2 राजा 2 – HCV & PCB

Hindi Contemporary Version

2 राजा 2:1-25

एलियाह का स्वर्ग में उठाया जाना

1इसके पहले कि याहवेह आंधी में एलियाह को स्वर्ग में उठाते, एलियाह एलीशा के साथ गिलगाल से यात्रा पर निकल पड़े. 2एलियाह ने एलीशा से कहा, “अब तुम यहीं ठहरो, क्योंकि याहवेह ने मुझे बेथेल जाने का आदेश दिया है.”

मगर एलीशा ने उन्हें उत्तर दिया, “जीवित याहवेह की शपथ और आपके जीवन की शपथ, मैं आपका साथ नहीं छोडूंगा.” तब वे दोनों ही बेथेल चले गए.

3तब बेथेल में भविष्यद्वक्ता मंडल के भविष्यद्वक्ता एलीशा के पास आकर उनसे पूछने लगे, “क्या आपको इस बात का पता है कि आज याहवेह आपके स्वामी को उठा लेने पर हैं?”

“हां, मुझे मालूम है. आप चुप ही रहिए,” एलीशा ने उत्तर दिया.

4एलियाह ने एलीशा से कहा, “एलीशा, यहीं ठहरो, क्योंकि याहवेह मुझे येरीख़ो को भेज रहे हैं.”

मगर एलीशा ने उनसे कहा, “जीवित याहवेह की शपथ, और आपकी शपथ, मैं आपका साथ नहीं छोडूंगा.” तब वे दोनों ही येरीख़ो पहुंच गए.

5तब येरीख़ो में भविष्यद्वक्ता मंडल के भविष्यद्वक्ता एलीशा के पास आकर उनसे पूछने लगे, “क्या आपको इस बात का पता है कि आज याहवेह आपके स्वामी को आपसे उठा लेने पर हैं?”

“हां, मुझे पता है, आप चुप ही रहिए,” एलीशा ने उत्तर दिया.

6तब एलियाह ने एलीशा से कहा, “यहीं ठहरे रहो. याहवेह मुझे यरदन को भेज रहे हैं.”

एलीशा ने एलियाह को उत्तर दिया, “जीवित याहवेह की शपथ, और आपकी शपथ, मैं आपका साथ नहीं छोडूंगा.” तब दोनों ही आगे बढ़ते चले गए.

7भविष्यद्वक्ता मंडल के पचास भविष्यद्वक्ता वहां उनके सामने कुछ ही दूरी पर खड़े हो गए. एलियाह और एलीशा यरदन तट पर खड़े थे. 8एलियाह ने अपनी चादर ली, उसे ऐंठ कर उससे यरदन के पानी पर वार किया. नदी का जल दाएं और बाएं दो भागों में बांटकर स्थिर हो गया, और वे दोनों सूखी ज़मीन पर चलते हुए पार निकल गए.

9नदी के पार एलियाह ने एलीशा से कहा, “इसके पहले कि मैं तुमसे दूर कर दिया जाऊं, मुझे बताओ मैं तुम्हारे लिए क्या करूं.”

एलीशा ने उन्हें उत्तर दिया, “यह, कि मुझे आपके आत्मा का दो गुणा भाग मिल जाए.”

10एलियाह ने कहा, “तुमने बहुत कठिन बात मांग ली है; फिर भी, उस समय पर, जब मैं तुमसे दूर किया जा रहा होऊंगा, अगर तुम मुझे देख लोगे, तब तुम्हारी इच्छा पूरी हो जाएगी; मगर यदि मैं ओझल हो जाऊं, तब तुम्हारी इच्छा पूरी न होगी.”

11जब वे इस तरह बातचीत करते हुए आगे बढ़ ही रहे थे, उन्हें आग के रथ और आग के घोड़े दिखाई दिए, जिन्होंने उन दोनों को अलग कर दिया. एलियाह बवंडर में होते हुए स्वर्ग में उठा लिए गए. 12एलीशा यह सब देख रहे थे. वह चिल्ला उठे, “मेरे पिता! मेरे पिता! और इस्राएल के रथ और सारथी!” इसके बाद एलीशा ने उन्हें फिर कभी न देखा. तब एलीशा ने अपने वस्त्र पकड़े और उन्हें फाड़कर दो भागों में बांट दिया.

