撒母耳記上 17 – CCBT & HCV

Chinese Contemporary Bible (Traditional)

撒母耳記上 17:1-58

大衛迎戰歌利亞

1非利士人在猶大梭哥招聚軍隊,準備作戰。他們在梭哥亞西加之間的以弗·大憫紮營。 2掃羅以色列人也聚集起來在以拉谷安營,擺好陣勢準備迎戰。 3雙方的軍隊在兩邊的山上對峙,中間隔著山谷。 4非利士營中有個名叫歌利亞的巨人出來討戰。他來自迦特,身高三米, 5頭戴銅盔,身穿重達五十七公斤的鎧甲, 6腿上有銅護膝,肩背銅戟。 7戟柄粗如織布機的軸,鐵戟頭重七公斤。有衛士拿著他的盾牌走在前面。 8他挑戰以色列人,說:「你們為什麼列陣打仗呢?我是非利士人,你們是掃羅的僕人,你們選一個人下來跟我一比高下。 9如果他打得過我,將我殺了,我們就做你們的奴隸。但如果我戰勝他,把他殺了,你們就要做我們的奴隸,服侍我們。 10我今天向以色列軍隊罵陣,你們找一個人出來跟我比個高下吧!」 11掃羅和所有以色列人聽了非利士人的這些話,都嚇得驚恐不已。

12大衛以法他耶西的兒子。掃羅執政期間,耶西已經年紀老邁,住在猶大伯利恆,有八個兒子。 13他的三個兒子已經跟隨掃羅去打仗了,他們是長子以利押、次子亞比拿達和三子沙瑪14大衛年紀最小,他的三個哥哥跟隨掃羅期間, 15他有時去掃羅的軍營,有時回伯利恆為他父親放羊。 16非利士人早晚都出來罵陣,長達四十天。

17一天,耶西大衛說:「你帶上十公斤烤麥和十個餅,趕快到軍營中送給你的哥哥們。 18再帶十塊奶餅送給他們的千夫長,看望一下他們,帶個信兒回來。 19他們跟隨掃羅率領的以色列軍在以拉谷跟非利士人打仗。」

20大衛清早起來把羊交給一個牧人看顧,然後照父親的吩咐帶著食物出發了。他來到軍營的時候,大軍正吶喊著出戰。 21以色列人與非利士人擺好陣勢,兩軍對壘。 22大衛把帶來的東西交給負責看守的人保管,自己跑到陣中去問候哥哥們。 23他們正在交談的時候,非利士軍中的迦特歌利亞出來像往常一樣向以色列軍罵陣,大衛都聽見了。 24以色列人一看見歌利亞都競相奔逃,極其害怕。 25以色列人彼此議論說:「看那個人!他是來向以色列軍罵陣的。誰要能殺死他,王必有重賞,還會把女兒嫁給他為妻,並免去他父親家在以色列應繳的賦稅。」 26大衛問站在旁邊的人:「如果有人殺了這非利士人,洗掉以色列人的羞辱,他會得到什麼呢?這個未受割禮的非利士人是誰?竟敢向永活上帝的軍隊罵陣!」 27他們就把剛才的話一一告訴大衛

28大衛的長兄以利押聽見他跟人說話,就憤怒地對他說:「你來這裡做什麽?你把曠野的那幾隻羊交給誰了?我知道你驕傲自大,心懷惡意,你來只是想看打仗。」 29大衛說:「我做錯了什麼?我問一下都不行嗎?」 30他又去問其他人同樣的問題,得到了同樣的答覆。 31有人聽見了大衛的話,就去告訴掃羅掃羅便派人來召大衛32大衛掃羅說:「大家不要因這個非利士人而喪膽,讓僕人去戰他。」 33掃羅說:「你不能去,你年紀還小,他卻是一個久經沙場的戰士。」 34大衛說:「我一直替父親放羊,有時候獅子或熊會從羊群中叼走羊, 35我會去追打牠,把羊從牠口中救出來。如果牠起來攻擊我,我就揪著牠的鬍子把牠打死。 36我曾打死過獅子和熊。這未受割禮的非利士人竟敢向永活上帝的軍隊罵陣,他的下場也必像獅子和熊一樣。 37耶和華曾經從獅子和熊的利爪下拯救我,祂也必從非利士人手中拯救我。」掃羅大衛說:「去吧,願耶和華與你同在。」 38掃羅把自己的戰袍給大衛穿上,又給他戴上自己的頭盔,穿上自己的鎧甲。 39大衛把刀挎在戰袍上,試著走了幾步,卻不習慣這種裝束,就對掃羅說:「我穿著這些無法作戰,因為我不習慣。」他便摘下頭盔,卸下鎧甲, 40然後拿著杖,在溪裡撿了五塊光滑的石頭放進牧人用的袋子,拿著投石器向歌利亞走去。

