ሉቃስ 24 – NASV & NCA

New Amharic Standard Version

ሉቃስ 24:1-53

የኢየሱስ ትንሣኤ

24፥1-10 ተጓ ምብ – ማቴ 28፥1-8ማር 16፥1-8ዮሐ 20፥1-8

1በሳምንቱ መጀመሪያ ቀን ሴቶቹ ያዘጋጁትን ሽቱ ይዘው እጅግ ማለዳ ሳለ ወደ መቃብሩ ሄዱ። 2ድንጋዩም ከመቃብሩ ደጃፍ ተንከባልሎ አገኙት፤ 3ወደ ውስጥ ዘልቀው በገቡ ጊዜ ግን የጌታ ኢየሱስን ሥጋ አላገኙም። 4በሁኔታው ግራ ተጋብተው ሳሉ፣ እነሆ፤ እጅግ የሚያንጸባርቅ ልብስ የለበሱ ሁለት ሰዎች ድንገት አጠገባቸው ቆሙ። 5ሴቶቹም ከመፍራታቸው የተነሣ ወደ ምድር አቀርቅረው ሳሉ፣ ሰዎቹ እንዲህ አሏቸው፤ “ሕያው የሆነውን እርሱን ለምን ከሙታን መካከል ትፈልጋላችሁ? 6እርሱ ተነሥቷል! እዚህ የለም፤ ደግሞም በገሊላ በነበረ ጊዜ ምን እንዳላችሁ አስታውሱ፤ 7‘የሰው ልጅ በኀጢአተኞች እጅ ዐልፎ ሊሰጥ፣ ሊሰቀልና በሦስተኛውም ቀን ሊነሣ ይገባል’ ብሎ ነበርና።” 8ሴቶቹም በዚህ ጊዜ ቃሉን አስታወሱ።

9ሴቶቹ ከመቃብሩ ስፍራ ተመልሰው ይህን ሁሉ ነገር ለዐሥራ አንዱና ለተቀሩት ሁሉ ነገሯቸው። 10ይህን ለሐዋርያት የነገሯቸውም፣ መግደላዊት ማርያም፣ ዮሐና፣ የያዕቆብ እናት ማርያምና ከእነርሱ ጋር የነበሩት ሌሎች ሴቶች ነበሩ። 11እነርሱ ግን ሴቶቹ የተናገሩት ቃል መቀባዠር ስለ መሰላቸው አላመኗቸውም። 12ጴጥሮስ ግን ተነሥቶ ወደ መቃብሩ ሮጠ፤ እዚያ ደርሶም ጐንበስ ብሎ ወደ ውስጥ ሲመለከት፣ በፍታው እንዳለ ለብቻው ተቀምጦ አየ፤ በሆነውም ነገር እየተገረመ ወደ ቤቱ ተመለሰ።

በኤማሁስ መንገድ ላይ

13በዚሁ ቀን ከደቀ መዛሙርት ሁለቱ፣ ከኢየሩሳሌም ዐሥራ አንድ ኪሎ ሜትር24፥13 ግሪኩ ስድሳ ምዕራፍ ይላል። ያህል ወደሚርቅ፣ ኤማሁስ ወደሚባል መንደር ይሄዱ ነበር፤ 14እነርሱም ስለ ሆነው ነገር ሁሉ እርስ በርስ ይነጋገሩ ነበር። 15እየተነጋገሩና እየተወያዩ ሳሉም ኢየሱስ ራሱ ቀርቦ ከእነርሱ ጋር ይሄድ ጀመር፤ 16ነገር ግን እንዳያውቁት ዐይናቸው ተይዞ ነበር።

17እርሱም፣ “እየሄዳችሁ፣ መንገድ ላይ እርስ በርስ እንዲህ የምትወያዩት ምንድን ነው?” አላቸው።

እነርሱም በሐዘን ክው ብለው ቆሙ። 18ከእነርሱም አንዱ፣ ቀለዮጳ የተባለው፣ “በእነዚህ ቀናት እዚህ በኢየሩሳሌም የሆነውን ነገር የማታውቅ፣ አንተ ብቻ ለአገሩ እንግዳ ነህን?” ሲል መለሰለት።

