أخبار الأيام الثاني 9 – NAV & HCV

Ketab El Hayat

أخبار الأيام الثاني 9:1-31

زيارة ملكة سبأ

1وَعِنْدَمَا سَمِعَتْ مَلِكَةُ سَبَأَ بِشُهْرَةِ سُلَيْمَانَ قَدِمَتْ إِلَى أُورُشَلِيمَ بِمَوْكِبٍ حَافِلٍ، وَجِمَالٍ مُحَمَّلَةٍ أَطْيَاباً وَذَهَباً وَفِيراً، وَحِجَارَةً كَرِيمَةً، لِتَطْرَحَ عَلَيْهِ أَسْئِلَةً عَسِيرَةً، وَأَسَرَّتْ إِلَيْهِ بِكُلِّ مَا فِي نَفْسِهَا. 2فَأَجَابَهَا سُلَيْمَانُ عَنْ كُلِّ أَسْئِلَتِهَا، وَلَمْ يَخْفَ عَنْهُ شَيْءٌ عَجَزَ عَنْ شَرْحِهِ لَهَا. 3وَلَمَّا رَأَتْ مَلِكَةُ سَبَأَ حِكْمَةَ سُلَيْمَانَ وَشَاهَدَتِ الْقَصْرَ الَّذِي شَيَّدَهُ 4وَمَا يُقَدَّمُ عَلَى مَائِدَتِهِ مِنْ طَعَامٍ، وَمَجْلِسَ رِجَالِ دَوْلَتِهِ، وَمَوْقِفَ خُدَّامِهِ وَمَلابِسَهُمْ، وَسُقَاتَهُ وَثِيَابَهُمْ، وَمُحْرَقَاتِهِ الَّتِي كَانَ يُقَرِّبُهَا فِي بَيْتِ الرَّبِّ، اعْتَرَاهَا الذُّهُولُ الْعَمِيقُ، 5فَقَالَتْ لِلْمَلِكِ: «إِنَّ الأَخْبَارَ الَّتِي بَلَغَتْنِي فِي أَرْضِي عَنْ أُمُورِكَ وَحِكْمَتِكَ هِيَ حَقّاً صَحِيحَةٌ. 6وَلَكِنِّي لَمْ أُصَدِّقْهَا حَتَّى جِئْتُ وَشَاهَدْتُ، فَوَجَدْتُ مَا سَمِعْتُهُ لَا يُجَاوِزُ نِصْفَ مَا تَتَمَتَّعُ بِهِ مِنْ حِكْمَةٍ، فَإِنَّ حِكْمَتَكَ تَتَفَوَّقُ عَلَى مَا سَمِعْتُهُ مِنْ أَخْبَارِكَ. 7فَطُوبَى لِرِجَالِكَ، وَطُوبَى لِخُدَّامِكَ الْمَاثِلِينَ دَائِماً فِي حَضْرَتِكَ السَّامِعِينَ حِكْمَتَكَ. 8وَلْيَتَبَارَكِ الرَّبُّ إِلَهُكَ الَّذِي سُرَّ بِكَ وَأَقَامَكَ مَلِكاً لَهُ. لأَنَّهُ بِفَضْلِ مَحَبَّةِ إِلَهِكَ لِبَنِي إِسْرَائِيلَ جَعَلَكَ مَلِكاً عَلَيْهِمْ لِيَحْفَظَهُمْ إِلَى الأَبَدِ فَتَقْضِيَ بَيْنَهُمْ بِالْعَدْلِ وَالْبِرِّ». 9وَأَهْدَتْهُ مِئَةً وَعِشْرِينَ وَزْنَةً مِنَ الذَّهَبِ (نَحْوَ أَرْبَعَةِ آلافٍ وَثَلاثِ مِئَةٍ وَعِشْرِينَ كِيلُو جِرَاماً) وَأَطْيَاباً كَثِيرَةً وَحِجَارَةً كَرِيمَةً، وَلَمْ يُوْجَدْ مَا يُمَاثِلُ الطِّيبَ الَّذِي أَهْدَتْهُ مَلِكَةُ سَبَأَ لِلْمَلِكِ سُلَيْمَانَ. 10وَكَانَ رِجَالُ الْمَلِكِ حُورَامَ وَرِجَالُ سُلَيْمَانَ قَدْ أَحْضَرُوا ذَهَباً مِنْ أُوفِيرَ، وَجَلَبُوا مَعَهُمْ أَيْضاً خَشَبَ الصَّنْدَلِ وَحِجَارَةً كَرِيمَةً. 11فَاسْتَخْدَمَ الْمَلِكُ خَشَبَ الصَّنْدَلِ فِي صُنْعِ سَلالِمَ لِبَيْتِ الرَّبِّ وَقَصْرِ الْمَلِكِ، كَمَا صَنَعَ مِنْهُ أَعْوَاداً وَقِيثَارَاتٍ، وَلَمْ يَكُنْ لَهَا نَظِيرٌ مِنْ قَبْلُ فِي أَرْضِ يَهُوذَا.

