येरेमियाह 1 – HCV & PCB

Hindi Contemporary Version

येरेमियाह 1:1-19

1पुरोहितों में से बिन्यामिन प्रदेश के अनाथोथवासी हिलकियाह के पुत्र येरेमियाह का वचन. 2जिन्हें यहूदिया के राजा अमोन के पुत्र योशियाह के राज्य-काल के तेरहवें वर्ष में याहवेह का संदेश प्रगट किया गया, 3उन्हें याहवेह का संदेश यहूदिया के राजा योशियाह के पुत्र यहोइयाकिम के राज्य-काल से लेकर, यहूदिया के राजा योशियाह के पुत्र सीदकियाहू के राज्य-काल के ग्यारहवें वर्ष के अंत तक, पांचवें माह में येरूशलेम के निवासी तक भी प्रगट किया जाता रहा.

येरेमियाह का आह्वान एवं आयोग

4मुझे याहवेह का संदेश प्राप्‍त हुआ,

5“गर्भ में तुम्हें कोई स्वरूप देने के पूर्व मैं तुम्हें जानता था,

तुम्हारे जन्म के पूर्व ही मैं तुम्हें नियुक्त कर चुका था;

मैंने तुम्हें राष्ट्रों के लिए भविष्यद्वक्ता नियुक्त किया है.”

6यह सुन मैंने कहा, “ओह, प्रभु याहवेह, बात करना तो मुझे आता ही नहीं; क्योंकि मैं तो निरा लड़का ही हूं.”

7किंतु याहवेह ने मुझसे कहा, “मत कहो, ‘मैं तो निरा लड़का ही हूं.’ क्योंकि मैं तुम्हें जहां कहीं भेजा करूं तुम वहां जाओगे. 8तब उनसे भयभीत मत होना, क्योंकि तुम्हें छुड़ाने के लिए मैं तुम्हारे साथ हूं,” यह याहवेह की वाणी है.

9तब याहवेह ने हाथ बढ़ाकर मेरे मुख को स्पर्श किया और याहवेह ने मुझसे कहा, “देखो, मैंने तुम्हारे मुख में अपने शब्द स्थापित कर दिए हैं. 10यह समझ लो कि आज मैंने तुम्हें उन राष्ट्रों तथा राज्यों पर इसलिये नियुक्त किया है कि तुम तोड़ो तथा चूर-चूर करो, नष्ट करो तथा सत्ता पलट दो, निर्माण करो तथा रोपित करो.”

11मुझे याहवेह का यह संदेश प्रगट किया गया: “येरेमियाह, तुम्हें क्या दिखाई दे रहा है?”

“मैंने उत्तर दिया, मुझे बादाम के वृक्ष की एक छड़ी दिखाई दे रही है.”

12याहवेह ने मुझसे कहा, “तुम्हारा देखना सही है, इसका आशय यह है कि मैं यह देखने के लिए जागृत हूं कि मेरा वचन पूरा हो!”

13याहवेह का संदेश पुनः मुझे प्रगट किया गया: “तुम्हें क्या दिखाई दे रहा है?”

मैंने उत्तर दिया, “मुझे भोजन पकाने का एक बर्तन दिखाई दे रहा है, उत्तर दिशा से हमारी ओर झुका दिया गया है.”

14तब याहवेह ने मुझ पर प्रकट किया, “इस देश के निवासियों पर उत्तर दिशा से संकट टूट पड़ेगा. 15क्योंकि देख लेना, मैं उत्तरी राज्यों के सारे परिवारों को आह्वान कर रहा हूं,” यह याहवेह की वाणी है.

“वे आएंगे तथा उनमें से हर एक येरूशलेम के प्रवेश द्वार पर, इसकी सभी शहरपनाह के चारों

ओर तथा यहूदिया के सभी नगरों पर अपना अपना सिंहासन स्थापित कर लेंगे.

16मैं अपने न्याय-दंड की घोषणा करूंगा, उनकी सभी बुराइयों पर

जिनके अंतर्गत उन्होंने मेरा परित्याग कर दिया,

पराये देवताओं को बलि अर्पित किया

तथा स्वयं अपने द्वारा निर्मित मूर्तियों की उपासना की है.

