耶利米書 44 – CCBT & HCV

Chinese Contemporary Bible (Traditional)

耶利米書 44:1-30

耶和華給流亡埃及之人的信息

1論到那些住在埃及境內的密奪答比匿挪弗巴特羅地區的猶大人,耶和華的話傳給了耶利米,說: 2「以色列的上帝——萬軍之耶和華說,『你們已看見了我降在耶路撒冷和大各城的災禍。如今它們一片荒涼,杳無人跡。 3這都是因為那裡的居民犯罪作惡,向他們、你們和你們祖先都不認識的神明燒香祭拜,惹我發怒。 4我屢次差遣我的僕人——眾先知警告他們不要再做令我深惡痛絕的事, 5他們卻毫不理會,不肯改掉向假神燒香的惡行。 6因此,我的怒火在猶大的城邑和耶路撒冷的街上燃燒,使它們淪為廢墟,正如今日一樣。』 7以色列的上帝——萬軍之上帝耶和華說,『你們為什麼自招大禍,使你們當中的男人、女人、孩童和嬰兒都從猶大滅亡,無一倖免呢? 8你們為什麼在埃及向別的神明燒香,惹我發怒,自招毀滅,成為天下萬國咒詛和羞辱的對象呢? 9難道你們忘記了你們的祖先、猶大列王及其嬪妃,以及你們自己和妻子在猶大耶路撒冷街上的惡行嗎? 10你們至今既不悔悟也不懼怕,不遵行我給你們和你們祖先設立的律法和誡命。

11「『因此,看啊,我必嚴懲你們,毀滅整個猶大。這是以色列的上帝——萬軍之耶和華說的。 12我要毀滅那些執意去埃及住的猶大餘民。他們必死於戰爭和饑荒,無論尊卑無一倖免。他們的下場將很可怕,成了被人責罵、咒詛和羞辱的對象。 13我要像懲罰耶路撒冷一樣用戰爭、饑荒和瘟疫懲罰那些住在埃及的人。 14那些去埃及住的猶大餘民沒有幾個能活著從埃及返回他們渴望的故鄉。』」

15許多人知道自己的妻子曾向別的神明燒香。他們和他們的妻子以及住在埃及巴特羅地區的人對耶利米說: 16「我們不會聽從你奉耶和華的名對我們說的話。 17但我們必照所許的願向天后燒香奠酒,正如我們和我們的祖先、君王和官長在猶大各城和耶路撒冷街上所做的一樣。那時,我們食物充足,生活幸福,無災無禍。 18但自從我們停止向天后燒香奠酒後,我們便一無所有,不斷有人死於戰爭和饑荒。」 19那些燒香的婦女說:「你以為我們的丈夫不知道我們向天后燒香奠酒、照著她的形像做祭餅嗎?」

20於是,耶利米對在場所有答覆他的男女說: 21「你們和你們的祖先、君王、官長及其他所有百姓在猶大各城和耶路撒冷的街上燒香,耶和華豈不記得,豈能遺忘? 22你們的可憎惡行令耶和華忍無可忍,以致祂使你們的土地一片荒涼,無人居住,被人咒詛,正如今天的情形。 23你們遭遇今天的災禍是因為你們向別的神明燒香得罪耶和華,不聽從祂的話,不遵行祂的律法、誡命和教誨。」

24耶利米又對在場的男女說:「你們住在埃及猶大人都要聽耶和華的話。 25以色列的上帝——萬軍之耶和華說,『你們和你們的妻子曾許願向天后燒香奠酒,並且身體力行。你們繼續還所許的願吧!』 26住在埃及猶大人啊,你們都要聽耶和華的話。耶和華說,『看啊,我以自己偉大的名起誓,再沒有一個住在埃及猶大人會憑永活的主耶和華起誓。 27看啊,我一定要給你們降下災禍而非祝福,使所有住在埃及猶大人死於戰爭和饑荒。 28刀下餘生、從埃及返回猶大的人必寥寥無幾。那時,你們這些去埃及住的猶大人必知道誰的話會實現,是我的還是你們的。 29我必在這地方懲罰你們,我要給你們一個預兆,好叫你們知道我言出必行。這是耶和華說的。 30我必把埃及王法老何弗拉交在想殺他的仇敵手中,就像我把猶大西底迦交在想殺他的仇敵巴比倫尼布甲尼撒手中一樣。這是耶和華說的。』」