أبهة سليمان وعظمته

12وَأَعْطَى الْمَلِكُ سُلَيْمَانُ مَلِكَةَ سَبَأَ كُلَّ مَا رَغِبَتْ فِيهِ، فَضْلاً عَمَّا أَهْدَاهُ إلَيْهَا مُقَابِلَ الْهَدَايَا الَّتِي حَمَلَتْهَا إِلَيْهِ، ثُمَّ انْصَرَفَتْ هِيَ وَعَبِيدُهَا إِلَى أَرْضِهَا.

13وَكَانَ وَزْنُ الذَّهَبِ الَّذِي حَصَلَ عَلَيْهِ الْمَلِكُ سُلَيْمَانُ فِي سَنَةٍ وَاحِدَةٍ سِتَّ مِئَةٍ وَسِتّاً وَسِتِّينَ وَزْنَةً مِنَ الذَّهَبِ (نَحَوَ ثَلاثَةٍ وَعِشْرِينَ أَلْفاً وَتِسْعِ مِئَةٍ وَسِتَّةٍ وَسِتِّينَ كِيلُو جِرَاماً)، 14بِالإِضَافَةِ إِلَى عَوَائِدِ الضَّرَائِبِ مِنَ التُّجَّارِ، وَمَا كَانَ يُقَدِّمُهُ إِلَيْهِ مُلُوكُ الْعَرَبِ وَوُلاةُ الأَرْضِ مِنْ ذَهَبٍ وَفِضَّةٍ. 15وَصَنَعَ سُلَيْمَانُ مِئَتَيْ تُرْسٍ مِنَ الذَّهَبِ الْمُطْرُوقِ، اسْتَهْلَكَ كُلُّ تُرْسٍ مِنْهَا سِتَّ مِئَةِ شَاقِلٍ مِنَ الذَّهَبِ الْمَطْرُوقِ (نَحْوَ سَبْعَةِ آلافٍ وَمِئَتَيْ جِرَامٍ)، 16وَثَلاثَ مِئَةِ دِرْعٍ ذَهَبِيٍّ، اسْتَهْلَكَ كُلُّ دِرْعٍ مِنْهَا ثَلاثَ مِئَةِ شَاقِلٍ مِنَ الذَّهَبِ (نَحْوَ ثَلاثَةِ آلافٍ وَسِتِّ مِئَةِ جِرَامٍ)، جَعَلَهَا الْمَلِكُ فِي قَصْرِ غَابَةِ لُبْنَانَ. 17وَصَنَعَ الْمَلِكُ عَرْشاً عَظِيماً مِنْ عَاجٍ، غَشَّاهُ بِذَهَبٍ خَالِصٍ. 18وَكَانَ لِلْعَرْشِ سِتُّ دَرَجَاتٍ وَمَوْطِئٌ مِنْ ذَهَبٍ مُتَّصِلٌ بِهِ، وَمَسْنَدَانِ عَلَى جَانِبَيْهِ حَوْلَ مَوْضِعِ الْجُلُوسِ، وَأَسَدَانِ يَقِفَانِ إِلَى جِوَارِ الْمَسْنَدَيْنِ. 19وَأُقِيمَ عَلَى الدَّرَجَاتِ السِّتِّ اثْنَا عَشَرَ أَسَداً، سِتَّةٌ عَلَى كُلِّ جَانِبٍ، فَلَمْ يَكُنْ لِهَذَا الْعَرْشِ نَظِيرٌ فِي كُلِّ الْمَمَالِكِ. 20أَمَّا جَمِيعُ آنِيَةِ شُرْبِ الْمَلِكِ سُلَيْمَانَ وَسَائِرُ آنِيَةِ قَصْرِ غَابَةِ لُبْنَانَ، فَقَدْ كَانَتْ كُلُّهَا مَصْنُوعَةً مِنَ الذَّهَبِ الْخَالِصِ، فَالْفِضَّةُ لَمْ يَكُنْ لَهَا قِيمَةٌ فِي أَيَّامِ سُلَيْمَانَ، 21فَقَدْ كَانَ سُلَيْمَانُ يَمْلِكُ أُسْطُولاً بَحَرِيًّا تِجَارِيًّا يَعْمَلُ بِالْمُشَارَكَةِ مَعَ رِجَالِ حِيرَامَ، فَكَانَ يَبْحُرُ إِلَى تَرْشِيشَ ثُمَّ يَعُودُ مَرَّةً كُلَّ ثَلاثِ سَنَوَاتٍ مُحَمَّلاً بِالذَّهَبِ وَالْفِضَّةِ وَالْعَاجِ وَالْقُرُودِ وَالطَّوَاوِيسِ. 22وَهَكَذَا تَعَاظَمَ شَأْنُ الْمَلِكِ سُلَيْمَانَ عَلَى كُلِّ مُلُوكِ الأَرْضِ مِنْ حَيْثُ الْحِكْمَةِ وَالْغِنَى. 23وَسَعَى جَمِيعُ مُلُوكِ الأَرْضِ لِلْمُثُولِ فِي حَضْرَةِ سُلَيْمَانَ لِيَسْتَمِعُوا إِلَى حِكْمَتِهِ الَّتِي أَوْدَعَهَا اللهُ قَلْبَهُ. 24فَكَانَ كُلُّ وَاحِدٍ يَأْتِي حَامِلاً هَدِيَّتَهُ مِنْ أَوَانٍ فِضِّيَّةٍ أَوْ ذَهَبِيَّةٍ وَحُلَلٍ وَسِلاحٍ وَتَوَابِلَ وَخَيْلٍ وَبِغَالٍ سَنَةً بَعْدَ سَنَةٍ.

