ዮሐንስ 4 – NASV & NCA

New Amharic Standard Version

ዮሐንስ 4:1-54

ኢየሱስ ከአንዲት ሳምራዊት ጋር ተነጋገረ

1ፈሪሳውያን ከዮሐንስ ይልቅ ኢየሱስ ብዙ ደቀ መዛሙርትን እንዳፈራና እንዳጠመቀ ሰሙ፤ 2ዳሩ ግን ያጠመቀው ኢየሱስ ሳይሆን ደቀ መዛሙርቱ ነበሩ። 3ጌታም ይህን እንዳወቀ ይሁዳን ለቅቆ ወደ ገሊላ ተመልሶ ሄደ።

4በሰማርያም በኩል ማለፍ ነበረበት። 5ስለዚህ በሰማርያ፣ ያዕቆብ ለልጁ ለዮሴፍ በሰጠው ቦታ አጠገብ ወደ ነበረች፣ ሲካር ወደምትባል ከተማ መጣ። 6በዚያም የያዕቆብ የውሃ ጕድጓድ ነበረ፤ ኢየሱስም ከጕዞው የተነሣ ደክሞት ስለ ነበር በውሃው ጕድጓድ አጠገብ ተቀመጠ፤ ጊዜውም ከቀኑ ስድስት ሰዓት አካባቢ ነበር።

7አንዲት ሳምራዊት ሴት ውሃ ለመቅዳት ስትመጣ ኢየሱስ፣ “እባክሽ የምጠጣው ስጪኝ” አላት፤ 8ደቀ መዛሙርቱ ምግብ ለመግዛት ወደ ከተማ ሄደው ነበር።

9ሳምራዊቷም፣ “አንተ አይሁዳዊ ሆነህ፣ እኔን ሳምራዊቷን እንዴት ውሃ አጠጪኝ ትላለህ?” አለችው፤ ይህን ማለቷ አይሁድ ከሳምራውያን ጋር ስለማይተባበሩ ነው።4፥9 ወይም ሳምራውያን በተጠቀሙበት ሳሕን ወይም ዕቃ አይጠቀሙም ነበር።

10ኢየሱስም፣ “የእግዚአብሔርን ስጦታ ብታውቂና ውሃ አጠጪኝ የሚልሽ ማን መሆኑን ብትረጂ ኖሮ፣ አንቺው በጠየቅሽው፣ እርሱም የሕይወትን ውሃ በሰጠሽ ነበር” ሲል መለሰላት።

11ሴትዮዋም እንዲህ አለችው፤ “ጌታዬ፣ መቅጃ የለህም፤ ጕድጓዱም ጥልቅ ነው፤ ታዲያ ይህን የሕይወት ውሃ ከየት ታገኛለህ? 12ለመሆኑ አንተ፣ ይህን ጕድጓድ ከሰጠን፣ ከአባታችን ከያዕቆብ ትበልጣለህን? እርሱ ራሱና ልጆቹ፣ እንስሳቱም ከዚሁ ጕድጓድ ጠጥተዋል።”

13ኢየሱስም እንዲህ ሲል መለሰላት፤ “ከዚህ ውሃ የሚጠጣ እንደ ገና ይጠማል፤ 14እኔ ከምሰጠው ውሃ የሚጠጣ ግን ከቶ አይጠማም፤ እኔ የምሰጠው ውሃ በውስጡ የሚፈልቅ የዘላለም ሕይወት ውሃ ምንጭ ይሆናል።”

15ሴትዮዋም፣ “ጌታዬ፤ እንዳልጠማና ውሃ ለመቅዳት እንዳልመላለስ፣ እባክህ ይህን ውሃ ስጠኝ” አለችው።

16እርሱም፣ “ሂጂና ባልሽን ጠርተሽ ወደዚህ ተመለሽ” አላት።

17ሴትዮዋም፣ “ባል የለኝም” ብላ መለሰች።

ኢየሱስም፣ እንዲህ አላት፤ “ባል የለኝም ማለትሽ ትክክል ነው፤ 18በርግጥ አምስት ባሎች ነበሩሽ፤ አሁን ከአንቺ ጋር ያለውም ባልሽ ስላልሆነ፣ የተናገርሽው እውነት ነው።”

