אגרת פולוס הראשונה אל-התסלוניקים 2 – HHH & NCA

Habrit Hakhadasha/Haderekh

אגרת פולוס הראשונה אל-התסלוניקים 2:1-20

1אחים יקרים, הלא יודעים אתם שביקורנו אצלכם היה מאוד פורה. 2למרות העינויים והחרפה שסבלנו בפיליפי, נתן לנו אלוהים אומץ לבוא ולבשר גם לכם את הבשורה על־אף אויבינו הרבים.

3מכאן יכולים אתם לראות שאיננו מדברים אליכם מתוך טעות, ושמניעינו טהורים וטובים. 4אנו שליחי אלוהים והוא סומך עלינו שנאמר את האמת בלבד. איננו משתדלים למצוא־חן בעיני בני־אדם, אלא בעיני אלוהים שחוקר ובוחן את לבנו. 5כידוע לכם, איש אינו יכול לומר שניסינו לקנות את לבכם בדברי חלקות במטרה לסחוט מכם כסף, ואלוהים יכול להעיד על כך. 6מעולם לא ביקשנו כבוד מבני־אדם – לא מכם ולא ממישהו אחר, אף כי בתוקף סמכותנו כשליחי המשיח זכאים אנו למעט כבוד מכם! 7התנהגנו אתכם בעדינות וברכות, כמו אם שדואגת לילדיה. 8באהבתנו הרבה אליכם היינו מוכנים לתת לכם לא רק את בשורת אלוהים, אלא אף את חיינו.

9אחים יקרים, אתם ודאי זוכרים כמה קשה עבדנו בעת שבישרנו לכם את בשורת אלוהים. יומם ולילה עמלנו והזענו כדי להרוויח את לחמנו, כי לא רצינו שמישהו מכם ייאלץ לשאת בעול פרנסתנו. 10גם אלוהים וגם אתם עדים לכך שנהגנו עם כל אחד מכם ביושר, קדושה ואהבה. 11הזהרנו אתכם כאב שמזהיר את ילדיו – הזוכרים אתם? – התחננו לפניכם, עודדנו אתכם, ואף דרשנו מכם 12לחיות את חייכם בצורה ראויה בעיני אלוהים שמזמין אתכם לחלק עמו את כבודו ומלכותו.

13אנו ממשיכים להודות לאלוהים על שלא התייחסתם לבשורה שהבאנו לכם כאילו המצאנו אותה בעצמנו, אלא האמנתם שאלה הם באמת דברי אלוהים חיים, ועל כן הם שינו את חייכם.

14ואז, אחים יקרים, החלו בני עמכם להציק לכם ולרדוף אתכם, כפי שקהילות האלוהים ביהודה נרדפו על־ידי בני־עמם היהודים. 15לאחר שהרגו את נביאיהם הרגו גם את האדון ישוע, ואף גירשו ורדפו אותנו. הם עושים את הרע בעיני האדם ובעיני אלוהים, 16ואינם מניחים לנו לבשר לגויים, מחשש שאחדים מהם ייוושעו. כך מתרבים חטאיהם עד שלבסוף ישפוך עליהם אלוהים את זעמו.

17אחים יקרים, זמן קצר לאחר שנפרדנו מכם (בגופנו אך לא בנפשנו!) תקפו אותנו געגועים עזים אליכם, 18ונכספנו לשוב ולראותכם. אני, פולוס, ניסיתי לשוב אליכם פעמים רבות, אך השטן מנע זאת מאיתנו. 19ככלות הכול אתם תקוותנו, שמחתנו וגאוותנו לנוכח אדוננו ישוע בבואו. 20שכן הינכם כבודנו ושמחתנו.

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

1 थिस्‍सलुनीके 2:1-20

थिस्‍सलुनीके सहर म पौलुस के सेवा

1हे भाईमन हो, तुमन जानत हव कि हमन के तुम्‍हर करा अवई ह बेकार नइं होईस। 2तुमन खुदे जानत हव कि हमन पहिली फिलिप्‍पी म दुःख भोगे रहेंन अऊ हमर बेजत्ती करे गे रिहिस, फेर भारी बिरोध के बावजूद, परमेसर के मदद ले हमन तुमन ला ओकर सुघर संदेस सुनाय के हिम्मत करेन। 3काबरकि जऊन अपील हमन तुम्‍हर ले करथन, ओह न तो गलती ले या गलत उदेस्य ले अय, अऊ न ही हमन तुमन ला छले के कोसिस करथन। 4एकर बदले, हमन जइसने परमेसर चाहथे, वइसने गोठियाथन, काबरकि ओह हमन ला ठहिराय हवय अऊ हमन ला सुघर संदेस सऊंपे हवय, कि हमन एला आने मन ला बतावन। हमन मनखेमन ला नइं, पर परमेसर ला खुस करे के कोसिस करथन, जऊन ह हमर हिरदय ला जांचथे। 5तुमन तो जानथव कि हमन कभू चापलूसी नइं करेन, अऊ न ही हमन लालच खातिर बहाना करेन – परमेसर ह एकर बारे म हमर गवाह हवय। 6हमन मनखेमन ले परसंसा नइं चाहेन, न तुम्‍हर ले या अऊ कोनो दूसर ले।

