ሉቃስ 15 – NASV & NCA

New Amharic Standard Version

ሉቃስ 15:1-32

የጠፋው በግ ምሳሌ

15፥4-7 ተጓ ምብ – ማቴ 18፥12-14

1አንድ ቀን፣ ቀረጥ ሰብሳቢዎችና “ኀጢአተኞች” ሁሉ ሊሰሙት በዙሪያው ተሰበሰቡ። 2ፈሪሳውያንና ጸሐፍትም፣ “ይህ ሰው ኀጢአተኞችን ይቀበላል፤ ከእነርሱም ጋር ይበላል” እያሉ አጕረመረሙ።

3ኢየሱስም እንዲህ ሲል ይህን ምሳሌ ነገራቸው፤ 4“ከእናንተ መካከል አንዱ መቶ በጎች ቢኖሩትና ከእነርሱ አንዱ ቢጠፋበት፣ ዘጠና ዘጠኙን በሜዳ ላይ ጥሎ የጠፋውን እስኪያገኝ ድረስ ሊፈልገው የማይሄድ ማን ነው? 5ባገኘውም ጊዜ ደስ ብሎት በጫንቃው ተሸክሞ፣ 6ወደ ቤቱ ይመለሳል፤ ወዳጆቹንና ጎረቤቶቹንም በአንድነት ጠርቶ፣ ‘የጠፋውን በጌን አግኝቻለሁና ከእኔ ጋር ደስ ይበላችሁ’ ይላቸዋል። 7እላችኋለሁ፤ እንደዚሁም ንስሓ ከማያስፈልጋቸው ከዘጠና ዘጠኝ ጻድቃን ይልቅ፣ ንስሓ በሚገባ በአንድ ኀጢአተኛ በሰማይ ደስታ ይሆናል።

የጠፋው ሳንቲም ምሳሌ

8“ወይም ዐሥር የብር ሳንቲሞች ያላት ሴት ከዐሥሩ አንዱ ቢጠፋባት፣ እስክታገኘው ድረስ መብራት አብርታ፣ ቤቷን ጠርጋ፣ አጥብቃ የማትፈልግ ሴት ማን ናት? 9ባገኘችውም ጊዜ ወዳጆቿንና ጎረቤቶቿን በአንድነት ጠርታ፣ ‘የጠፋብኝን የብር ሳንቲም አግኝቻለሁና ከእኔ ጋር ደስ ይበላችሁ’ ትላቸዋለች። 10እላችኋለሁ፤ እንደዚሁም ንስሓ በሚገባ በአንድ ኀጢአተኛ በእግዚአብሔር መላእክት ፊት ደስታ ይሆናል።”

ጠፍቶ የተገኘው ልጅ ምሳሌነት

11ደግሞም ኢየሱስ እንዲህ አላቸው፤ “አንድ ሰው ሁለት ልጆች ነበሩት። 12ከእነርሱም ታናሹ ልጅ አባቱን፣ ‘አባቴ ሆይ፤ ከሀብትህ ድርሻዬን ስጠኝ’ አለው፤ አባትየውም ሀብቱን ለልጆቹ አካፈላቸው።

13“ብዙም ቀን ሳይቈይ፣ ታናሹ ልጅ ድርሻውን ሁሉ ጠቅልሎ ወደ ሩቅ አገር ሄደ፤ በዚያም በማጋጣነት ንብረቱን አባከነ። 14እርሱም ያለውን ሁሉ ከጨረሰ በኋላ፣ በዚያ አገር ሁሉ ጽኑ ራብ ሆነ፤ ይቸገርም ጀመር። 15ስለዚህ ከዚያ አገር ነዋሪዎች አንዱን ተጠጋ፤ ሰውየውም ዐሣማ እንዲቀልብለት ወደ ዕርሻው ላከው። 16ዐሣማዎቹ የሚመገቡትን ዐሠር እንኳ ለመብላት ይመኝ ነበር፤ ነገር ግን ይህን እንኳ የሚሰጠው ሰው አልነበረም።

