2 ሳሙኤል 2 – NASV & HCV

New Amharic Standard Version

2 ሳሙኤል 2:1-32

ዳዊት የይሁዳ ንጉሥ ሆነ

1ከዚህ በኋላ ዳዊት፣ “ከይሁዳ ከተሞች ወደ አንዲቱ ልውጣን?” ብሎ እግዚአብሔርን ጠየቀ።

እግዚአብሔርም፣ “አዎን ውጣ” አለው።

ዳዊትም፣ “ወደ የትኛዪቱ ልሂድ?” ሲል ጠየቀ።

እግዚአብሔርም፣ “ወደ ኬብሮን” ብሎ መለሰለት።

2ስለዚህ ዳዊት ከሁለቱ ሚስቶቹ ከኢይዝራኤላዊቷ ከአኪናሆምና የቀርሜሎሳዊው የናባል ሚስት ከነበረችው ከአቢግያ ጋር ወደዚያ ወጣ። 3እንዲሁም ዳዊት አብረውት የነበሩትን ሰዎች ከነቤተ ሰቦቻቸው አመጣቸው፤ እነርሱም በኬብሮን ከተሞች ተቀመጡ። 4የይሁዳም ሰዎች ወደ ኬብሮን መጡ፤ በዚያም ዳዊትን ቀብተው በይሁዳ ቤት ላይ አነገሡት።

ሳኦልን የቀበሩት የኢያቢስ ገለዓድ ሰዎች መሆናቸውን ለዳዊት በነገሩት ጊዜ፣ 5እርሱም የኢያቢስ ገለዓድ ሰዎች ይህን እንዲነግሩ መልእክተኞች ላከ፤ “በእንዲህ ዐይነት ሁኔታ ጌታችሁን ሳኦልን በመቅበር በጎነት አሳይታችኋልና እግዚአብሔር ይባርካችሁ፤ 6አሁንም እግዚአብሔር ጽኑ ፍቅሩንና ታማኝነቱን ይግለጥላችሁ፤ እናንተ ይህን ስላደረጋችሁ፣ እኔም እንደዚሁ በጎ ነገር አደርግላችኋለሁ፤ 7እንግዲህ ጠንክሩ፤ በርቱ፤ ጌታችሁ ሳኦል ሞቷልና፤ የይሁዳ ቤትም እኔን ቀብተው በላያቸው አንግሠውኛል።”

በዳዊት ቤትና በሳኦል ቤት መካከል የተደረገ ጦርነት

3፥2-5 ተጓ ምብ – 1ዜና 3፥1-4

8በዚህ ጊዜ የሳኦል ሰራዊት አዛዥ የኔር ልጅ አበኔር፣ የሳኦልን ልጅ ኢያቡስቴን ወስዶ ወደ መሃናይም አሻገረው፤ 9እርሱንም በገለዓድ፣ በአሴር፣ በኢይዝራኤል፣ በኤፍሬምና በብንያም እንዲሁም በእስራኤል ሁሉ ላይ አነገሠው።

10የሳኦል ልጅ ኢያቡስቴ በእስራኤል ላይ በነገሠ ጊዜ ዕድሜው አርባ ዓመት ነበረ፤ ሁለት ዓመትም ገዛ። የይሁዳ ቤት ግን ዳዊትን ተከተለ። 11ዳዊት በኬብሮን ንጉሥ ሆኖ እስራኤልን የገዛው ሰባት ዓመት ከስድስት ወር ነበረ።

12የኔር ልጅ አበኔር፣ ከሳኦል ልጅ ከኢያቡስቴ አገልጋዮች ጋር ሆኖ ከመሃናይም ተነሥተው ወደ ገባዖን ሄዱ። 13እነርሱንም የጽሩያ ልጅ ኢዮአብና የዳዊት ሰዎች ወጥተው በገባዖን ኵሬ አጠገብ ተገናኟቸው፤ አንዱ ወገን በኵሬው ወዲህ ማዶ፣ ሌላው ወገን ደግሞ በኵሬው ወዲያ ማዶ ተቀመጠ።

14ከዚያም አበኔር፣ ኢዮአብን፣ “ከእናንተም ከእኛም ጕልማሶች ይነሡና በፊታችን በጨበጣ ውጊያ ይጋጠሙ” አለው።

ኢዮአብም፣ “ይሁን እሺ ይጋጠሙ” ብሎ መለሰ።

15ስለዚህ ከብንያም ለሳኦል ልጅ ለኢያቡስቴ ዐሥራ ሁለት፣ ለዳዊት ደግሞ ዐሥራ ሁለት ሰዎች ተነሥተው ተቈጠሩ። 16ከዚያም እያንዳንዱ ሰው የባለጋራውን ራስ በመያዝ ሰይፉን በጐኑ እየሻጠበት ተያይዘው ወደቁ። ስለዚህም በገባዖን የሚገኘው ያ ቦታ “የሰይፍ ምድር”2፥16 ዕብራይስጡ፤ ሔልቃዝ ሀዙሪም ይባላል፤ ትርጕሙም፣ የመሻሻጥ ምድር ወይም የጥላቻ ምድር ማለት ነው። ተባለ።