19ሴትዮዋም እንዲህ አለችው፤ “ጌታዬ፣ አንተ ነቢይ እንደ ሆንህ አያለሁ፤ 20አባቶቻችን በዚህ ተራራ ላይ ሰገዱ፤ እናንተ አይሁድ ግን ሰው መስገድ ያለበት በኢየሩሳሌም ነው ትላላችሁ” አለችው።

21ኢየሱስም እንዲህ አላት፤ “አንቺ ሴት፤ በዚህ ተራራም ሆነ በኢየሩሳሌም ለአብ የማትሰግዱበት ጊዜ እንደሚመጣ እመኚኝ። 22እናንተ ሳምራውያን ለማታውቁት ትሰግዳላችሁ፤ እኛ ግን ድነት ከአይሁድ ስለሆነ ለምናውቀው እንሰግዳለን። 23በእውነት የሚሰግዱ ለአብ በመንፈስና በእውነት የሚሰግዱበት ጊዜ ይመጣል፤ አሁንም መጥቷል፤ አብም እንደዚህ በእውነት የሚሰግዱለትን ይፈልጋል። 24እግዚአብሔር መንፈስ ነው፤ የሚሰግዱለትም በመንፈስና በእውነት ሊሰግዱለት ይገባል።”

25ሴትዮዋም፣ “ክርስቶስ የተባለ መሲሕ እንደሚመጣ ዐውቃለሁ፤ እርሱ ሲመጣ ሁሉን ነገር ይነግረናል” አለችው።

26ኢየሱስም፣ “የማነጋግርሽ እኮ እኔ እርሱ ነኝ” ሲል ገልጦ ነገራት።

ደቀ መዛሙርቱ ተመልሰው መጡ

27በዚህ ጊዜ ደቀ መዛሙርቱ ተመልሰው መጡ፤ ከሴት ጋር ሲነጋገር በማግኘታቸው ተደነቁ፤ ሆኖም ግን፤ “ምን ፈለግህ?” ወይም፣ “ከእርሷ ጋር የምትነጋገረው ለምንድን ነው?” ብሎ የጠየቀው ማንም አልነበረም።

28ሴትዮዋም እንስራዋን ትታ ወደ ከተማ ተመለሰች፤ ለሕዝቡም፣ 29“ያደረግሁትን ሁሉ የነገረኝን ሰው ኑና እዩ፤ እርሱ ክርስቶስ4፥29 ወይም መሲሕ ይሆን እንዴ?” አለች፤ 30እነርሱም ከከተማ ወጥተው እርሱ ወዳለበት አመሩ።

31በዚህ ጊዜ ደቀ መዛሙርቱ፣ “ረቢ፣ እህል ቅመስ እንጂ” አሉት።

32እርሱ ግን፣ “እናንተ የማታውቁት፣ የምበላው ምግብ አለኝ” አላቸው።

33ደቀ መዛሙርቱም፣ “ሰው ምግብ አምጥቶለት ይሆን እንዴ?” ተባባሉ።

34ኢየሱስም እንዲህ አላቸው፤ “የእኔ ምግብ የላከኝን ፈቃድ ማድረግና ሥራውን መፈጸም ነው፤ 35እናንተ፣ ‘ከአራት ወር በኋላ መከር ይደርሳል’ ትሉ የለምን? እነሆ፣ አዝመራው ለመከር እንደ ደረሰ ቀና ብላችሁ ማሳውን ተመልከቱ እላችኋለሁ። 36ዐጫጁ አሁንም ቢሆን እንኳ ደመወዙን እየተቀበለ ነው፤ ለዘላለም ሕይወት ይሆን ዘንድ አዝመራውን ይሰበስባል፤ ይህም ዘሪውና ዐጫጁ በጋራ ደስ እንዲላቸው ነው። 37ስለዚህ፣ ‘አንዱ ይዘራል፤ ሌላውም ያጭዳል’ የተባለው ምሳሌ እውነት ነው። 38ያልደከማችሁበትን እንድታጭዱ ላክኋችሁ፤ አድካሚውን ሥራ ሌሎች ሠሩ፤ እናንተም የድካማቸውን ፍሬ ሰበሰባችሁ።”