17“अब उठो! तैयार हो जाओ और उन सभी से बात करो जिनके विषय में मैं तुम्हें आदेश दे रहा हूं. उनके समक्ष जाकर निराश न हो जाना, अन्यथा मैं तुम्हें उनके समक्ष निराश कर दूंगा. 18अब यह समझ लो आज मैंने तुम्हें सारे देश के लिए, यहूदिया के राजाओं के लिए, इसके उच्चाधिकारियों के लिए, इसके पुरोहितों के लिए तथा देशवासियों के लिए एक गढ़नगर, एक लौह स्तंभ तथा कांस्य दीवारों सदृश बना दिया है. 19वे तुम पर आक्रमण तो करेंगे किंतु तुम्हें पराजित नहीं कर सकेंगे, क्योंकि तुम्हारा बचाने वाला मैं तुम्हारे साथ हूं,” यह याहवेह की वाणी है.

Persian Contemporary Bible

ارميا 1:1-19

1اين كتاب شامل پيامهايی است كه خدا به اِرميا پسر حلقيا داد. ارميا يكی از كاهنان شهر عناتوت (واقع در سرزمين بنيامين) بود. 2نخستين پيام، در سال سيزدهم سلطنت يوشيا (پسر آمون)، پادشاه يهودا، بر ارميا نازل شد. 3پيامهای ديگری نيز در دورهٔ سلطنت يهوياقيم (پسر يوشيا) تا يازدهمين سال پادشاهی صدقيا (پسر يوشيا)، بر او نازل شد. در ماه پنجم همين سال بود كه اورشليم به تصرف درآمد و اهالی شهر اسير و تبعيد شدند.

دعوت ارميا

4‏-5خداوند به من فرمود: «پيش از آنكه در رحم مادرت شكل بگيری تو را انتخاب كردم. پيش از اينكه چشم به جهان بگشايی، تو را برگزيدم و تعيين كردم تا در ميان مردم جهان پيام‌آور من باشی.»

6اما من گفتم: «خداوندا، اين كار از من ساخته نيست! من جوانی كم سن و بی‌تجربه هستم!»

7خداوند فرمود: «چنين مگو! چون به هر جايی كه تو را بفرستم، خواهی رفت و هر چه به تو بگويم، خواهی گفت. 8از مردم نترس، زيرا من با تو هستم و از تو محافظت می‌كنم.»

9آنگاه دست بر لبهايم گذارد و گفت: «اينک كلام خود را در دهانت گذاشتم! 10از امروز رسالت تو آغاز می‌شود! تو بايد به قومها و حكومتها هشدار دهی و بگويی كه من برخی از ايشان را ريشه‌كن كرده، از بين خواهم برد و برخی ديگر را پا برجا نگاه داشته، تقويت خواهم كرد.»

دو رؤيا

11سپس فرمود: «ارميا، نگاه كن! چه می‌بينی؟»

گفتم: «شاخه‌ای از درخت بادام!»

12فرمود: «چنين است! و اين بدان معناست كه مراقب خواهم بود تا هر آنچه گفته‌ام، انجام شود1‏:12 در عبری واژه‌های «مراقب بودن» و «بادام» شبيه يکديگرند.‏

13بار ديگر خداوند از من پرسيد: «حالا چه می‌بينی؟»

جواب دادم: «يک ديگ آب جوش كه از سوی شمال بر اين سرزمين فرو می‌ريزد.»

14فرمود: «آری، بلايی از سوی شمال بر تمام اهالی اين سرزمين نازل خواهد شد. 15من سپاهيان مملكتهای شمالی را فرا خواهم خواند تا به اورشليم آمده تخت فرمانروايی خود را كنار دروازه‌های شهر بر پا دارند و همهٔ حصارهای آن و ساير شهرهای يهودا را تسخير كنند. 16اينست مجازات قوم من به سبب شرارتهايشان! آنها مرا ترک گفته، خدايان ديگر را می‌پرستند و در برابر بتهايی كه خود ساخته‌اند، سجده می‌كنند.

17«حال، برخيز و آماده شو و آنچه كه من می‌گويم به ايشان بگو. از آنها مترس و گرنه كاری می‌كنم كه در برابر آنها آشفته و هراسان شوی! 18امروز تو را در برابر آنها همچون شهری حصاردار و ستونی آهنين و ديواری برنجين، مقاوم می‌سازم تا در برابر تمام افراد اين سرزمين بايستی، در برابر پادشاهان يهودا، بزرگان، كاهنان و همهٔ مردم. 19آنها با تو به ستيز برخواهند خاست، اما كاری از پيش نخواهند برد، چون من، خداوند، با تو هستم و تو را رهايی خواهم داد.»