17የዚያን ዕለቱ ጦርነት እጅግ ከባድ ነበር፤ አበኔርና የእስራኤል ሰዎች በዳዊት ሰዎች ድል ሆኑ።

18ሦስቱ የጽሩያ ወንዶች ልጆች ኢዮአብ፣ አቢሳና አሣሄል እዚያው ነበሩ። አሣሄል እንደ ዱር ሚዳቋ በሩጫ ፈጣን ነበረ፤ 19ወደ ቀኝ ወይም ወደ ግራ ሳይል አበኔርን ተከታተለው። 20አበኔርም ወደ ኋላው ዘወር ብሎ በመመልከት፣ “አሣሄል! አንተ ነህ?” ሲል ጠየቀው።

እርሱም፣ “አዎን እኔ ነኝ” ብሎ መለሰለት።

21ከዚያም አበኔር፣ “ወደ ቀኝህ ወይም ወደ ግራህ ዘወር በልና አንዱን ጕልማሳ ይዘህ መሣሪያውን ንጠቀው” አለው። አሣሄል ግን እርሱን መከታተሉን አልተወም ነበር።

22እንደ ገናም አበኔር፣ “እኔን መከታተል ብትተው ይሻልሃል፤ እኔስ ለምን ከመሬት ጋር ላጣብቅህ? ከዚያስ የወንድምህን የኢዮአብን ፊት ቀና ብዬ እንዴት አያለሁ?” አለው።

23አሣሄል ግን መከታተሉን አልተወም፤ ስለዚህ አበኔር በጦሩ ጫፍ ሆዱን ወጋው፣ ጦሩም በጀርባው ዘልቆ ወጣ፤ አሣሄልም እዚያው ወደቀ፤ ወዲያው ሞተ። እያንዳንዱም አሣሄል ወድቆ ወደ ሞተበት ስፍራ ሲደርስ ይቆም ነበር።

24ኢዮአብና አቢሳ ግን አበኔርን ተከታተሉት፤ እያሳደዱም ወደ ገባዖን ምድረ በዳ በሚወስደው መንገድ ከጋይ አጠገብ ወዳለው ወደ አማ ኰረብታ ሲደርሱ ፀሓይ ጠለቀች። 25ከዚያም የብንያም ሰዎች ወደ አበኔር ተሰብስበው ግንባር በመፍጠር በኰረብታው ጫፍ ላይ ተሰለፉ።

26አበኔር ኢዮአብን ጠርቶ፣ “ይህ ሰይፍ ዘላለም ማጥፋት አለበትን? ውጤቱ መራራ መሆኑን አንተስ ሳታውቀው ቀርተህ ነውን? ሰዎችህ ወንድሞቻቸውን ማሳደዱን እንዲያቆሙ ትእዛዝ የማትሰጣቸውስ እስከ መቼ ድረስ ነው?” አለው።

27ኢዮአብም፣ “ሕያው እግዚአብሔርን! ይህን ባትናገር ኖሮ፣ ሰዎቹ እስኪነጋ ድረስ ወንድሞቻቸውን ማሳደዱን ባላቆሙም ነበር”2፥27 ወይም፣ በዚህ ማለዳ ይህን ብትናገር ኖሮ ሰዎቹ ወንድሞቻቸውን ማሳደዱን ባቆሙ ነበር ወይም፣ ይህን ብትናገር ኖሮ ሰዎቹ እስኪነጋ ድረስ ወንድሞቻቸውን ማሳደዱን ባቆሙ ነበር ብሎ መለሰ።

28ስለዚህ ኢዮአብ ቀንደ መለከቱን ነፋ፤ ከዚያም በኋላ ሰዎቹ በሙሉ እስራኤልን ማሳደዱን ተው፤ ውጊያውም በዚሁ አበቃ።

29አበኔርና ሰዎቹም ሌሊቱን ዓረባን ዐልፈው ሄዱ፤ ከዚያም ዮርዳኖስን በመሻገር ቢትሮንን2፥29 ወይም ማለዳ ወይም ሸለቆ የዕብራይስጡ ቃል ትርጕም በትክክል አይታወቅም። ሁሉ ዐልፈው ወደ መሃናይም መጡ።