19እርሱም፣ “የሆነው ነገር ምንድን ነው?” አላቸው።

እነርሱም እንዲህ አሉት፤ “በእግዚአብሔርና በሰው ሁሉ ፊት በተግባርና በቃል ብርቱ ነቢይ ስለ ነበረው ስለ ናዝሬቱ ኢየሱስ ነው፤ 20እርሱን የካህናት አለቆችና ገዦቻችን ለሞት ፍርድ አሳልፈው ሰጡት፤ ሰቀሉትም። 21እኛ ግን እስራኤልን ይቤዣል ብለን ተስፋ ያደረግነው እርሱን ነበር፤ ከሁሉም በላይ ደግሞ፣ ይህ ከሆነ ዛሬ ሦስተኛው ቀን ነው። 22ደግሞም ከእኛው መካከል አንዳንድ ሴቶች አስገረሙን፤ እነርሱም ማልደው ወደ መቃብሩ ሄደው ነበር፤ 23ሥጋውንም ባጡ ጊዜ መጥተው እርሱ በሕይወት እንዳለ የነገሯቸውን መላእክት በራእይ እንዳዩ አወሩልን። 24ከእኛም መካከል አንዳንዶች ወደ መቃብሩ ሄደው፣ ልክ ሴቶቹ እንዳሉት ሆኖ አገኙት፤ እርሱን ግን አላዩትም።”

25እርሱም እንዲህ አላቸው፤ “እናንተ የማታስተውሉ ሰዎች፣ ልባችሁም ነቢያት የተናገሩትን ሁሉ ከማመን የዘገየ፣ 26ክርስቶስ24፥26 ወይም መሲሕ እንዲሁም 46 ይመ ይህን መከራ መቀበልና ወደ ክብሩም መግባት አይገባውምን?” 27ከሙሴና ከነቢያት ሁሉ ጀምሮ በቅዱሳት መጻሕፍት ስለ እርሱ የተጻፈውን አስረዳቸው።

28ወደሚሄዱበትም መንደር በተቃረቡ ጊዜ፣ ኢየሱስ ዐልፎ የሚሄድ መሰለ። 29እነርሱ ግን፣ “ምሽት እየተቃረበ፣ ቀኑም እየተገባደደ ስለሆነ ከእኛ ጋር ዕደር” ብለው አጥብቀው ለመኑት፤ ስለዚህ ከእነርሱ ጋር ለማደር ገባ።

30አብሯቸውም በማእድ በተቀመጠ ጊዜ፣ እንጀራውን አንሥቶ ባረከ፤ ቈርሶም ሰጣቸው። 31በዚህ ጊዜ ዐይናቸው ተከፈተ፤ ዐወቁትም፤ እርሱም ከእነርሱ ተሰወረ። 32እነርሱም፣ “በመንገድ ሳለን፣ እያነጋገረን ቅዱሳት መጻሕፍትንም ገልጦ ሲያስረዳን፣ ልባችን ይቃጠልብን አልነበረምን?” ተባባሉ።

33በዚያኑም ሰዓት ተነሥተው ወደ ኢየሩሳሌም ተመለሱ፤ ዐሥራ አንዱና ከእነርሱ ጋር የነበሩትም በዚያ በአንድነት ተሰብስበው አገኟቸው፤ 34“እነርሱም ጌታ በርግጥ ተነሥቷል! ለስምዖንም ታይቷል” ይባባሉ ነበር። 35ሁለቱ ደቀ መዛሙርትም በመንገድ ላይ የሆነውንና ኢየሱስ እንጀራውን በቈረሰ ጊዜ እንዴት እንዳወቁት ተረኩላቸው።

ኢየሱስ ለደቀ መዛሙርት ተገለጠ

36ይህን እየተነጋገሩ ሳሉ፣ ኢየሱስ ራሱ በመካከላቸው ቆሞ፣ “ሰላም ለእናንተ ይሁን” አላቸው።

37እነርሱ ግን ደንግጠው በፍርሀት ተዋጡ፤ መንፈስም ያዩ መሰላቸው። 38እርሱም እንዲህ አላቸው፤ “ለምን ትጨነቃላችሁ? ለምንስ ጥርጣሬ በልባችሁ ይገባል? 39እጆቼንና እግሮቼን ተመልከቱ፤ እኔው ራሴ ነኝ። ደግሞም ንኩኝና እዩ፤ በእኔ እንደምታዩት መንፈስ ሥጋና ዐጥንት የለውምና።”