17“ልብ በገዛ ጊዜ ግን እንዲህ አለ፤ ‘ስንቱ የአባቴ ሠራተኛ ምግብ ተርፎታል፤ እኔ ግን እዚህ በራብ ልሞት ተቃርቤአለሁ 18ተነሥቼ ወደ አባቴ ልሂድና፣ እንዲህ ልበለው፤ አባቴ ሆይ፤ በሰማይና በአንተ ፊት በድያለሁ፤ 19ከእንግዲህ ልጅህ ተብዬ ልጠራ አይገባኝም፤ ከተቀጠሩት አገልጋዮችህ እንደ አንዱ ቍጠረኝ።’ 20ስለዚህም ተነሥቶ ወደ አባቱ ሄደ።

“ነገር ግን፣ እርሱ ገና ሩቅ ሳለ፣ አባቱ አይቶት ራራለት፤ ወደ እርሱም እየሮጠ ሄዶ ዐቅፎ ሳመው።

21“ልጁም፣ ‘አባቴ ሆይ፤ በሰማይና በአንተ ፊት በድያለሁ፤ ከእንግዲህ ልጅህ ተብዬ ልጠራ አይገባኝም’ አለው።15፥21 አንዳንድ የጥንት ቅጆች ከተቀጠሩት አገልጋዮችህ እንኳ እንደ አንዱ ቈጥረህ ተቀበለኝ የሚል አላቸው።

22“አባቱ ግን አገልጋዮቹን እንዲህ አላቸው፤ ‘ፈጥናችሁ ከሁሉ ምርጥ የሆነውን ልብስ አምጡና አልብሱት፤ ለጣቱ ቀለበት፣ ለእግሩም ጫማ አድርጉለት፤ 23የሠባውንም ፍሪዳ አምጡና ዕረዱ፤ እንብላ፤ እንደሰት፤ 24ይህ ልጄ ሞቶ ነበር፤ አሁን ግን ሕያው ሆኗል፤ ጠፍቶም ነበር፤ ተገኝቷል።’ ከዚያም ይደሰቱ ጀመር።

25“በዚህ ጊዜ ታላቁ ልጅ በዕርሻ ቦታ ነበረ፤ ከዚያም ተመልሶ ወደ ቤት በተቃረበ ጊዜ፣ የሙዚቃና የጭፈራ ድምፅ ሰማ፤ 26እርሱም ከአገልጋዮቹ አንዱን ጠርቶ ነገሩ ምን እንደ ሆነ ጠየቀው። 27አገልጋዩም፣ ‘ወንድምህ መጥቷል፤ በሰላም በጤና ስለ መጣም አባትህ የሠባውን ፍሪዳ ዐርዶለታል’ አለው።

28“ታላቅ ወንድሙም ተቈጣ፤ ወደ ቤትም መግባት አልፈለገም፤ አባቱም ወደ ውጭ ወጥቶ እንዲገባ ለመነው። 29እርሱ ግን መልሶ አባቱን እንዲህ አለው፤ ‘እነሆ፤ ይህን ያህል ዘመን እንደ ባሪያ አገልግዬሃለሁ፤ ከትእዛዝህም አንዱን እንኳ አላጓደልሁም፤ አንተ ግን ከባልንጀሮቼ ጋር እንድደሰት አንዲት የፍየል ግልገል እንኳ አልሰጠኸኝም፤ 30ነገር ግን ይህ ልጅህ ንብረትህን ከጋለሞቶች ጋር አውድሞ ሲመጣ፣ የሠባውን ፍሪዳ ዐረድህለት።’

31“አባቱም እንዲህ አለው፤ ‘ልጄ ሆይ፤ አንተ ሁልጊዜ ከእኔ ጋር ነህ፤ የእኔ የሆነው ሁሉ የአንተ ነው፤ 32ይህ ወንድምህ ግን ሞቶ ነበር፤ ሕያው ሆነ፤ ጠፍቶ ነበር ተገኘ፤ ስለዚህ ደስ ሊለንና ፍሥሓ ልናደርግ ይገባናል።’ ”

