ሚክያስ 6 – NASV & HCV

New Amharic Standard Version

ሚክያስ 6:1-16

የእግዚአብሔር ክስ በእስራኤል ላይ

1እግዚአብሔር የሚለውን ስሙ፤

“ተነሡ፤ ጕዳያችሁን በተራሮች ፊት አቅርቡ፤

ኰረብቶች እናንተ የምትሉትን ይስሙ፤

2“ተራሮች ሆይ፤ የእግዚአብሔርን ክስ አድምጡ፤

እናንት የምድር ጽኑ መሠረቶችም፣ ስሙ፤

እግዚአብሔር ከሕዝቡ ጋር ክርክር አለውና፤

ከእስራኤልም ጋር ይፋረዳል።

3“ሕዝቤ ሆይ፤ ምን አድርጌሃለሁ?

ሸክም የሆንሁብህስ እንዴት ነው?

እስቲ መልስልኝ!

4ከግብፅ አወጣሁህ፤

ከባርነት ምድርም ተቤዠሁህ፤

እንዲመሩህ ሙሴን፣

አሮንንና ማርያምን ላክሁልህ።

5ሕዝቤ ሆይ፤

የሞዓብ ንጉሥ ባላቅ የመከረውን፣

የቢዖር ልጅ በለዓም የመለሰለትንም እስቲ አስቡ፤

የእግዚአብሔርን የጽድቅ ሥራ ታውቁ ዘንድ፣

ከሰጢም እስከ ጌልገላ የተጓዛችሁትን ዐስቡ።”

6ምን ይዤ በእግዚአብሔር ፊት ልቅረብ፣

በልዑል አምላክ ፊት ልስገድ?

የሚቃጠለውን መሥዋዕት፣

ከአንድ ዓመት ጥጃ ጋር ይዤ በፊቱ ልቅረብን?

7በአንድ ሺሕ አውራ በጎች፣

በዐሥር ሺሕ የዘይት ፈሳሽ እግዚአብሔር ደስ ይለዋልን?

ስለ በደሌ የበኵር ልጄን፣

ስለ ነፍሴም ኀጢአት የሆዴን ፍሬ ላቅርብለትን?

8ሰው ሆይ፤ መልካም የሆነውን አሳይቶሃል፤

እግዚአብሔር ከአንተ የሚፈልገው ምንድን ነው?

ፍትሕን ታደርግ ዘንድ፣ ምሕረትንም ትወድድ ዘንድ፣

በአምላክህም ፊት በትሕትና ትራመድ ዘንድ አይደለምን?

የእስራኤል በደልና ቅጣት

9ስምህን መፍራት ጥበብ ነው፤

ስሙ! እግዚአብሔር ከተማዪቱን እንዲህ እያለ ይጣራል፤

“በትሩን አስቡ፤ ያዘጋጀውም ማን እንደ ሆነ አስታውሱ6፥9 የዚህ ስንኝ የዕብራይስጡ ትርጕም በርግጠኝነት አይታወቅም።

10የክፋት ቤት ሆይ፤

በግፍ የተገኘ ሀብታችሁን፣

በሐሰተኛ መስፈሪያ የሰበሰባችሁትን አስጸያፊ ነገር እረሳዋለሁን?

11አባይ ሚዛን የያዘውን ሰው፣

ሐሰተኛ መመዘኛ በከረጢት የቋጠረውን ንጹሕ ላድርገውን?

12ባለጠጎቿ ግፈኞች፣

ሰዎቿ ሐሰተኞች ናቸው፤

ምላሳቸውም አታላይ ናት።

13ስለዚህ አንተን አጠፋሃለሁ፣

ከኀጢአትህ የተነሣ አፈራርስሃለሁ።

14ትበላለህ፤ ነገር ግን አትጠግብም፤

ሆድህ እንዳለ ባዶውን6፥14 የዚህ ቃል የዕብራይስጡ ትርጕም በርግጠኝነት አይታወቅም። ይቀራል፤

ታከማቻለህ፤ ነገር ግን አይጠራቀምልህም፤

የሰበሰብኸውን ለሰይፍ አደርገዋለሁና።

15ትዘራለህ፤ ነገር ግን አታጭድም፤

የወይራ ዘይት ትጨምቃለህ፤ ነገር ግን ዘይቱን አትቀባም፤

ወይንን ትቈርጣለህ፤ ነገር ግን የወይን ጠጅ አትጠጣም።

16የዖምሪን ሥርዐት፣

የአክዓብን ቤት ልምድ ሁሉ የሙጥኝ ብለሃል፤

ትውፊታቸውንም ተከትለሃል።

ስለዚህ አንተን ለውድመት፣

ሕዝብህን ለመዘባበቻ አሳልፌ እሰጣለሁ፤

አሕዛብም ይሣለቁብሃል6፥16 የሰብዓ ሊቃናት ትርጕም ከዚህ ጋር ሲስማማ የዕብራይስጡ ግን የሕዝቤን ስድብ ትሸከማለህ ይላል።።”

Hindi Contemporary Version

मीकाह 6:1-16

इस्राएल के विरुद्ध याहवेह का मामला

1सुनो कि याहवेह क्या कहते हैं:

“उठो, और पर्वतों के आगे मेरा मामला रखो;

पहाड़ियां सुनें कि तुम क्या कहते हो.

