התגלות 11 – HHH & NCA

Habrit Hakhadasha/Haderekh

התגלות 11:1-19

1עתה ניתן לי מכשיר מדידה, מעין סרגל ארוך, ונאמר לי: ”קום ומדוד את היכל ה׳ ואת המזבח, וספור את המשתחווים בו. 2אך אל תמדוד את החצר שנמצאת מחוץ להיכל, כי היא ניתנה לגויים שירמסו את עיר הקודש במשך ארבעים־ושניים חודשים. 3אני אתן כוח וסמכות לשני העדים שלי לנבא 1260 יום בלבוש שק.“

4שני עדים אלה הם שתי המנורות ושני ענפי הזית העומדים לפני אלוהי הארץ.11‏.4 יא 4 ראה זכריה ד 5כל המנסה לפגוע בהם יומת באש אשר יוצאת מפיהם ושורפת את אויביהם. 6יש להם גם כוח וסמכות להפוך את הנהרות והימים לדם, ולהכות את הארץ בכל מגפה שיחפצו.

7כשיסיימו שני הנביאים את שלוש וחצי שנות עדותם, תכריז החיה שעולה מהתהום מלחמה נגדם, והיא תנצח ותהרוג אותם. 8‏-9במשך שלושה ימים וחצי תהיינה גוויותיהם מוטלות ברחובות העיר הגדולה, שנקראת בצדק סדום או מצרים, מקום שבו נצלב אדונם. אנשים רבים מכל הארצות, העמים, הגזעים והלשונות יראו גויות שני הנביאים, אבל לא יניחו לאיש לקברם כהלכה. 10תהיה שמחה כלל־עולמית – אנשים רבים ירקדו, יצהלו ואפילו יחלקו מתנות; הם יחוגו את מות שני הנביאים שהכאיבו ליושבי הארץ.

11אך כעבור שלושה ימים וחצי ייתן אלוהים רוח חיים בשני הנביאים, והם יקומו לתחייה! כל מי שיראה אותם יפחד מאוד. 12לאחר מכן תישמע קריאה רמה מן השמים: ”עלו הנה!“ והשניים יעלו לשמים בענן לנגד עיני שונאיהם.

13באותה שעה תהיה רעידת אדמה נוראה; עשירית העיר תיהרס ו־7000 איש ייהרגו. הנשארים בחיים יהיו אחוזי חלחלה ויתנו כבוד לאלוהי השמים.

14האסון השני חלף, אולם שלישי בא מיד בעקבותיו.

15כאשר תקע המלאך השביעי בשופרו נשמעו קולות רעמים בשמים: ”ממלכת העולם שייכת עתה לאדוננו ולמשיחו, והוא ימלוך לעולם ועד!“

16עשרים־וארבעה הזקנים, היושבים על כיסאותיהם לפני אלוהים, נפלו על פניהם, השתחוו לאלוהים 17וקראו: ”אנו מודים לך, ה׳ אלוהי צבאות אשר היה והווה, כי לבשת את כוחך הרב ומלכותך התחילה. 18עמי־העולם כעסו עליך, אך הגיעה העת שתכעס אתה עליהם! הגיע המועד לשפוט את המתים ולתת שכר לעבדיך – לנביאים ולכל המאמינים בשמך, לקטנים ולגדולים – ולהרוס את אלה שהשחיתו את הארץ.“

19לאחר מכן נפתח בשמים היכל ה׳ ובתוכו נראה ארון־הברית. ברקים הבריקו, רעמים רעמו, ברד כבד ירד על הארץ, נשמעו קולות ורעשים והאדמה רעדה.

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

दरसन 11:1-19

दू झन गवाह

1तब मोला एक झन नापे के एक ठन लउठी दीस अऊ कहिस, “जा अऊ परमेसर के मंदिर अऊ बेदी ला नाप अऊ जऊन मन उहां अराधना करत हवंय, ओमन के गनती कर। 2पर बाहिरी अंगना ला छोंड़ दे; ओला झन नाप, काबरकि ओला आनजातमन ला दिये गे हवय, अऊ ओमन बियालीस महिना तक पबितर सहर ला रौंदत रहिहीं। 3अऊ मेंह अपन दू झन गवाह ला सक्ति दूहूं, अऊ ओमन एक हजार दू सौ साठ दिन तक टाट पहिरके अगमबानी करहीं11:3 ओ समय म कोनो “टाट पहिरय”, एकर मतलब ए होवय कि ओह कोनो दुःख या समस्या म रहय।।”

