहा है. इसलिये कृपा कर हमें निर्जन प्रदेश में तीन दिन की यात्रा पर जाने दीजिए, कि हम याहवेह, अपने परमेश्वर के लिए बलि चढ़ाएं, ऐसा न हो कि वे हमसे नाराज़ हो जाएं और हम पर महामारी या तलवार से वार करें.”

4किंतु मिस्र देश के राजा ने उन्हें उत्तर दिया, “मोशेह और अहरोन, तुम लोग इस प्रजा को उनके काम से दूर क्यों करना चाह रहे हो? जाओ, तुम सब अपना अपना काम करो!” 5फ़रोह ने उनसे दुबारा कहा, “सुनो, देश में लोग बहुत बढ़ गये हैं और अब तुम उन्हें उनके काम से अलग करना चाहते हो!”

6उसी दिन फ़रोह ने अपने दासों के निरीक्षकों और अधिकारियों से कहा: 7“अब तक तुम इन लोगों को ईंट बनाने का सामान, भूसा, सब कुछ लाकर देते थे. लेकिन अब से ये लोग खुद अपना सामान लायेंगे; 8और उतनी ही ईंट बनाएंगे जितनी पहले बनाते थे; इससे कम नहीं किया जायेगा; ये लोग आलसी हैं, इसलिये यहां से जाने के लिए पूछ रहे हैं, ‘हम अपने परमेश्वर के लिए बलि अर्पित कर सकें.’ 9इनके काम और बढ़ा दो और उन्हें ज्यादा व्यस्त कर दो, ताकि उनका ध्यान कहीं ओर न जाए.”

10दास-स्वामियों और निरीक्षकों ने बाहर जाकर लोगों से कहा, “फ़रोह ने कहा है, ‘अब से तुम्हें ईंट बनाने का सामान; भूसा, नहीं दिया जायेगा. 11यह तुम्हें ही लाना होगा—और तुम्हारे काम में कोई कमी न हो.’ ” 12इस कारण इस्राएली लोग पूरे मिस्र देश में फैल गये, और ईंट बनाने का सामान: भूसा, ढूंढने की कोशिश करने लगे. 13काम करनेवालों की देखरेख करनेवाले उन पर ज्यादा दबाव डालते हुए कहने लगे, “ईंटों की गिनती में कमी नहीं होनी चाहिए, पहले जितनी बनाते थे उतनी ही अब भी बनानी हैं.” 14इस्राएलियों के ऊपर नियुक्त फ़रोह के दास-स्वामियों ने इस्राएली निरीक्षकों की पिटाई की और उनसे ईंटों की गिनती पूछते रहे!

15इन सब सताव के कारण इस्राएलियों का पर्यवेक्षक फ़रोह के पास जाकर पूछने लगे, “आप सेवकों से ऐसा व्यवहार क्यों कर रहे हैं? 16ईंट बनाने का सामान कुछ नहीं दिया जा रहा है, फिर भी कहा जा रहा है, ‘ईंट बनाओ, ईंट बनाओ!’ और सेवकों की पिटाई की जा रही है; जबकि दोष तो आपके लोगों का है.”

17फ़रोह ने उत्तर दिया, “तुम लोग आलसी हो—अत्यंत आलसी; इसलिये यह कह रहे हो, ‘हमें जाने दीजिए कि हम यहां से जाकर याहवेह को बलि अर्पित करें.’ 18अब जाओ और अपने काम करो. तुम्हें कुछ नहीं दिया जाएगा, लेकिन जितना तुम पहले बनाते थे उतनी ही ईंट अब भी बनाओगे.”

19इस्राएली लोग यह समझ गए थे कि उनकी परेशानी बहुत बढ़ गई है; क्योंकि उन्हें कहा गया था कि रोज जितनी ईंटें बनाने के लिए बोला गया है, उसमें कोई कमी नहीं आएगी. 20जब वे फ़रोह के पास से बाहर आए, तो उनको मोशेह एवं अहरोन मिले, जो वहां उन्हीं के लिए रुके हुए थे. 21इस्राएलियों ने मोशेह तथा अहरोन से कहा, “अब याहवेह ही हमें बचा सकते हैं: क्योंकि आप ही के कारण मिस्री हमसे नफ़रत करने लगे हैं, आप ही ने हमें उनके हाथों में छोड़ दिया है.”

परमेश्वर उद्धार का वादा करते हैं

22तब मोशेह याहवेह के पास गए और उनसे बिनती की, “आपने अपने लोगों को परेशानी में डालने के लिए मुझे क्यों चुना है? 23जब मैंने फ़रोह से याहवेह के बारे में बात की, तब से फ़रोह ने इस्राएलियों को परेशान करना शुरू किया. इस स्थिति में आपने अपने लोगों को नहीं बचाया!”