مخلص بني إسرائيل الوحيد
1أَمَّا الآنَ، فَهَذَا مَا يَقُولُهُ الرَّبُّ خَالِقُكَ يَا يَعْقُوبُ وَجَابِلُكَ يَا إِسْرَائِيلُ: «لا تَجْزَعْ لأَنِّي افْتَدَيْتُكَ، دَعَوْتُكَ بِاسْمِكَ. أَنْتَ لِي. 2إِذَا اجْتَزْتَ فِي وَسَطِ الْمِيَاهِ أَكُونُ مَعَكَ، وَإِنْ خُضْتَ الأَنْهَارَ لَا تَغْمُرُكَ. إِنْ عَبَرْتَ فِي النَّارِ لَا تَلْذَعُكَ. وَاللهِيبُ لَا يُحْرِقُكَ. 3لأَنِّي أَنَا هُوَ الرَّبُّ إِلَهُكَ، قُدُّوسُ إِسْرَائِيلَ مُخَلِّصُكَ، قَدْ جَعَلْتُ مِصْرَ فِدْيَةً عَنْكَ وَكُوشَ وَسَبَأَ عِوَضاً عَنْكَ. 4إِذْ أَصْبَحْتَ كَرِيماً فِي عَيْنَيَّ، وَعَزِيزاً وَمَحْبُوباً، فَقَدْ بَادَلْتُ أُنَاساً بِكَ، وَقَايَضْتُ أُمَماً عِوَضاً عَنْ حَيَاتِكَ. 5لَا تَجْزَعْ لأَنِّي مَعَكَ. سَأَلِمُّ شَتَاتَ ذُرِّيَّتِكَ مِنَ الْمَشْرِقِ، وَأَجْمَعُكَ مِنَ الْمَغْرِبِ. 6أَقُولُ لِلشِّمَالِ: أَطْلِقْهُمْ مِنْ عِقَالِكَ، وَللْجَنُوبِ لَا تَحْجِزْهُمْ. اجْمَعْ أَبْنَائِي مِنْ بَعِيدٍ وَبَنَاتِي مِنْ أَقَاصِي الأَرْضِ، 7كُلَّ مَنْ يُدْعَى بِاسْمِي مِمَّنْ خَلَقْتُهُ لِمَجْدِي وَجَبَلْتُهُ وَصَنَعْتُهُ». 8أَخْرِجِ الشَّعْبَ الأَعْمَى وَإِنْ كَانَتْ لَهُ عُيُونٌ، وَالأَصَمَّ وَإِنْ كَانَتْ لَهُ آذَانٌ.
9لِتَجْتَمِعِ الأُمَمُ بِأَسْرِهَا، وَلْتَحْتَشِدِ الشُّعُوبُ. مَنْ مِنْهُمْ يُنْبِئُ بِهَذَا، وَيُخْبِرُنَا بِالأُمُورِ السَّالِفَةِ؟ لِيُقَدِّمُوا شُهُودَهُمْ إِثْبَاتاً لِصِدْقِهِمْ، أَوْ لِيَسْمَعُوا وَيَقُولُوا: هَذَا صِدْقٌ. 10أَنْتُمْ شُهُودِي يَقُولُ الرَّبُّ، وَعَبْدِي الَّذِي اصْطَفَيْتُهُ، لِتَعْلَمُوا وَتُؤْمِنُوا بِي، وَتُدْرِكُوا أَنِّي أَنَا أَنَا هُوَ اللهُ، لَمْ يُوْجَدْ إِلَهٌ قَبْلِي وَلا يَكُونُ إِلَهٌ بَعْدِي. 11أَنَا هُوَ الرَّبُّ، وَلا مُخَلِّصَ غَيْرِي. 12إِنِّي أَنْبَأْتُ وَخَلَّصْتُ وَأَعْلَنْتُ أَنَا، وَلَيْسَ إِلَهٌ غَرِيبٌ بَيْنَكُمْ. أَنْتُمْ شُهُودِي أَنِّي أَنَا اللهُ، يَقُولُ الرَّبُّ. 13مُنْذُ الْبَدْءِ أَنَا هُوَ اللهُ وَلَيْسَ مُنْقِذٌ مِنْ يَدِي. أَفْعَلُ وَمَنْ يُبْطِلُ عَمَلِي؟