4ए दू गवाहमन दू ठन जैतून के रूख अऊ दू ठन दीवट अंय, जऊन मन धरती के परभू के आघू म ठाढ़े रहिथें। 5कहूं कोनो ओमन ला हानि पहुंचाय के कोसिस करथे, त ओमन के मुहूं ले आगी निकरथे अऊ ओमन के बईरीमन ला भसम कर देथे। जऊन कोनो एमन के हानि करे के कोसिस करथे, ओह अइसने मरही। 6ए दूनों झन करा अकास के कपाटमन ला बंद करे के सक्ति हवय, ताकि जब ओमन अगमबानी करंय, त पानी झन गिरय, अऊ एमन करा ए सक्ति घलो हवय कि पानी ला लहू म बदल दें अऊ जब चाहंय, तब धरती ऊपर जम्मो किसम के महामारी लानय।

7जब एमन अपन गवाही दे चुकहीं, त ओ पसु जऊन ह अथाह कुन्‍ड ले निकरही, एमन ले लड़ही, अऊ ओह एमन ला हराके मार डारही। 8एमन के लासमन ओ महान सहर के गली म पड़े रहिहीं, जिहां ओमन के परभू ला कुरुस ऊपर चघाय गे रिहिस। ए महान सहर ला सांकेतिक रूप म सदोम अऊ मिसर कहे जाथे। 9साढ़े तीन दिन तक जम्मो जाति, भासा, देस अऊ बंस के मनखेमन एमन के लास ला देखहीं, पर ओम के कोनो घलो ओमन ला माटी नइं दिहीं। 10धरती के मनखेमन एमन के मरे ले आनंद मनाहीं अऊ खुस होवत एक-दूसर करा भेंट पठोहीं, काबरकि ए दूनों अगमजानीमन धरती के रहइयामन ला अब्‍बड़ दुःख देय रिहिन।

11पर साढ़े तीन दिन के बाद, परमेसर के जिनगी देवइया सांस, ए दूनों म हमाईस अऊ ओमन अपन गोड़ म ठाढ़ हो गीन, अऊ जऊन मन ओमन ला देखिन, ओमन म बहुंते भय छा गीस। 12तब ओमन स्‍वरग ले एक ऊंचहा अवाज सुनिन, जऊन ह ओमन ला ए कहत रहय, “इहां ऊपर आ जावव।” अऊ ओमन अपन बईरीमन के देखते-देखत एक बादर म स्‍वरग चले गीन।

13ओहीच बेरा एक भारी भुइंडोल होईस अऊ सहर के दसवां भाग ह भरभरा के गिर गीस। सात हजार मनखेमन ओ भुइंडोल म मारे गीन अऊ जऊन मन बच गीन, ओमन डर्रा गीन अऊ स्‍वरग के परमेसर के महिमा करिन।

14दूसरा बिपत्ती बीत गीस, पर देखव! तीसरा बिपत्ती ह जल्दी अवइया हवय।

सातवां तुरही

15तब सातवां स्‍वरगदूत ह अपन तुरही ला फूंकिस, अऊ स्‍वरग म ऊंचहा अवाज सुनई पड़िस, जऊन ह ए कहत रहय:

“संसार के राज ह हमर परभू

अऊ ओकर मसीह के राज बन गे हवय,

अऊ ओह सदाकाल तक राज करही।”

16अऊ चौबीस झन अगुवा, जऊन मन परमेसर के आघू म अपन सिंघासन ऊपर बिराजे रिहिन, मुहूं के भार गिरिन अऊ ए कहत परमेसर के अराधना करिन:

17“हे सर्वसक्तिमान परभू परमेसर, तेंह हवस,

अऊ तेंह रहय; हमन तोला धनबाद देवत हवन,

काबरकि तेंह अपन बड़े सामरथ ला उपयोग करके

राज करे के सुरू करे हवस।

18देसमन गुस्सा करत रिहिन अऊ तोर परकोप ह आ गे हवय।

मरे मनखेमन के नियाय करे के बेरा आ गे हवय,

अऊ ओ बेरा घलो आ गे हवय कि तोर सेवक अगमजानी अऊ तोर पबितर मनखे अऊ जऊन मन तोर भय मानथें, छोटे बड़े,

ओ जम्मो ला इनाम दिये जावय, अऊ जऊन मन धरती ला नास करथें, ओमन ला नास करे जावय।”

19तब स्‍वरग म परमेसर के मंदिर ह खुल गीस, अऊ ओकर मंदिर म ओकर करार के संदूक ह दिखाई दीस। अऊ उहां बिजली के चमक, अवाज, बादर के गरजन अऊ भुइंडोल होईस अऊ भारी करा गिरिस11:19 “करार के संदूक” – ए संदूक म पथरा के दू ठन ओ पटिया रहय, जऊन म परमेसर ह दस हुकूम ला लिखके अपन मनखेमन ला दे रिहिस।