2 ዜና መዋዕል 31 – NASV & HCV

New Amharic Standard Version

2 ዜና መዋዕል 31:1-21

1ይህ ሁሉ ከተፈጸመ በኋላ፣ በዚያ የነበሩት እስራኤላውያን ወደ ይሁዳ ከተሞች ወጥተው፣ የማምለኪያ ድንጋዮችን ሰባበሩ፤ የአሼራን ምስል ዐምዶች ቈረጡ፤ እንዲሁም በመላው ይሁዳና በብንያም፣ በኤፍሬምና በምናሴ የነበሩትን የኰረብታ መስገጃዎችና መሠዊያዎች አጠፉ፤ እስራኤላውያን እነዚህን ሁሉ ካጠፉ በኋላ ወደየከተሞቻቸውና ወደየርስታቸው ተመለሱ።

ለካህናት የተደረገ ስጦታ

31፥20-21 ተጓ ምብ – 1ነገ 18፥5-7

2ሕዝቅያስ ካህናቱና ሌዋውያኑ የሚቃጠል መሥዋዕትና የኅብረት መሥዋዕት31፥2 በትውፊት፣ የሰላም መሥዋዕት ይባላል። እንዲያቀርቡ፣ እንዲያገለግሉና እንዲያመሰግኑ እንዲሁም በእግዚአብሔር ማደሪያ ደጆች ውዳሴውን እንዲዘምሩ፣ ካህናትንም ሆኑ ሌዋውያንን እያንዳንዳቸውን እንደየተግባራቸው በየክፍሉ መደባቸው። 3በእግዚአብሔር ሕግ እንደ ተጻፈው ንጉሡ ጧትና ማታ እንደዚሁም በየሰንበቱ፣ በየወሩ መባቻውና በተወሰኑ በዓላት፣ የሚቃጠለውን መሥዋዕት ከራሱ ንብረት ሰጠ። 4ካህናቱና ሌዋውያኑም ሙሉ ጊዜያቸውን ለእግዚአብሔር ሕግ አገልግሎት ማዋል ይችሉ ዘንድ፣ በኢየሩሳሌም የሚኖረው ሕዝብ ተገቢውን ድርሻ እንዲሰጣቸው አዘዘ። 5ትእዛዙ እንደ ወጣ እስራኤላውያን ወዲያውኑ የእህሉንና የአዲሱን ወይን ጠጅ፣ የዘይቱንና የማሩን እንዲሁም የዕርሻውን ፍሬ ሁሉ በኵራት በልግስና ሰጡ፤ ካላቸው ከማንኛውም ነገር ሁሉ ላይ እጅግ ብዙ የሆነ ዐሥራት አውጥተው አመጡ። 6በይሁዳ ከተሞች ይኖሩ የነበሩት የእስራኤልና የይሁዳ ሰዎችም ከከብቶቻቸው፣ ከበግና ከፍየል መንጎቻቸውና ለአምላካቸው ለእግዚአብሔር ከለዩአቸው የተቀደሱ ነገሮች ዐሥራት አውጥተው አመጡ፤ ከመሩትም። 7ይህንም በሦስተኛው ወር ጀምረው፣ በሰባተኛው ወር አጠናቀቁ። 8ሕዝቅያስና ሹማምቱም መጥተው ክምሩን ባዩ ጊዜ፣ እግዚአብሔርን አመሰገኑ፤ ሕዝቡን እስራኤልንም ባረኩ።

9ሕዝቅያስም ካህናቱንና ሌዋውያኑን ስለ ክምሩ ጠየቃቸው፤ 10ከሳዶቅ ቤተ ሰብ የሆነው ሊቀ ካህናቱ ዓዛርያስም፣ “ሕዝቡ ስጦታውን ወደ እግዚአብሔር ቤተ መቅደስ ማምጣት ከጀመረበት ጊዜ አንሥቶ፣ በቂ ምግብ አግኝተናል፤ ብዙም ተርፎናል፤ እግዚአብሔር ሕዝቡን ስለባረከም ይህን ያህል ብዛት ያለው ሊተርፍ ችሏል” አለ።

11ሕዝቅያስም በእግዚአብሔር ቤተ መቅደስ ውስጥ ጎተራ እንዲያዘጋጁ አዘዛቸው፤ እነርሱም አዘጋጁ። 12ከዚያም ስጦታውን፣ ዐሥራቱንና የተቀደሱ ስጦታዎቹን በታማኝነት አምጥተው አስገቡ። ሌዋዊው ኮናንያ የእነዚሁ ዕቃዎች ኀላፊ ሲሆን፣ ወንድሙ ስሜኢ ደግሞ በማዕረግ ሁለተኛ ነበር። 13ይሒዒል፣ ዓዛዝያ፣ ናሖት፣ አሣሄል፣ ይሬሞት፣ ዮዛባት፣ ኤሊኤል፣ ሰማኪያ፣ መሐትና በናያስ በንጉሡ ሕዝቅያስና በእግዚአብሔር ቤት ኀላፊ በዓዛርያስ ተሹመው በኮናንያና በወንድሙ በሰሜኢ ሥር ሆነው ተቈጣጣሪዎች ነበሩ።

