ሐዋርያት ሥራ 9 – NASV & NCA

New Amharic Standard Version

ሐዋርያት ሥራ 9:1-43

የሳውል ማመን

9፥1-19 ተጓ ምብ – ሐሥ 22፥3-1626፥9-18

1ሳውል ግን የጌታን ደቀ መዛሙርት ለመግደል አሁንም እየዛተ ወደ ሊቀ ካህናቱ ሄደ፤ 2የጌታን መንገድ የሚከተሉትን ወንዶችንም ሆነ ሴቶችን በዚያ ካገኘ አስሮ ወደ ኢየሩሳሌም ለመውሰድ እንዲችል፣ በደማስቆ ለነበሩት ምኵራቦች ደብዳቤ እንዲሰጠው ሊቀ ካህናቱን ለመነው። 3ደማስቆ ለመድረስ ጥቂት ሲቀረው፣ ብርሃን ከሰማይ ድንገት በዙሪያው አንጸባረቀበት፤ 4እርሱም በምድር ላይ ወደቀ፤ በዚያ ጊዜም “ሳውል፤ ሳውል፤ ለምን ታሳድደኛለህ?” የሚል ድምፅ ሰማ።

5ሳውልም፣ “ጌታ ሆይ፤ አንተ ማን ነህ?” አለው።

እርሱም እንዲህ አለው፤ “እኔማ አንተ የምታሳድደኝ ኢየሱስ ነኝ። 6አሁንም ተነሥተህ ወደ ከተማዪቱ ግባ፤ ማድረግ የሚገባህም ይነገርሃል።”

7ከሳውል ጋር ይጓዙ የነበሩትም ሰዎች ድምፁን እየሰሙ ማንንም ባላዩ ጊዜ፣ አፋቸውን ይዘው ቆሙ። 8ሳውልም ከወደቀበት ተነሥቶ ዐይኑን ሲገልጥ ምንም ማየት አልቻለም፤ ስለዚህ ሰዎቹ እጁን ይዘው እየመሩ ወደ ደማስቆ አስገቡት። 9ሦስት ቀንም ታወረ፤ እህል ውሃም አልቀመሰም።

10በደማስቆ ሐናንያ የሚባል አንድ ደቀ መዝሙር ነበር፤ ጌታም በራእይ፣ “ሐናንያ” ብሎ ጠራው።

እርሱም፣ “ጌታ ሆይ፤ እነሆኝ” አለ።

11ጌታም እንዲህ አለው፤ “ተነሣና ‘ቀጥተኛ ጐዳና’ በተባለው መንገድ ይሁዳ ወደ ተባለ ሰው ቤት ሂድ፤ እዚያም ሳውል የሚባል አንድ የጠርሴስ ሰው እየጸለየ ነውና ፈልገው፤ 12ምክንያቱም ሐናንያ የሚባል ሰው እርሱ ወዳለበት መጥቶ እጁን እንደሚጭንበትና ዐይኑ እንደሚበራለት በራእይ አይቷል።”

13ሐናንያም መልሶ እንዲህ አለው፤ “ጌታ ሆይ፤ ይህ ሰው እኮ በኢየሩሳሌም ባሉ ቅዱሳንህ ላይ ምን ያህል ጕዳት እንዳደረሰ ከብዙ ሰው ሰምቻለሁ፤ 14ወደዚህም የመጣው ስምህን የሚጠሩትን ሁሉ ለማሰር ከካህናት አለቆች ሥልጣን ተቀብሎ ነው።”

15ጌታም እንዲህ አለው፤ “ሂድ፤ ይህ ሰው በአሕዛብና በነገሥታት ፊት እንዲሁም በእስራኤል ሕዝብ ፊት ስሜን እንዲሸከም የተመረጠ ዕቃዬ ነው፤ 16እኔም ስለ ስሜ ምን ያህል መከራ መቀበል እንዳለበት አሳየዋለሁ።”