ብዙ ሳምራውያን አመኑ

39ሴትየዋ፣ “ያደረግሁትን ሁሉ ነገረኝ” ብላ ስለ መሰከረች፣ ከዚያች ከተማ ብዙ ሳምራውያን በእርሱ አመኑ። 40ስለዚህ፣ ሳምራውያኑ ወደ እርሱ በመጡ ጊዜ አብሯቸው እንዲቈይ አጥብቀው ለመኑት፤ እዚያም ሁለት ቀን ቈየ። 41ከቃሉም የተነሣ ሌሎች ብዙዎች አመኑ።

42ሴትዮዋንም፣ “ከእንግዲህ የምናምነው አንቺ ስለ ነገርሽን ብቻ አይደለም፤ እኛ ራሳችን ሰምተነዋል፤ ይህ ሰው በእውነት የዓለም አዳኝ እንደ ሆነ እናውቃለን” አሏት።

ኢየሱስ የሹሙን ልጅ ፈወሰ

43ከሁለቱ ቀናት በኋላም ወደ ገሊላ ሄደ፤ 44ነቢይ በገዛ አገሩ እንደማይከበር ኢየሱስ ራሱ ተናግሮ ነበርና። 45ገሊላ እንደ ደረሰም የገሊላ ሰዎች በደስታ ተቀበሉት፤ ምክንያቱም፣ እነርሱም በፋሲካ በዓል ኢየሩሳሌም ስለ ነበሩና በዚያ ያደረገውን ሁሉ ስላዩ ነው።

46ኢየሱስም ውሃውን የወይን ጠጅ ወዳደረገበት፣ በገሊላ ወደምትገኘው ወደ ቃና ከተማ ዳግመኛ መጣ፤ በቅፍርናሆምም ልጁ የታመመበት አንድ የቤተ መንግሥት ሹም ነበረ፤ 47ይህም ሰው ኢየሱስ ከይሁዳ ወደ ገሊላ መምጣቱን በሰማ ጊዜ፣ ወደ እርሱ ሄደና በሞት አፋፍ ላይ የነበረውን ልጁን መጥቶ እንዲፈውስለት ለመነው።

48ኢየሱስም፣ “መቼውንም እናንተ ምልክቶችንና ድንቅ ነገሮችን ካላያችሁ አታምኑም” አለው።

49ሹሙም፣ “ጌታዬ፤ ልጄ ከመሞቱ በፊት እባክህ ድረስልኝ” አለው።

50ኢየሱስም፣ “ልጅህ በሕይወት ይኖራልና ሂድ” አለው።

ሰውየውም ኢየሱስ የተናገረውን ቃል አምኖ ሄደ፤ 51በመንገድ ላይ እንዳለም፣ አገልጋዮቹ አግኝተውት ልጁ በሕይወት መኖሩን ነገሩት። 52እርሱም ልጁ በስንት ሰዓት እንደ ተሻለው ሲጠይቃቸው፣ “ትኵሳቱ የለቀቀው ትናንት በሰባት ሰዓት ላይ ነው” አሉት።