14የምሥራቁ በር ጠባቂ የሆነው የሌዋዊው የይምና ልጅ ቆሬ ደግሞ በበጎ ፈቃድ ለእግዚአብሔር በቀረበው ስጦታ ላይ የእግዚአብሔርን መባና የተቀደሱትንም ነገሮች ለማከፋፈል፣ ኀላፊ ነበረ። 15ዔድን፣ ሚንያሚን፣ ኢያሱ፣ ሸማያ፣ አማርያና ሴኬንያ በካህናቱ ከተሞች ተገኝተው፣ ለካህናት ወገኖቻቸው ለታላላቆቹም ሆነ ለታናናሾቹ፣ እንደየምድባቸው፣ በማከፋፈሉ ረገድ በታማኝነት ረዱት።

16በተጨማሪም፣ ስማቸው በትውልድ መዝገቡ ውስጥ የነበረና የየዕለት ልዩ ልዩ ተግባራቸውን እንደየኀላፊነታቸው መጠንና እንደየምድብ ሥራቸው ለማከናወን ወደ እግዚአብሔር ቤተ መቅደስ መግባት ለሚችሉት፣ ዕድሜያቸው ሦስት ዓመትና ከዚያም በላይ ለሆናቸው ወንዶች ልጆች እንደዚሁ አከፋፈሉ። 17በትውልድ መዝገብ በየቤተ ሰባቸው ተቈጥረው ለገቡት ካህናት፣ ዕድሜያቸው ሃያ ዓመትና ከዚያም በላይ ለሆናቸው ሌዋውያን እንደየኀላፊነታቸው መጠንና እንደየምድብ ሥራቸው አካፈሏቸው። 18በዚህ የትውልድ መዝገብ ላይ የተዘረዘሩትን መላውን የማኅበረ ሰቡን ሕፃናት፣ ሚስቶችን፣ ወንዶችና ሴቶች ልጆችን ጨመሯቸው፤ ራሳቸውን በመቀደስ ታማኞች ነበሩና።

19በከተሞቻቸው ዙሪያ ባሉት የዕርሻ ቦታዎች፣ ወይም በሌሎች ከተሞች ሁሉ ለሚኖሩት ለካህናቱ ለአሮን ዘሮች፣ በመካከላቸው ላሉት ወንዶችና በሌዋውያን የትውልድ መዝገብ ለተመዘገቡት ሁሉ እንዲያከፋፍሉ በየስማቸው የተጻፉ ሰዎች ነበሩ።

20ሕዝቅያስ በአምላኩ በእግዚአብሔር ፊት መልካም፣ ቅንና ታማኝ ሆኖ በመገኘት በመላው ይሁዳ የፈጸመው ተግባር ይህ ነው። 21የእግዚአብሔርን ቤተ መቅደስ በማገልገልም ሆነ፣ ለእግዚአብሔር ሕግና ትእዛዝ በመገዛት አንጻር ያደረገውን ሁሉ በፍጹም ልቡ አምላኩን በመፈለግ አከናወነ፤ ተሳካለትም።

Hindi Contemporary Version

2 इतिहास 31:1-21

1यह सब होने के बाद वहां उपस्थित इस्राएल के सारे वंशज यहूदिया के नगरों में जा पहुंचे और वहां उन्होंने पूजा की जगह हटा दीं, पूजा के खंभे तोड़ दिए और अशेराह के खंभे भी ध्वस्त कर दिए, जो यहूदिया, बिन्यामिन, एफ्राईम और मनश्शेह प्रदेश में बनाई गई थी. उन्होंने हर एक वेदी ढाह दी, एक भी बाकी न रही. यह करके सभी इस्राएल वंशज अपने-अपने नगर, अपनी स्वयं की भूमि पर लौट गए.

आराधना के लिए भेंट

2राजा हिज़किय्याह ने पुरोहितों और लेवियों के संगठन को व्यवस्थित किया. इनके अंतर्गत हर एक के लिए ज़िम्मेदारियां तय कर दी गईं. इन ज़िम्मेदारियों में शामिल था होमबलि चढ़ाना, मेल बलि चढ़ाना, सेवा करना, याहवेह के प्रति धन्यवाद करना, याहवेह की छावनी के द्वार में उनकी स्तुति करना. 3राजा ने यह भी तय किया कि उसकी संपत्ति में से होमबलि के लिए कितना भाग दिया जाएगा यानी सुबह और शाम की होमबलि और शब्बाथ के लिए, नए चांद के लिए और निश्चित उत्सवों के लिए, जैसा याहवेह की व्यवस्था में लिखा है. 4उसने येरूशलेम वासियों को आदेश दिया कि वे पुरोहितों और लेवियों के लिए निर्धारित अंश दिया करें कि पुरोहित और लेवी याहवेह की व्यवस्था पर अपना ध्यान लगा सकें. 5जैसे ही यह आदेश दिया गया, इस्राएल के वंशज भारी मात्रा में अन्‍न की पहली उपज, नया अंगूर का रस, तेल, शहद और खेतों की उपज लेकर आने लगे. इसके अलावा वे बड़ी मात्रा में इन सबका दसवां अंश भी लाने लगे. 6इस्राएल और यहूदाह के वे वंशज, जो यहूदिया के नगरों में रह रहे थे, उन्होंने तो बछड़ों और भेड़ों में से भी दसवां अंश भेंट किया और याहवेह उनके परमेश्वर के लिए अलग की गई भेंटे लेकर आए इन्हें एक ढेर के रूप में वहां इकट्ठा कर दिया. 7तीसरे महीने में इनका ढेर लगाना शुरू हुआ और इसका अंत सातवें महीने में ही हो सका. 8जब हिज़किय्याह और शासकों ने आकर इन ढेरों को देखा, उन्होंने याहवेह की स्तुति की और उनकी प्रजा इस्राएल की प्रशंसा की.

