التثنية 18 – NAV & HCV

Ketab El Hayat

التثنية 18:1-22

تقدمات للكهنة واللاويين

1لَا يَرِثُ الْكَهَنَةُ اللّاوِيُّونَ وَلا أَحَدٌ مِنْ سِبْطِ لاوِي مِلْكاً أَو نَصِيباً مَعَ بَنِي إِسْرَائِيلَ. إِنَّمَا يَأْكُلُونَ مِنْ مُحْرَقَاتِ الرَّبِّ وَنَصِيبِهِ. 2لَا يَرِثُونَ مَعَ إِخْوَتِهِمْ، لأَنَّ الرَّبَّ هُوَ نَصِيبُهُمْ كَمَا وَعَدَهُمْ.

3وَهَذَا هُوَ حَقُّ الْكَهَنَةِ مِنَ الذَّبَائِحِ الَّتِي يُقَرِّبُهَا الشَّعْبُ بَقَراً كَانَتْ أَمْ غَنَماً: يُقَدِّمُ الشَّعْبُ لِلْكَاهِنِ السَّاعِدَ وَالْفَكَّيْنِ وَالْكِرْشَ، 4كَمَا تُعْطُونَهُ أَوَّلَ حَصَادِ قَمْحِكُمْ وَخَمْرِكُمْ وَزَيْتِكُمْ، وَأَوَّلَ جَزَازِ غَنَمِكُمْ، 5لأَنَّ الرَّبَّ إِلَهَكُمُ اخْتَارَهُ مِنْ بَيْنِ جَمِيعِ أَسْبَاطِكُمْ لِيَقُومَ بِالْخِدْمَةِ بِاسْمِ الرَّبِّ، هُوَ وَأَبْنَاؤُهُ كُلَّ الأَيَّامِ.

6وَإذَا أَقْبَلَ لاوِيٌّ مِنْ إِحْدَى مُدُنِكُمْ مِنْ أَيِّ مَكَانٍ فِي إِسْرَائِيلَ، حَيْثُ هُوَ مُتَغَرِّبٌ، لِيَمْكُثَ بِرَغْبَةٍ قَلْبِيَّةٍ صَادِقَةٍ فِي الْمَوْضِعِ الَّذِي يَخْتَارُهُ الرَّبُّ، 7فَإِنَّ مِنْ حَقِّهِ أَنْ يَخْدُمَ بِاسْمِ الرَّبِّ إِلَهِكُمْ كَبَقِيَّةِ إِخْوَتِهِ اللّاوِيِّينَ الْمَاثِلِينَ هُنَاكَ أَمَامَ الرَّبِّ. 8وَمِنْ حَقِّهِ أَيْضاً أَنْ يَنَالَ نَصِيباً مُتَسَاوِياً مِنَ التَّقْدِمَاتِ، عَلاوَةً عَلَى مَا يَكُونُ قَدْ حَصَلَ عَلَيْهِ مِنْ بَيْعِ مَا وَرِثَهُ عَنْ آبَائِهِ.

ممارسات رجسة

9وَمَتَى دَخَلْتُمْ إِلَى الأَرْضِ الَّتِي يُوَرِّثُكُمْ إِيَّاهَا الرَّبُّ إِلَهُكُمْ، فَلا تَتَعَلَّمُوا مُمَارَسَةَ رَجَاسَاتِ تِلْكَ الأُمَمِ الْمُقِيمَةِ هُنَاكَ. 10وَلا يَكُنْ بَيْنَكُمْ مَنْ يُجِيزُ ابْنَهُ أَو ابْنَتَهُ فِي النَّارِ، وَلا يَتَعَاطَى الْعِرَافَةَ وَلا الْعِيَافَةَ وَلا مُمَارَسَةَ الْفَأْلِ أَوِ السِّحْرِ، 11وَلا مَنْ يَرْقِي رُقْيَةً أَوْ يُشَاوِرُ جَانّاً أَوْ وَسِيطاً، أَوْ يَسْتَحْضِرُ أَرْوَاحَ الْمَوْتَى لِيُسَائِلَهُمْ، 12لأَنَّ كُلَّ مَنْ يَتَعَاطَى ذَلِكَ مَكْرُوهٌ لَدَى الرَّبِّ. فَبِسَبَبِ هَذِهِ الأَرْجَاسِ عَزَمَ الرَّبُّ إِلَهُكُمْ عَلَى طَرْدِ هَذِهِ الأُمَمِ مِنْ أَمَامِكُمْ، 13فَكُونُوا كَامِلِينَ لَدَى الرَّبِّ إِلَهِكُمْ.