41歌利亞也迎著大衛走來,衛士拿著他的盾牌走在前面。 42歌利亞大衛是個面色紅潤、相貌英俊的少年,就藐視他。 43他對大衛說:「你拿著棍子來戰我,難道我是一條狗嗎?」他就憑自己的神明咒詛大衛44又說:「你過來,我要把你的肉丟給天上的飛禽和地上的走獸。」 45大衛答道:「你是靠刀槍劍戟來攻擊我,我是靠萬軍之耶和華的名,就是你所蔑視的以色列軍隊的上帝來迎戰你。 46今天,耶和華必把你交在我手中,我必殺死你,砍掉你的頭,用非利士軍兵的屍體餵天上的飛禽和地上的走獸,使普天下都知道以色列有上帝。 47這裡所有的人都必知道耶和華拯救人不靠刀槍,因為祂掌管戰爭的勝負。祂必把你們交在我們手中。」 48歌利亞迎面走來的時候,大衛就飛快地跑上去應戰, 49他從袋裡拿出一塊石子用投石器猛力拋去,石子擊中歌利亞的額頭,嵌了進去,他迎面栽倒在地。

50大衛就這樣不用刀劍,只用投石器和一塊石子戰勝了那個非利士人,殺死了他。 51大衛跑到那非利士人身邊,從他刀鞘裡拔出刀殺了他,並割下他的頭顱。非利士人看見自己的英雄死了,紛紛逃跑。 52以色列人和猶大人乘勢吶喊,追殺非利士人,直追到迦特以革倫的城門。通往迦特以革倫沙拉音大道上到處是非利士人的屍體。 53以色列軍隊追殺非利士人回來,又擄掠了他們的營地。 54大衛把那非利士人的頭顱帶到耶路撒冷,把那人的兵器存放在自己的帳篷中。

55掃羅看見大衛出去迎戰歌利亞,就問押尼珥元帥:「押尼珥啊,那少年是誰的兒子?」押尼珥答道:「王啊,我向你發誓,我真的不知道。」 56掃羅王說:「你去查查他是誰的兒子。」 57大衛殺了歌利亞回來,押尼珥就把他帶到掃羅那裡,他手上還拿著那非利士人的頭顱。 58掃羅問他:「年輕人,你是誰的兒子?」大衛答道:「我是你僕人伯利恆耶西的兒子。」

Hindi Contemporary Version

1 शमुएल 17:1-58

दावीद और गोलियथ

1इस समय फिलिस्तीनियों ने युद्ध के लिए अपनी सेना इकट्ठी की हुई थी. वे यहूदिया के सोकोह नामक स्थान पर एकत्र थे. उन्होंने सोकोह तथा अज़ेका के मध्यवर्ती क्षेत्र में अपने शिविर खड़े किए थे. 2शाऊल और उनकी सेना एलाह घाटी में एकत्र थी, जहां उन्होंने अपने शिविर खड़े किए थे. फिलिस्तीनियों से युद्ध के लिए उन्होंने यहीं अपनी सेना संयोजित की थी. 3फिलिस्तीनी सेना एक पहाड़ी पर तथा इस्राएली सेना अन्य पहाड़ी पर मोर्चा बांधे खड़ी थी, और उनके मध्य घाटी थी.

4इसी समय फिलिस्तीनियों के शिविर से एक योद्धा बाहर आया. उसका नाम था गोलियथ, जो गाथ प्रदेश का वासी था. कद में वह लगभग तीन मीटर ऊंचा था. 5उसने अपने सिर पर कांसे का टोप पहन रखा था. उसके शरीर पर पीतल का कवच था, जिसका भार सत्तावन किलो था. 6उसके पैरों पर भी पीतल का कवच था. उसके कंधों के मध्य कांसे की बर्छी लटकी हुई थी 7उसके भाले का दंड करघे के दंड समान था. भाले के लोहे का फल लगभग सात किलो था. उसके आगे-आगे उसका ढाल संवाहक चल रहा था.

