ዘፀአት 3 – NASV & HCV

New Amharic Standard Version

ዘፀአት 3:1-22

ሙሴና የሚንበለበለው ቍጥቋጦ

1አንድ ቀን ሙሴ የምድያም ካህን የሆነውን የአማቱን የዮቶር በጎችና ፍየሎች እየጠበቀ ሳለ፣ መንጋውን እየነዳ ወደ ምድረ በዳው ዳርቻ አምርቶ የእግዚአብሔር (ኤሎሂም) ተራራ ተብሎ ወደሚጠራው ወደ ኮሬብ ቀረበ።

2እዚያም የእግዚአብሔር (ያህዌ) መልአክ በቍጥቋጦው ውስጥ በሚንቀለቀል የእሳት ነበልባል መካከል ተገለጠለት። ሙሴም ቍጥቋጦው በእሳት ቢያያዝም እንኳ፣ አለ መቃጠሉን አየ። 3ሙሴም፣ “ቍጥቋጦው ለምን እንደማይቃጠል ቀረብ ብዬ ይህን አስገራሚ ነገር ልመልከት” አለ።

4ሙሴ ሁኔታውን ለመመልከት መቅረቡን እግዚአብሔር (ያህዌ) ባየ ጊዜ፣ ከቍጥቋጦው ውስጥ እግዚአብሔር (ኤሎሂም) “ሙሴ፣ ሙሴ” ብሎ ጠራው፤ ሙሴም “አቤት እነሆኝ” አለው። 5እግዚአብሔርም (ኤሎሂም)፣ “ወደዚህ እንዳትቀርብ፤ ይህች የቆምህባት ምድር የተቀደሰች ስለሆነች ጫማህን አውልቅ” አለው። 6ቀጥሎም፣ “እኔ የአባቶችህ የአብርሃም፣ የይስሐቅ፣ የያዕቆብ አምላክ (ኤሎሂም) ነኝ” አለው። በዚህ ጊዜ ሙሴ እግዚአብሔርን (ኤሎሂም) ፊት ለፊት ማየት ስለ ፈራ ፊቱን ሸፈነ።

7ከዚያም እግዚአብሔር (ያህዌ) እንዲህ አለ፣ “በግብፅ አገር የሚኖሩትን የሕዝቤን መከራ አይቻለሁ፤ ከአሠሪዎቻቸው ጭካኔ የተነሣ የሚያሰሙትንም ጩኸት ሰምቻለሁ፤ ሥቃያቸውንም ተረድቼአለሁ። 8ስለዚህም ከግብፃውያን እጅ ልታደጋቸውና ማርና ወተት ወደምታፈስሰው ሰፊና ለም ወደሆነችው ወደ ከነዓናውያን፣ ኬጢያውያን፣ አሞራውያን፣ ፌርዛውያን፣ ኤዊያውያንና ኢያቡሳውያን ምድር ላወጣቸው ወርጃለሁ። 9አሁንም የእስራኤል ልጆች ጩኸት ወደ እኔ ደርሷል፤ ግብፃውያን የሚያደርሱባቸውን ግፍ አይቻለሁ። 10በል እንግዲህ ና፤ ሕዝቤን፣ የእስራኤልን ልጆች ከግብፅ ምድር እንድታወጣቸው ወደ ፈርዖን እልክሃለሁ”።

11ሙሴ እግዚአብሔርን (ኤሎሂም)፣ “ወደ ፈርዖን የምሄድና የእስራኤልን ልጆች ከግብፅ የማወጣ እኔ ማን ነኝ?” አለው።

12እግዚአብሔርም (ኤሎሂም)፣ “እኔ ከአንተ ጋር እሆናለሁ፤ እኔ የላክሁህ ለመሆኑ ምልክቱ ይህ ነው፤ ሕዝቡን ከግብፅ ካወጣሃቸው በኋላ በዚህ ተራራ ላይ እግዚአብሔርን (ኤሎሂም) ታመልካላችሁ” አለው።

13ሙሴም እግዚአብሔርን (ኤሎሂም)፣ “ወደ እስራኤል ልጆች ሄጄ፣ ‘የአባቶቻችሁ አምላክ ወደ እናንተ ልኮኛል’ ስላቸው ‘ስሙ ማን ነው?’ ብለው ቢጠይቁኝ ምን እላቸዋለሁ?” አለው።

14እግዚአብሔርም (ኤሎሂም) ሙሴን፣ “እኔ፣ ያለሁና የምኖር ነኝ3፥14 ወይም እኔ የምሆነው እኔኑ ነው ማለት ሊሆን ይችላል። (ያህዌ)፤ ስለዚህም፣ ‘ያለና የሚኖር ልኮኛል’ ብለህ ንገራቸው” አለው።

