التثنية 23 – NAV & HCV

Ketab El Hayat

التثنية 23:1-25

المحظور عليهم الاشتراك في المحفل

1لَا يَدْخُلْ ذُو الْخِصْيَتَيْنِ الْمَرْضُوضَتَيْنِ أَوِ الْمَجْبُوبُ فِي جَمَاعَةِ الرَّبِّ. 2لَا يَدْخُلِ ابْنُ زِنىً وَلا أَحَدٌ مِنْ ذُرِّيَّتِهِ حَتَّى الْجِيلِ الْعَاشِرِ فِي جَمَاعَةِ الرَّبِّ. 3لَا يَدْخُلْ عَمُّونِيٌّ وَلا مُوآبِيٌّ فِي جَمَاعَةِ الرَّبِّ، وَلا أَحَدٌ مِنْ ذُرِّيَّتِهِمْ حَتَّى بَعْدَ الْجِيلِ الْعَاشِرِ فِي جَمَاعَةِ الرَّبِّ وَإِلَى الأَبَدِ، 4لأَنَّهُمْ لَمْ يَسْتَقْبِلُوكُمْ بِالْخُبْزِ وَالْمَاءِ فِي الطَّرِيقِ عِنْدَ خُرُوجِكُمْ مِنْ مِصْرَ، وَلأَنَّهُمُ اسْتَأْجَرُوا بَلْعَامَ بْنَ بَعُورَ مِنْ فَتُورِ أَرَامِ النَّهْرَيْنِ لِيَلْعَنَكُمْ 5وَلَكِنَّ الرَّبَّ إِلَهَكُمْ لَمْ يَشَأْ أَنْ يَسْتَجِيبَ لِبَلْعَامَ، بَلْ حَوَّلَ لأَجْلِكُمُ اللَّعْنَةَ إِلَى بَرَكَةٍ، لأَنَّ الرَّبَّ إِلَهَكُمْ قَدْ أَحَبَّكُمْ. 6لَا تَسْعَوْا فِي سَبِيلِ مُسَالَمَتِهِمْ وَخَيْرِهِمْ إِلَى الأَبَدِ. 7لَا تَمْقُتُوا الأَدُومِيِّينَ لأَنَّهُمْ إِخْوَتُكُمْ، وَلا تَكْرَهُوا الْمِصْرِيِّينَ لأَنَّكُمْ كُنْتُمْ ضُيُوفاً فِي دِيَارِهِمْ 8وَمَنْ يُوْلَدُ مِنْ ذُرِّيَّتِهِمْ فِي الْجِيلِ الثَّالِثِ يَدْخُلُ فِي جَمَاعَةِ الرَّبِّ.

عدم الطهارة في المعسكر

9إِذَا خَرَجْتُمْ لِمُحَارَبَةِ أَعْدَائِكُمْ فَامْتَنِعُوا عَنْ كُلِّ شَيْءٍ قَبِيحٍ 10فَإِنْ كَانَ بَيْنَكُمْ رَجُلٌ غَيْرَ طَاهِرٍ عَلَى أَثَرِ اسْتِحْلامٍ فَلْيَمْضِ إِلَى خَارِجِ الْمُعَسْكَرِ. لَا يَدْخُلُ إِلَيْهِ. 11وَعِنْدَ حُلُولِ الْمَسَاءِ يَسْتَحِمُّ بِمَاءٍ، ثُمَّ يَدْخُلُ إِلَى الْمُعَسْكَرِ عِنْدَ غُرُوبِ الشَّمْسِ. 12وَعَلَيْكُمْ أَنْ تُحَدِّدُوا مَوْضِعاً لِقَضَاءِ الْحَاجَةِ خَارِجَ الْمُعَسْكَرِ. 13وَلْيَكُنْ مَعَ كُلِّ وَاحِدٍ مِنْكُمْ وَتَدٌ بَيْنَ عَتَادِهِ لِيَحْفُرَ بِهِ حُفْرَةً يَقْضِي فِيهَا حَاجَتَهُ، ثُمَّ يُغَطِّي بِرَازَهُ بِالتُّرَابِ، 14لأَنَّ الرَّبَّ إِلَهَكُمْ سَائِرٌ فِي وَسَطِ مُعَسْكَرِكُمْ لِيُنْقِذَكُمْ وَيُظْفِرَكُمْ بِأَعْدَائِكُمْ. فَلْيَكُنْ مُعَسْكَرُكُمْ مُقَدَّساً لِئَلّا يَشْهَدَ فِيهِ أَقْذَاراً فَيَتَحَوَّلَ عَنْكُمْ.