8इस्राएल की सेना पंक्ति के सामने खड़े हो उसने उन्हें संबोधित कर उच्च स्वर में कहना शुरू किया, “क्या कर रहे हो तुम यहां युद्ध संरचना में संयोजित होकर? शाऊल के दासों, मैं फिलिस्तीनी हूं. अपने मध्य से एक योद्धा चुनो कि वह मेरे पास आए. 9यदि वह मुझसे युद्ध कर सके और मेरा वध कर सके, तो हम तुम्हारे सेवक बन जाएंगे; मगर यदि मैं उसे पराजित करूं और उसका वध करूं, तो तुम्हें हमारे दास बनकर हमारी सेवा करनी होगी.” 10वह फिलिस्तीनी यह भी कह रहा था, “आज मैं इस्राएली सेना को चुनौती देता हूं! मुझसे युद्ध करने के लिए एक योद्धा भेजो.” 11जब शाऊल तथा इस्राएली सेना ने यह सब सुना तो वे सभी निराश हो गए, और उनमें भय समा गया.

12दावीद यहूदिया प्रदेश में इफ्ऱथ क्षेत्र के बेथलेहेम नगर के यिशै नामक व्यक्ति के पुत्र थे. यिशै के आठ पुत्र थे. शाऊल के शासनकाल में यिशै वयोवृद्ध हो चुके थे. 13उनके तीन बड़े पुत्र शाऊल की सेना में शामिल थे: एलियाब उनका जेठा पुत्र, अबीनादाब दूसरा, तथा तीसरा पुत्र शम्माह. 14दावीद इन सबसे छोटे थे. तीन बड़े भाई ही शाऊल की सेना में शामिल हुए थे. 15दावीद शाऊल की उपस्थिति से बेथलेहेम जा-जाकर अपने पिता की भेड़ों की देखभाल किया करते थे.

16वह फिलिस्तीनी चालीस दिन तक हर सुबह तथा शाम इस्राएली सेना के सामने आकर खड़ा हो जाया करता था.

17यिशै ने अपने पुत्र दावीद से कहा, “अपने भाइयों के लिए शीघ्र यह एफाह17:17 एफाह लगभग 16 किलोग्राम भर भुने अन्‍न, तथा दस रोटियों की टोकरी ले जाओ. 18इसके अतिरिक्त उनके सैन्य अधिकारी के लिए ये दस पनीर टिकियां भी ले जाओ. अपने भाइयों का हाल भी मालूम कर आना, और मुझे आकर सारी ख़बर देना. 19शाऊल और उनकी सारी सेना फिलिस्तीनियों से युद्ध करने के लक्ष्य से एलाह की घाटी में एकत्र हैं.”

20दावीद प्रातः जल्दी उठे और अपनी भेड़ें एक कर्मी की सुरक्षा में छोड़कर पिता के आदेश के अनुरूप सारा प्रावधान लेकर प्रस्थान किया. वह शिविर ठीक उस मौके पर पहुंचे, जब सेना युद्ध क्षेत्र के लिए बाहर आ ही रही थी. इसी समय वे सब युद्ध घोष नारा भी लगा रहे थे. 21इस्राएली सेना और फिलिस्तीनी सेना आमने-सामने खड़ी हो गई. 22दावीद अपने साथ लाई हुई सामग्री सामान के रखवाले को सौंपकर रणभूमि की ओर दौड़ गए, कि अपने भाइयों से उनके कुशल क्षेम के बारे में पूछताछ की. 23जब वह उनसे संवाद कर ही रहे थे, गाथ प्रदेश से आया वह गोलियथ नामक फिलिस्तीनी योद्धा, फिलिस्तीनी सेना का पड़ाव से बाहर आ रहा था. आज भी उसने वही शब्द दोहराए, जो वह अब तक दोहराता आया था, और दावीद ने आज वे शब्द सुने. 24उसे देखते ही संपूर्ण इस्राएली सेना बहुत ही भयभीत होकर उसकी उपस्थिति से दूर भागने लगी.

25कुछ सैनिकों ने दावीद से बातचीत करते हुए पूछा, “देख रहे हो न इस व्यक्ति को, जो हमारी ओर बढ़ा चला आ रहा है? वह इस्राएल को तुच्छ साबित करने के उद्देश्य से रोज-रोज यही कर रहा है. जो कोई उसे धराशायी कर देगा, राजा उसे समृद्ध सम्पन्‍न कर देंगे, उससे अपनी बेटी का विवाह कर देंगे तथा उसके पिता के संपूर्ण परिवार को कर मुक्त भी कर देंगे.”

26दावीद ने बातें कर रहे उन सैनिकों से प्रश्न किया, “उस व्यक्ति को क्या प्रतिफल दिया जाएगा, जो इस फिलिस्तीनी का संहार कर इस्राएल के उस अपमान को मिटा देगा? क्योंकि यह अख़तनित फिलिस्तीनी होता कौन है, जो जीवन्त परमेश्वर की सेनाओं की ऐसी उपेक्षा करे?”

