दानिएल 2 – HCV & CCB

Hindi Contemporary Version

दानिएल 2:1-49

नबूकदनेज्ज़र का स्वप्न

1नबूकदनेज्ज़र ने अपने शासनकाल के दूसरे साल में स्वप्न देखे; जिससे उसका मन व्याकुल हो गया और वह सो न सका. 2इसलिये राजा ने आदेश दिया कि जादूगरों, टोन्हों, तांत्रिकों और ज्योतिषियों2:2 ज्योतिषियों या कसदियों; और 4, 5, व 10 में भी को बुलाया जाए कि वे राजा को उसका स्वप्न बताएं. जब वे आकर राजा के सामने खड़े हुए, 3तो राजा ने उनसे कहा, “मैंने एक स्वप्न देखा है जो मुझे व्याकुल कर रहा है और मैं जानना चाहता हूं कि इसका मतलब क्या है.”

4तब ज्योतिषियों ने राजा को उत्तर दिया, “राजा चिरंजीवी हों! आप अपना स्वप्न अपने सेवकों को बताईये, और हम उसका अर्थ बताएंगे.”

5राजा ने ज्योतिषियों को उत्तर दिया, “मैंने यह दृढ़ निश्चय किया है: यदि तुम लोग मुझे स्वप्न सहित उसका अर्थ नहीं बताओगे, तो मैं तुम्हें टुकड़े-टुकड़े कर दूंगा और तुम्हारे घरों को कचरे के ढेर में बदल दूंगा. 6पर यदि तुम स्वप्न को बताकर उसका अर्थ भी बताते हो, तो तुमको उपहार और ईनाम और बहुत आदरमान दिया जाएगा. इसलिये तुम मुझे स्वप्न बताओ और उसका अर्थ भी बताओ.”

7एक बार फिर उन्होंने उत्तर दिया, “राजा अपना स्वप्न अपने सेवकों को बताएं, और हम उसका अर्थ बताएंगे.”

8राजा ने उत्तर दिया, “मुझे पूरा निश्चय हो गया है कि तुम लोग समय को टालने की कोशिश कर रहे हो, क्योंकि तुम समझ चुके हो कि मैंने यह दृढ़ निश्चय कर लिया है: 9यदि तुम मुझे स्वप्न नहीं बताते हो, तो तुम्हारे लिये सिर्फ एक ही दंड है. यह आशा करते हुए कि परिस्थिति बदलेगी, तुम लोगों ने मुझसे झूठी और बुरी बातें कहने का षड़्‍यंत्र रचा है. इसलिये अब, तुम मुझे मेरा स्वप्न बताओ, और तब मैं जान लूंगा कि तुम मुझे उस स्वप्न का अर्थ भी बता सकते हो.”

10ज्योतिषियों ने राजा को उत्तर दिया, “पृथ्वी पर ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जो राजा के इस पूछे गये प्रश्न का उत्तर दे सके! पर तो भी न तो किसी बड़े और शक्तिशाली राजा ने किसी जादूगर या टोन्हा या ज्योतिषी से कभी इस प्रकार की कोई बात पूछी है. 11राजा जो बात पूछ रहे हैं, वह बहुत कठिन है. देवताओं को छोड़, और कोई राजा को यह बात नहीं बता सकता, और देवता मानव प्राणी के बीच नहीं रहते.”

12यह सुनकर राजा इतना क्रोधित और आग बबूला हो गया कि उसने बाबेल के सब बुद्धिमान लोगों को मार डालने की आज्ञा दे दी. 13इसलिये सब बुद्धिमान लोगों को मार डालने का आदेश निकाला गया, और लोगों को दानिएल तथा उसके मित्रों के खोज में भेजा गया कि वे भी मार डाले जाएं.