رحمة الله وعدم أمانة إسرائيل
14هَذَا مَا يَقُولُهُ الرَّبُّ فَادِيكُمْ قُدُّوسُ إِسْرَائِيلَ، هَا أَنَا مِنْ أَجْلِكُمْ أَرْسَلْتُ إِلَى بَابِلَ لأُحَطِّمَ الْمَغَالِيقَ، فَيُصْبِحُ الْبَابِلِيُّونَ فِي سُفُنِهِمِ الَّتِي يُبَاهُونَ بِها مَطْرُودِينَ هَارِبِينَ. 15أَنَا هُوَ الرَّبُّ قُدُّوسُكُمْ خَالِقُ إِسْرَائِيلَ وَمَلِكُكُمْ. 16هَذَا مَا يَقُولُهُ الرَّبُّ الصَّانِعُ فِي الْبَحْرِ طَرِيقاً، وَمَمَرّاً فِي اللُّجَجِ الْعَمِيقَةِ، 17الَّذِي يَسْتَدْرِجُ الْمَرْكَبَاتِ وَالْخُيُولَ وَالْجَيْشَ وَالْمُقَاتِلِينَ، فَيَسْقُطُونَ صَرْعَى جَمِيعاً وَلا يَقُومُونَ، وَيَخْمُدُونَ كَفَتِيلَةٍ وَيَنْطَفِئُونَ.
18وَلَكِنَّكُمْ لَا تَتَذَكَّرُونَ الأُمُورَ السَّالِفَةَ وَلا تَعْتَبِرُونَ بِالأَحْدَاثِ الغَابِرَةِ 19انْظُرُوا، هَا أَنَا أُنْجِزُ أَمْراً جَدِيداً يَنْشَأُ الآنَ، أَلا تَعْرِفُونَهُ؟ أَشُقُّ فِي الْبَرِّيَّةِ طَرِيقاً، وَفِي الصَّحْرَاءِ أَنْهَاراً، 20فَيُكْرِمُنِي وَحْشُ الصَّحْرَاءِ: الذِّئَابُ وَالنَّعَامُ لأَنِّي فَجَّرْتُ فِي الْقَفْرِ مَاءً، وَفِي الصَّحْرَاءِ أَنْهَاراً لأَسْقِيَ شَعْبِي الَّذِي اخْتَرْتُهُ، 21وَجَبَلْتُهُ لِنَفْسِي لِيُذِيعَ حَمْدِي.
22وَلَكِنَّكَ لَمْ تَلْتَمِسْنِي يَا يَعْقُوبُ، بَلْ سَئِمْتَ مِنِّي يَا إِسْرَائِيلُ. 23لَمْ تَأْتِنِي بِشَاةٍ لِذَبِيحَةِ مُحْرَقَةٍ، وَلَمْ تُكْرِمْنِي بِقَرَابِينِكَ، مَعَ أَنِّي لَمْ أُثَقِّلْ عَلَيْكَ بِتَقْدِمَةٍ، وَلا أَرْهَقْتُكَ بِطَلَبِ اللُّبَانِ. 24لَمْ تَشْتَرِ لِي بَخُوراً ذَكِيَّ الرَّائِحَةِ، وَلَمْ تُشْبِعْنِي بِشَحْمِ ذَبَائِحِكَ. إِنَّمَا أَعْيَيْتَنِي بِثِقْلِ آثَامِكَ وَأَرْهَقْتَنِي بِذُنُوبِكَ. 25أَنَا، أَنَا هُوَ الْمَاحِي ذُنُوبَكَ مِنْ أَجْلِ ذَاتِي، وَخَطَايَاكَ لَنْ أَذْكُرَهَا.