25وَكَانَ لِسُلَيْمَانَ أَرْبَعَةُ آلافِ مِذْوَدٍ لِلْخَيْلِ وَلِلْمَرْكَبَاتِ، وَاثْنَا عَشَرَ أَلْفَ فَارِسٍ، فَوَزَّعَهُمْ عَلَى مُدُنِ الْمَرْكَبَاتِ، وَاحْتَفَظَ بِبَعْضٍ مِنْهُمْ مَعَهُ فِي أُورُشَلِيمَ. 26وَقَدْ خَضَعَ لَهُ جَمِيعُ الْمُلُوكِ الْحَاكِمِينَ مِنْ نَهْرِ الْفُرَاتِ إِلَى أَرْضِ الْفِلِسْطِينِيِّينَ حَتَّى تُخُومِ مِصْرَ. 27وَجَعَلَ الْمَلِكُ الْفِضَّةَ فِي أُورُشَلِيمَ كَالْحَصَى لِكَثْرَتِهَا، كَمَا جَعَلَ خَشَبَ الأَرْزِ لِوَفْرَتِهِ لَا يَزِيدُ قِيمَةً عَنْ خَشَبِ الْجُمَّيْزِ الَّذِي فِي السَّهْلِ. 28أَمَّا خَيْلُ سُلَيْمَانَ فَقَدِ اسْتُوْرِدَتْ مِنْ مِصْرَ وَمِنْ جَمِيعِ الأَرَاضِي.

موت سليمان

29أَمَّا بَقِيَّةُ أَخْبَارِ سُلَيْمَانَ مِنْ بِدَايَتِهَا إِلَى نِهَايَتِهَا أَلَيْسَتْ هِي مُدَوَّنَةً فِي تَارِيخِ نَاثَانَ النَّبِيِّ وَفِي نُبُوءَةِ أَخِيَّا الشِّيلُونِيِّ، وَفِي رُؤَى النَّبِيِّ يَعْدُو الْمُخْتَصَّةِ بِحُكْمِ يَرُبْعَامَ بْنِ نَبَاطَ؟ 30وَدَامَ مُلْكُ سُلَيْمَانَ عَلَى إِسْرَائِيلَ فِي أُورُشَلِيمَ أَرْبَعِينَ سَنَةً، 31ثُمَّ مَاتَ وَدُفِنَ مَعَ آبَائِهِ فِي مَدِينَةِ دَاوُدَ أَبِيهِ، وَخَلَفَهُ ابْنُهُ رَحُبْعَامُ عَلَى الْعَرْشِ.