13इसके बाद उन्होंने एलियाह की देह से नीचे गिरी चादर को उठा लिया, और लौटकर यरदन के तट पर जा पहुंचे. 14उन्होंने एलियाह की उस चादर से, जो एलियाह की देह पर से गिर गई थी, जल पर प्रहार किया और यह कहा, “एलियाह के परमेश्वर याहवेह कहां हैं?” जब उन्होंने जल पर वार किया तो यरदन का जल दाएं और बाएं बंट गया और एलीशा पार निकल गए.

15जब येरीख़ो में भविष्यद्वक्ता मंडल के भविष्यवक्ताओं ने एलीशा को आते देखा, वे कह उठे, “एलियाह की स्वर्गीय शक्ति एलीशा को मिल चुकी है.” वे सब एलीशा से भेंटकरने आ गए, और उनका अभिनंदन किया. 16उन्होंने उन्हें सुझाया, “देखिए, अब आपकी सेवा में पचास बलवान पुरुष हैं. आप इन्हें अनुमति दे दीजिए, कि वे आपके स्वामी को खोजें. यह संभव है कि याहवेह के आत्मा ने उन्हें ले जाकर किसी पहाड़ या किसी घाटी में छोड़ दिया हो.”

एलीशा ने उत्तर दिया, “कोई ज़रूरत नहीं, उन्हें भेजने की.”

17मगर वे हठ करते रहे, यहां तक कि संकोच में आकर एलीशा कह बैठे, “ठीक है, जाओ.” उन्होंने पचास बलवान युवाओं को भेज दिया. वे तीन दिन तक खोजते रहे, मगर असफल ही रहे. 18वे लौट आए. उस समय एलीशा येरीख़ो में ही थे. उन्हें देख एलीशा ने उनसे कहा, “मैंने पहले ही न कहा था, ‘मत जाओ?’ ”

पानी को शुद्ध करना

19नगरवासियों ने एलीशा से विनती की, “हमारे स्वामी, देखिए, इस नगर की स्थिति सुखद है, यह आप भी देख रहे हैं, मगर यहां पानी सही नहीं है, साथ ही ज़मीन भी उपजाऊ नहीं है.”

20एलीशा ने आदेश दिया, “एक नए बर्तन में नमक डालकर मेरे पास ले आओ.”

21एलीशा झरने के निकट गए, नमक उसमें डाल दिया और यह घोषित किया, “यह याहवेह द्वारा भेजा हुआ संदेश है, ‘मैंने इस जल को ठीक कर दिया है. इसके बाद इस जल से न तो किसी की मृत्यु होगी, और न किसी का गर्भपात.’ ” 22इसलिये आज तक उस झरने से शुद्ध जल ही निकल रहा है, जैसा एलीशा द्वारा कहा गया था.

एलीशा का मज़ाक उड़ा जाना

23इसके बाद एलीशा वहां से बेथेल चले गए. जब वह मार्ग में ही थे, नगर से कुछ बच्‍चे वहां आ गए और एलीशा का मज़ाक उड़ाते हुए कहने लगे, “ओ गंजे, निकल जा यहां से, निकल जा गंजे!” 24एलीशा पीछे मुड़े और जब उनकी नज़र उन बालकों पर पड़ी, उन्होंने उन्हें याहवेह के नाम में शाप दिया. उसी समय बंजर भूमि में से दो रीछनियां बाहर निकल आईं और उन बयालीस बच्चों को फाड़ दिया. 25वहां से वह कर्मेल पर्वत को गए और फिर शमरिया को लौट गए.

Persian Contemporary Bible

دوم پادشاهان 2:1‏-25

ايليا به آسمان می‌رود

1‏-2زمان آن رسيده بود كه خداوند ايليا را در گردباد به آسمان ببرد. ايليا وقتی با اليشع از شهر جلجال خارج می‌شد، به او گفت: «تو در اينجا بمان، چون خداوند به من فرموده است به بيت‌ئيل بروم.»

ولی اليشع جواب داد: «به خداوند زنده و به جان تو قسم، من از تو جدا نمی‌شوم!»

پس با هم به بيت‌ئيل رفتند. 3گروهی از انبيا كه در بيت‌ئيل بودند به استقبال آنان آمده، به اليشع گفتند: «آيا می‌دانی كه امروز خداوند قصد دارد مولای تو را از تو بگيرد؟»

اليشع جواب داد: «بلی، می‌دانم. ساكت باشيد!»

4سپس ايليا به اليشع گفت: «همين جا بمان، چون خداوند به من فرموده است به شهر اريحا بروم.»

اما اليشع باز جواب داد: «به خداوند زنده و به جان تو قسم، من از تو جدا نمی‌شوم.» پس با هم به اريحا رفتند.