14जब राजा के अंगरक्षकों का प्रधान आरिओख, बाबेल के बुद्धिमान लोगों को मार डालने के लिये निकला था, तो दानिएल ने उससे बुद्धिमानी और व्यवहार कुशलता से बात की. 15उसने राजा के अधिकारी से पूछा, “राजा ने ऐसा कठोर आदेश क्यों निकाला है?” तब आरिओख ने दानिएल को वह बात बताई. 16यह जानकर दानिएल राजा के पास गया और कुछ समय देने की मांग की, ताकि वह राजा को उसके स्वप्न का अर्थ बता सके.

17तब दानिएल अपने घर लौटा और उसने अपने मित्रों हननियाह, मिषाएल तथा अज़रियाह को इस विषय में बताया. 18उसने उनको उत्साहित किया कि वे स्वर्ग के परमेश्वर से इस रहस्य के बारे में कृपा करने की बिनती करें, ताकि वह और उसके मित्र बाबेल के बाकी बुद्धिमान लोगों के साथ न मार डाले जाएं. 19रात के समय वह रहस्य एक दर्शन के रूप में दानिएल पर प्रगट हुआ. तब दानिएल ने स्वर्ग के परमेश्वर की महिमा की 20और कहा:

“परमेश्वर के नाम की महिमा सदा-सर्वदा होती रहे;

क्योंकि बुद्धि और शक्ति उसकी है.

21वही हैं, जो समय एवं ऋतुओं को बदलते हैं;

वे राजाओं को गद्दी से हटाते और दूसरों को गद्दी पर बैठाते हैं.

वे बुद्धिमान को बुद्धि

और समझदार को ज्ञान देते हैं.

22वे गूढ़ और छिपी बातों को प्रगट करते हैं;

वे जानते हैं कि अंधेरे में क्या रखा है,

और उनके साथ प्रकाश बना रहता है.

23हे मेरे पूर्वजों के परमेश्वर, मैं आपको धन्यवाद देता और आपकी प्रशंसा करता हूं:

क्योंकि आपने मुझे बुद्धि एवं शक्ति दी है,

आपने मुझे वह बात बताई है जो हमने आपसे पूछी,

आपने हम पर राजा के स्वप्न को प्रगट किया है.”

दानिएल स्वप्न का अर्थ बताता है

24तब दानिएल, आरिओख के पास गया जिसे राजा ने बाबेल के बुद्धिमान लोगों को मार डालने के लिये नियुक्त किया था, और उसने आरिओख से कहा, “बाबेल के बुद्धिमान लोगों को मार डालने का काम रोक दीजिए. मुझे राजा के पास ले चलिए, और मैं राजा को उनके स्वप्न का अर्थ बताऊंगा.”

25आरिओख तुरंत दानिएल को राजा के पास ले गया और उसने राजा से कहा, “यहूदिया से बंधुआई में आये लोगों के बीच मुझे एक ऐसा व्यक्ति मिला है, जो राजा को उसके स्वप्न का अर्थ बता सकता है.”

26राजा ने दानिएल से पूछा (जिसे बैलशत्सर भी कहा जाता था), “क्या तुम इस योग्य हो कि मैंने स्वप्न में जो देखा है उसे और उसका अर्थ बता सको?”

27दानिएल ने उत्तर दिया, “राजा जिस रहस्य के बारे में पूछ रहे हैं, उसके बारे में कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति, ज्योतिषी, जादूगर या भविष्य बतानेवाला राजा को कुछ नहीं बता सकता, 28लेकिन स्वर्ग में एक परमेश्वर हैं, जो रहस्यों को प्रगट करते हैं. उन्होंने ने ही राजा नबूकदनेज्ज़र को दिखाया है कि आनेवाले दिनों में क्या होनेवाला है. जब आप अपने पलंग पर लेटे हुए थे, तब आपने जो स्वप्न और दर्शन देखे, वे ये हैं:

29“महाराज, जब आप अपने पलंग पर लेटे थे, तब आपका मन भविष्य में होनेवाली घटनाओं की ओर हो गया, और रहस्यों के प्रगट करनेवाले ने आपको दिखाया कि भविष्य में क्या होनेवाला है. 30जहां तक मेरी बात है, तो यह रहस्य मुझ पर इसलिये प्रकट नहीं किया गया कि मेरे पास किसी और जीवित व्यक्ति से ज्यादा बुद्धि है, पर इसलिये कि महाराज को रहस्य का अर्थ मालूम हो जाए और आप समझ जाएं कि आपके मन में क्या आया था.