Hindi Contemporary Version

2 इतिहास 9:1-31

शीबा की रानी की भेंट

1जब शीबा देश की रानी ने शलोमोन की कीर्ति के विषय में सुना, वह मुश्किल प्रश्नों के साथ येरूशलेम आई कि शलोमोन को परखे. वह अपने साथ सेवकों का विशाल दल लेकर आई थी. उसके साथ के ऊंटों पर मसाले, बहुत मात्रा में सोना और रत्न थे. जब उसकी भेंट शलोमोन से हुई, उसने शलोमोन के सामने अपने हृदय के सारे विचार प्रकट कर दिए. 2शलोमोन ने उनके सभी सवालों के जवाब दिए; ऐसा कोई भी विषय न था, जो शलोमोन के लिए रहस्य साबित हुआ हो, जिसकी व्याख्या वह न कर सके. 3जब शीबा की रानी शलोमोन की बुद्धिमानी को परख चुकीं—उनके द्वारा बनाया भवन, 4उनकी मेज़ का भोजन, अधिकारियों की बैठने की व्यवस्था, उनके सेवकों द्वारा की जा रही सेवा, उनके कपड़े, उनके दाखमधु परोसने वाले और उनकी वेशभूषा, और वह सीढ़ीनुमा रास्ता, जिसे वह याहवेह के भवन को जाया करते थे; देखा, वह हैरान रह गई.

5उसने राजा से कहा, “आपके विषय में और आपकी बुद्धि के बारे में अपने देश में मैंने जो कुछ सुन रखा था, वह सच है. 6मैंने उस सुनी हुई सूचना का विश्वास ही नहीं किया था, जब तक मैंने यहां आकर यह सब खुद अपनी आंखों से न देख लिया. सच तो यह है कि जो ख़बर मुझे वहां दी गई थी, वह आपकी बुद्धिमानी के सामने आधी भी नहीं थी. आप उस ख़बर से कहीं ज्यादा हैं. 7कैसे सुखी हैं आपके लोग और कैसे सुखी हैं आपके ये सेवक, जो सदा आपके सामने रहते हैं और आपकी बुद्धिमानी की बातें सुनते रहते हैं! 8धन्य हैं याहवेह, आपके परमेश्वर जिनकी आप में खुशी है और जिन्होंने आपको अपने सिंहासन पर याहवेह आपके परमेश्वर के राजा के रूप में बैठाया है. यह इसलिये कि इस्राएल पर आपके परमेश्वर का प्रेम बना है और उनकी इच्छा यह है कि उन्हें हमेशा के लिए स्थिर करें. इसी इच्छा से उन्होंने आपको उनका राजा बनाया है कि आप न्याय और धर्म से शासन कर सकें.”

9शीबा की रानी ने राजा को लगभग चार हज़ार किलो सोना, बहुत मात्रा में मसाले और कीमती रत्न भेंट में दिए. जो मसाले शीबा की रानी ने राजा शलोमोन को भेंट में दिए थे, वैसे मसाले इसके पहले कभी देखे नहीं गए थे.

10(इसके अलावा हीराम के सेवक और शलोमोन के सेवक, जो ओफीर से लाए थे, अपने साथ इसके अलावा चन्दन की लकड़ी और कीमती रत्न भी लाए थे. 11चन्दन की लकड़ी से राजा ने याहवेह के भवन और राजमहल के चबूतरे बनवाए और इन्हीं से राजा ने गायकों के गाने के लिए वीणाएं और सारंगी नामक वाद्य-यंत्रों को भी बनवाया. यहूदिया राज्य में इसके पहले ऐसा कभी देखा न गया था.)

12इसी समय राजा शलोमोन ने शीबा की रानी द्वारा बताई गई उसकी हर एक इच्छा पूरी की, वह सब, जिसकी उसने विनती की. यह सब उस भेंट से बढ़कर था, जो उसने राजा शलोमोन को दी थी. तब वह अपने सेवकों के साथ अपने देश को लौट गई.