النبي

14إِنَّ تِلْكَ الأُمَمَ الَّتِي أَنْتُمْ تَسْتَأْصِلُونَهَا تُصَدِّقُ مُمَارَسَةَ الْمُشَعْوِذِينَ وَالْعَرَّافِينَ، وَأَمَّا أَنْتُمْ فَإِنَّ الرَّبَّ إِلَهَكُمْ يَحْظُرُ عَلَيْكُمْ ذَلِكَ.

الوعد بنبي بعد موسى

15سَيُقِيمُ الرَّبُّ فِيكُمْ نَبِيًّا مِثْلِي مِنْ بَنِي إِسْرَائِيلَ، لَهُ تَسْمَعُونَ، 16فَقَدِ اسْتَجَابَ الرَّبُّ إِلَهُكُمْ مَا طَلَبْتُمْ مِنْهُ فِي حُورِيبَ فِي يَوْمِ الاجْتِمَاعِ عِنْدَمَا قُلْتُمْ: لَا نَعُودُ نَسْمَعُ صَوْتَ الرَّبِّ إِلَهِنَا، وَلا نَرَى النَّارَ الْعَظِيمَةَ أَيْضاً لِئَلّا نَمُوتَ 17فَقَالَ لِيَ الرَّبُّ: لَقَدْ أَصَابُوا فِي مَا تَكَلَّمُوا. 18لِهَذَا أُقِيمُ لَهُمْ نَبِيًّا مِنْ بَيْنِ إِخْوَتِهِمْ مِثْلَكَ، وَأَضَعُ كَلامِي فِي فَمِهِ، فَيُخَاطِبُهُمْ بِكُلِّ مَا آمُرُهُ بِهِ. 19فَيَكُونُ أَنَّ كُلَّ مَنْ يَعْصَى كَلامِي الَّذِي يَتَكَلَّمُ بِهِ بِاسْمِي، فَأَنَا أُحَاسِبُهُ. 20وَأَمَّا النَّبِيُّ الَّذِي يَتَجَبَّرُ فَيَنْطِقُ بِاسْمِي بِمَا لَمْ آمُرْهُ أَنْ يَتَكَلَّمَ بِهِ، أَوْ يَتَنَبَّأُ بِاسمِ آلِهَةٍ أُخْرَى، فَإِنَّهُ حَتْماً يَمُوتُ. 21وَإِنْ سَأَلْتُمْ فِي أَنْفُسِكُمْ: كَيْفَ نُمَيِّزُ الْكَلامَ الَّذِي لَمْ يَصْدُرْ عَنِ الرَّبِّ؟ 22فَإِنَّ كُلَّ مَا يَتَنَبَّأُ بِهِ النَّبِيُّ بِاسْمِ الرَّبِّ وَلا يَتَحَقَّقُ يَكُونُ ادِّعَاءً مِنْهُ لَمْ يَنْطِقْ بِهِ الرَّبُّ، بَلْ بِطُغْيَانٍ تَكَلَّمَ بِهِ النَّبِيُّ فَلا تَخَفْ مِنْهُ.

Hindi Contemporary Version

व्यवस्था 18:1-22

लेवियों और पुरोहितों की विशेष सुविधाएं

1लेवी पुरोहितों का, अर्थात् समस्त लेवी गोत्र का, शेष इस्राएली गोत्रों के साथ कोई भी मीरास प्रदान नहीं की गई है. उनका भोजन होगा याहवेह को समर्पित भेंटें और याहवेह का अंश. 2अपने देशवासियों में उनकी मीरास कुछ भी नहीं होगी, याहवेह ही अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप उनकी मीरास हैं.

3प्रजाजनों के पुरोहितों के प्रति जवाबदारी इस प्रकार होगी: उनकी ओर से, जो बलि चढ़ाते हैं; चाहे वह बैल हो या भेड़, वे इसका कांधा, दो कपोल और पेट उस पुरोहित को दे दिया करेंगे. 4तुम उसे अपनी उपज का प्रथम उत्पाद भेंट में दिया करोगे; तुम्हारे अन्‍न का, अंगूर के रस का, तेल का और तुम्हारी भेड़ों के कतरे गए ऊन का, 5याद रहे, याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर ने सारे गोत्रों में से उसे और उसके वंशजों को याहवेह के सम्मान के लिए तत्पर रहकर सेवा करने के लिए चुना है.