9तब हिज़किय्याह ने पुरोहितों और लेवियों से इन ढेरों का कारण जानना चाहा; 10सादोक परिवार से प्रमुख पुरोहित अज़रियाह ने राजा को उत्तर दिया, “जब से याहवेह के भवन में भेंटें लाने लगे हैं, हमारे लिए भोजन की सामग्री बहुत हो गई है. यह सब बचा हुआ है क्योंकि याहवेह ने अपनी प्रजा को आशीष दी है; इतनी, कि बचे हुए भाग की यह बड़ी मात्रा रह गई है.”

11तब हिज़किय्याह ने आदेश दिया कि इसके लिए याहवेह के भवन परिसर में कुछ कमरे तैयार किए जाएं. तब कक्ष तैयार किए गए. 12प्रजा बड़ी विश्वासयोग्यता से दान, दसवां अंश और पवित्र वस्तुएं लेकर आती थी. इनका अधिकारी था लेवी केनानियाह और उसका सहायक था उसका भाई शिमेई. 13केनानियाह और उसके भाई को राजा ने चुना था. इनके अधिकार में ये अधिकारी थे येहिएल, अज़रियाह, नाहाथ, आसाहेल, येरीमोथ, योज़ाबाद, एलिएल, इसमाखियाह, माहाथ और बेनाइयाह. अज़रियाह परमेश्वर के भवन का प्रधान अधिकारी था.

14पूर्वी द्वार का द्वारपाल इमनाह का पुत्र लेवी कोरे परमेश्वर को चढ़ाई गई स्वेच्छा भेंटों का अधिकारी था, कि वह पवित्र वस्तुओं और याहवेह को दी गई भेंटों को बांटें. 15उसके सहायक थे एदेन, मिनियामिन, येशुआ, शेमायाह, अमरियाह और शेकानियाह. इन्हें काम करना होता था. पुरोहितों के नगरों में और इनका काम था अपने भाई-बंधुओं में पूरी विश्वासयोग्यता में सामान्य या विशेष में उनके दल के अनुसार उनके लिए ठहराया गया भाग बांट देना.

16इसके अलावा, वे उन पुरुषों को, जिनकी उम्र तीन साल या इससे अधिक थी, जिनके नाम वंशावली में लिखे थे, वे सभी, जो अपने विभिन्‍न दैनिक कार्य करने के लिए अपने दल के अंतर्गत अपनी-अपनी ज़िम्मेदारियों के अनुसार याहवेह के भवन में प्रवेश किया करते थे, उनका भाग बांट देते थे. 17पुरोहितों का नामांकन उनके कुलों के आधार पर और लेवियों का उनकी ज़िम्मेदारियों के आधार पर और उनके दलों के आधार पर उनका, जो बीस साल से अधिक उम्र के थे. 18वंशावली में सभी शामिल किए गए थे. सभी संतान, पत्नी, पुत्र एवं पुत्रियां. सारी सभा का नामांकन किया गया था क्योंकि हर एक ने अपने को पूरी सच्चाई से शुद्ध किया था.

19अहरोन के वंशज उन पुरोहितों के लिए भी, जो अपने-अपने नगरों में निवास कर रहे थे अथवा जो किसी भी नगर में निवास कर रहे थे, वे व्यक्ति नामित कर दिए गए थे, जो इन पुरोहितों को और वंशावली में शामिल लेवियों को उनके लिए निर्धारित अंश बांटा करेंगे.

20हिज़किय्याह ने संपूर्ण यहूदिया में यही प्रणाली लागू कर दी. उसने वही सब किया, जो याहवेह, उसके परमेश्वर की दृष्टि में भला, ठीक और सच्चा था. 21हर एक काम, जो उसने व्यवस्था और आदेशों के अनुसार परमेश्वर के भवन के हित में किया, जिसमें उसने परमेश्वर की इच्छा मालूम की, उसने सभी कुछ अपने पूरे मन से ही किया और हमेशा ही समृद्ध होता गया.