መዝሙር 77 – NASV & HCV

New Amharic Standard Version

መዝሙር 77:1-20

መዝሙር 77

የእስራኤል ጥንተ ነገር አሰላስሎ

ለመዘምራን አለቃ፤ ለኤዶታም፤ የአሳፍ መዝሙር።

1ድምፄን ከፍ አድርጌ ወደ እግዚአብሔር ጮኽሁ፤

ይሰማኝም ዘንድ ወደ አምላክ ጮኽሁ።

2በመከራዬ ቀን እግዚአብሔርን ፈለግሁት፤

በሌሊትም ያለ ድካም እጆቼን ዘረጋሁ፤

ነፍሴም አልጽናና አለች።

3አምላክ ሆይ፤ አንተን ባሰብሁ ቍጥር ቃተትሁ፤

ባወጣሁ ባወረድሁም መጠን መንፈሴ ዛለች። ሴላ

4ዐይኖቼ እንዳይከደኑ ያዝሃቸው፤

መናገር እስኪሳነኝ ድረስ ታወክሁ።

5የድሮውን ዘመን አሰብሁ፤

የጥንቶቹን ዓመታት አውጠነጠንሁ።

6ዝማሬዬን በሌሊት አስታወስሁ፤

ከልቤም ጋር ተጫወትሁ፤ መንፈሴም ተነቃቅቶ እንዲህ ሲል ጠየቀ፦

7“ለመሆኑ፣ ጌታ ለዘላለም ይጥላልን?

ከእንግዲህስ ከቶ በጎነትን አያሳይምን?

8ምሕረቱስ ለዘላለም ጠፋን?

የገባውስ ቃል እስከ ወዲያኛው ተሻረን?

9እግዚአብሔር ቸርነቱን ዘነጋ?

ወይስ ከቍጣው የተነሣ ርኅራኄውን ነፈገ?” ሴላ

10እኔም፣ “የልዑል ቀኝ እጅ እንደ ተለወጠ ማሰቤ፣

ይህ ድካሜ ነው” አልሁ።

11የእግዚአብሔርን ሥራ አስታውሳለሁ፤

የጥንት ታምራትህን በርግጥ አስታውሳለሁ፤

12ሥራህን ሁሉ አሰላስላለሁ፤

ድንቅ ሥራህን ሁሉ አውጠነጥናለሁ።

13አምላክ ሆይ፤ መንገድህ ቅዱስ ነው፤

እንደ አምላካችን ያለ ታላቅ አምላክ ማን ነው?

14ታምራትን የምታደርግ አምላክ አንተ ነህ፤

በሕዝቦችም መካከል ኀይልህን ትገልጣለህ።

15የያዕቆብንና የዮሴፍን ልጆች፣

ሕዝብህን በክንድህ ተቤዠሃቸው። ሴላ

16አምላክ ሆይ፤ ውሆች አዩህ፤

ውሆች አንተን አይተው ተሸማቀቁ፤

ጥልቆችም ተነዋወጡ።

17ደመናት ውሃን አንጠባጠቡ፤

ሰማያት አንጐደጐዱ፤

ፍላጾችህም ዙሪያውን አብለጨለጩ።

18የነጐድጓድህ ድምፅ በዐውሎ ነፋስ ውስጥ ተሰማ፤

መብረቅህ ዓለምን አበራው፤

ምድርም ራደች፤ ተንቀጠቀጠች።

19መንገድህ በባሕር ውስጥ ነው፤

መሄጃህም በታላቅ ውሃ ውስጥ ነው፤

ዱካህ ግን አልታወቀም።

20በሙሴና በአሮን እጅ፣

ሕዝብህን እንደ በግ መንጋ መራኸው።

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 77:1-20

स्तोत्र 77

संगीत निर्देशक के लिये. यदूथून के लिए. आसफ का एक स्तोत्र. एक गीत.

1मैं परमेश्वर को पुकारता हूं—उच्च स्वर में परमेश्वर की दुहाई दे रहा हूं;

कि वह मेरी प्रार्थना पर ध्यान दें.

2अपनी संकट की स्थिति में, मैंने प्रभु की सहायता की कामना की;

रात्रि के समय थकावट की अनदेखी कर मैं उनकी ओर हाथ बढ़ाए रहा

किंतु, मेरे प्राण को थोडी भी सांत्वना प्राप्‍त न हुई.

3परमेश्वर, कराहते हुए मैं आपको स्मरण करता रहा;

आपका ध्यान करते हुए मेरी आत्मा क्षीण हो गई.

4जब मैं संकट में निराश हो चुका था;

आपने मेरी आंख न लगने दी.

5मेरे विचार प्राचीन काल में चले गए,

और फिर मैं प्राचीन काल में दूर चला गया.

6जब रात्रि में मैं अपनी गीत रचनाएं स्मरण कर रहा था,

मेरा हृदय उन पर विचार करने लगा, तब मेरी आत्मा में यह प्रश्न उभर आया.

7“क्या प्रभु स्थाई रूप से हमारा परित्याग कर देंगे?

क्या हमने स्थाई रूप से उनकी कृपादृष्टि खो दी है?

8क्या उनका बड़ा प्रेम अब पूर्णतः शून्य हो गया?

क्या उनकी प्रतिज्ञा पूर्णतः विफल प्रमाणित हो गई?

9क्या परमेश्वर की कृपालुता अब जाती रही?

क्या अपने क्रोध के कारण वह दया नहीं करेंगे?”

10तब मैंने विचार किया, “वस्तुतः मेरे दुःख का कारण यह है:

कि सर्वोच्च प्रभु परमेश्वर ने अपना दायां हाथ खींच लिया है.

11मैं याहवेह के महाकार्य स्मरण करूंगा;

हां, प्रभु पूर्व युगों में आपके द्वारा किए गए आश्चर्य कार्यों का मैं स्मरण करूंगा.

12आपके समस्त महाकार्य मेरे मनन का विषय होंगे

और आपके आश्चर्य कार्य मेरी सोच का विषय.”

13परमेश्वर, पवित्र हैं, आपके मार्ग.

और कौन सा ईश्वर हमारे परमेश्वर के तुल्य महान है?

14आप तो वह परमेश्वर हैं, जो आश्चर्य कार्य करते हैं;

समस्त राष्ट्रों पर आप अपना सामर्थ्य प्रदर्शित करते हैं.

15आपने अपने भुजबल से अपने लोगों को,

याकोब और योसेफ़ के वंशजों को, छुड़ा लिया.

16परमेश्वर, महासागर ने आपकी ओर दृष्टि की,

महासागर ने आपकी ओर दृष्टि की और छटपटाने लगा;

महासागर की गहराइयों तक में उथल-पुथल हो गई.

17मेघों ने जल वृष्टि की,

स्वर्ग में मेघ की गरजना गूंज उठी;

आपके बाण इधर-उधर-सर्वत्र बरसने लगे.

18आपकी गरजना का स्वर बवंडर में सुनाई पड़ रहा था,

आपकी बिजली की चमक से समस्त संसार प्रकाशित हो उठा;

पृथ्वी कांपी और हिल उठी.

19आपका मार्ग सागर में से होकर गया है,

हां, महासागर में होकर आपका मार्ग गया है,

किंतु आपके पदचिन्ह अदृश्य ही रहे.

20एक चरवाहे के समान आप अपनी प्रजा को लेकर आगे बढ़ते गए.

मोशेह और अहरोन आपके प्रतिनिधि थे.