31“महाराज, आपने देखा कि आपके सामने एक बड़ी मूर्ति खड़ी थी—एक बहुत बड़ी, चौंधियानेवाली मूर्ति, दिखने में अद्भुत. 32उस मूर्ति का सिर शुद्ध सोने से बना था, उसकी छाती और भुजाएं चांदी की, उसका पेट और जांघें कांसे की, 33उसके टांगे लोहे की और उसके पांव कुछ लोहे के और कुछ सेंके गये मिट्टी के थे. 34जब आप देख रहे थे, तो एक चट्टान बिना किसी मानवीय प्रयास के अपने आप कटकर आई और उस मूर्ति के लोहे और मिट्टी के पांव को ऐसी ठोकर मारी कि वे चूर-चूर हो गए. 35तब लोहा, मिट्टी, कांसा, चांदी और सोना सब टूटकर टुकड़े-टुकड़े हो गए और ग्रीष्मकाल में खलिहान के भूंसे के समान हो गये. हवा उनको ऐसे उड़ा ले गई कि उनका कोई छोटा टुकड़ा भी न बचा. पर जिस चट्टान ने मूर्ति को ठोकर मारी थी, वह चट्टान एकाएक बहुत बड़ा पहाड़ बन गई और सारी पृथ्वी में फैल गई.

36“यही था आपका स्वप्न, और अब हम राजा को उसका अर्थ बताएंगे. 37हे महाराज, आप तो राजाओं के राजा हैं. स्वर्ग के परमेश्वर ने आपको राज्य और अधिकार और शक्ति और महिमा दी है; 38आपके अधीन, उन्होंने सब मानव प्राणी और भूमि के जानवर और आकाश के पक्षियों को कर दिया है. वे जहां कहीं भी रहते हैं, परमेश्वर ने आपको उनके ऊपर शासक ठहराया है. मूर्ति के सोने का वह सिर आप ही हैं.

39“आपके बाद एक दूसरे राज्य का उदय होगा जो आपके राज्य से निचले स्तर का होगा. उसके बाद, एक तीसरे राज्य का उदय होगा, जो कांसे का प्रतिरूप होगा, जिसका शासन संपूर्ण पृथ्वी पर होगा. 40आखिरी में, एक चौथा राज्य होगा जो लोहे की तरह मजबूत होगा—क्योंकि लोहा सब चीज़ों को तोड़ता और चूर-चूर कर देता है—और जैसे कि लोहा चीज़ों को तोड़कर टुकड़े-टुकड़े कर देता है, वैसे ही यह राज्य भी दूसरे सभी राज्यों को कुचलकर टुकड़े कर देगा. 41जैसा कि आपने देखा कि पांव और उंगलियां कुछ सेंके गये मिट्टी और कुछ लोहे की थीं, इसलिये यह एक विभाजित राज्य होगा; फिर भी इसमें कुछ लोहे का बल होगा, जैसा कि आपने लोहे को मिट्टी के साथ मिला हुआ देखा. 42जैसे कि पांव की उंगलियां कुछ लोहा और कुछ मिट्टी की थी, इसलिये यह राज्य कुछ तो मजबूत और कुछ निर्बल होगा. 43और जैसा कि आपने लोहे को सेंके गये मिट्टी के साथ मिला हुआ देखा, वैसे ही लोगों का मिश्रण होगा और उनमें एकता न होगी, क्योंकि लोहा मिट्टी के साथ मेल नहीं खाता.

