ヨハネの福音書 8 – JCB & NCA

Japanese Contemporary Bible

ヨハネの福音書 8:1-59

8

赦された不倫の女

1さて、イエスはオリーブ山に戻りましたが、 2翌朝早く、また宮にお出かけになりました。たちまち人々が集まって来て、黒山の人だかりです。イエスは腰をおろし、話し始められました。 3その最中に、ユダヤ人の指導者やパリサイ人が、寄ってたかって一人の女を引っぱって来ました。彼らは、あっけにとられて見ている人々の前に女を突き出しました。 4「先生。この女を見てください。不倫の現場でつかまったのです。 5モーセの律法では、こういう不届き者は石で打ち殺すことになっていますが、どうしたものでしょう。」 6こう言ったのは、何かイエスのことばじりをとらえて、訴えてやろうという魂胆があったからです。ところがイエスは、体をかがめ、指で地面に何か書いておられるだけでした。 7けれども、彼らは引き下がりません。あくまで質問を続けてやめなかったので、イエスはゆっくり体を起こし、「わかりました。この女を石で打ち殺しなさい。ただし、最初に石を投げるのは、今まで一度も罪を犯したことのない者ですよ」と言われました。 8そして、すぐにまた体をかがめ、地面に何か書いておられました。 9すると、ユダヤ人の指導者もパリサイ人も、ばつが悪そうに、年長者から順に一人去り二人去りして、とうとうイエスと女だけが、群衆の前に取り残されました。 10イエスは体を起こし、女に言われました。「あなたを訴えた人たちはどこにいますか。罰する者は一人もいなかったのですか。」 11「はい、先生。」「そうですか。わたしもあなたを罰しません。さあ、行きなさい。もう二度と罪を犯してはいけませんよ。」

世の光であるイエス

12そのあとで、イエスは人々にお話しになりました。「わたしは世の光です。わたしに従って来れば、暗闇でつまずくことはありません。いのちの光が、あなたがたの進む道を明るく照らすからです。」 13すると、パリサイ人たちが言いました。「うそばかり並べ立てて、自慢話もほどほどにしたらどうだ。」 14「わたしはありのままを言っているのです。うそでも、でたらめでもありません。自分がどこから来てどこへ行くか、よくわかっています。ところが、あなたがたは全然わかっていません。 15人間の基準でわたしをさばいているからです。わたしはだれのこともさばきません。 16しかし、もしわたしがあなたがたをさばいたとしても、そのさばきは、どこから見ても正しいのです。わたしをお遣わしになった父がいっしょにさばいてくださるからです。 17あなたがたの律法では、ある出来事について二人の証言が一致すれば、事実と認められることになっています。 18だとしたら、わたしとわたしをお遣わしになった父とで、りっぱに二人の証人がそろいます。」 19パリサイ人たちは言いました。「では、そのお父上とやらはどこにいるのか。」「わたしのことを知らないから、父のこともわからないのです。わたしを知っていたら、父をも知っていたでしょうに。」

真理は人を自由にする

20こうした話がなされたのは、宮の中の献金箱が置いてある所ででした。しかし、だれ一人イエスを逮捕する者はいません。まだその時ではなかったのです。

21イエスはまた、こんな話もなさいました。「わたしはもうすぐいなくなります。あなたがたは必死でわたしを捜すでしょうが、結局は、罪が赦されないまま死ぬのです。わたしが行く所へは来られません。」 22ユダヤ人たちには、さっぱりわけがわかりません。「この人は自殺でもするつもりなのか。彼が行く所へ私たちは行けないとは、いったいどういうことだろう」と、首をかしげるばかりでした。 23そこでイエスは言われました。「いいですか。あなたがたは地上に生まれた者ですが、わたしは天から来た者です。あなたがたはこの世の者ですが、わたしは違います。 24だから、『あなたがたは罪が赦されないまま死ぬ』と言ったのです。わたしが神の子、メシヤであることを信じなければ、罪ののろいの下で死ぬしかないからです。」 25「あなたはいったい、どういう方なのですか。」「そのことは、いつもはっきり言っていたはずです。 26あなたがたには非難したいことや、教えたいことが山ほどあります。しかし、わたしをお遣わしになった方から聞いたことだけを話しましょう。その方は真実な方だからです。」 27それでも彼らにはまだ、イエスが神のことを話しておられるのがわかりませんでした。 28「あなたがたは、わたしを殺してはじめて、わたしがメシヤだったと気づくでしょう。そして、わたしが自分の考えではなく、父から教わったことを話していたとわかるでしょう。 29わたしをお遣わしになった方が、わたしといつもいっしょにおられます。わたしをお見捨てになることはありません。わたしがいつも、その方のお心にかなうことをするからです。」