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

लूका 15:1-32

गंवाय मेढ़ा के पटं‍तर

(मत्ती 18:12-14)

1एक बार जम्मो लगान लेवइया अऊ पापी मनखेमन यीसू करा जूरत रिहिन कि ओमन ओकर बात ला सुनंय। 2पर फरीसी अऊ कानून के गुरू मन ए कहिके कुड़कुड़ाय लगिन, “ए मनखे ह पापीमन के सुवागत करथे अऊ ओमन के संग खाथे।”

3एकरसेति यीसू ह ओमन ला ए पटं‍तर कहिस, 4“मान लव, तुमन ले एक झन करा एक सौ भेड़ हवंय अऊ ओम ले एक ठन गंवा जाथे, त का ओह ओ निनान्‍बे भेड़मन ला मैदान म छोंड़के ओ गंवाय भेड़ ला तब तक नइं खोजही, जब तक कि ओह मिल नइं जावय? 5अऊ जब ओला भेड़ ह मिल जाथे, त ओह ओला खुसी के मारे अपन कंधा म उठा लेथे, 6अऊ अपन घर जाथे। अऊ तब ओह अपन संगवारी अऊ पड़ोसी मन ला बलाथे अऊ कहिथे, ‘मोर संग आनंद मनावव, काबरकि मोर गंवाय भेड़ ह मोला मिल गीस।’ 7मेंह तुमन ला कहत हंव कि ओही किसम ले एक पापी मनखे के पछताप करे ले स्‍वरग म बहुंत आनंद मनाय जाथे, जतेक कि निनान्‍बे धरमी मनखेमन बर नइं मनाय जावय, जऊन मन ला पछताप करे के जरूरत नइं ए।”

गंवाय सिक्‍का के पटं‍तर

8“या मान लव, एक माईलोगन करा दस ठन चांदी के सिक्‍का हवय अऊ ओम ले एक ठन गंवा जाथे, त का ओह दीया बारके घर ला नइं बहारे अऊ मन लगाके खोजय जब तक कि ओह मिल न जावय। 9अऊ जब ओला सिक्‍का ह मिल जाथे, त ओह अपन संगवारी अऊ पड़ोसी मन ला बलाथे अऊ कहिथे, ‘मोर संग आनंद मनावव, काबरकि मोर गंवाय सिक्‍का ह मोला मिल गे हवय।’ 10मेंह तुमन ला कहत हंव कि ओही किसम ले, जब एक पापी मनखे पछताप करथे, त उहां स्‍वरग म परमेसर के स्वरगदूतमन के आघू म आनंद मनाय जाथे।”

गंवाय बेटा के पटं‍तर

11यीसू ह ए घलो कहिस, “एक मनखे के दू झन बेटा रिहिन। 12छोटे बेटा ह अपन ददा ला कहिस, ‘ददा! मोर बांटा के संपत्ति ला मोला देय दे।’ अऊ ओ मनखे ह अपन दूनों बेटा के बीच म संपत्ति के बंटवारा कर दीस।

13कुछू दिन के बाद, छोटे बेटा ह अपन बांटा के संपत्ति ला बेंच दीस अऊ पईसा ला लेके घर छोंड़के चल दीस। ओह बहुंत दूरिहा एक देस म गीस, जिहां ओह फालतू काम म अपन पईसा ला उड़ा दीस। 14जब ओह जम्मो ला खरचा कर डारिस, त उहां ओ जम्मो देस म एक भयंकर अकाल पड़िस, अऊ ओकर करा कुछू नइं बचिस। 15एकरसेति ओह ओ देस के रहइया एक मनखे करा काम करे बर गीस, जऊन ह ओला अपन खेत म, सुरामन ला चराय बर पठोईस। 16ओकर ईछा होवय कि ओह ओ फली ले अपन पेट भरय, जऊन ला सुरामन खावत रहंय, पर कोनो ओला खाय बर कुछू नइं देवंय।

