ヨハネの黙示録 8 – JCB & HCV

Japanese Contemporary Bible

ヨハネの黙示録 8:1-13

8

1小羊が第七の封印を解いた時、天に、およそ半時間ほどの静けさがありました。 2それから私は、神の前に立つ七人の天使を見ました。その天使に七つのラッパが与えられました。

襲いかかる災い

3すると、金の香炉を手にした、もう一人の天使が現れて、祭壇のそばに立ちました。彼に多量の香が与えられましたが、それは、クリスチャンの祈りと共に、王座の前にある金の祭壇にささげるためのものでした。 4香のかおりは、クリスチャンの祈りと混じり合って、祭壇から神の前に立ちのぼりました。 5それから天使は、祭壇から取った火を香炉にいっぱい盛って、それを地に投げつけました。そのとたん、雷鳴がとどろき、いなずまが走り、激しい地震が起こったのです。

6すぐさま、七つのラッパを手にした七人の天使が、ラッパを口に当てました。

7第一の天使がラッパを吹き鳴らしました。すると、血の混じった雹と火が、激しい勢いで地上を襲いました。そのため、地上の三分の一が火に包まれ、木の三分の一と青草がすべて灰になりました。

8-9第二の天使がラッパを吹き鳴らしました。すると、炎に包まれた巨大な山のようなものが、海に投げ込まれました。そのため、船の三分の一が破壊され、また、海の三分の一が血のように赤く染まって、魚の三分の一が死にました。

10第三の天使がラッパを吹き鳴らしました。すると、燃えさかるたいまつのような大きな星が天から落ちて来て、川と泉の三分の一にばらまかれました。 11この星は「苦よもぎ」と呼ばれました。川の水の三分の一が苦よもぎのように苦くなり、その水を飲んだ多くの人が死んだからです。

12第四の天使がラッパを吹き鳴らしました。するとたちまち、太陽の三分の一と、月の三分の一と、星の三分の一が打たれて暗くなりました。そのため、昼間は三分の二の明るさしかなく、夜もいっそう暗くなりました。

13また見ていると、一羽のわしが大空高く舞いながら、鋭い叫び声をあげていました。「ああ、災いが来る。災いが地上の人々に襲いかかる。あと三人の天使がラッパを吹き鳴らせば、恐るべきことが起こるのだ。」

Hindi Contemporary Version

प्रकाशन 8:1-13

सातवीं मोहर

1जब मेमने ने सातवीं मोहर तोड़ी, स्वर्ग में एक समय के लिए सन्‍नाटा छा गया.

2तब मैंने उन सात स्वर्गदूतों को देखा, जो परमेश्वर की उपस्थिति में खड़े रहते हैं. उन्हें सात तुरहियां दी गईं.

3सोने के धूपदान लिए हुए एक अन्य स्वर्गदूत आकर वेदी के पास खड़ा हो गया. उसे बड़ी मात्रा में धूप दी गई कि वह उसे सभी पवित्र लोगों की प्रार्थनाओं के साथ उस सोने की वेदी पर भेंट करे, जो सिंहासन के सामने है. 4स्वर्गदूत के हाथ के धूपदान में से धुआं उठता हुआ पवित्र लोगों की प्रार्थनाओं के साथ परमेश्वर के पास ऊपर पहुंच रहा था. 5तब स्वर्गदूत ने धूपदान लिया, उसे वेदी की आग से भरकर पृथ्वी पर फेंक दिया, जिससे बादलों की गर्जन, गड़गड़ाहट तथा बिजलियां कौंध उठीं और भूकंप आ गया.

पहिली चार तुरहियां

6तब वे सातों स्वर्गदूत, जिनके पास तुरहियां थी, उन्हें फूंकने के लिए तैयार हुए.

7जब पहले स्वर्गदूत ने तुरही फूंकी तो आग और ओले उत्पन्‍न हुए, जिनमें लहू मिला हुआ था. उन्हें पृथ्वी पर फेंक दिया गया. परिणामस्वरूप एक तिहाई पृथ्वी जल उठी, एक तिहाई पेड़ भस्म हो गए तथा सारी हरी घास भी.

8जब दूसरे स्वर्गदूत ने तुरही फूंकी तो विशाल पर्वत जैसी कोई जलती हुई वस्तु समुद्र में फेंक दी गई जिससे एक तिहाई समुद्र लहू में बदल गया. 9इससे एक तिहाई जल जंतु नाश हो गए तथा जलयानों में से एक तिहाई जलयान भी.

10जब तीसरे स्वर्गदूत ने तुरही फूंकी तो आकाश से एक विशालकाय तारा मशाल के समान जलता हुआ एक तिहाई नदियों तथा जल-स्रोतों पर जा गिरा. 11यह तारा अपसन्तिनॉस कहलाता है—इससे एक तिहाई जल कड़वा हो गया. जल के कड़वे हो जाने के कारण अनेक मनुष्यों की मृत्यु हो गई.

12जब चौथे स्वर्गदूत ने तुरही फूंकी तो एक तिहाई सूर्य, एक तिहाई चंद्रमा तथा एक तिहाई तारों पर ऐसा प्रहार हुआ कि उनका एक तिहाई भाग अंधकारमय हो गया. इनमें से एक तिहाई दिन अंधकारमय हो गया, वैसे ही एक तिहाई रात भी.

13जब मैं यह सब देख ही रहा था, मैंने ठीक अपने ऊपर मध्य हवा में उड़ते हुए एक गरुड़ को ऊंचे शब्द में यह कहते हुए सुना, “उस तुरही नाद के कारण, जो शेष तीन स्वर्गदूतों द्वारा किया जाएगा, पृथ्वी पर रहनेवालों पर धिक्कार, धिक्कार, धिक्कार!”