30-31この話を聞いたユダヤ人の多くが、イエスをメシヤと信じるようになりました。その人たちにイエスは、「わたしが教えたとおりに生活すれば、ほんとうの弟子と言えます。 32あなたがたは真理を知り、その真理があなたがたを自由にするのです」と言いました。 33「おことばですが、私たちはれっきとしたアブラハムの子孫です。これまで、だれの奴隷になったこともありません。『自由にする』とはどういうことでしょう。」 34「教えてあげましょう。あなたがたは一人残らず罪の奴隷なのです。 35奴隷には何の権利もありません。しかし、主人の息子は別です。息子はありとあらゆる権利を持っています。 36だから、神の子が自由にしてあげたなら、それでほんとうに自由の身になるのです。 37確かに、あなたがたはアブラハムの子孫です。けれども、あなたがたの中には、わたしを殺そうとねらっている者がいます。わたしのことばが心にしっかり根を下ろしていないからです。 38せっかくわたしが父といっしょにいた時に見たことを話してあげているのに、あなたがたは自分の父の言いつけに従っているだけです。」 39「私たちの父はアブラハムです。」彼らは言いました。

「いや、あなたがたの父がアブラハムだったら、彼の良い模範にならったはずです。 40ところが、どうです。反対にわたしを殺そうとしているではありませんか。しかもその理由は、わたしが神から聞いた真理を語ったからというのです。アブラハムなら、そんなことは絶対にしなかったでしょう。 41そんなことをするのは、あなたがたが、あなたがた自身の父に従っているからです。」「私たちの真の父は、神ご自身です。私たちは私生児ではありません。」 42「ほんとうにそのとおりなら、わたしを愛したはずです。わたしは神のもとから来たのですから。自分の考えで、今ここにいるのではありません。父がここにお遣わしになったのです。 43わたしの言うことがわからないのも、むりはありません。理解できないようにされているのですから……。 44あなたがたの父は悪魔です。悪魔の子が悪魔の悪い行いを喜んでまねても、不思議ではありません。悪魔は初めから人殺しで、真理をきらっています。悪魔のうちには真理の一かけらもありません。悪魔がうそをつくのは当然です。うそつきの大もとなのですから。 45だから、わたしが真理を語ってもあなたがたが信じないのはあたりまえです。 46あなたがたのうち、だれが、たった一つでもわたしの罪を指摘できますか。できないでしょう。真理を話しているのに、なぜわたしを信じないのですか。 47神の子どもならだれでも、神のおっしゃることを喜んで聞くはずです。あなたがたが聞き従わないのは、神の子どもではないからです。」

48「おまえはサマリヤ人だ! よそ者だ! やっぱり悪霊に取りつかれているのだ。」ユダヤ人たちはわめき立てました。 49イエスは、「いや、断じてそんなことはありません。わたしは父を尊敬しています。が、そんなわたしを、あなたがたは軽蔑しているのです。 50しかし、わたしは栄誉を求めているのではありません。ただ、わたしに栄誉を与えたいと願っておられる神が、わたしを受け入れない人々をおさばきになるのです。 51よく言っておきましょう。わたしに従う者は、決して死なないのです」と言われました。 52「おまえが悪霊に取りつかれていることが、はっきりした。アブラハムも、偉大な預言者たちも死んだのに、『わたしに従う者は死なない』などと、よく言ったものだ。 53おまえは、先祖のアブラハムよりも偉いのか? アブラハムは死んだろう。それとも、あの預言者たちよりも偉いとでも言うのか。その預言者たちも死んだではないか。いったい自分をだれだと思っているのだ。」 54イエスは言われました。「わたしがただ自慢しているだけなら、全くむなしいものです。しかし、わたしに栄光を与えてくださるのは父なのです。この方を、あなたがたは『私たちの神様』と呼んでいます。 55そう呼びながら、実はこの方を知りもしません。わたしはよく知っています。知らないなどと言ったら、それこそ、あなたがたと同じように大うそつきになります。わたしがこの方を知り、この方に全く従っているというのはほんとうです。 56あなたがたの先祖アブラハムは、わたしの日を思い見て喜びにあふれました。わたしが来るとわかったからです。」 57「まだ五十歳にもなっていないあんたが、よくアブラハム様を見ることができましたね。」 58「アブラハムが生まれるずっと前から、わたしはいるのです。これは、まぎれもない事実です。」