17ሐናንያ ሄዶ፣ ወደተባለውም ቤት ገባ፤ በሳውልም ላይ እጁን ጭኖ፣ “ወንድሜ ሳውል ሆይ፤ ወደዚህ ስትመጣ በመንገድ ላይ የተገለጠልህ ጌታ ኢየሱስ፣ ዐይንህ እንዲበራና በመንፈስ ቅዱስም እንድትሞላ እኔን ልኮኛል” አለው። 18ወዲያውም ከሳውል ዐይን ላይ ቅርፊት የመሰለ ነገር ወደቀ፤ እንደ ገና ማየት ቻለ፤ ተነሥቶም ተጠመቀ፤ 19ምግብም በልቶ በረታ።

ሳውል በደማስቆና በኢየሩሳሌም

ሳውል በደማስቆ ከነበሩት ደቀ መዛሙርት ጋር አያሌ ቀን ተቀመጠ። 20ወዲያውም፣ ኢየሱስ የእግዚአብሔር ልጅ መሆኑን በየምኵራቦቹ መስበክ ጀመረ። 21የሰሙትም ሁሉ በመገረም፣ ይህ ሰው “በኢየሩሳሌም ይህን ስም የሚጠሩትን ሲያጠፋ የነበረ አይደለምን? ደግሞም ወደዚህ የመጣው እነርሱን አስሮ ወደ ካህናት አለቆች ሊወስዳቸው አልነበረምን?” አሉ። 22ሳውል ግን እየበረታ ሄደ፤ በደማስቆ ለሚኖሩትም አይሁድ ኢየሱስ እርሱ ክርስቶስ9፥22 ወይም መሲሕ መሆኑን ማስረጃ እያቀረበ አፋቸውን ያስይዛቸው ነበር።

23ከብዙ ቀንም በኋላ፣ አይሁድ ሳውልን ለመግደል አሤሩ፤ 24እርሱ ግን ዕቅዳቸውን ዐውቆ ነበር፤ እነርሱም ሊገድሉት የከተማዋን በር ቀንና ሌሊት ይጠብቁ ነበር፤ 25የእርሱ ተከታዮች ግን በሌሊት በከተማዋ ቅጥር ቀዳዳ አሹልከው በቅርጫት አወረዱት።

26ሳውልም ወደ ኢየሩሳሌም በመጣ ጊዜ፣ ከደቀ መዛሙርት ጋር ለመቀላቀል ሞከረ፤ እነርሱ ግን በርግጥ ደቀ መዝሙር መሆኑን ስላላመኑ ሁሉም ፈሩት። 27ይሁን እንጂ በርናባስ ወስዶ ወደ ሐዋርያት አመጣው፤ ሳውልም በጕዞው ላይ ሳለ ጌታን እንዴት እንዳየው፣ ጌታም እንዴት እንደ ተናገረው እንዲሁም በደማስቆ የጌታን ስም እንዴት በድፍረት እንደ ሰበከ ነገራቸው። 28ስለዚህ ሳውል አብሯቸው ተቀመጠ፤ በኢየሩሳሌምም በመዘዋወር በጌታ ስም በድፍረት ይናገር ነበር። 29ከግሪክ አገር ከመጡት አይሁድ ጋር እየተነጋገረ ይከራከር ነበር፤ እነርሱ ግን ሊገድሉት ጥረት ያደርጉ ነበር። 30ወንድሞችም ይህን ባወቁ ጊዜ፣ ወደ ቂሳርያ አውርደው ወደ ጠርሴስ ሰደዱት።

31በዚህ ጊዜ በይሁዳ፣ በገሊላና በሰማርያ ያለችው ቤተ ክርስቲያን በሰላም መኖር ጀመረች፤ ተጠናከረችም። ደግሞም እግዚአብሔርን በመፍራት እየተመላለሰችና በመንፈስ ቅዱስ እየተጽናናች በቍጥር እየበዛች ሄደች።

ኤንያና ዶርቃ

32ጴጥሮስም ከአገር ወደ አገር በሚዘዋወርበት ጊዜ፣ በልዳ የሚኖሩትን ቅዱሳን ለመጐብኘት ወረደ። 33በዚያም ኤንያ የተባለ፣ ስምንት ዓመት የዐልጋ ቍራኛ የነበረ አንድ ሽባ ሰው አገኘ። 34ጴጥሮስም፣ “ኤንያ ሆይ፤ ኢየሱስ ክርስቶስ ይፈውስሃል፤ ተነሣና መኝታህን አንጥፍ” አለው። ኤንያም ወዲያውኑ ብድግ አለ። 35በልዳና በሰሮና የሚኖሩትም ሁሉ እርሱን አይተው ወደ ጌታ ተመለሱ።