7मसीह के प्रेरित के रूप म, हमन तुम्‍हर ले अपन हक के मांग कर सकत रहेंन, पर जब हमन तुम्‍हर संग रहेंन, त नम्र बनके रहेंन, जइसने एक दाई ह अपन छोटे लइकामन के देख-रेख करथे। 8हमन तुमन ला अतेक मया करेन कि हमन खुसी ले तुमन ला सिरिप परमेसर के सुघर संदेस ही नइं सुनायेन, पर हमन अपन जिनगी घलो तुम्‍हर संग बांटेन। काबरकि तुमन हमर बहुंत मयारू हो गे रहेव। 9हे भाईमन हो, तुमन हमर मिहनत अऊ तकलीफ ला जरूर सुरता करथव; जब हमन परमेसर के सुघर संदेस के परचार तुमन ला करत रहेंन, त हमन रात अऊ दिन काम करेन, ताकि हमन काकरो ऊपर बोझा झन होवन।

10तुमन हमर गवाह अव अऊ परमेसर घलो गवाह हवय कि हमर चाल-चलन ह तुम बिसवासीमन के संग कतेक पबितर, धरमी अऊ निरदोस रिहिस। 11तुमन जानत हव कि हमन तुमन ले हर एक के संग अइसने बरताव करेन, जइसने एक ददा ह अपन खुद के लइकामन संग करथे। 12हमन तुमन ला उत्साहित करेन, ढाढ़स बंधायेन अऊ तुमन ले बिनती करेन, ताकि तुमन ओ परमेसर ला भाय के लइक जिनगी जीयव, जऊन ह तुमन ला अपन राज म ओकर महिमा के भागी होय बर बलाथे।

13अऊ हमन घलो परमेसर ला हमेसा धनबाद देथन कि जब तुमन परमेसर के बचन ला पायेव, जऊन ला कि तुमन हमर ले सुनेव, त तुमन एला मनखे के बचन सहीं नइं, पर परमेसर के बचन (एह सही म अइसनेच अय) जानके गरहन करेव, अऊ ए बचन ह तुमन म जऊन मन बिसवास करथव, काम करत हवय। 14काबरकि हे भाईमन हो, तुमन के चाल-चलन परमेसर के ओ कलीसियामन सहीं हो गीस, जऊन मन यहूदिया प्रदेस म मसीह यीसू म हवंय। तुमन अपन खुद के मनखेमन ले वइसनेच दुःख पायेव, जइसने ओ कलीसियामन यहूदीमन ले पाय रिहिन। 15ए यहूदीमन परभू यीसू अऊ अगमजानीमन ला मार डारिन अऊ हमन ला घलो सताईन। ओमन परमेसर ला नराज करथें, अऊ जम्मो मनखेमन के बिरोध करथें। 16इहां तक कि ओमन हमन ला रोके के कोसिस करिन कि हमन आनजातमन ला सुघर संदेस के परचार झन कर सकन, जेकर दुवारा कि ओमन ला उद्धार मिलही। ए किसम ले ओमन हमेसा अपन पाप के घघरी ला भरत रहिथें। फेर आखिर म, परमेसर के परकोप ह ओमन ऊपर आ गे हवय।

पौलुस ह थिस्सलुनीकीमन ले मिले के ईछा करथे

17पर हे भाईमन हो, जब हमन तुम्‍हर ले कुछू समय बर अलग हो गे रहेंन, हिरदय ले नइं, पर सरीर म; त हमर ईछा के कारन, हमन तुम्‍हर ले मिले के बहुंते कोसिस करेन। 18हमन तुम्‍हर करा आय बर चाहत रहेंन – में पौलुस ह बार-बार कोसिस करेंव, पर सैतान ह हमन ला हर एक बार रोकिस। 19हमर आसा, हमर आनंद या हमर घमंड के मुकुट का ए, कि जब हमर परभू यीसू आवय, त ओकर आघू म घमंड करन? का एह तुमन नो हव? 20सही म, हमर महिमा अऊ आनंद तो तुमन अव।