6यदि इस्राएल राष्ट्र के किसी भी नगर से कोई लेवी स्वेच्छानुरूप अपना निवास स्थान छोड़कर उस स्थान पर जा पहुंचता है, जो याहवेह द्वारा चुना गया है, 7तब वह याहवेह, उनके परमेश्वर के सम्मान के लिए अपने साथी लेवीगोत्रजों के समान, जो याहवेह के सामने सेवा के लिए तैयार रहते हैं, सेवारत हो जाएगा. 8उन सभी के उपयोग के लिए तय भाग के समान होगा, अलावा उस अंश के, जो उन्हें अपने पूर्वजों की संपत्ति की बिक्री से मिला है.

घृणित पालन

9जब तुम याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर द्वारा दिए उस देश में प्रवेश करोगे, तुम उन राष्ट्रों की घृणित प्रथाओं का अनुसरण करना नहीं सीखोगे. 10तुममें से एक भी व्यक्ति ऐसा न पाया जाए, जो अपने पुत्र अथवा पुत्री को उनकी प्रथा के अनुसार आग के संस्कार के लिए इस्तेमाल करता है, जो भविष्यवाणी का प्रयोग करता है, जो जादू-टोना करता है, जो शगुन व्याख्या करता है, या ओझा-सम्पर्क करता है, 11या वह, जो सम्मोहन का प्रयोग करता है, या प्रेतसाधक या प्रेतवादी या वह, जो मृत आत्मा को बुलाकर पूछताछ करता है. 12क्योंकि कोई भी, जो यह सब करता है, याहवेह के सामने घृणित है. इन्हीं घृणित कामों के कारण याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर उन्हें तुम्हारे सामने से खदेड़ देंगे. 13तुम याहवेह, अपने परमेश्वर के सामने निर्दोष रहोगे.

भविष्यवक्ता

14क्योंकि वे राष्ट्र, जिन्हें तुम उनके देश से वंचित करने पर हो, उनके आदेशों का पालन करते हैं, जो जादू-टोना करते और भावी प्रकट करते हैं; मगर तुम वह हो, जिन्हें याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर ने यह सब करने से निषिद्ध किया है. 15याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हारे बीच में, तुम्हारे ही देशवासियों में से तुम्हारे लिए मेरे समान एक भविष्यवक्ता को उठाएंगे. तुम उसी के आदेशों का पालन करोगे. 16यह परिणाम तुम्हारी उस विनती के अनुसार ही है जो तुमने उस सभा के दिन याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर से होरेब पर्वत पर की. तुमने मांगा था, “मुझे याहवेह हमारे परमेश्वर की आवाज दोबारा सुननी न पड़े, हमें यह भीषण आग देखनी न पड़े, नहीं तो हमारी तो मृत्यु हो जाएगी.”

17याहवेह ने मुझ पर प्रकट किया, “सही ही है उनकी प्रार्थना. 18उन्हीं के देशवासियों में से मैं तुम्हारे समान एक भविष्यद्वक्ता का उद्भव करूंगा. वही उनके लिए मेरे विचार कहेगा. वही मेरे सभी आदेशों का उद्बोधन उनके लिए करेगा. 19तब यह होगा कि जो कोई उसके द्वारा मेरी ओर से दिए गए आदेशों की उपेक्षा करेगा, खुद मैं उसे उत्तरदायी ठहराऊंगा. 20मगर यदि कोई भविष्यद्वक्ता घमण्ड़ से भरा, दुस्साहसी संदेश मेरे नाम में भेजता है, जो मैंने उसे संबोधन के लिए भेजा ही न था, अथवा यदि वह पराए देवताओं की ओर से बातचीत करता है, तो वह भविष्यद्वक्ता मृत्यु दंड के योग्य है.”

21तुम यह विचार कर सकते हो, “हमें यह मालूम कैसे होगा कि वह संदेश याहवेह द्वारा भेजा संदेश नहीं है?” 22जब कभी कोई भविष्यद्वक्ता याहवेह की ओर से संदेश भेजने का दावा करता है, वह संदेश सच नहीं होता, उसकी यह घोषणा सच साबित नहीं होती, जो याहवेह द्वारा भेजी नहीं गई थी. उस भविष्यद्वक्ता ने दुस्साहस भरा संदेश दिया था उस भविष्यद्वक्ता से तुम्हें कोई भय न हो.