59話がここまで来ると、ユダヤ人たちは怒りを抑えることができず、手に手に石をつかみ、今にもイエスを打ち殺さんばかりになりました。しかし、イエスはすばやく身を避け、急いで宮を抜け出しました。

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

यूहन्ना 8:1-59

माईलोगन ह बेभिचार म पकड़े जाथे

1पर यीसू ह जैतून पहाड़ ऊपर गीस। 2अऊ बड़े बिहनियां ओह फेर मंदिर म आईस। उहां जम्मो मनखेमन ओकर चारों खूंट जुर गीन; अऊ ओह बईठके ओमन ला उपदेस देवन लगिस। 3तब कानून के गुरू अऊ फरीसीमन एक माईलोगन ला लानिन, जऊन ह छिनारी म पकड़े गे रिहिस। ओमन ओला ओ जम्मो झन के आघू म ठाढ़ करिन अऊ यीसू ला कहिन, 4“हे गुरू, ए माईलोगन ह छिनारी करत पकड़े गे हवय। 5हमर कानून म, मूसा ह हमन ला हुकूम दे हवय कि अइसने माईलोगन ला पथरा फटिक-फटिक के मार डारव। पर तेंह एकर बारे म का कहिथस?” 6ओमन ए सवाल यीसू ला फंसाय खातिर पुछत रिहिन, ताकि ओमन ला ओकर ऊपर दोस लगाय बर एक बहाना मिल जावय। पर यीसू ह झुकिस अऊ अपन अंगरी ले भुइयां ऊपर लिखे लगिस। 7जब ओमन ओकर ले बार-बार पुछे लगिन, त ओह सीधा ठाढ़ होईस अऊ ओमन ला कहिस, “यदि तुमन के बीच म कोनो बिगर पाप के हवय, त ओही ह ओला पहिली पथरा मारय।” 8अऊ ओह फेर झुकके अपन अंगरी ले भुइयां ऊपर लिखे लगिस।

9जब ओमन एला सुनिन, त जम्मो झन बड़े ले लेके छोटे तक, एक-एक करके उहां ले चल दीन। सिरिप यीसू अऊ ओ माईलोगन जऊन ह ओकर आघू म ठाढ़े रहय, उहां रहि गीन। 10तब यीसू ह सीधा ठाढ़ होईस अऊ ओ माईलोगन ले पुछिस, “हे नारी, ओमन कहां गीन? का कोनो तोला दंड नइं दीन?”

11ओह कहिस, “हे परभू, कोनो नइं।” तब यीसू ह कहिस, “मेंह घलो तोला दंड नइं देवंव। जा अऊ फेर पाप झन करबे।”

यीसू ह संसार के अंजोर ए

12यीसू ह मनखेमन ले फेर कहिस, “मेंह संसार के अंजोर अंव। जऊन कोनो मोर पाछू आही, ओह अंधियार म कभू नइं चलही, पर ओह जिनगी के अंजोर ला पाही।”

13फरीसीमन ओला कहिन, “तेंह अपन गवाही खुद देथस; तोर गवाही सच नो हय।”

14यीसू ह जबाब दीस, “मेंह अपन गवाही खुद देथंव, तभो ले मोर गवाही सच ए काबरकि मेंह जानथंव कि मेंह कहां ले आय हवंव अऊ मेंह कहां जावत हंव। पर तुमन नइं जानव कि मेंह कहां ले आय हवंव अऊ मेंह कहां जावत हंव। 15तुमन अपन मनखे बुद्धि के मुताबिक नियाय करथव; मेंह खुद काकरो नियाय नइं करंव। 16अऊ कहूं मेंह नियाय करंव घलो, त मोर नियाय ह सही ए, काबरकि मेंह एके झन नियाय नइं करंव, पर ददा ह मोर संग रहिथे, जऊन ह मोला पठोय हवय। 17तुम्‍हर खुद के कानून म ए बात लिखे हवय कि दू झन के गवाही ह सच माने जाथे। 18मेंह अपन गवाही खुद देथंव, अऊ मोर आने गवाह ददा ए, जऊन ह मोला पठोय हवय।”