36በኢዮጴ ጣቢታ የተባለች አንዲት ደቀ መዝሙር ነበረች፤ የስሟም ትርጓሜ ዶርቃ9፥36 ጣቢታ በአረማይክ ሲሆን፣ ዶርቃ ደግሞ በግሪክ ነው፤ ትርጕሙም ፌቆ (ሚዳቋ) ማለት ነው። ማለት ነው። እርሷም ዘወትር በትጋት በጎ ነገር እያደረገችና ድኾችን እየረዳች ትኖር ነበር። 37በዚያ ጊዜም ታምማ ሞተች፤ ሰዎችም አስከሬኗን ዐጥበው በሰገነት ላይ ባለው ክፍል አስቀመጡት። 38ልዳ ለኢዮጴ ቅርብ ስለ ነበረች፣ ደቀ መዛሙርትም ጴጥሮስ በልዳ መሆኑን በሰሙ ጊዜ ሁለት ሰዎች ልከው፣ “እባክህ ፈጥነህ ወደ እኛ ና!” ሲሉ ለመኑት።

39ጴጥሮስም ተነሥቶ ከእነርሱ ጋር ሄደ፤ እዚያ በደረሰ ጊዜም ሰገነት ላይ ወዳለው ክፍል አወጡት። መበለቶቹም ሁሉ ዶርቃ ከእነርሱ ጋር በነበረችበት ጊዜ ያደረገቻቸውን ቀሚሶችና ልብሶች እያሳዩት ዙሪያውን ከብበው ያለቅሱ ነበር።

40ጴጥሮስም ሁሉንም ከክፍሉ አስወጥቶ ተንበርክኮ ጸለየ፤ ወደ ሬሳውም ዘወር ብሎ፣ “ጣቢታ፤ ተነሺ” አለ። እርሷም ዐይኗን ገለጠች፤ ጴጥሮስንም ባየች ጊዜ ቀና ብላ ተቀመጠች፤ 41እርሱም እጇን ይዞ አስነሣት፤ አማኞችንና መበለቶቹንም ጠርቶ ከነሕይወቷ አስረከባቸው። 42ይህም ነገር በመላው ኢዮጴ ታወቀ፤ ብዙ ሰዎችም በጌታ አመኑ። 43ጴጥሮስም ስምዖን ከተባለ ከአንድ ቍርበት ፋቂ ጋር በኢዮጴ ብዙ ቀን ተቀመጠ።

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

प्रेरितमन के काम 9:1-43

साऊल ह यीसू ला परभू स्वीकार करथे

1साऊल अब तक परभू के चेलामन ला डराय-धमकाय अऊ ओमन ला मार डारे के धुन म रहय। ओह महा पुरोहित करा गीस, 2अऊ दमिस्क के सभा घरमन के नांव म ए खातिर चिट्ठी मांगिस कि आदमी या माईलोगन जऊन ला घलो, ओह मसीह के बिसवास म पावय, त ओला बंदी बनाके यरूसलेम म ले आवय। 3जब ओह चलते-चलत दमिस्क के लकठा म हबरिस, त अचानक अकास म ले ओकर चारों कोति एक अंजोर चमकिस। 4ओह भुइयां म गिर पड़िस अऊ ए अवाज सुनिस, “हे साऊल! हे साऊल! तेंह मोला काबर सतावत हस।”

5साऊल ह पुछिस, “हे परभू! तेंह कोन अस?”

ओह कहिस, “मेंह यीसू अंव, जऊन ला तेंह सतावत हस। 6पर अब उठ अऊ सहर म जा। जऊन काम तोला करना हवय, ओला उहां तोला बताय जाही।”

7जऊन मनखेमन ओकर संग म रिहिन, ओमन ह हक्का-बक्का हो गीन, काबरकि ओमन अवाज ला तो सुनिन, पर कोनो ला नइं देखिन। 8साऊल भुइयां ले उठिस, फेर जब ओह अपन आंखी ला खोलिस, त ओला कुछू दिखाई नइं दीस। एकर खातिर ओकर संगीमन ओकर हांथ ला धरके दमिस्क सहर ले गीन। 9ओह तीन दिन तक नइं देखे सकिस अऊ ओह न कुछू खाईस न पीईस।

10दमिस्क म हनन्याह नांव के एक झन चेला रहय। परभू ह ओला दरसन म कहिस, “हे हनन्याह!”