2“हे पर्वतों, याहवेह के द्वारा लगाये आरोपों पर ध्यान दो;

हे पृथ्वी के अटल नींव, तुम भी सुनो.

क्योंकि याहवेह का अपने लोगों के विरुद्ध एक मुकद्दमा है;

वे इस्राएल के विरुद्ध एक मामला दायर कर रहे हैं.

3“हे मेरे लोगों, प्रजा, मैंने तुम्हारे साथ क्या अन्याय किया है?

मुझे बताओ कि मैंने तुम्हारे ऊपर क्या बोझ डाला है?

4मैंने तुम्हें मिस्र देश से बाहर निकाला है

और तुम्हें दासत्व के बंधन से छुड़ाया है.

मैंने तुम्हारी अगुवाई करने के लिये मोशेह को भेजा,

अहरोन और मिरियम को भी भेजा.

5हे मेरे लोगों, याद करो

मोआब के राजा बालाक ने क्या षड़्‍यंत्र किया था

और बेओर के पुत्र बिलआम ने क्या उत्तर दिया था.

शित्तीम से गिलगाल तक अपनी यात्रा का स्मरण करो,

कि तुम याहवेह के धर्मी कामों को जानो.”

6मैं याहवेह के सामने क्या लेकर आऊं

और प्रशंसा के योग्य परमेश्वर के सामने दंडवत करूं?

क्या मैं होमबलि के लिये एक-एक साल के बछड़े लेकर

उसके सामने आऊं?

7क्या याहवेह की प्रसन्‍नता के लिए हजारों मेढ़े,

अथवा जैतून तेल की दस हजार नदियां पर्याप्‍त होंगी?

क्या मैं अपने अपराध के प्रायश्चित के लिये अपने पहलौठे पुत्र का बलिदान करूं,

या अपनी आत्मा के पाप के अपने जन्माए किसी का बलिदान करूं?

8हे मनुष्य, उन्होंने तुम्हें दिखाया है कि क्या अच्छा है.

और याहवेह तुमसे क्या अपेक्षा करता है?

न्याय के काम करो और दया करो

और परमेश्वर के साथ नम्रता से चलो.

इस्राएल का अपराध और दंड

9सुनो! याहवेह शहर को पुकार रहे हैं,

और आपके नाम का भय मानना ही बुद्धिमता है,

“डंडा और उसे नियुक्त करनेवाले की बात ध्यान से सुनो.

10हे दुष्ट घर, क्या मैं अब भी तुम्हारे अनाचार से कमाए धन,

और उस छोटे माप को भूल जाऊं, जो अभिशप्‍त है?

11क्या मैं किसी को गलत वजन की थैली के साथ,

उसे उसके गलत मापों से छुटकारा दूं?

12तेरे धनवान लोग हिंसा करते हैं;

तेरे निवासी झूठे हैं

और उनकी जीभ धोखा देनेवाली बात करती हैं.

13इसलिये मैं तुम्हें तुम्हारे पापों के कारण

नाश करना, तुम्हारा पतन करना शुरू कर चुका हूं.

14तुम खाना तो खाओगे किंतु संतुष्टि नहीं मिलेगी;

खाने के बाद भी तुम्हारा पेट खाली रहेगा.

तुम जमा तो करोगे, पर बचेगा कुछ भी नहीं,

क्योंकि तुम्हारी बचत को मैं तलवार से लुटवा दूंगा.

15तुम बोओगे, पर फसल नहीं काटोगे;

तुम जैतून का तेल तो निकालोगे, किंतु उस तेल का उपयोग न कर सकोगे,

तुम अंगूर को तो रौंदोगे, पर उसका दाखमधु पान न कर सकोगे.

16तुमने ओमरी के विधि विधान

और अहाब के घर के सब रीति-रिवाजों का पालन किया है;

तुमने उनकी परंपराओं का भी पालन किया है.

इसलिये मैं तुम्हारा विनाश कर दूंगा

और तुम्हारे लोग हंसी के पात्र होंगे;

तुम मेरे लोगों का अपमान सहोगे.”