53አባትየውም ሰዓቱ ኢየሱስ፣ “ልጅህ በሕይወት ይኖራል” ያለበት ሰዓት መሆኑን ተገነዘበ፤ እርሱና ቤተ ሰቡም ሁሉ አመኑ።

54ይህም፣ ኢየሱስ ከይሁዳ ወደ ገሊላ መጥቶ ያደረገው ሁለተኛው ታምራዊ ምልክት ነው።

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

यूहन्ना 4:1-54

यीसू ह एक सामरी माईलोगन संग गोठियाथे

1फरीसीमन सुनिन कि यीसू ह यूहन्ना ले घलो जादा मनखेमन ला चेला बनाथे अऊ बतिसमा देवत हवय। 2असल म, यीसू ह खुद कोनो ला बतिसमा नइं देवत रिहिस, पर ओकर चेलामन बतिसमा देवत रिहिन। 3जब परभू यीसू ला ए बात के पता चलिस, त ओह यहूदिया प्रदेस ला छोंड़के गलील प्रदेस म फेर वापिस चल दीस।

4जब यीसू ह गलील ला वापिस जावत रिहिस, त ओला सामरी प्रदेस ले होके जाय ला पड़िस। 5ओह सामरी प्रदेस के सूखार नांव के एक सहर म आईस। ए सहर ह ओ भुइयां के लकठा म रिहिस, जऊन ला याकूब ह अपन बेटा यूसुफ ला देय रिहिस। 6उहां याकूब के कुवां रहय; यीसू ह रेंगत-रेंगत थक गे रहय, एकरसेति ओह ओ कुवां के लकठा म बईठ गीस। एह करीब मंझन के बेरा रिहिस।

7ओतकीच बेरा, एक सामरी माईलोगन ह ओ कुवां ले पानी भरे बर आईस, त यीसू ह ओला कहिस, “मोला, पीये बर थोरकन पानी दे ओ।” 8(यीसू के चेलामन खाय के चीज बिसोय बर सहर गे रहंय।)

9ओ सामरी माईलोगन ह ओला कहिस, “यहूदी जात के होके, तेंह मोर ले पानी काबर मांगथस? मेंह एक सामरी माईलोगन अंव।” (यहूदीमन सामरीमन के संग कोनो संबंध नइं रखत रिहिन।)

10यीसू ह जबाब दीस, “कहूं तेंह परमेसर के बरदान ला जानते अऊ ए घलो जानते कि जऊन ह तोर ले पानी मांगत हवय, ओह कोन ए, त तेंह ओकर ले मांगते अऊ ओह तोला जिनगी के पानी देतिस।”

11ओ माईलोगन ह कहिस, “ए महाराज, पानी भरे बर तो तोर करा कुछू नइं ए, अऊ ए कुवां ह गहिरा हवय। त फेर तोर करा ओ जिनगी के पानी कहां ले आही? 12का तेंह हमर पुरखा याकूब ले बड़े अस, जऊन ह हमन ला ए कुवां देय हवय। अऊ ओह खुद अऊ ओकर बेटामन अऊ ओकर पसुमन घलो ए कुवां ले पानी पीये हवंय।”

13यीसू ह जबाब दीस, “जऊन ह ए पानी ला पीही, ओह फेर पीयासन होही, 14पर जऊन ह ओ पानी ला पीही, जऊन ला मेंह दूहूं, ओह फेर कभू पीयासन नइं होही। जऊन पानी मेंह ओला दूहूं, ओह ओम सोता के पानी सहीं होही, जऊन ह हर समय बहते रहिथे, अऊ एह ओला परमेसर के संग सदाकाल के जिनगी देथे।”

15तब ओ माईलोगन ह यीसू ला कहिस, “हे महाराज, मोला ओ पानी दे ताकि मेंह फेर पीयासन झन होवंव अऊ न ही मोला इहां पानी भरे बर फेर आना पड़य।”

16यीसू ह ओला कहिस, “जा, अऊ अपन घरवाला ला इहां बलाके ले आ।”

17ओ माईलोगन ह कहिस, “मोर कोनो घरवाला नइं ए।”

यीसू ह कहिस, “तेंह सही कहथस कि तोर कोनो घरवाला नइं ए। 18काबरकि तेंह पांच घरवाला (मरद) बना चुके हवस, अऊ जऊन मनखे के संग अभी तेंह रहत हवस, ओह घलो तोर घरवाला नो हय। अभी तेंह जऊन बात कहय, ओह बिलकुल सही ए।”