ओह कहिस, “हां, परभू।”

11त परभू ह ओला कहिस, “उठ, अऊ ओ गली म जा, जऊन ला ‘सीधा’ कहे जाथे। उहां यहूदा के घर म साऊल नांव के एक झन तरसुस के रहइया मनखे के बारे पुछबे। देख, ओह पराथना करत हवय। 12ओह दरसन म हनन्याह नांव के एक मनखे ला घर के भीतर आवत अऊ अपन ऊपर हांथ रखत देखे हवय कि ओह फेर देखे लगय।”

13हनन्याह ह कहिस, “हे परभू! मेंह ए मनखे के बारे म बहुंते झन ले सुने हवंव कि एह यरूसलेम म तोर ऊपर बिसवास करइयामन के ऊपर भारी अतियाचार करे हवय। 14अऊ इहां दमिस्क म घलो ओह महा पुरोहित ले अधिकार लेके आय हवय कि जऊन मनखेमन तोर नांव लेथें, ओ जम्मो झन ला बंदी बनाके यरूसलेम ले जावय।”

15पर परभू ह हनन्याह ला कहिस, “तेंह उहां जा, काबरकि ओह आनजातमन के अऊ ओमन के राजामन के अऊ इसरायली मनखेमन के आघू म मोर नांव के परचार करे बर मोर दुवारा चुने गे हवय। 16अऊ मेंह ओला देखाहूं कि मोर नांव के खातिर ओला कतेक दुःख उठाय बर पड़ही।”

17तब हनन्याह ह उठके ओ घर म गीस। उहां ओह साऊल ऊपर अपन हांथ ला रखके कहिस, “हे भाई साऊल! परभू याने यीसू, जऊन ह तोला ओ रसता म आवत बेरा दिखाई दे रिहिस, ओही ह मोला पठोय हवय कि तेंह फेर देखे लग अऊ पबितर आतमा ले भर जा।” 18तुरते साऊल के आंखीमन ले कुछू छिलका सहीं गिरिस अऊ ओह फेर देखे लगिस। ओह उठके बतिसमा लीस अऊ खाना खाके फेर बल पाईस।

दमिस्क अऊ यरूसलेम सहर म साऊल

19साऊल ह कुछू दिन तक चेलामन के संग दमिस्क म रिहिस। 20ओह तुरते सभा घरमन म यीसू के बारे परचार करे लगिस कि ओह परमेसर के बेटा अय। 21जम्मो सुनइयामन चकित होके कहे लगिन, “का एह ओही मनखे नो हय, जऊन ह यरूसलेम म यीसू के नांव लेवइयामन ला नास करत रिहिस? ओह इहां घलो एकर बर आय रिहिस कि यीसू के नांव लेवइयामन ला बंदी बनाके मुखिया पुरोहितमन करा ले जावय।” 22पर साऊल अऊ सामरथी होवत गीस। ओह ए बात के सबूत दे देके कि यीसू ही मसीह अय, दमिस्क म रहइया यहूदीमन के मुहूं बंद कर दीस।

23जब बहुंत दिन बीत गे, तब यहूदीमन मिलके साऊल ला मार डारे के उपाय करिन। 24पर ओमन के उपाय ला साऊल जान डारिस। यहूदीमन साऊल ला मार डारे खातिर रात-दिन दमिस्क के दुवारी म घात लगाके बईठे रहंय। 25पर रतिहा साऊल के चेलामन ओला टोकना म बइठाईन अऊ भिथी के छेदा ले लटकाके ओला सहर के बाहिर उतार दीन9:25 दमिस्क सहर ह पथरा के भिथी ले चारों कोति घेराय रहय अऊ ओम कपाट घलो रहय। ओ समय सहरमन के चारों कोति सुरछा बर दिवाल रहय।