30ከዚያም ኢዮአብ አበኔርን ማሳደዱን ትቶ ተመለሰ፤ ሰዎቹንም ሁሉ አንድ ላይ በሰበሰባቸው ጊዜ፣ ከዳዊት ሰዎች አሣሄልን ሳይጨምር፣ ዐሥራ ዘጠኝ ሰዎች መጥፋታቸው ታወቀ። 31የዳዊት ሰዎች ግን ከአበኔር ጋር ከነበሩት ሦስት መቶ ስድሳ ብንያማውያን ገደሉ። 32አሣሄልንም ከወደቀበት አንሥተው በቤተ ልሔም በአባቱ መቃብር ቀበሩት። ከዚያም ኢዮአብና ሰዎቹ ሌሊቱን ሁሉ ሲገሠግሡ ዐድረው፣ ሲነጋ ኬብሮን ደረሱ።

Hindi Contemporary Version

2 शमुएल 2:1-32

दावीद का यहूदिया के राजा के रूप में अभिषेक

1इसके बाद दावीद ने याहवेह से यह पूछा, “क्या यहूदिया के किसी नगर को मेरा जाना सही होगा?”

याहवेह ने उन्हें उत्तर दिया, “हां.”

दावीद ने पूछा, “कौन सा नगर उपयुक्त होगा?”

“हेब्रोन,” याहवेह ने उत्तर दिया.

2तब दावीद वहां चले गए. उनके साथ उनकी दोनों पत्नियां, येज़्रील की अहीनोअम और कर्मेलवासी नाबाल की विधवा अबीगइल भी थी. 3तब दावीद अपने साथियों के साथ जाकर हेब्रोन में बस गए. हर एक के साथ उसका घर-परिवार भी था. 4यहूदिया प्रदेश के वासियों ने आकर यहूदाह गोत्र के लिए दावीद का राजाभिषेक किया.

जब दावीद को यह सूचित किया गया कि शाऊल की अंत्येष्टि याबेश-गिलआदवासियों के द्वारा की गई थी, 5दावीद ने याबेश-गिलआदवासियो को अपने संदेशवाहकों द्वारा यह संदेश प्रेषित किया, “आप पर याहवेह की विशेष कृपादृष्टि बने रहे, क्योंकि आपने अपने स्वामी शाऊल के प्रति निष्ठा प्रदर्शित करते हुए उनकी अंत्येष्टि की है. 6आप पर याहवेह का निर्जर प्रेम और उनकी सत्यनिष्ठा बने रहे. तुम्हारे इस सद्भाव के लिए स्वयं मैं तुम पर दया प्रदर्शित करूंगा. 7अब जबकि तुम्हारे स्वामी शाऊल की मृत्यु हो चुकी है, और यहूदाह गोत्र ने मेरा राजाभिषेक किया है, तुम्हारी भुजाएं बलशाली बनी रहे, और तुममें शौर्य कम न होने पाए.”

इस्राएल राज्य के लिए इश-बोशेथ की प्रतिष्ठा

8मगर दूसरी ओर नेर के पुत्र अबनेर ने, जो शाऊल की सेना के सेनापति था, शाऊल के पुत्र इश-बोशेथ को माहानाईम नगर ले जाकर 9उसे गिलआद, अश्शूरवासियों, येज़्रील, एफ्राईम, बिन्यामिन और संपूर्ण इस्राएल के ऊपर राजा के रूप में प्रतिष्ठित कर दिया.

10इस्राएल पर शासन प्रारंभ करते समय इश-बोशेथ की अवस्था चालीस वर्ष की थी. उसका शासनकाल दो वर्ष का था. मगर यहूदाह गोत्र दावीद के वफादार बना रहे. 11हेब्रोन में यहूदाह गोत्र के ऊपर दावीद का शासनकाल सात वर्ष छः महीने का था.

12इस समय नेर के पुत्र अबनेर, शाऊल के पुत्र इश-बोशेथ के सेवकों को लेकर माहानाईम से गिबयोन को चले गए. 13दूसरी ओर ज़ेरुइयाह के पुत्र योआब के सेवकों की भेंट उनसे गिबयोन ताल के निकट हुई. दोनों समूह तल के एक-एक ओर बैठ गए.

14अबनेर ने योआब से कहा, “हमारे ये युवा आगे बढ़ें और हमारे सामने इनकी स्पर्धा हो जाए.”

योआब सहमत हो गए, “ठीक है, वे आगे बढ़े.”