19तब ओमन ओकर ले पुछिन, “तोर ददा कहां हवय?” यीसू ह जबाब देके कहिस, “तुमन न तो मोला जानथव अऊ न ही मोर ददा ला। यदि तुमन मोला जानतेव, त मोर ददा ला घलो जान जातेव।” 20यीसू ह ए बात मंदिर म उपदेस देवत समय उहां कहिस जिहां दान के संदूकमन रखे रहंय। तभो ले ओला कोनो नइं पकड़िन, काबरकि ओकर समय अब तक नइं आय रिहिस।

21यीसू ह फेर ओमन ला कहिस, “मेंह जावत हंव। तुमन मोला खोजहू अऊ अपन पाप म मरहू। जिहां मेंह जावत हंव, उहां तुमन नइं आ सकव।”

22तब यहूदीमन कहिन, “का ओह अपन-आप ला मार डारही, काबरकि ओह कहत हवय, जिहां मेंह जावत हंव, उहां तुमन नइं आ सकव?”

23यीसू ह ओमन ला कहिस, “तुमन खाल्‍हे के अव, अऊ मेंह ऊपर के अंव। तुमन ए संसार के अव, पर मेंह ए संसार के नो हंव। 24एकरसेति मेंह तुमन ला कहेंव कि तुमन अपन पाप म मरहू; यदि तुमन बिसवास नइं करव कि मेंह ओही (मसीह) अंव, त तुमन सही म अपन पाप म मरहू।”

25ओमन ओकर ले पुछिन, “तेंह कोन अस?” यीसू ह जबाब दीस, “मेंह ओही अंव, जऊन ला सुरू ले मेंह तुमन ला कहत आय हवंव। 26मोला तुम्‍हर बारे म बहुंत बात कहना हे, अऊ तुम्‍हर फैसला करना हे; पर जऊन ह मोला पठोय हवय, ओह सच्‍चा ए, अऊ जऊन कुछू मेंह ओकर ले सुने हवंव, ओहीच बात मेंह संसार ला बताथंव।”

27पर ओमन नइं समझिन कि यीसू ह ओमन ला अपन ददा परमेसर के बारे म कहत रिहिस। 28तब यीसू ह कहिस, “जब तुमन मनखे के बेटा ला ऊपर चघाहू, तभे तुमन जानहू कि मेंह कोन अंव, अऊ मेंह अपन-आप ले कुछू नइं करंव, पर जइसने ददा ह मोला सिखोय हवय, ओहीच बात गोठियाथंव। 29जऊन ह मोला पठोय हवय, ओह मोर संग हवय, ओह मोला अकेला नइं छोंड़ दे हवय, काबरकि मेंह हमेसा ओही काम करथंव, जेकर ले ओह खुस होथे।” 30जब ओह ए बात कहिस, त बहुंत मनखेमन ओकर ऊपर बिसवास करिन।

अब्राहम के संतान

31जऊन यहूदीमन यीसू ऊपर बिसवास करे रिहिन, ओमन ला यीसू ह कहिस, “यदि तुमन मोर उपदेस के मुताबिक चलथव, त तुमन सही म मोर चेला अव। 32तब तुमन सत ला जानहू अऊ सत ह तुमन ला सुतंतर करही।”

33ओमन ओला जबाब दीन, “हमन तो अब्राहम के संतान अन अऊ कभू काकरो गुलाम नइं रहेंन। तोर ए कहे के का मतलब ए कि हमन सुतंतर हो जाबो?”

34यीसू ह ओमन ला कहिस, “मेंह तुमन ला सच कहथंव कि जऊन ह पाप करथे, ओह पाप के गुलाम ए। 35गुलाम ह हमेसा घर म नइं रहय, पर बेटा ह हमेसा घर म रहिथे। 36एकरसेति यदि बेटा ह तुमन ला सुतंतर करही, त सही म तुमन सुतंतर हो जाहू। 37मेंह जानथंव कि तुमन अब्राहम के संतान अव। तभो ले तुमन मोला मार डारे चाहत हव, काबरकि मोर बचन बर तुम्‍हर हिरदय म कोनो जगह नइं ए। 38मेंह तुमन ला ओहीच बात कहत हंव, जऊन ला मेंह अपन ददा के इहां देखे हवंव अऊ तुमन ओही करथव, जऊन ला तुमन अपन ददा ले सुने हवव।”

