コリント人への手紙Ⅱ 9 – JCB & HCV

Japanese Contemporary Bible

コリント人への手紙Ⅱ 9:1-15

9

1神の民である人々を援助することについては、今さら言う必要はありません。 2その件についての、あなたがたの熱心さを知っているからです。一年も前から献金を送る準備を進めてくれていることを、私はマケドニヤの友人たちに誇ってきました。実際、その影響を受けて、多くの人が他者への援助を始めたい気持ちに駆り立てられたのです。 3ところで、今度、この友人たちに行ってもらうことにしたのは、私の誇りにたがわず、あなたがたが、ほんとうに献金をそのとおり集めて準備しているか確かめるためです。私の自慢が当てはずれだったなどということのないよう願っているのです。 4もしマケドニヤの人たちが私といっしょに行って、あなたがたがまだ準備していないのを見たら、どうでしょう。あれだけ信じきっていた私は、非常に恥をかくことになるでしょう。そしてもちろん、あなたがたも恥ずかしい思いをするでしょう。

喜んでささげなさい

5そこで、あなたがたが前に約束した贈り物の準備が整っているかどうか見るために、この友人たちにお願いして、先発隊として行ってもらうことにしました。それが真心からの贈り物であって、強制されたものでないようにと願っています。

6しかし、次のことは心にとめておいてください。すなわち、少ししか与えない者は、少ししか受け取れないということです。少ししか種をまかない農夫は、わずかの収穫しか得られません。たくさんまけば、たくさん刈り取ります。 7ただし、いくらささげたらよいかは、各自が決めるべきです。自分はこれだけささげようと思っている人に、もっとたくさんささげるように強制してはいけません。神様にとっては、喜んで与えるかどうかが大事なのです。

8神様は、必要なものは何でもあり余るほど与えて、不足がないようにしてくださいます。それで、必要が満たされたあと、なお十分な余裕があるので、他の人々に喜んで分けることができるのです。 9聖書にこう書いてあるとおりです。

「神を敬う人は、貧しい人々に惜しみなく与える。

その良い行いは、永遠に名誉となる。」詩篇112・9

10農夫にまく種を与え、そのあと収穫物を与えてくださる神様は、あなたがたにもまく種を備え、それをふやして、あなたがたに義の収穫の実をもっと与えることができるのです。

11そうです。神様から十分いただいたあなたがたは、人にもたくさん贈ることができるのです。そして、私たちがそれを必要としている人々に届ける時、そこには感謝が満ちあふれ、神への賛美がわき上がるのです。 12そういうわけで、その贈り物は、二つのすばらしい結果を生み出します。すなわち、困っている人々が助けられること、そして、神に対する感謝の念が彼らに満ちあふれることです。 13援助を受けた人々は贈り物に大喜びするだけでなく、あなたがたがキリストの教えに忠実に行動している証拠を見て、神をあがめることでしょう。 14また、あなたがたを通して神のすばらしい恵みを知り、真心から、あなたがたのために祈るようになるでしょう。 15神のひとり子という、言い表せないほどすばらしい神様の贈り物を感謝します。

Hindi Contemporary Version

2 कोरिंथ 9:1-15

1वास्तव में यह आवश्यक ही नहीं कि मैं पवित्र लोगों में अपनी सेवकाई के विषय में तुम्हें कुछ लिखूं 2क्योंकि सहायता के लिए तुम्हारी तैयारी से मैं भली-भांति परिचित हूं. मकेदोनियावासियों के सामने मैं इसका गर्व भी करता रहा हूं कि आखाया प्रदेश की कलीसिया पिछले एक वर्ष से इसके लिए तैयार है और उनमें से अधिकांश को तुम्हारे उत्साह से प्रेरणा प्राप्‍त हुई. 3मैंने कुछ साथी विश्वासियों को तुम्हारे पास इसलिये भेजा है कि तुम्हारे विषय में मेरा गर्व करना खोखला न ठहरे, परंतु वे स्वयं तुम्हें सेवा के लिए तैयार पाएं—ठीक जैसा मैं उनसे कहता रहा हूं. 4ऐसा न हो कि जब कोई मकेदोनियावासी मेरे साथ आए और तुम्हें दान देने के लिए तैयार न पाए तो हमें तुम्हारे प्रति ऐसे आश्वस्त होने के कारण लज्जित होना पड़े—तुम्हारी अपनी लज्जा तो एक अलग विषय होगा. 5इसलिये मैंने यह आवश्यक समझा कि मैं साथी विश्वासियों से यह विनती करूं कि वे पहले ही तुम्हारे पास चले जाएं तथा उस प्रतिज्ञा की गई भेंट का प्रबंध कर लें, जो तुमने उदारता के भाव में दी है, न कि कंजूसी के भाव में.

उदार रोपण

6याद रहे: वह, जो थोड़ा बोता है, थोड़ा ही काटेगा तथा वह, जो बहुत बोता है, बहुत काटेगा. 7इसलिये जिसने अपने मन में जितना भी देने का निश्चय किया है, उतना ही दे—बिना इच्छा के या विवशता में नहीं क्योंकि परमेश्वर को प्रिय वह है, जो आनंद से देता है. 8परमेश्वर समर्थ हैं कि वह तुम्हें बहुत अधिक अनुग्रह प्रदान करें कि तुम्हें सब कुछ पर्याप्‍त मात्रा में प्राप्‍त होता रहे और हर भले काम के लिए तुम्हारे पास अधिकता में हो, 9जैसा कि पवित्र शास्त्र का लेख है:

उन्होंने कंगालों को उदारतापूर्वक दान दिया;

उनकी सच्चाई और धार्मिकता युगानुयुग बनी रहती है.9:9 स्तोत्र 112:9

10वह परमेश्वर, जो किसान के लिए बीज का तथा भोजन के लिए आहार का इंतजाम करते हैं, वही बोने के लिए तुम्हारे लिए बीज का इंतजाम तथा विकास करेंगे तथा तुम्हारी धार्मिकता की उपज में उन्‍नति करेंगे. 11अपनी अपूर्व उदारता के लिए तुम प्रत्येक पक्ष में धनी किए जाओगे. हमारे माध्यम से तुम्हारी यह उदारता परमेश्वर के प्रति धन्यवाद का विषय हो रही है.

12यह सेवकाई न केवल पवित्र लोगों की ज़रूरतों को पूरा करने का ही साधन है परंतु परमेश्वर के प्रति उमड़ता हुआ धन्यवाद का भाव भी है. 13तुम्हारी इस सेवकाई को प्रमाण मानते हुए वे परमेश्वर की महिमा करेंगे क्योंकि तुमने मसीह के ईश्वरीय सुसमाचार को आज्ञा मानते हुए ग्रहण किया और तुम सभी के प्रति उदार मन के हो. 14तुम पर परमेश्वर के अत्यधिक अनुग्रह को देख वे तुम्हारे लिए बड़ी लगन से प्रार्थना करेंगे. 15परमेश्वर को उनके अवर्णनीय वरदान के लिए आभार!