26هَيَّا إِلَى الْمُحَاكَمَةِ، وَاعْرِضْ عَلَيَّ دَعْوَاكَ، لِتَتَبَرَّرَ 27قَدْ أَخْطَأَ أَبُوكَ الأَوَّلُ، وَوُسَطَاؤُكَ عَصَوْا عَلَيَّ، 28لِذَلِكَ أُدَنِّسُ عُظَمَاءَ مَقَادِسِي وَأَقْضِي عَلَى إِسْرَائِيلَ بِالْهَلاكِ وَأَتْرُكُهُ عُرْضَةً لِلْخِزْيِ وَالْعَارِ.
इस्राएल का एकमात्र छुड़ाने वाला
1हे इस्राएल तेरा रचनेवाला और हे याकोब, तुम्हारे सृजनहार याहवेह—
जिन्होंने तुम्हारी रचना की है,
वह याहवेह यों कहते हैं:
“मत डर, क्योंकि मैंने तुम्हें छुड़ा लिया है;
मैंने नाम लेकर तुम्हें बुलाया है; अब तुम मेरे हो गए हो.
2जब तुम गहरे जल से होकर चलोगे,
तुम मुझे अपने पास पाओगे;
जब तुम नदियों से होकर आगे बढ़ोगे,
वे तुम्हें डूबा न सकेंगी.
जब तुम आग में से होकर निकलोगे,
आग तुम्हें झुलसा न सकेगी;
न ही लौ तुम्हें भस्म कर सकेगी.
3क्योंकि मैं ही याहवेह तुम्हारा परमेश्वर हूं,
तुम्हारा छुड़ाने वाला, इस्राएल का पवित्र परमेश्वर हूं;
मैंने मिस्र देश से तुम्हें छुड़ाया है,
कूश एवं सेबा को तुम्हारी संती दी है.
4इसलिये कि तुम मेरी दृष्टि में अनमोल तथा प्रतिष्ठित
और मेरे प्रिय हो,
इस कारण मैं तेरी संती मनुष्यों को,
और तेरे प्राण के बदले में राज्य-राज्य के लोगों को दे दूंगा.
5मत डर, क्योंकि मैं तुम्हारे साथ हूं;
मैं तुम्हारे वंश को पूर्व से ले आऊंगा
तथा तुम्हें पश्चिम में इकट्ठा करूंगा.
6और उत्तर से कहूंगा, ‘वे मुझे दे दो!’
और दक्षिण से की, ‘मत रोके रहो उन्हें.’
दूर से मेरे पुत्रों
और पुत्रियों को ले आओ—
7उन सभी को जो मेरे नाम से जाने जाते हैं,
जिन्हें मैंने अपनी महिमा के लिए सृजा है,
जिसकी रचना मैंने की है.”
8उन्हें बाहर लाओ जिनकी आंखें हैं, लेकिन अंधे हैं,
और कान होते हुए भी बहरे हैं.
9जाति-जाति के लोग एक साथ हो,
और राज्य-राज्य के लोग इकट्ठा हो.
किसी भी मिथ्या देवता ने कभी इन बातों के बारे में कुछ कहा है
और भूतकाल में यह बताया था कि आगे क्या कुछ होगा
तो उन्हें अपने गवाह लाने दो
और उन मिथ्या देवताओं को प्रामाणिक सिद्ध करने दो.
उन्हें सत्य बताने दो और उन्हें सुनो.
इनमें से कौन बीती हुई बातों को बता सकता और सुनकर कहे कि यह सच है?
10याहवेह ने कहा, “तुम मेरे गवाह बनो,”
और वे सेवक जिनको मैंने चुना है,
ताकि तुम मुझे पहचानो, मुझमें विश्वास करो
तथा समझ पाओ कि मैं ही परमेश्वर हूं.