Hindi Contemporary Version

येरेमियाह 44:1-30

मूर्ति पूजा के कारण विनाश

1मिस्र देश के मिगदोल, ताहपनहेस, मैमफिस नगरों तथा पथरोस प्रदेश में निवास कर रहे यहूदियों के लिए येरेमियाह को यह संदेश भेजा गया: 2“सेनाओं के याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर की वाणी यह है: येरूशलेम तथा यहूदिया के नगरों पर जो सारी विपत्तियां मेरे द्वारा भेजी गई हैं, उन्हें तो तुमने स्वयं ही देख ली हैं. देख लो, कि आज तक ये स्थान खंडहर बने हुए हैं और कोई भी उनमें निवास नहीं कर रहा. 3उस दुष्कृति के कारण जिसके द्वारा उन्होंने परकीय देवताओं की उपासना करने, उन्हें बलि अर्पण करने के द्वारा मेरे कोप को भड़काया है. ये देवता उनके लिए, तुम्हारे लिए तथा तुम्हारे पूर्वजों के लिए अज्ञात रहे. 4इतना सब होने पर भी मैंने तुम्हारे हित में अपने सेवक भविष्यवक्ताओं को भेजा, बार-बार वे यह संदेश देते रहे, ‘मत करो ये सारे उपक्रम, जो मेरे समक्ष घृणास्पद हैं!’ 5किंतु उन्होंने न इस ओर ध्यान दिया, न मेरा संदेश सुना न वे इन दुष्कृत्यों से विमुख हुए; उन्होंने उन परकीय देवताओं को बलि अर्पण करना समाप्‍त न किया. 6इसलिये मेरा कोप और मेरा आक्रोश उंडेला गया; यहूदिया के नगर तथा येरूशलेम की गलियां इनसे क्रोधित हो गईं और इसका परिणाम यह है कि अब ये खंडहर मात्र रह गए हैं, जैसा आज स्पष्ट ही है, ये अब निर्जन रह गए हैं.

7“इसलिये अब, सेनाओं के याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर की वाणी यह है: तुम क्यों अपनी ही अकाल हानि करने पर तैयार हो, कि तुम्हारे मध्य में यहूदिया में से स्त्री-पुरुष, बालक तथा शिशु कोई बचे हुए लोग न रह जाएं? 8मिस्र देश, जहां तुमने बस जाने के उद्देश्य से प्रवेश किया है, वहां तुम उन परकीय देवताओं को बलि अर्पण करने के द्वारा मेरे कोप को भड़का रहे हो. इसका परिणाम यही होगा कि तुम नष्ट हो जाओगे तथा तुम पृथ्वी के सारी जनताओं के लिए एक शाप, एक कटाक्ष बनकर रह जाओगे. 9क्या तुम अपने पूर्वजों की दुष्कृति भूलना पसंद कर चुके हो—यहूदिया के राजाओं की दुष्कृति, उनकी पत्नियों की दुष्कृति, स्वयं तुम्हारी दुष्कृति तथा तुम्हारी पत्नियों की दुष्कृति, जो यहूदिया में तथा येरूशलेम की गलियों में उनके द्वारा की जाती रही है? 10किंतु पश्चाताप उन्होंने आज तक नहीं किया और उनमें न तो मेरे प्रति श्रद्धा दिखाई, न उन्होंने मेरे व्यवस्था-विधान के पालन किया जो मैंने ही तुम्हारे तथा तुम्हारे पूर्वजों के सामने रखे थे.