أحكام عامة

15إِذَا لَجَأَ إِلَيْكُمْ عَبْدٌ هَارِبٌ مِنْ مَوْلاهُ، لَا تُسَلِّمُوهُ إِلَى مَوْلاهُ، 16بَلْ يُقِيمُ حَيْثُ يَطِيبُ لَهُ فِي الْمَوْضِعِ الَّذِي يَخْتَارُهُ فِي إِحْدَى مُدُنِكُمْ وَلا تَظْلِمُوهُ.

17لَا يَكُنْ مِنْ بَنَاتِ إِسْرَائِيلَ وَلا مِنْ أَبْنَاءِ إِسْرَائِيلَ زَانِيَاتٌ وَمَأْبُونُو مَعَابِدَ. 18لَا تَأْتُوا بِتَقْدِمَةِ نَذْرٍ مَا إِلَى بَيْتِ الرَّبِّ إِلَهِكُمْ مِنْ مَكْسَبِ زَانِيَةٍ أَوْ مَأْبُونٍ، لأَنَّ كِلَيْهِمَا رِجْسٌ أَمَامَ الرَّبِّ.

19لَا تَتَقَاضَوْا فَوَائِدَ عَمَّا تُقْرِضُونَهُ لإِخْوَتِكُمْ مِنْ بَنِي إِسْرَائِيلَ، سَوَاءٌ كَانَتِ الْقُرُوضُ فِضَّةً أَوْ أَطْعِمَةً أَوْ أَيَّ شَيْءٍ آخَرَ. 20أَمَّا الأَجْنَبِيُّ فَأَقْرِضُوهُ بِرِباً. إِنَّمَا إِيَّاكُمْ إِقْرَاضَ أَخِيكُمْ بِفَائِدَةٍ، لِيُبَارِكَكُمُ الرَّبُّ إِلَهُكُمْ فِي كُلِّ مَا تُنْتِجُهُ أَيْدِيكُمْ فِي الأَرْضِ الَّتِي أَنْتُمْ مَاضُونَ لاِمْتِلاكِهَا.

21إِذَا نَذَرْتُمْ نَذْراً لِلرَّبِّ فَلا تُمَاطِلُوا فِي الْوَفَاءِ بِهِ، لأَنَّ إِلَهَكُمْ يُطَالِبُكُمْ بِهِ وَيَحْسَبُ ذَلِكَ عَلَيْكُمْ ذَنْباً 22وَإِنْ لَمْ تَنْذِرُوا لَا تَكُونُ عَلَيْكُمْ خَطِيئَةٌ. 23أَمَّا مَا تَعَهَّدَتْ بِهِ شَفَتَاكَ فَذَاكَ احْفَظْهُ وَأَوْفِهِ، كَمَا نَذَرْتَ طَوَاعِيَةً لِلرَّبِّ إِلَهِكَ، وَكَمَا تَعَهَّدَ بِهِ فَمُكَ.

24إِذَا دَخَلْتَ كَرْمَ عِنَبِ جَارِكَ فَكُلْ مِنْهُ بِقَدْرِ مَا تَشْتَهِي نَفْسُكَ حَتَّى الشَّبْعِ، وَلَكِنْ لَا تَقْطِفْ مِنْ عِنَبِهِ وَتَضَعْهُ فِي وِعَائِكَ. 25إِذَا دَخَلْتَ حَقْلَ قَمْحِ صَاحِبِكَ فَاقْطِفْ مِنْ سَنَابِلِهِ، وَلَكِنْ لَا تَحْصُدْ مِنْهُ بِمِنْجَلِكَ.

Hindi Contemporary Version

व्यवस्था 23:1-25

सभा में प्रवेश संबंधी नियम

1कोई भी, जो नपुंसक है, जिसका लिंग काट डाला गया है, याहवेह की सभा में प्रवेश नहीं करेगा.

2कोई भी, जो अवैध जन्मा है, याहवेह की सभा में प्रवेश नहीं करेगा; दसवीं पीढ़ी तक उसके वंशज याहवेह की सभा में प्रवेश नहीं करेंगे.

3कोई भी अम्मोनी अथवा मोआबी याहवेह की सभा में प्रवेश नहीं करेगा, दसवीं पीढ़ी तक उनके वंशज याहवेह की सभा में प्रवेश नहीं करेंगे. 4क्योंकि मिस्र देश से यहां आते हुए उन्होंने तुम्हारे लिए अन्‍न-जल का प्रावधान न होने दिया, और इसके अलावा, उन्होंने मेसोपोतामिया के पेथोर नगर के बेओर के पुत्र बिलआम को पारिश्रमिक देते हुए तुम्हें शाप देने के लिए बुलाया था. 5फिर भी याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर ने बिलआम की ओर ध्यान देना सही न समझा, याहवेह तुम्हारे परमेश्वर ने बिलआम के शाप को तुम्हारे लिए समृद्धि में परिणत कर दिया; क्योंकि याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर को तुमसे प्रेम है. 6तुम आजीवन न तो उनके भले की और न समृद्धि की कामना करोगे.