शलोमोन की समृद्धि और ऐश्वर्य

13शलोमोन को हर साल लगभग बाईस हज़ार किलो सोना मिलता था. 14वह सब उस सोने और चांदी से अलग था, जो शलोमोन को व्यवसायियों और व्यापारियों, अरेबिया के राजाओं और देश के राज्यपालों द्वारा दिया जाता था.

15राजा शलोमोन ने पीटे हुए सोने की 200 विशाल ढालों को बनवाया. हर एक ढाल में लगभग सात किलो सोना लगाया गया था. 16शलोमोन ने पीटे हुए सोने से 300 ढालों को भी बनवाया. हर एक ढाल में लगभग साढ़े तीन किलो सोना लगाया गया था. इन सभी को राजा ने लबानोन के बंजर भूमि के भवन में रखाव दिया.

17राजा ने हाथी-दांत का एक सिंहासन भी बनवाया और उसे शुद्ध सोने से मढ़ दिया. 18इस सिंहासन की छः सीढ़ियां थी और सोने की बनी पैर रखने की चौकी, जो सिंहासन ही से जुड़ी थी. सिंहासन के दोनों ओर दो हत्थे थे और उन्हीं से लगकर दोनों ओर खड़े हुए शेर गढ़े गए थे. 19हर एक सीढ़ी के दोनों ओर खड़े हुए शेर गढ़े गए थे, कुल मिलाकर बारह शेर थे. इसके समान सिंहासन और किसी राज्य में नहीं बनवाया गया था. 20राजा शलोमोन के पीने के सारे बर्तन सोने के थे. लबानोन वन भवन में इस्तेमाल किए जानेवाले बर्तन शुद्ध सोने के थे. चांदी कहीं भी इस्तेमाल नहीं हुई थी क्योंकि शलोमोन के शासनकाल में चांदी की कोई कीमत ही न थी. 21राजा शलोमोन का तरशीश के सागर में राजा हीराम9:21 हीराम इब्री भाषा में हूरम के साथ जहाजों का एक समूह था. हर तीन साल में तरशीश के जहाज़ वहां सोना, चांदी, हाथी-दांत, बन्दर और मोर लेकर आते थे.

22इस प्रकार राजा शलोमोन पृथ्वी के सभी राजाओं से धन और बुद्धि में बहुत बढ़कर थे. 23पृथ्वी के सभी राजा परमेश्वर द्वारा शलोमोन के मन में दिए गए बुद्धि के वचनों को सुनने के लिए उनके सामने आने के इच्छुक रहते थे. 24हर साल सभी देखनेवाले अपने साथ चांदी और सोने की वस्तुएं, कपड़े, हथियार, मसाले, घोड़े और खच्चर भेंट देने के लिए लाया करते थे.

25घोड़ों और रथों के लिए शलोमोन की चार हज़ार घुड़शालाएं थी. उनके बारह हज़ार घुड़सवार थे, जिन्हें उन्होंने रथों के लिए बनाए गए नगरों में रखा हुआ था. इनमें से कुछ को उन्होंने अपने पास येरूशलेम में रखा था. 26शलोमोन का अधिकार फरात नदी से लेकर फिलिस्तीनियों के देश और मिस्र देश की सीमा तक के सभी राजाओं के ऊपर था. 27राजा द्वारा येरूशलेम में चांदी का मूल्य वैसा ही कर दिया गया था, जैसा पत्थरों का होता है और देवदार की लकड़ी का ऐसा जैसे तराई के गूलर के पेड़ों का. 28शलोमोन घोड़ों का आयात मिस्र देश के अलावा दूसरे देशों से भी करते थे.

शलोमोन की मृत्यु

29शलोमोन द्वारा बाकी कामों का ब्यौरा पहले से आखिरी तक, भविष्यद्वक्ता नाथान की किताब में, शीलोनवासी अहीयाह की भविष्यवाणी में और दर्शी इद्दो के दर्शनों में, जो नेबाथ के पुत्र यरोबोअम के संबंध में हैं, दिया गया है. 30सारे इस्राएल पर शलोमोन ने येरूशलेम में चालीस साल राज किया. 31शलोमोन अपने पूर्वजों के साथ हमेशा के लिए सो गए. उनका अंतिम संस्कार उनके पिता दावीद के नगर में किया गया. उनके स्थान पर उनका पुत्र रिहोबोयाम राजा बना.