19ओ माईलोगन ह कहिस, “महाराज, मोला अइसने लगथे कि तेंह एक अगमजानी अस। 20हमर पुरखामन ए पहाड़ ऊपर परमेसर के अराधना करत रिहिन, पर तुम यहूदीमन ए कहिथव कि ओ जगह यरूसलेम म हवय, जिहां हमन ला परमेसर के अराधना करना चाही।”

21यीसू ह ओला कहिस, “हे नारी, मोर ऊपर बिसवास कर। ओ समय ह आही, जब मनखेमन परमेसर ददा के अराधना न तो ए पहाड़ ऊपर करहीं अऊ न ही यरूसलेम म। 22तुम सामरीमन जेकर अराधना करथव, ओला तुमन नइं जानव; हम यहूदीमन जेकर अराधना करथन, ओला हमन जानथन, काबरकि उद्धार के संदेस ह यहूदीमन के जरिये आही। 23पर ओ समय ह आवत हवय, अऊ अब आ गे हवय, जब सही भक्ति करइयामन परमेसर ददा के भक्ति आतमा अऊ सच्‍चई ले करहीं। काबरकि परमेसर ददा ह अइसने भक्ति करइयामन ला चाहथे। 24परमेसर ह आतमा अय, अऊ ए जरूरी अय कि ओकर भक्ति करइयामन आतमा अऊ सच्‍चई ले ओकर भक्ति करंय।”

25तब ओ माईलोगन ह कहिस, “मेंह जानथंव कि मसीह (जऊन ला ख्रिस्त कहे जाथे) अवइया हवय। जब ओह आही, त हमन ला जम्मो बातमन ला बताही।”

26यीसू ह ओला कहिस, “में जऊन ह तोर ले गोठियावत हंव, ओहीच अंव।”

27ओतकी बेरा यीसू के चेलामन लहुंटके आईन अऊ ए देखके अचरज करे लगिन कि यीसू ह एक माईलोगन ले गोठियावत हवय। पर एको झन ओकर ले ए नइं पुछिन, “तेंह का चाहथस?” या “तेंह ओकर ले काबर गोठियावत हस?”

28तब ओ माईलोगन ह अपन घघरी ला उहें छोंड़ दीस अऊ सहर म वापिस जाके मनखेमन ला कहिस, 29“आवव, अऊ ओ मनखे ला देखव, जऊन ह ओ जम्मो बात बता दीस, जेला मेंह करे हवंव। ओह मसीह हो सकथे।” 30मनखेमन सहर ले निकरके यीसू करा आवन लगिन।

31ए दरमियान यीसू के चेलामन ओकर ले बिनती करिन, “हे गुरूजी, कुछू खा ले।”

32पर यीसू ह ओमन ला कहिस, “मोर करा खाय बर अइसने भोजन हवय, जेकर बारे म तुमन कुछू नइं जानत हव।”

33तब चेलामन एक-दूसर ले पुछे लगिन, “का कोनो एकर बर कुछू खाय बर लाय हवय?”

34यीसू ह ओमन ला कहिस, “मोर भोजन ए अय कि मेंह अपन पठोइया परमेसर के ईछा ला पूरा करंव अऊ ओ काम ला पूरा करंव, जऊन ला ओह मोला दे हवय। 35का तुमन ए नइं कहव, ‘फसल ला पके बर चार महिना बांचे हवय, तब लुवई सुरू होही।’ अपन चारों कोति देखव – मनखेमन के आतमा के खेत ला, जऊन ह लुवई बर तियार हवय। 36ओ मनखे जऊन ह फसल लूथे, ओला ओकर बनी मिलथे अऊ ओह परमेसर के संग सदाकाल के जिनगी बर फर संकेलथे; ताकि बोवइया अऊ लुवइया दूनों मिलके खुसी मनावंय। 37एकरसेति ए कहावत ह सही ए, ‘कोनो बोथे, त कोनो आने ओला लूथे।’ 38मेंह तुमन ला उहां फसल लुए बर पठोएंव, जिहां तुमन नइं बोए रहेव; आने मन उहां कठोर मिहनत करिन, अऊ तुमन ला ओमन के मिहनत के फर मिलिस।”