11“इसलिये इस्राएल के परमेश्वर, सेनाओं के याहवेह, की वाणी यह है, यह देख लेना, कि मैं तुम्हारे संकट के लक्ष्य से तुम्हारी ओर अभिमुख होने पर हूं, हां, सारे यहूदिया के सर्वनाश के लक्ष्य से. 12मैं यहूदिया के उस बचे हुए लोगों को, जो मिस्र में बस जाने के लिए तैयार हो चुके हैं, नष्ट कर दूंगा. मिस्र देश में वे पूर्णतः नष्ट हो जाएंगे; वे तलवार तथा अकाल से नष्ट हो जाएंगे. तलवार एवं अकाल से सामान्य एवं विशिष्ट दोनों ही मिटा दिए जाएंगे. वे शाप बन जाएंगे, आतंक-प्रतिरूप हो जाएंगे, अमंगल प्रार्थना तथा उपहास का विषय हो जाएंगे. 13मैं मिस्र के निवासियों को उसी प्रकार दंड दूंगा, जिस प्रकार मैंने येरूशलेम को तलवार, अकाल तथा महामारी का दंड दिया है. 14तब यहूदिया के उन बचे हुए लोगों में से जो मिस्र में इन बातों के साथ जा बसे हैं, कि वे पुनः यहूदिया लौट आएंगे, जहां लौटकर आ रहना ही उनकी अभिलाषा है; उनमें से मात्र अल्प शरणार्थियों के सिवाय न तो कोई शरणार्थी रहेगा और न कोई उत्तरजीवी.”

15तब उन सभी व्यक्तियों ने जिन्हें यह ज्ञात था कि उनकी पत्नियां परकीय देवताओं के समक्ष धूप जलाने की प्रथा में संलग्न हैं, अपनी-अपनी पत्नी के साथ एक विशाल सभा के रूप में मिस्र में पथरोस के निवासियों के साथ मिलकर येरेमियाह को यह प्रत्युत्तर दिया, 16“आपने याहवेह के नाम से हमें जो संदेश दिया है, उसे हम नहीं सुनेंगे! 17हम तो निश्चयतः वही सब करेंगे, जो हमारे मुख से मुखरित हुआ है: हम स्वर्ग की रानी के निमित्त धूप जलाएंगे, उसे पेय बलि अर्पित करेंगे; ठीक जैसा हमारे पूर्वज, हमारे राजा और हमारे उच्चाधिकारी यहूदिया के नगरों में तथा येरूशलेम की गलियों में करते रहे हैं. क्योंकि उस समय हमें भोजन का कोई अभाव न था, हम सम्पन्‍न थे तथा हमें किसी प्रतिकूलता का अनुभव न हुआ. 18किंतु जैसे ही हमने स्वर्ग की रानी के लिए धूप जलाना छोड़ा, जैसे ही हमने उसे पेय बलि अर्पित करना छोड़ा, हम सब प्रकार के अभाव में आ पड़े हैं और प्रजा तलवार एवं अकाल द्वारा विनाश हो रही है.”

19और स्त्रियों ने आक्षेप लगाना प्रारंभ किया, “जब हम स्वर्ग की रानी के लिए धूप जला रही थी और पेय बलि अर्पित कर रही थी, क्या हम ये बलियां, ये पेय बलियां तथा अर्पण के व्यंजन जिन पर स्वर्ग की रानी की प्रतिकृति होती थी यह सब अपने-अपने पतियों के जानने बिना कर रही थी?”

