詩篇 56 – JCB & HCV

Japanese Contemporary Bible

詩篇 56:1-13

56

1-2神よ、私をあわれんでください。

敵の軍勢が、夜も昼も押し寄せて来ます。

尊大にも私に襲いかかって、

私を制圧しようとしています。

3-4恐れるとき、私はあなたに信頼します。

あなたの約束だけが頼りなのです。

神に信頼している私に、

ただの人間が手出しなどできるわけがありません。

5彼らはいつでも私のことばをねじ曲げ、

どうしたら私を傷つけることができるかと

考えているのです。

6彼らは計画を練り上げるために集まり、

道ばたに潜んでは、私をねらって待ち伏せています。

7彼らは思いどおりに事を運ぶつもりでいるでしょう。

主よ。彼らの思いのままにはさせないでください。

どうか、怒りを燃やし、

彼らを地面に打ちつけてください。

8あなたは、私が夜通し

寝返りを打っているのをご存じです。

あなたは、私の涙を一滴残さず、

びんにすくい集めてくださいました。

その一滴一滴は、余すところなく、

あなたの文書に記録されています。

9私が助けを呼び求めると、

その日のうちに戦況は変わり、敵は逃げ惑います。

私にわかっているのは、ただこの一事、

神が味方だということだけです。

10-11私は神への信頼を失いません。

ああ、神のすばらしいお約束!

人間ごときが何をしかけてこようと、私は恐れません。

そうです、神は約束を守ってくださるのです。

12神よ。あなたへの約束は、きっと果たします。

助けていただいたことを心から感謝しています。

13なぜなら、あなたは、

私が地上で御前を歩めるように、死から救い出し、

転ばないように支えてくださったからです。

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 56:1-13

स्तोत्र 56

संगीत निर्देशक के लिये. “दूर के बांज वृक्ष पर बैठा कबूतरी” धुन पर आधारित. दावीद की मिकताम56:0 शीर्षक: शायद साहित्यिक या संगीत संबंधित एक शब्द गीत रचना. यह उस घटना का संदर्भ है, जब गाथ देश में फिलिस्तीनियों ने दावीद को पकड़ लिया था.

1परमेश्वर, मुझ पर कृपा कीजिए,

क्योंकि शत्रु मुझे कुचल रहे हैं;

दिन भर उनका आक्रमण मुझ पर प्रबल होता जा रहा है.

2मेरे निंदक सारे दिन मेरा पीछा करते हैं;

अनेक हैं, जो मुझ पर अपने अहंकार से प्रहार कर रहे हैं.

3भयभीत होने की स्थिति में, मैं आप पर ही भरोसा करूंगा.

4परमेश्वर, आपकी प्रतिज्ञा स्तुति प्रशंसनीय है,

परमेश्वर, मैं आप पर ही भरोसा रखूंगा और पूर्णतः निर्भय हो जाऊंगा.

नश्वर मनुष्य मेरा क्या बिगाड़ लेगा?

5दिन भर मेरे वचन को उलटा कर प्रसारित किया जाता है;

मेरी हानि की युक्तियां सोचना उनकी दिनचर्या हो गई है.

6वे बुरी युक्ति रचते हैं, वे घात लगाए बैठे रहते हैं,

वे मेरे हर कदम पर दृष्टि बनाए रखते हैं,

कि कब मेरे प्राण ले सकें.

7उनकी दुष्टता को देखकर उन्हें बचकर न जाने दें;

परमेश्वर, अपने क्रोध के द्वारा इन लोगों को मिटा दीजिए.

8आपने मेरे भटकने का लेखा रखा है;

आपने मेरे आंसू अपनी कुप्पी में जमा कर रखें हैं.

आपने इनका लेखा भी अपनी पुस्तक में रखा है?

9तब जैसे ही मैं आपको पुकारूंगा,

मेरे शत्रु पीठ दिखाकर भाग खड़े होंगे.

तब यह प्रमाणित हो जाएगा कि परमेश्वर मेरे पक्ष में हैं.

10वही परमेश्वर, जिनकी प्रतिज्ञा स्तुति प्रशंसनीय है,

वही याहवेह, जिनकी प्रतिज्ञा स्तुति प्रशंसनीय है.

11मैं परमेश्वर पर ही भरोसा रखूंगा, तब मुझे किसी का भय न होगा.

मनुष्य मेरा क्या बिगाड़ सकता है?

12परमेश्वर, मुझे आपके प्रति की गई मन्‍नतें पूर्ण करनी हैं;

मैं आपको अपनी आभार-बलि अर्पण करूंगा.

13क्योंकि आपने मृत्यु से मेरे प्राणों की रक्षा की है,

मेरे पांवों को आपने फिसलने से बचाया है कि

मैं, परमेश्वर, आपके साथ साथ

जीवन ज्योति में चल सकूं.