39ओमन यीसू ला कहिन, “हमर ददा (पुरखा) तो अब्राहम ए।” तब यीसू ह कहिस, “यदि तुमन अब्राहम के संतान होतेव, त तुमन अब्राहम के सहीं काम घलो करतेव। 40पर अब तुमन मोर सहीं मनखे ला मार डारे चाहथव, जऊन ह परमेसर ले सुने सच बात तुमन ला बता दीस। अब्राहम ह अइसने नइं करिस। 41तुमन ओ काम करत हव, जऊन ला तुम्‍हर ददा करथे।” ओमन ओला कहिन, “हमन बेभिचार ले नइं जनमे हवन। हमर सिरिप एके झन ददा हवय, अऊ ओह खुद परमेसर ए।”

सैतान के संतान

42यीसू ह ओमन ला कहिस, “यदि परमेसर ह तुम्‍हर ददा होतिस, त तुमन मोर ले मया करतेव, काबरकि मेंह परमेसर म ले आय हवंव अऊ अब इहां हवंव। मेंह अपन खुद होके नइं आय हवंव, पर ओही ह मोला पठोय हवय। 43तुमन मोर बात ला काबर नइं समझव? एकरसेति कि जऊन बात मेंह कहथंव, ओला सह नइं सकव। 44तुमन तो अपन ददा सैतान के अव, अऊ तुमन अपन ददा के ईछा ला पूरा करे चाहथव। ओह तो सुरूच ले हतियारा रिहिस। ओह सच के रसता म नइं चलिस, काबरकि ओम सच हवेच नइं। जब ओह लबारी गोठियाथे, त ओह अपन आदत के मुताबिक गोठियाथे, काबरकि ओह लबरा ए अऊ लबारी के ददा ए। 45पर मेंह सच कहिथंव, तुमन मोर ऊपर बिसवास नइं करव। 46का तुमन ले कोनो मोला पापी ठहरा सकथे? यदि मेंह सच कहत हंव, तब तुमन मोर ऊपर काबर बिसवास नइं करव? 47जऊन ह परमेसर के अय, ओह परमेसर के बात ला सुनथे। तुमन परमेसर के नो हव, एकरसेति तुमन ओकर बात ला नइं सुनव।”

यीसू अऊ अब्राहम

48यहूदीमन ओला जबाब दीन, “का हमन सही नइं कहिथन कि तेंह एक सामरी मनखे अस, अऊ तोर म परेत आतमा हवय।”

49यीसू ह कहिस, “मोर म परेत आतमा नइं ए; पर मेंह अपन ददा के आदर करथंव, अऊ तुमन मोर निरादर करथव। 50मेंह अपन महिमा नइं चाहंव, पर परमेसर ह मोर महिमा करे चाहथे अऊ ओही ह नियाय करथे। 51मेंह तुमन ला सच कहथंव, यदि कोनो मोर बात ला मानही, त ओह कभू नइं मरही।”

52तब यहूदीमन ओला कहिन, “अब हमन सही म जान डारेन कि तोर म परेत आतमा हवय। अब्राहम ह मर गीस अऊ अगमजानीमन घलो मर गीन; पर तेंह कहिथस कि यदि कोनो तोर बात ला मानही, त ओह कभू नइं मरय। 53का तेंह हमर पुरखा अब्राहम ले बड़े अस? ओह मर गीस, अऊ अगमजानीमन घलो मर गीन। तेंह अपन-आप ला का समझथस?”

54यीसू ह जबाब दीस, “यदि मेंह अपन-आप के महिमा करंव, त मोर महिमा के कुछू मतलब नो हय। पर मोर ददा ह मोर महिमा करथे, जऊन ला तुमन अपन परमेसर कहिथव। 55तुमन ओला नइं जानव, पर मेंह ओला जानथंव। यदि मेंह कहंव कि मेंह ओला नइं जानंव, त मेंह घलो तुम्‍हर सहीं लबरा ठहरहूं, पर मेंह ओला जानथंव अऊ ओकर बात ला मानथंव। 56तुम्‍हर पुरखा अब्राहम ह मोर दिन ला देखे के आसा म आनंद मनाईस, अऊ ओह एला देखिस अऊ खुस होईस।”

57यहूदीमन ओला कहिन, “तेंह अभी तो पचास साल के घलो नइं होय हवस, अऊ तेंह कइसने कह सकथस कि तेंह अब्राहम ला देखे हवस।”

58यीसू ह ओमन ला कहिस, “मेंह तुमन ला सच कहथंव, अब्राहम के जनम होय के पहिली ले मेंह हवंव।” 59एला सुनके, ओमन यीसू ला मार डारे बर पथरा उठाईन; पर यीसू ह लुका के मंदिर ले निकर गीस।