44“उन राजाओं के समय में, स्वर्ग के परमेश्वर एक ऐसे राज्य को स्थापित करेंगे, जो कभी नष्ट न होगा और न ही इस पर किसी अन्य का शासन होगा. यह राज्य उन सब राज्यों को चूर-चूर कर देगा और उनका अंत कर देगा, पर यह स्वयं सदाकाल तक बना रहेगा. 45यह उस चट्टान के दर्शन का अर्थ है जो मनुष्य के हाथों नहीं, किंतु अपने आप एक पहाड़ से टूटकर अलग हुई थी और जिसने लोहा, कांसा, मिट्टी, चांदी और सोना को टुकड़े-टुकड़े कर दिया था.

“महान परमेश्वर ने राजा को दिखाया है कि भविष्य में क्या होनेवाला है. यह स्वप्न सत्य है तथा इसका अर्थ विश्वासयोग्य है.”

46तब राजा नबूकदनेज्ज़र ने दानिएल को साष्टांग दंडवत किया और उसे आदर दिया और आज्ञा दी कि दानिएल को भेंट चढ़ाई जाय और उसके सामने सुगंधित धूप जलाया जाय. 47राजा ने दानिएल से कहा, “निश्चित रूप से तुम्हारे परमेश्वर देवताओं के परमेश्वर और राजाओं के प्रभु और रहस्यों के प्रगटकर्ता हैं, क्योंकि तुम इस रहस्य का अर्थ बताने में योग्य ठहरे.”

48तब राजा ने दानिएल को एक ऊंचे पद पर ठहराया और उसे बहुत सारे कीमती उपहार दिये. राजा ने उसे सारे बाबेल प्रदेश का शासक बनाया और बाबेल के सब बुद्धिमान लोगों के ऊपर उसे अधिकारी ठहराया. 49और दानिएल के अनुरोध पर राजा ने शद्रख, मेशेख तथा अबेद-नगो को बाबेल प्रदेश पर प्रशासक नियुक्त कर दिया, परंतु दानिएल स्वयं राज-दरबार में बना रहा.

Chinese Contemporary Bible (Simplified)

但以理书 2:1-49

尼布甲尼撒的梦

1尼布甲尼撒在执政第二年做了梦,心里烦乱,无法入睡, 2便派人召来术士、巫师、行法术的和占星家2:2 占星家”亚兰文作“迦勒底人”,同下2:4510节;3:84:75:711,为他解梦。他们都来到王面前。 3王对他们说:“我做了一个梦,心里烦乱,想知道梦的意思。” 4占星家用亚兰话对王说:“愿王万岁!请将梦告诉仆人,仆人好解释梦的意思。” 5王对占星家说:“我的旨意已定,你们若不能将梦和梦的意思告诉我,必被碎尸万段,你们的家必沦为废墟。 6你们若能将梦和梦的意思告诉我,我必给你们礼物、赏赐和极大的尊荣。所以你们要将梦和梦的意思告诉我。” 7他们再次对王说:“请王将梦告诉仆人,仆人好解释梦的意思。” 8王说:“我敢肯定,你们是在拖延时间,因为你们知道我的旨意已定, 9你们若不将梦告诉我,我必惩治你们。你们串通起来在我面前胡言乱语,期待情况会改变。现在将梦告诉我,我就相信你们能解梦。” 10占星家说:“王所要求的,世上无人能做到,因为再伟大、再有权势的君王也没问过术士、巫师或占星家这样的事。 11王问的事太难,除了不在人间居住的神明外,无人能为王解答。” 12王大怒,下令处死巴比伦所有的智者。 13于是,处死智者的谕旨发出,但以理和他的同伴都在被杀之列。