15ደግሞም እግዚአብሔር (ኤሎሂም) ሙሴን፣ “የአባቶቻችሁ የአብርሃም አምላክ፣ የይስሐቅ አምላክ፣ የያዕቆብ አምላክ የሆነው እግዚአብሔር3፥15 በዕብራይስጥ እግዚአብሔር የሚለው ቃል ድምፅ በ14 ላይ፣ እኔ ነኝ ከሚለው ሐረግ ጋር ተመሳሳይ ድምፅ አለው። ያህዌ የሚለውም የቃል ውልደት እኔ ነኝ ከሚለው ሐረግ ነው። (ያህዌ) ወደ እናንተ ልኮኛል፤ ስሜም ለዘለዓለም ይኸው ነው፤ ወደ ፊት በተከታታይ በሚነሣው ትውልድ ሁሉ የምታሰበው በዚህ ስም ነው ብለህ ለእስራኤል ልጆች ንገራቸው” አለው።

16“ሂድና የእስራኤልን አለቆች ሰብስበህ፣ የአባቶቻችሁ የአብርሃም፣ የይስሐቅና የያዕቆብ አምላክ የሆነው እግዚአብሔር (ያህዌ) ተገለጠልኝና እንዲህ አለኝ፤ ጐብኝቻችኋለሁ፤ በግብፅ የደረሰባችሁንም አይቻለሁ። 17ስለዚህም በግብፅ ከምትቀበሉት መከራ አውጥቼ ማርና ወተት ወደምታፈስሰው ወደ ከነዓናውያን፣ ወደ ኬጢያውያን፣ ወደ አሞራውያን፣ ወደ ፌርዛውያን፣ ወደ ኤዊያውያንና ኢያቡሳውያን ምድር አገባችኋለሁ ብሏል ብለህ ንገራቸው” አለኝ።

18“የእስራኤል አለቆችም ይሰሙሃል። አንተና የእስራኤል አለቆች ወደ ግብፅ ንጉሥ ትሄዱና፣ ‘የዕብራውያን አምላክ እግዚአብሔር (ያህዌ) ተገለጠልን፤ ስለዚህም ወደ ምድረ በዳ የሦስት ቀን መንገድ ተጕዘን ለአምላካችን ለእግዚአብሔር (ያህዌ) መሥዋዕት እንድናቀርብ ፍቀድልን’ ብላችሁ ትነግሩታላችሁ። 19የግብፅ ንጉሥ ግን በኀያል ክንድ ካልተገደደ በስተቀር መቼም እንደማይለቅቃችሁ ዐውቃለሁ። 20ስለዚህ እኔ እጅግ ድንቅ የሆኑ ታምራትን እዚያው እመካከላቸው በማድረግ ክንዴን ዘርግቼ ግብፃውያንን እመታቸዋለሁ፤ ከዚያም በኋላ እንድትሄዱ ይለቃችኋል።

21“ይህ ሕዝብ በግብፃውያን ዘንድ የመወደድን ጸጋ እንዲያገኝ ስለማደርግ በምትወጡበት ጊዜ ባዶ እጃችሁን አትሄዱም። 22እያንዳንዷ ዕብራዊት ከጎረቤቷም ይሁን አብራት ከምትኖረው ግብፃዊት የብርና የወርቅ ጌጣጌጦች እንደዚሁም ልብስ እንድትሰጣት ትጠይቅ። እነዚህንም ሁሉ ወስዳችሁ ወንዶችና ሴቶች ልጆቻችሁን ታስጌጧቸዋላችሁ፤ ታለብሷቸዋላችሁም። በዚህም መንገድ የግብፃውያኑን ሀብት በእጃችሁ አግብታችሁ ትወጣላችሁ።”

Hindi Contemporary Version

निर्गमन 3:1-22

मोशेह का आह्वान

1मोशेह अपने ससुर, मिदियान के पुरोहित येथ्रो की भेड़-बकरियां चराते हुए निर्जन क्षेत्र के पश्चिम में परमेश्वर के पर्वत होरेब पर पहुंच गए. 2वहां उन झाड़ियों के बीच में से आग की लौ में याहवेह के दूत ने उनको दर्शन दिया, उन्होंने देखा कि झाड़ी जल रही थी, पर भस्म नहीं होती. 3इसलिये मोशेह ने सोचा, “मैं जाकर जलती हुई झाड़ी को देखूं कि झाड़ी जलकर भस्म क्यों नहीं होती.”

4जब याहवेह ने यह देखा कि मोशेह यह देखने आगे बढ़ रहे हैं, परमेश्वर ने उस झाड़ी से उन्हें बुलाया, “मोशेह, मोशेह!”

उन्होंने उत्तर दिया, “कहिए प्रभु.”

5याहवेह ने कहा, “पास न आओ, अपनी पैरों से जूते उतार दो, क्योंकि यह स्थान, जिस पर तुम खड़े हो, पवित्र है.” 6याहवेह ने यह कहा, “मैं ही तुम्हारे पूर्वजों के पिता अर्थात् अब्राहाम का, यित्सहाक तथा याकोब का परमेश्वर हूं.” यह सुन मोशेह ने अपना मुंह छिपा लिया, क्योंकि वह परमेश्वर की ओर देखने से डरता था.