40ይህንም ብሎ እጆቹንና እግሮቹን አሳያቸው። 41እነርሱም ከመደሰትና ከመገረም የተነሣ ገና ሳያምኑ፣ “በዚያ ቦታ አንዳች የሚበላ ነገር አላችሁን?” አላቸው። 42እነርሱም ከተጠበሰ ዓሣ አንድ ቍራሽ ሰጡት፤ 43እርሱም ተቀብሎ በፊታቸው በላ።

44እርሱም፣ “ከእናንተ ጋር በነበርሁበት ጊዜ፣ ‘በሙሴ ሕግ፣ በነቢያትና በመዝሙር መጻሕፍት ስለ እኔ የተጻፈው ሁሉ ይፈጸም ዘንድ ይገባል’ ብዬ የነገርኋችሁ ቃሌ ይህ ነው” አላቸው።

45በዚህ ጊዜ ቅዱሳት መጻሕፍትን እንዲያስተውሉ አእምሯቸውን ከፈተላቸው፤ 46እንዲህም አላቸው፤ “ ‘እንዲህ ተብሎ ተጽፏል፤ ክርስቶስ መከራን ይቀበላል፤ በሦስተኛውም ቀን ከሙታን ይነሣል፤ 47ከኢየሩሳሌም ጀምሮ ለሕዝቦች ሁሉ ንስሓና የኀጢአት ስርየት በስሙ ይሰበካል፤’ 48እናንተም ለዚህ ምስክሮች ናችሁ። 49እኔም አባቴ የሰጠውን ተስፋ እልክላችኋለሁ፤ እናንተ ግን ከላይ ኀይል እስክትለብሱ ድረስ በኢየሩሳሌም ከተማ ቈዩ።”

የኢየሱስ ዕርገት

50ከዚህ በኋላ እስከ ቢታንያ ይዟቸው ወጣ፤ እጆቹንም አንሥቶ ባረካቸው። 51እየባረካቸውም ሳለ፣ ከእነርሱ ተለይቶ ወደ ሰማይ ዐረገ። 52እነርሱም ሰገዱለት፤ በታላቅ ደስታም ወደ ኢየሩሳሌም ተመለሱ፤ 53እግዚአብሔርንም እያመሰገኑ ዘወትር በቤተ መቅደስ ነበሩ።

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

लूका 24:1-53

यीसू के जी उठई

(मत्ती 28:1-10; मरकुस 16:1-8; यूहन्ना 20:1-10)

1हप्‍ता के पहिली दिन बड़े बिहनियां, ओ माईलोगनमन जऊन मसाला के लेप तियार करे रिहिन, ओला लेके यीसू के कबर करा गीन। 2ओमन पथरा ला कबर के मुंहाटी ले ढलन्‍गे पाईन। 3पर जब ओमन कबर के भीतर गीन, त ओमन उहां परभू यीसू के देहें ला नइं पाईन। 4जब ओमन ए बात ला देखके अचम्भो करत रिहिन, त अचानक दू झन बहुंत चमकिला कपड़ा पहिरे ओमन करा आके ठाढ़ हो गीन। 5ओमन बहुंत डर्रा गीन अऊ अपन चेहरा ला तरी करके ठाढ़ हो गीन, तब ओ मनखेमन ओमन ला कहिन, “जऊन ह जीयत हवय, ओला तुमन मरे मन के बीच म काबर खोजत हवव? 6ओह इहां नइं ए। ओह जी उठे हवय। सुरता करव, जब ओह तुम्‍हर संग गलील प्रदेस म रिहिस, त तुमन ला का कहे रिहिस: 7‘मनखे के बेटा ह पापी मनखेमन के हांथ म सऊंपे जाही अऊ ओह कुरुस म चघाय जाही, पर तीसरा दिन ओह फेर जी उठही।’ ” 8तब ओ माईलोगनमन यीसू के बात ला सुरता करिन।

9जब ओमन कबर ले वापिस आईन, त ओमन ए जम्मो बात गियारह चेला अऊ दूसर जम्मो झन ला बताईन। 10ए माईलोगनमन मरियम मगदलिनी, योअन्ना अऊ याकूब के दाई मरियम रिहिन। एमन अऊ आने माईलोगनमन ए बात प्रेरितमन ला बताईन। 11पर ओमन माईलोगनमन के बात ला बिसवास नइं करिन काबरकि ओमन ला एह बेकार के बात लगिस। 12पर पतरस ह उठिस अऊ दऊड़त कबर म गीस। जब ओह निहरके देखिस, त उहां सिरिप कपड़ा ह पड़े रहय। तब जऊन कुछू होय रिहिस, ओकर बारे म अचम्भो करत, ओह अपन घर लहुंट गीस।