7तुम किसी एदोमी से घृणा नहीं करोगे, क्योंकि वह तुम्हारा भाई ही है; तुम किसी मिस्रवासी से भी घृणा न करोगे, क्योंकि तुम उसके देश में प्रवासी होकर रहे थे. 8उनकी तीसरी पीढ़ी के वंशज याहवेह की सभा में शामिल हो सकते हैं.

छावनी में अशुद्धता

9ज़रूरी है कि जब तुम युद्ध के लिए कूच करो, तुम सांस्कारिक रूप से शुद्ध रहो. 10यदि छावनी में कोई ऐसा व्यक्ति है, जिसे रात में स्वाभाविक वीर्यपात हुआ है, वह छावनी के बाहर चला जाए; छावनी में प्रवेश न करे. 11सायंकाल वह स्‍नान करे और सूर्यास्त पर वह छावनी में प्रवेश कर सकता है.

12ज़रूरी है कि छावनी के बाहर ही शौच के लिए एक स्थान तय किया जाए. 13तुम्हारे उपकरण में एक बेलचा भी हो, कि जब तुम शौच के लिए वहां बैठो, इससे भूमि को खोदो और इसके बाद मल को भूमि में दबा दो. 14क्योंकि याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हारे छावनी के बीच विचरण करते हैं, कि तुम्हें विजय प्रदान करें, तुम्हारे शत्रुओं को तुम्हारे सामने हराएं, तब ज़रूरी है कि छावनी में पवित्रता बनाई रखी जाए. याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर को तुम्हारे बीच कुछ भी अभद्र दिखाई न दे, नहीं तो वह तुमसे दूर चले जाएंगे.

विविध विधान

15वह दास, जो अपने स्वामी के दासत्व से भागकर तुम्हारे आश्रय में आया हुआ है, तुम उसे उसके स्वामी को नहीं लौटाओगे. 16वह तुम्हारे ही बीच में निवास करेगा, उसी स्थान पर जो अपने लिए उपयुक्त समझा है, तुम उसके साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं करोगे.

17इस्राएल राष्ट्र की पुत्रियां या पुत्र मंदिर वेश्या नहीं बनेंगे. 18तुम याहवेह, अपने परमेश्वर को न तो वेश्यावृत्ति का वेतन भेंट करोगे और न ही पुरुष वेश्या द्वारा कमाई गई राशि को मन्नत की भेंट स्वरूप अर्पित करोगे. ये दोनों ही याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर की दृष्टि में घृणित हैं.

19तुम अपने स्वजातीय को कुछ भी ब्याज पर नहीं दोगे; न धन, न खाद्य पदार्थ और न कोई ऐसी वस्तु, जिस पर ब्याज लिया जा सकता है. 20हां, किसी विदेशी से तुम ब्याज ले सकते हो, मगर अपने देशवासियों से नहीं, जिससे कि उस देश में, तुम जिस पर अधिकार करने के उद्देश्य से प्रवेश कर रहे हो, याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हारे हर एक उपक्रम में तुम्हें समृद्धि प्रदान करें.

21जब कभी तुम याहवेह, अपने परमेश्वर के लिए मन्नत मानो, तुम उसे पूरा करने में विलंब नहीं करोगे. क्योंकि याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर निश्चयतः तुमसे यह ले ही लेंगे, मगर तब तुम उनके सामने पापी बन जाओगे. 22फिर भी दूसरी स्थिति में तुम मन्नत ही न मानो तब तुम्हारे पक्ष में यह पाप नहीं होगा. 23ठीक जिस प्रकार तुमने स्वेच्छानुरूप याहवेह, अपने परमेश्वर से मन्नत मानी थी, जो कुछ आपके मुख से मुखरित हो चुका है, तुमने जो शपथ की है, उसे पूरा करने के विषय में तुम सावधान रहना.

24जब कभी तुम अपने पड़ोसी के अंगूर के बगीचे में जाओ, तुम अपनी पूरी संतुष्टि तक अंगूर खा सकते हो, मगर तुम अंगूर को अपनी टोकरी में रखकर नहीं लाओगे. 25जब कभी तुम अपने पड़ोसी के खेत में खड़ी उपज के अवसर पर प्रवेश करो, तो अपने हाथों में तुम बालें ज़रूर तोड़ सकते हो, मगर तुम उस उपज पर हंसिया नहीं चला सकते.