7याहवेह परमेश्वर ने मोशेह से कहा, “मिस्र देश में मेरे लोगों की हालत मैंने देखी है; उनके कष्टकर मेहनत कराने वालों के कारण उनका रोना मैंने सुना है और उनके कष्ट को जानता हूं, 8इसलिये अब मैं उन्हें मिस्रियों के अधिकार से छुड़ाने उतर आया हूं, ताकि उन्हें उस देश से निकालकर एक उत्तम देश में ले जाऊं, जहां दूध एवं मधु बहता है, जो कनानियों, हित्तियों, अमोरियों, परिज्ज़ियों, हिव्वियों तथा यबूसियों का देश है. 9अब सुन लो: इस्राएलियों की प्रार्थना मुझ तक पहुंची है; इसके अलावा मिस्रियों द्वारा उन पर किए जा रहे अत्याचार भी मैंने देख लिए हैं. 10इसलिये अब मैं तुम्हें फ़रोह के पास भेजूंगा कि तुम मेरी प्रजा इस्राएलियों को मिस्र देश से निकाल लाए.”

11किंतु मोशेह ने परमेश्वर से कहा, “मैं कौन हूं जो फ़रोह के पास जाऊं और इस्राएलियों को मिस्र देश से निकालूं?”

12किंतु परमेश्वर ने मोशेह से कहा, “मैं तुम्हारे साथ साथ रहूंगा, तथा इस बात का सबूत स्वयं मैं हूं, जब तुम मेरी प्रजा को मिस्र देश से निकाल चुके होंगे, तब तुम इसी पर्वत पर परमेश्वर की आराधना करोगे.”

13यह सुन मोशेह ने परमेश्वर को उत्तर दिया, “यदि मैं इस्राएलियों के पास जाकर उनसे कहूं, ‘तुम्हारे ही पूर्वजों के परमेश्वर ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है.’ और वे मुझसे पूछें, ‘क्या है उस परमेश्वर का नाम?’ तो मैं उन्हें क्या नाम बताऊं?”

14परमेश्वर ने मोशेह को उत्तर दिया, “मैं वही हूं, जो मैं हूं.” परमेश्वर ने आगे यह कहा, “तुम्हें इस्राएलियों से यह कहना होगा: जिसका नाम ‘मैं हूं है, उन्हीं ने मुझे भेजा है.’ ”

15फिर परमेश्वर ने मोशेह से कहा, “तुम इस्राएलियों से यह कहना ‘याहवेह, तुम्हारे पूर्वजों के परमेश्वर, अब्राहाम, यित्सहाक तथा याकोब के परमेश्वर ही ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है.’

“यही मेरा स्थिर नाम है,

सब पीढ़ी से पीढ़ी तक

स्मरण रखने का मेरा नाम यही है.

16“अब तुम जाओ और इस्राएलियों से कहो: ‘याहवेह परमेश्वर जो तुम्हारे पूर्वजों के परमेश्वर अब्राहाम, यित्सहाक तथा याकोब के परमेश्वर जो मुझ पर प्रकट हुए और मुझसे कहा कि मैंने तुम पर नजर रखी है, और मिस्र देश में तुम्हारे साथ जो कुछ किया गया है उसको मैंने देखा है. 17इसलिये मैंने यह वायदा किया कि मैं तुम्हें मिस्र देश में हो रहे कष्ट से बाहर निकालूंगा और कनानियों, हित्तियों, अमोरियों, परिज्ज़ीर, हिव्वियों तथा यबूसियों के देश में ले आऊंगा, जहां दूध एवं मधु की धारा बहती है.’

18“इस्राएल के प्रधान तुम्हारी बातों को सुनेंगे. तब तुम इस्राएल के प्रधानों के साथ मिस्र देश के राजा के सामने जाना और उससे कहना कि याहवेह, जो इब्रियों के परमेश्वर हैं, हम पर प्रकट हुए हैं. अब हमें तीन दिन की यात्रा की दूरी तक निर्जन प्रदेश में जाने दे, ताकि हम याहवेह को, जो हमारे परमेश्वर हैं, बलि अर्पित कर सकें; 19लेकिन मुझे मालूम है कि मिस्र देश का राजा तुम्हें तब तक जाने नहीं देगा, जब तक उसे एक शक्तिशाली हाथ मजबूर न करे. 20इसलिये मैं अब अपना हाथ बढ़ाकर मिस्र देश में अलग-अलग तरीक़ों के चमत्कारी कार्य करके उन पर वार करूंगा, तब ही वे तुम्हें जाने देंगे.

21“मैं अपनी इस प्रजा को मिस्रियों से अनुग्रहित करवाऊंगा; जब तुम वहां से निकलोगे, तुम खाली हाथ न निकलोगे. 22हर एक इब्री स्त्री अपने पास रह रहे मिस्री पड़ोसी स्त्री से सोने, चांदी के जेवर तथा वस्त्र मांगकर अपने पुत्र-पुत्रियों को पहना दे. इस प्रकार तुम मिस्रियों को लूट लेना.”