5در آنجا هم گروه انبيای اريحا نزد اليشع آمده، از او پرسيدند: «آيا خبر داری كه خداوند می‌خواهد امروز مولايت را از تو بگيرد؟»

او گفت: «بلی، می‌دانم. ساكت باشيد!»

6‏-7آنگاه ايليا به اليشع گفت: «در اينجا بمان، زيرا خداوند فرموده است به طرف رود اردن بروم.»

اما اليشع مثل دفعات پيش جواب داد: «به خداوند زنده و به جان تو قسم، من از تو جدا نمی‌شوم.» پس با هم رفتند و در كنار رود اردن ايستادند، در حالی که پنجاه نفر از گروه انبيا از دور ايشان را تماشا می‌كردند. 8آنگاه ايليا ردای خود را پيچيده آن را به آب زد. آب رودخانه دو قسمت شد و ايليا و اليشع از راه خشک وسط آن عبور كردند.

9وقتی به آن سوس رود اردن رسيدند، ايليا به اليشع گفت: «پيش از آنكه به آسمان بروم بگو چه می‌خواهی تا برايت انجام دهم.»

اليشع جواب داد: «دو برابر قدرت روح خود را به من بده!»

10ايليا گفت: «چيز دشواری خواستی. اگر وقتی به آسمان می‌روم مرا ببينی، آنگاه آنچه خواستی به تو داده خواهد شد؛ در غير اين صورت خواسته‌ات برآورده نخواهد شد.»

11در حالی که آن دو با هم قدم می‌زدند و صحبت می‌كردند، ناگهان عرابه‌ای آتشين كه اسبان آتشين آن را می‌كشيدند، ظاهر شد و آن دو را از هم جدا كرد و ايليا در گردباد به آسمان بالا رفت. 12اليشع اين را ديد و فرياد زد: «ای پدرم! ای پدرم! تو مدافع نيرومند اسرائيل بودی!» پس از آن اليشع ديگر او را نديد.

سپس اليشع ردای خود را پاره كرد 13‏-14و ردای ايليا را كه افتاده بود، برداشت و به كنار رود اردن بازگشت و آن را به آب زد و با صدای بلند گفت: «كجاست خداوند، خدای ايليا؟» آب دو قسمت شد و اليشع از راه خشک وسط آن عبور كرد.

15گروه انبيای اريحا چون اين واقعه را ديدند گفتند: «قدرت روح ايليا بر اليشع قرار گرفته است!» سپس به استقبالش رفتند و او را تعظيم كرده، گفتند: 16«اجازه بفرماييد پنجاه نفر از مردان قوی خود را به جستجوی مولای شما بفرستيم، شايد روح خداوند او را به كوهی يا دره‌ای برده باشد.»

اليشع گفت: «نه، آنها را نفرستيد.»

17ولی آنها آنقدر اصرار كردند كه سرانجام اليشع با رفتن ايشان موافقت نمود. پس آن پنجاه نفر رفتند و سه روز جستجو كردند؛ ولی ايليا را نيافتند.

18وقتی بازگشتند، اليشع هنوز در اريحا بود و به ايشان گفت: «مگر به شما نگفتم نرويد؟»

معجزات اليشع

19در اين هنگام، چند نفر از اهالی شهر اريحا نزد اليشع آمده، به او گفتند: «همانطور كه می‌دانيد شهر ما در جای خوبی قرار دارد، ولی آب آن سالم نيست و باعث بی‌حاصلی زمين ما می‌شود.»

20اليشع گفت: «در يک تشت تازه نمک بريزيد و نزد من بياوريد.» تشت را آوردند. 21اليشع به سر چشمهٔ شهر رفت و نمک را در آن ريخته، گفت: «خداوند اين آب را سالم كرده است تا پس از اين ديگر موجب بی‌حاصلی زمين و مرگ نشود.» 22آب آن شهر همانگونه كه اليشع گفته بود از آن پس سالم شد.

23اليشع از اريحا عازم بيت‌ئيل شد. در بين راه عده‌ای پسر نوجوان از شهری بيرون آمدند و او را به باد مسخره گرفته، گفتند: «ای كچل از اينجا برو. ای كچل از اينجا برو.» 24او نيز برگشت و به نام خداوند آنها را نفرين كرد. آنگاه دو خرس از جنگل بيرون آمدند و چهل و دو نفر از آنان را پاره كردند. 25سپس اليشع به كوه كرمل رفت و از آنجا به سامره بازگشت.