14王的护卫长亚略奉命要处死巴比伦的智者,但以理机智、谨慎地应对。 15他问王的护卫长亚略:“王的命令为何这样紧急?”亚略就把情况告诉他。 16但以理便进宫求王宽限,以便为王解梦。 17然后,他回到居所将这事告诉同伴哈拿尼雅米沙利亚撒利雅18要同伴祈求天上的上帝施怜悯,显明这奥秘,以免他们和其他巴比伦的智者一起被杀。 19这奥秘在夜间的异象中向但以理显明,他便颂赞天上的上帝, 20说:

“上帝的名永永远远当受称颂,

因为智慧和能力都属于祂。

21祂改变时令和季节,废王立王,

赐智慧给智者,赐知识给哲士。

22祂显明深奥隐秘之事,

洞悉暗中的隐情,

有光与祂同住。

23我祖先的上帝啊,我感谢你,赞美你,

因你赐我智慧和能力,

应允我们的祈求,

使我们明白王的梦。”

但以理解梦

24于是,但以理去见王指派处死巴比伦智者的亚略,对他说:“不要处死巴比伦的智者,请带我去见王,我要为王解梦。” 25亚略急忙带但以理去见王,对王说:“我在被掳的犹大人中找到一个能为王解梦的。” 26王就问又名伯提沙撒但以理:“你能将我做的梦和梦的意思告诉我吗?” 27但以理回答说:“没有智者、术士、巫师或占星家可以解答王所问的奥秘, 28-30但天上的上帝能揭开奥秘,祂已把将来要发生的事告诉了王。王啊,你在床上梦见了将来的事,揭开奥秘的上帝已把将来的事指示给你。上帝将王做的梦启示给我,并非因为我的智慧胜过其他人,而是要让王知道梦的意思和王的心事。以下是王在床上做的梦和脑中出现的异象。

31“王啊,你梦见一个高大宏伟、极其明亮的塑像站在你面前,相貌可怕, 32有纯金的头、银的胸和臂、铜的肚腹和大腿、 33铁的小腿和半铁半泥的脚。 34在你观看的时候,有一块非人手凿出的石头打在塑像半铁半泥的脚上,砸碎了脚。 35铁、泥、铜、银、金随即粉碎,犹如夏天麦场上的糠秕,被风吹得无影无踪。但打碎这像的石头变成一座大山,充满整个大地。

36“这就是梦的内容。现在我们要为王解梦。 37王啊,你是万王之王,天上的上帝已将国度、权柄、能力和尊荣赐给你, 38也将居住在各地的世人、走兽和飞禽都交在你手中,让你管理。你就是那金头。 39在你之后,必有另一国兴起,不及你的国强大。之后是将要统治天下的第三个国,是铜的。 40接着是坚如铁的第四国,能击垮、打碎列国,正如铁能击垮、打碎一切。 41你看见半铁半陶泥的脚和脚趾,表示那将是一个分裂的国。正如你看见铁和泥混杂在一起,它必有铁一般的力量。 42半铁半泥的脚趾表示那国必半强半弱。 43你看见铁和泥混杂在一起,这表示那国的民族彼此混杂通婚,却不能团结,正如铁和泥无法混合。 44在以上列王统治的时候,天上的上帝必设立一国——永不灭亡、外族无法夺其政权。这国将击垮、消灭列国,并且永远长存。 45你看见那块非人手从山中凿出的石头打碎铁、铜、泥、银和金。伟大的上帝已把将来的事告诉了王。这梦是真实的,解释是可靠的。”

46尼布甲尼撒王俯伏在地,向但以理下拜,并下令给他献供物和香。 47王对但以理说:“你们的上帝真是万神之神、万王之主、奥秘的启示者,因为你能揭开这个奥秘。” 48王赐但以理高官及许多贵重的礼物,派他治理巴比伦全省,管理巴比伦所有的智者。 49王又应允但以理的请求,派沙得拉米煞亚伯尼歌负责巴比伦省的事务。但以理仍在朝中供职。