15तब युवा आगे आते गए और उनकी गणना की जाती रही. शाऊल के पुत्र इश-बोशेथ और बिन्यामिन के पक्ष से बारह और दावीद के पक्ष से भी बारह युवक सामने आए. 16हर एक ने अपने प्रतिद्वंदी का सिर पकड़ा और अपने प्रतिद्वंदी की पसली में तलवार झोंक दी. परिणामस्वरूप वे एक साथ ही धराशायी हुए, इसके कारण गिबयोन नगर में उस स्थान का नाम हेलकाथ-हज़्जूरिम2:16 हेलकाथ-हज़्जूरिम अर्थात् तलवार की धार का मैदान अथवा पसलियों का मैदान पड़ गया.

17उस दिन युद्ध ने अत्यंत रौद्र रूप ले लिया, और दावीद के युवकों द्वारा अबनेर और इस्राएल के युवक हरा दिए गए.

18ज़ेरुइयाह के तीनों पुत्र इस समूह में शामिल थे: योआब, अबीशाई और आसाहेल. आसाहेल मरुभूमि की हिरणी जैसा ही तेजी से दौड़ता था. 19उसने अबनेर का पीछा करना शुरू कर दिया. अबनेर का पीछा करते हुए वह न तो बाएं मुड़ा न दाएं. 20आसाहेल को अपने पीछे आते देखकर अबनेर ने उससे पूछा, “क्या तुम आसाहेल हो?”

“जी हां,” उसने उत्तर दिया.

21अबनेर ने उससे कहा, “अपने दाएं अथवा बाएं मुड़कर जो भी युवक पकड़ में आए, उससे लूट की सामग्री छीन लो.” मगर आसाहेल ने अबनेर का पीछा करना न छोड़ा.

22अबनेर ने आसाहेल को पुनः आदेश दिया, “मेरा पीछा करना छोड़ो! मैं नहीं चाहता कि मैं तुम पर वार करके तुम्हें धराशायी कर दूं. तब मैं तुम्हारे भाई योआब को अपना मुख कैसे दिखा सकूंगा?”

23फिर भी उसने अबनेर का पीछा न छोड़ा. यह देख अबनेर ने अपने भाले के कुन्दे से आसाहेल के पेट पर वार किया. भाला आर-पार हो गया. आसाहेल वहीं धराशायी हो गया, और उसकी मृत्यु हो गई. वे सभी, जो उस स्थान से होकर जा रहे थे, जहां आसाहेल की मृत्यु हुई थी, स्थिर खड़े हो गये.

24मगर योआब और अबीशाई अबनेर का पीछा करते रहे. सूर्यास्त बेला में वे अम्माह पहाड़ी पर जा पहुंचे. यह पहाड़ी गिबयोन की मरुभूमि के मार्ग पर गियाह नामक स्थान के पूर्व पड़ती है. 25बिन्यामिनवासी एकजुट होकर अबनेर के पीछे खड़े हो गए. इससे अब वे एक समूह हो गए थे. इन सभी ने पहाड़ी के ऊपर अपना मोर्चा लिया.

26तब अबनेर ने योआब से कहा, “क्या तलवार का वार कभी न थमेगा? क्या तुम यह नहीं समझ रहे कि इससे अंत में कड़वाहट ही हाथ लगेगी? अब और कितनी देर लगाओगे अपने साथियों को आदेश देने में, कि वे अपने ही भाई-बंधुओं का पीछा करना छोड़ दें?”

27योआब ने उत्तर दिया, “परमेश्वर की शपथ, यदि आपने यह सब न कहा होता तो हमारे साथी अपनी भाई-बंधुओं का पीछा बिना रुके सुबह तक करते रहते.”

28योआब ने तुरही फूंकी और उसके साथियों ने पीछा करना बंद कर दिया. फिर उन्होंने न तो इस्राएलियों का पीछा किया और न उनसे युद्ध ही किया.

29अबनेर और उनके साथियों ने सारी रात चलकर अराबाह पार किया. उन्होंने यरदन नदी को पार किया और दिन के शुरू के घंटों में चलते हुए वे माहानाईम जा पहुंचे.

30योआब अबनेर का पीछा करना छोड़ लौट गए, और जब वे सब एकत्र हुए तब यह मालूम हुआ कि दावीद के सेवकों में से आसाहेल के अलावा उन्‍नीस व्यक्ति लौटकर नहीं आए थे. 31मगर दावीद के इस दल ने बिन्यामिन के तीन सौ साठ व्यक्तियों का संहार कर दिया जो अबनेर के साथ थे. 32आसाहेल के शव को उसके पिता की कब्र में रख दिया गया. यह कब्र बेथलेहेम में थी. योआब और उनके साथी सारी रात यात्रा करते रहे. जब वे हेब्रोन पहुंचे तब भोर हो रही थी.