न मुझसे पहले कोई था,
न बाद में कोई हुआ.
11मैं ही याहवेह हूं,
मुझे छोड़ कोई और नहीं है.
12मैं ही हूं जिसने समाचार दिया और उद्धार किया—
तथा वर्णन भी किया, तुम्हारे बीच कोई और देवता नहीं था.
“इसलिये तुम ही मेरे गवाह हो, यह याहवेह की वाणी है.
13मैं ही परमेश्वर हूं तथा आगे भी मैं वही हूं.
कोई और नहीं है जो मेरे हाथों से किसी को छीनकर छुड़ा ले.
कौन है, जो मेरे द्वारा किए गए काम को पलट सके?”
परमेश्वर की करुणा और इस्राएल के अविश्वास
14इस्राएल के पवित्र परमेश्वर याहवेह, जो तुम्हारे उद्धारकर्ता हैं,
उनकी वाणी यह है:
“तुम्हारे कारण मैंने बाबेल पर हमला किया
मैं उन सभी को बंधक बना दूंगा,
और उन्हीं के जहाज़ पर चढ़ाकर ले आऊंगा.
15मैं याहवेह तुम्हारा पवित्र परमेश्वर,
इस्राएल का रचनेवाला, तुम्हारा राजा हूं.”
16याहवेह ने कहा है—
जिन्होंने समुद्र में से मार्ग तैयार किया,
और गहरे जल में से पथ निकालता है.
17वह जो रथों तथा अश्वों,
और सेना को निकाल लाता है,
और शूर योद्धा गिरा दिये जायेंगे,
और फिर उठ न सकेंगे:
18“न तो पुरानी बातों को याद करो;
और न ही अतीत पर विचार करो.
19देखो, मैं एक नई बात करता हूं!
जो अभी प्रकट होगी, क्या तुम उससे अनजान रहोगे?
मैं बंजर भूमि में एक मार्ग बनाऊंगा
और निर्जल देश में नदियां बहाऊंगा.
20मैदान के पशु सियार
तथा शुतुरमुर्ग मेरी महिमा करेंगे,
क्योंकि निर्जन स्थान में नदियां
तथा मरुस्थल में लोगों को पीने के लिए जल मिलेगा,
21वे लोग, जिन्हें मैंने इस उद्देश्य से बनाया है,
कि वे मेरी प्रशंसा करें.
22“याकोब, यह सब होने पर भी तुमने मेरी महिमा नहीं की,
इस्राएल, तुम तो मुझसे थक गए हो.
23होमबलि के लिए अलग की गई भेड़ को तुम मेरे पास नहीं लाए,
अपनी बलि के द्वारा तुमने मेरा आदर नहीं किया.
बलि चढ़ाने के लिए मैंने नहीं कहा
न ही धूप चढ़ाने के लिए मेरी इच्छा तुम पर बोझ बढ़ाने के लिए थी.
24तुमने मेरे लिए सुगंध सामग्री मोल नहीं लिया,
और न तुमने मुझे बलियों की चर्बी चढ़ाई.
इसके बदले तुमने मुझ पर अपने पापों का बोझ ही डाल दिया है
और अधर्म के कामों से मुझे थका दिया है.
25“मैं ही हूं, जो अपने नाम के निमित्त
तुम्हारे पापों को मिटा देता हूं,
तुम्हारे पापों को मैं याद नहीं रखूंगा.
26मुझे याद दिलाओ,
कि हम आपस में बातचीत करें;
तुम अपनी सच्चाई को बताओ जिससे तुम निर्दोष ठहरे.
27तुम्हारे पूर्वजों ने पाप किया;
और जो मेरे और तुम्हारे बीच आए उन्होंने मुझसे बदला लिया.
28इस कारण मैं पवित्र स्थान के शासकों को अपवित्र कर दूंगा;
मैं याकोब को सर्वनाश के लिए
तथा इस्राएल को निंदा के लिए छोड़ दूंगा.