17जब ओह अपन होस म आईस, त कहन लगिस, ‘मोर ददा के घर बनी-भूती करइयामन करा जरूरत ले जादा खाय बर हवय, अऊ इहां मेंह भूखन मरथंव। 18मेंह उठके अपन ददा करा वापिस जाहूं अऊ ओला ए कहिहूं, “हे ददा, मेंह परमेसर के बिरोध अऊ तोर बिरोध म पाप करे हवंव। 19मेंह तोर बेटा कहाय के लइक नो हंव; मोला अपन एक बनिहार मनखे सहीं रख ले।” ’ 20अऊ ओह उठिस अऊ अपन ददा करा चल पड़िस।

पर जब ओह अभी दूरिहाच म ही रिहिस, त ओकर ददा ह ओला देख डारिस, अऊ ओकर हिरदय ह दया ले भर गे। ओह अपन बेटा करा दऊड़के गीस अऊ ओला अपन बाहां म पोटार के चूमिस।

21बेटा ह ओला कहिस, ‘हे ददा, मेंह परमेसर के बिरोध अऊ तोर बिरोध म पाप करे हवंव। मेंह तोर बेटा कहाय के लइक नो हंव।’

22पर ददा ह अपन सेवकमन ला बलाके कहिस, ‘जल्दी करव। सबले बढ़िया कपड़ा लानव अऊ एला पहिरावव। एकर अंगरी म मुंदी अऊ एकर गोड़ म पनही पहिरावव। 23मोटा-ताजा पसु लानके काटव, ताकि हमन खावन अऊ खुसी मनावन। 24काबरकि मोर ए बेटा ह मर गे रिहिस, पर अब जी गे हवय; एह गंवा गे रिहिस, पर अब मिल गे हवय।’ अऊ ओमन खुसी मनाय लगिन।

25ओही बेरा म ओकर बड़े बेटा ह खेत म रिहिस। जब ओह लहुंटत रिहिस अऊ घर के लकठा म आईस, त ओह गाय-बजाय अऊ नाचे के अवाज सुनिस। 26ओह एक सेवक ला बलाईस अऊ ओकर ले पुछिस, ‘का होवत हवय?’ 27ओ सेवक ह कहिस, ‘तोर भाई ह आय हवय, अऊ तोर ददा ह मोटा-ताजा पसु कटवाय हवय, काबरकि ओह ओला सही-सलामत पाय हवय।’

28एला सुनके बड़े भाई ह गुस्सा करिस अऊ घर के भीतर जाय नइं चाहिस। एकरसेति ओकर ददा ह बाहिर आईस अऊ भीतर आय बर ओकर ले बिनती करे लगिस। 29पर ओह अपन ददा ला जबाब दीस, ‘देख, अतेक साल तक मेंह तोर गुलाम के सहीं काम करे हवंव अऊ मेंह तोर हुकूम ला कभू नइं टारेंव। तभो ले तेंह मोला एक छेरी के पीला तक कभू नइं देय कि मेंह अपन संगवारीमन संग आनंद मना सकंव। 30पर जब तोर ए बेटा ह घर आईस, जऊन ह कि तोर संपत्ति ला बेस्‍यामन संग उड़ा दे हवय, त तेंह ओकर बर मोटा-ताजा पसु कटवाय हवस।’

31तब ददा ह ओला कहिस, ‘मोर बेटा! तेंह सदा मोर संग हवस, अऊ जऊन कुछू मोर करा हवय, ओ जम्मो तोर ए। 32पर हमन ला आनंद मनाना अऊ खुस होना चाही, काबरकि तोर ए भाई ह मर गे रिहिस, पर अब जी उठे हवय; एह गंवा गे रिहिस, पर अब मिल गे हवय।’ ”