इम्माऊस के डहार म

(मरकुस 16:12-13)

13ओहीच दिन, यीसू के चेलामन ले दू झन इम्माऊस नांव के एक गांव ला जावत रिहिन, जऊन ह यरूसलेम सहर ले करीब गियारह किलोमीटर दूरिहा रिहिस। 14जऊन कुछू होय रिहिस, ओकर बारे म ओ दूनों गोठियावत जावत रिहिन। 15जब ओमन आपस म गोठियावत अऊ बिचार करत जावत रिहिन, त यीसू ह खुदे आईस अऊ ओमन के संग हो लीस; 16पर ओमन ओला चिन्हे नइं सकिन।

17यीसू ह ओमन ले पुछिस, “तुमन रेंगत-रेंगत काकर बारे म गोठियावत हवव?”

उदास होके ओमन ठाढ़े रह गीन। 18ओम ले एक झन के नांव क्‍लियुपास रिहिस, ओह कहिस, “का तेंह यरूसलेम म रहइया एके झन मनखे अस, जऊन ह नइं जानस कि ए दिनमन म यरूसलेम म का होय हवय?”

19यीसू ह पुछिस, “का होय हवय?”

ओमन यीसू ला कहिन, “नासरत के यीसू के बारे म। ओह एक अगमजानी रिहिस अऊ ओकर बात अऊ काममन परमेसर अऊ जम्मो मनखेमन के नजर म बहुंत सामरथी रिहिन। 20मुखिया पुरोहित अऊ हमर अधिकारीमन मिरतू दंड बर यीसू ला सऊंप दीन, अऊ ओमन ओला कुरुस म चघा दीन। 21पर हमन ला आसा रिहिस कि एह ओहीच ए, जऊन ह इसरायली मनखेमन ला बचाही। ए जम्मो के अलावा एक बात अऊ ए कि ए बात ला होवय आज तीसरा दिन ए। 22हमर संग के कुछू माईलोगनमन हमन ला अचम्भो म डार दे हवंय। ओमन आज बड़े बिहनियां कबर म गे रिहिन। 23पर ओमन ला उहां यीसू के देहें ह नइं मिलिस। ओमन आके हमन ला बताईन कि ओमन ला स्वरगदूतमन दरसन देके कहिन कि यीसू ह जी उठे हवय। 24तब हमर कुछू संगवारीमन कबर म गीन अऊ जइसने माईलोगनमन कहे रिहिन, वइसनेच पाईन; पर ओमन यीसू ला उहां नइं देखिन।”

25यीसू ह ओमन ला कहिस, “तुमन बहुंत मुरुख मनखे अव। अगमजानीमन जऊन बात कहे हवंय, ओ जम्मो ला बिसवास करे म तुमन बहुंत मंदमति अव। 26का एह जरूरी नइं रिहिस कि मसीह ह ए जम्मो दुःख भोगय अऊ तब परमेसर ओकर बहुंत महिमा करय।” 27मूसा अऊ जम्मो अगमजानीमन के किताबमन ले सुरू करके परमेसर के जम्मो बचन म ओकर खुद के बारे म का कहे गे हवय – यीसू ह ओ जम्मो बात ओमन ला समझाईस।

28जब ओमन ओ गांव म हबरिन, जिहां ओमन ला जाना रिहिस, त यीसू ह अइसने देखाईस, जइसने ओला अऊ आघू जाना हवय। 29पर ओमन ओकर ले बहुंत बिनती करके कहिन, “हमर संग रूक जा, काबरकि दिन ह बहुंत ढर गे हवय, अऊ सांझ होवइया हे।” एकरसेति यीसू ह ओमन के संग रूके बर भीतर गीस।

30जब यीसू ह ओमन के संग खाय बर बईठिस, त ओह रोटी लीस अऊ परमेसर ला धनबाद दीस; अऊ रोटी ला टोरके ओमन ला देय लगिस। 31तब ओमन के आंखीमन खुल गीन अऊ ओमन यीसू ला चिन डारिन; पर ओह ओमन के नजर ले गायब हो गीस। 32ओमन एक-दूसर ला कहिन, “का हमर मन म एक किसम के उत्साह नइं होवत रिहिस, जब ओह डहार म हमर ले गोठियावत रिहिस अऊ हमन ला परमेसर के बचन समझावत रिहिस?”