20तब येरेमियाह ने पुरुषों, स्त्रियों, सारे उपस्थित जनसमूह को, उन सभी को, जिन्होंने उन्हें उत्तर दिया था, संबोधित करते हुए कहा: 21“यहूदिया के नगरों में तथा येरूशलेम की गलियों में जो धूप तुम लोगों ने, तुम्हारे पूर्वजों ने, तुम्हारे राजाओं ने, तुम्हारे उच्चाधिकारियों ने तथा देश की प्रजा ने, जलाई हैं, क्या याहवेह की दृष्टि से अदृश्य रह गई है अथवा उन्होंने इन्हें भूलना पसंद कर दिया है? 22यह सब याहवेह के लिए असह्य हो चुका था, तुम्हारे उपक्रमों के संकट के कारण, तुम्हारे द्वारा किए गए घृणास्पद कार्यों के कारण ही आज तुम्हारा देश उजाड़ हो चुका है, यह देश अब भय का स्रोत तथा एक शाप प्रमाणित हो रहा है, आज यह निर्जन पड़ा हुआ है. 23आज तुम्हारे देश पर जो विपत्ति आ पड़ी है, उसका कारण यही है कि तुमने याहवेह की आज्ञा की अवहेलना की है, उनकी नीतियों का आचरण नहीं किया, उनके अधिनियमों तथा साक्ष्यों की अवहेलना की है, तथा तुमने धूप जलाई है.”

24तब येरेमियाह ने सारी स्त्रियों सहित सारे जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा, “सारे यहूदियावासियो, जो मिस्र में जा बसे हो, याहवेह का संदेश सुनो. 25सेनाओं के याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर का संदेश यह है: तुम्हारे लिए तथा तुम्हारी पत्नियों से संबंधित संदेश यह है: तुमने यह कहते हुए, ‘हम उन सारे संकल्पों को पूर्ण करेंगे, जो हमने किए थे. हम स्वर्ग की रानी के लिए धूप जलाएंगे, उसे पेय बलि भी अर्पित करेंगे, तुमने जो कुछ अपने मुख से घोषित किया, उसे अपने कार्यों द्वारा पूर्ण भी कर दिखाया है.’

“जाओ, जाकर अपने संकल्पों की पुष्टि करो और उन्हें पूर्ण भी करो! 26फिर भी, मिस्र में जा बसे यहूदियावासियो, याहवेह का संदेश सुन लो: ‘ध्यान रहे, मैंने अपने ही उदात्त नाम की शपथ ली है,’ यह याहवेह की वाणी है, ‘मिस्र देश में यहूदिया का कोई भी व्यक्ति शपथ करने के लिये अब कभी भी मेरे महान नाम का उपयोग नहीं कर पायेगा. वे फिर कभी नहीं कहेंगे, “याहवेह के नाम की शपथ!” 27मैं उन पर मेरी दृष्टि लगी हुई है, वह हित के लिए नहीं, पर विपत्ति के लिए. यहूदियावासी सभी, जो मिस्र देश में जा बसे है, तब तक तलवार से तथा अकाल से उनकी मृत्यु हो ही जाएगी; जब तक उनके विनाश संपूर्ण न हो. 28हां, अत्यंत अल्प संख्या में कुछ तलवार से बचकर मिस्र से यहूदिया पहुंच जाएंगे. तब यहूदिया के संपूर्ण बचे हुए लोगों को, जो मिस्र में बस जाने के लिए वहां गए थे, उन्हें यह ज्ञात हो जाएगा कि किसका कहना अटल होता है, मेरा अथवा उनका.

29“ ‘तुम्हारे लिए इसका चिन्ह यह होगा,’ यह याहवेह की वाणी है, ‘मैं तुम्हें इसी स्थान पर दंड दूंगा, जिससे कि तुम यह समझ सको कि तुम्हारे संकट के लिए मेरी वाणी पूर्ण होकर ही रहेगी.’ 30याहवेह का संदेश यह है: ‘तुम देखोगे कि मैं मिस्र के राजा फ़रोह होफ़राह को उसके शत्रुओं के अधीन कर दूंगा, उनके अधीन जो उसके प्राण लेने को तैयार हैं, ठीक जिस प्रकार मैंने यहूदिया के राजा सीदकियाहू को बाबेल के राजा नबूकदनेज्ज़र के अधीन कर दिया था, जो उसका शत्रु था, जो उसके प्राण लेने को तैयार था.’ ”