बहुंत सामरी मनखेमन बिसवास करथें

39ओ सहर के बहुंत सामरी मनखेमन यीसू ऊपर बिसवास करिन, काबरकि ओ माईलोगन ह ए बताय रिहिस, “ओह मोला ओ जम्मो बात बता दीस, जऊन ला मेंह करे हवंव।” 40एकरसेति जब ओ सामरी मनखेमन यीसू करा आईन, त ओमन यीसू ले बिनती करिन, “हमर संग रहि जा।” अऊ यीसू ह उहां दू दिन रिहिस। 41ओकर बचन ला सुनके अऊ बहुंत झन ओकर ऊपर बिसवास करिन।

42ओमन ओ माईलोगन ला कहिन, “अब हमन सिरिप तोर कहे ले ही बिसवास नइं करथन, पर हमन खुदे ओकर बात ला सुने हवन, अऊ हमन जान गे हवन कि ओह सही म संसार के उद्धार करइया अय।”

यीसू ह एक अधिकारी के बेटा ला चंगा करथे

43दू दिन के बाद, यीसू ह उहां ले गलील प्रदेस ला चल दीस। 44(काबरकि यीसू खुदे कहे रिहिस, “एक अगमजानी ला अपन खुद के देस म आदर-मान नइं मिलय।”) 45जब ओह गलील प्रदेस म आईस, त गलील के मनखेमन ओकर सुवागत करिन, काबरकि ओमन फसह तिहार के बखत यरूसलेम गे रिहिन अऊ ओमन ओ जम्मो बात ला देखे रिहिन जऊन ला यीसू ह उहां तिहार के बखत करे रिहिस।

46यीसू ह एक बार फेर गलील के काना सहर म गीस, जिहां ओह पानी ला अंगूर के मंद बनाय रिहिस। एक सरकारी अधिकारी रिहिस, जेकर बेटा ह कफरनहूम सहर म बेमार पड़े रहय। 47जब ए अधिकारी सुनिस कि यीसू ह यहूदिया प्रदेस ले गलील म आय हवय, त ओह ओकर करा गीस अऊ बिनती करिस, “मोर संग कफरनहूम चल अऊ मोर बेटा ला चंगा कर दे; ओह मरइया हवय।”

48यीसू ह ओला कहिस, “जब तक तुमन चिन्‍हां अऊ चमतकार नइं देखहू, तब तक बिसवास नइं करव।”

49ओ अधिकारी ह कहिस, “हे महाराज, एकर पहिली कि मोर लइका ह मर जावय, तेंह जल्दी चल।”

50यीसू ह ओला कहिस, “तेंह जा। तोर बेटा ह जीयत हवय।” ओ मनखे ह यीसू के बात ला बिसवास करके उहां ले चल दीस। 51जब ओह अपन घर जावत रिहिस, त रसता म ओकर सेवकमन मिलिन अऊ ओला बताईन, “तोर बेटा ह जीयत हवय।” 52ओह ओमन ले पुछिस, “कतेक बेरा ओह बने होईस?” ओमन कहिन, “मंझन के एक बजे ओकर जर ह उतर गीस।”

53तब ओ लइका के ददा ह सुरता करिस कि एह तो ओहीच बेरा ए, जब यीसू ह ओला कहे रिहिस, “तोर बेटा ह जीयत हवय।” तब ओह अऊ ओकर घराना के जम्मो झन यीसू ऊपर बिसवास करिन।

54एह दूसरा अचरज के चिन्‍हां रिहिस जऊन ला यीसू यहूदिया प्रदेस ले आके गलील प्रदेस म करिस।