33ओमन उठिन अऊ तुरते यरूसलेम वापिस चल दीन। उहां ओमन गियारह चेला अऊ आने मन ला एके ठऊर म पाईन, 34अऊ ओमन ए कहत रिहिन, “एह सच ए! परभू ह जी उठे हवय अऊ ओह सिमोन ला दिखे हवय।” 35तब ओ दूनों झन बताईन कि डहार म का होईस, अऊ ओमन कइसने यीसू ला चिनहिन, जब ओह रोटी टोरत रिहिस।

यीसू ह चेलामन ला दरसन देथे

(मत्ती 28:16-20; मरकुस 16:14-18; यूहन्ना 20:19-23; प्रेरितमन के काम 1:6-8)

36जब ओमन एकर बारे म गोठियावत रिहिन, त यीसू ह खुद ओमन के बीच आके ठाढ़ हो गीस अऊ ओमन ला कहिस, “तुमन ला सांति मिलय।”

37ओमन घबरा गीन अऊ डर गीन। ओमन समझिन कि ओमन कोनो भूत ला देखत हवंय। 38यीसू ह ओमन ला कहिस, “तुमन काबर घबरावत हव, अऊ तुम्‍हर मन म काबर संसो होवत हवय? 39मोर हांथ अऊ गोड़ मन ला देखव। इहां मेंह खुदे ठाढ़े हवंव। मोला छुके देखव। भूत के हाड़ा अऊ मांस नइं होवय, जइसने कि तुमन देखत हव, मोर हवय।”

40ए कहिके, यीसू ह ओमन ला अपन हांथ अऊ गोड़ मन ला देखाईस। 41अऊ जब आनंद अऊ अचम्भो के मारे ओमन अभी घलो बिसवास नइं करत रिहिन, त यीसू ह ओमन ले पुछिस, “का तुम्‍हर करा इहां कुछू खाय बर हवय?” 42ओमन ओला आगी म भूने मछरी के एक टुकड़ा दीन। 43यीसू ह ओला लीस अऊ ओमन के आघू म खाईस।

44तब यीसू ह ओमन ला कहिस, “जब मेंह तुम्‍हर संग रहत रहेंव, त मेंह तुमन ला ए बातमन ला कहे रहेंव। मोर बारे म जऊन बातमन मूसा के कानून, अगमजानीमन के किताब अऊ भजन-संहिता म लिखे हवय, ए जरूरी अय कि ओ जम्मो बात पूरा होवय।”

45तब यीसू ह ओमन के दिमाग ला खोल दीस ताकि ओमन परमेसर के बचन ला समझ सकंय। 46ओह ओमन ला कहिस, “परमेसर के बचन म ए लिखे हवय: ‘मसीह ह दुःख भोगही अऊ तीसरा दिन मरे म ले जी उठही, 47अऊ ओकर नांव म पछताप अऊ पाप छेमा के परचार जम्मो देस म करे जाही अऊ ए काम यरूसलेम ले सुरू होही।’ 48तुमन ए जम्मो बात के गवाह अव। 49मेंह तुम्‍हर करा ओला (पबितर आतमा) पठोहूं, जेकर वायदा मोर ददा ह करे हवय। पर तुमन ए सहर म ठहरे रहव, जब तक कि तुमन ला स्‍वरग ले सामरथ नइं मिल जावय।”

यीसू के स्‍वरग जवई

(मरकुस 16:19-20; प्रेरितमन के काम 1:9-11)

50तब यीसू ह ओमन ला सहर ले बाहिर बैतनियाह गांव के लकठा म ले गीस अऊ उहां ओह अपन हांथ उठाके ओमन ला आसिस दीस। 51यीसू ह आसिस देवत ओमन ले अलग हो गीस अऊ स्‍वरग म उठा लेय गीस। 52तब ओमन ओकर अराधना करिन अऊ बहुंत आनंद के संग यरूसलेम लहुंट गीन। 53अऊ परमेसर के इस्तुति करत, ओमन अपन पूरा समय मंदिर म बिताय करत रिहिन।