26जब साऊल ह यरूसलेम म आईस, त ओह चेलामन संग मिले के कोसिस करिस, पर ओ जम्मो झन ओकर ले डर्रावत रिहिन, काबरकि ओमन ला बिसवास नइं होवत रहय कि ओह घलो यीसू के चेला बन गे हवय। 27पर बरनबास ह ओला अपन संग प्रेरितमन करा ले गीस अऊ ओमन ला बताईस कि साऊल ह कइसने रसता म परभू ला देखिस अऊ परभू ह ओकर ले बात करिस अऊ दमिस्क म ओह कइसने हिम्मत के संग यीसू के नांव के परचार करिस। 28तब साऊल ह ओमन के संग रहिके यरूसलेम म जम्मो जगह आवत-जावत रिहिस। ओह निडर होके परभू के नांव के परचार करत रिहिस। 29ओह यूनानी भासा बोलइया यहूदीमन के संग बातचीत अऊ बाद-बिवाद करय, पर ओमन ओला मार डारे के कोसिस करिन। 30जब बिसवासी भाईमन ला ए बात के पता चलिस, त ओमन ओला कैसरिया ले गीन अऊ उहां ले ओला तरसुस पठो दीन।

31तब जम्मो यहूदिया, गलील अऊ सामरिया प्रदेस म कलीसिया ला सांति मिलिस अऊ कलीसिया ह मजबूत होवत गीस अऊ पबितर आतमा के मदद ले परभू के डर म रहत गनती म बढ़त गीस।

एनियास अऊ दोरकास

32पतरस ह जम्मो जगह होवत, ओ परमेसर के मनखेमन करा गीस, जऊन मन लुद्दा नगर म रहत रिहिन। 33उहां पतरस ला एनियास नांव के लकवा के मारे एक झन मनखे मिलिस। ओह आठ साल ले खटिया म पड़े रहय। 34पतरस ह ओला कहिस, “हे एनियास! यीसू मसीह ह तोला बने करत हवय। उठ, अपन बिछौना ला ठीक कर।” एनियास तुरते उठके ठाढ़ हो गीस। 35लुद्दा अऊ सारोन के जम्मो रहइयामन ओला चंगा देखके परभू करा आईन।

36याफा म तबीता नांव के बिसवासी माईलोगन रहय (तबीता ला यूनानी म दोरकास कहे जाथे, जेकर मतलब हिरन होथे)। ओह हमेसा भलई करय अऊ गरीबमन के मदद करय। 37ओही दिन म, ओह बेमार पड़िस अऊ मर गीस। मनखेमन ओकर लास ला नहवाके ऊपर के कमरा म रख दीन। 38लुद्दा नगर याफा के लकठा म रिहिस। चेलामन जब ए सुनिन कि पतरस ह लुद्दा म हवय, त ओमन दू झन ला पठोके ओकर ले बिनती करिन, “हमर करा तुरते आ।”

39तब पतरस ह उठके ओमन के संग याफा गीस अऊ जब ओह उहां हबरिस, त मनखेमन ओला ऊपर के कमरा म ले गीन। जम्मो बिधवामन रोवत पतरस करा आके ठाढ़ हो गीन अऊ जऊन कुरता अऊ आने कपड़ामन ला दोरकास ह ओमन के संग रहत बनाय रहय, ओ जम्मो ला पतरस ला देखाय लगिन।

40तब पतरस ह जम्मो झन ला कमरा ले बाहिर कर दीस अऊ माड़ी टेकके पराथना करिस अऊ लास कोति देखके कहिस, “हे तबीता, उठ।” ओह अपन आंखी ला उघारिस अऊ पतरस ला देखके उठ बईठिस। 41पतरस ह ओकर हांथ ला सहारा देके ओला उठाईस। तब पतरस ह बिसवासी मनखे अऊ बिधवा मन ला बलाईस अऊ ओला जीयत-जागत देखाईस। 42ए बात ह जम्मो याफा सहर म फइल गीस अऊ बहुंते मनखेमन परभू ऊपर बिसवास करिन। 43पतरस ह याफा म सिमोन नांव के चमड़ा के धंधा करइया एक मनखे के इहां कुछू दिन रिहिस।