27उन सैनिकों ने दावीद को उत्तर देते हुए वही कहा, जो वे उसके पूर्व उन्हें बता चुके थे, “जो कोई इसका वध करेगा, उसे वही प्रतिफल दिया जाएगा, जैसा हम बता चुके हैं.”

28दावीद के बड़े भाई एलियाब ने दावीद को सैनिकों से बातें करते सुना. एलियाब ने दावीद पर क्रोधित हुआ. एलियाब दावीद से पूछा, “तुम यहां क्यों आये? मरुभूमि में उन थोड़ी सी भेड़ों को किसके पास छोड़कर आये हो? मैं जानता हूं कि तुम यहां क्यों आये हो! मुझे पता है कि तू कितना अभिमानी है! मैं तेरे दुष्ट हृदय को जानता! तुम केवल यहां युद्ध देखने के लिये आना चाहते थे!”

29दावीद ने उत्तर दिया, “अरे! मैंने किया ही क्या है? क्या मुझे पूछताछ करने का भी अधिकार नहीं?” 30यह कहकर दावीद वहां से चले गए, और किसी अन्य सैनिक से उन्होंने वही प्रश्न पूछा, जिसका उन्हें वही उत्तर प्राप्‍त हुआ, जो उन्हें इसके पहले दिया गया था. 31किसी ने दावीद का वक्तव्य शाऊल के सामने जा दोहराया. शाऊल ने उन्हें अपने पास लाए जाने का आदेश दिया.

32दावीद ने शाऊल से कहा, “किसी को भी निराश होने की आवश्यकता नहीं है. मैं, आपका सेवक, जाकर उस फिलिस्तीनी से युद्ध करूंगा.”

33शाऊल ने दावीद को सलाह देते हुए कहा, “यह असंभव है कि तुम जाकर इस फिलिस्तीनी से युद्ध करो; तुम सिर्फ एक बालक हो और वह जवानी से एक योद्धा.”

34दावीद ने शाऊल को उत्तर दिया, “मैं, आपका सेवक, अपने पिता की भेड़ों की रखवाली करता रहा हूं. जब कभी सिंह या भालू भेड़ों के झुंड में से किसी भेड़ को उठाकर ले जाता है, 35मैं उसका पीछा कर, उस पर प्रहार कर उसके मुख से भेड़ को निकाल लाता हूं, यदि वह मुझ पर हमला करता है, मैं उसका जबड़ा पकड़, उस पर वार कर उसे मार डालता हूं. 36आपके सेवक ने सिंह तथा भालू दोनों ही का संहार किया है. इस अख़तनित फिलिस्तीनी की भी वही नियति होने पर है, जो उनकी हुई है, क्योंकि उसने जीवन्त परमेश्वर की सेनाओं को तुच्छ समझा है. 37याहवेह, जिन्होंने मेरी रक्षा सिंह तथा रीछ से की है मेरी रक्षा इस फिलिस्तीनी से भी करेंगे.”

इस पर शाऊल ने दावीद से कहा, “बहुत बढ़िया! जाओ, याहवेह की उपस्थिति तुम्हारे साथ बनी रहे.”

38यह कहते हुए शाऊल ने दावीद को अपने हथियारों से सुसज्जित करना शुरू कर दिया. 39दावीद ने इनके ऊपर शाऊल की तलवार भी कस ली और फिर इन सबके साथ चलने की कोशिश करने लगे, क्योंकि इसके पहले उन्होंने इनका प्रयोग कभी न किया था.

उन्होंने शाऊल से कहा, “इन्हें पहनकर तो मेरे लिए चलना फिरना मुश्किल हो रहा है; क्योंकि मैंने इनका प्रयोग पहले कभी नहीं किया है.” यह कहते हुए दावीद ने वे सब उतार दिए. 40फिर दावीद ने अपनी लाठी ली, नदी के तट से पांच चिकने-सुडौल पत्थर उठाए, उन्हें अपनी चरवाहे की झोली में डाला, अपने हाथ में अपनी गोफन लिए हुए फिलिस्तीनी की ओर बढ़ चला.

41वह फिलिस्तीनी भी बढ़ते हुए दावीद के निकट आ पहुंचा. उसके आगे-आगे उसका ढाल उठानेवाला चल रहा था. 42जब उस फिलिस्तीनी ने ध्यानपूर्वक दावीद की ओर देखा, तो उसके मन में दावीद के प्रति घृणा के भाव उत्पन्‍न हो गए, क्योंकि दावीद सिर्फ एक बालक ही थे—कोमल गुलाबी त्वचा और बहुत ही सुंदर. 43उस फिलिस्तीनी ने दावीद को संबोधित करते हुए कहा, “मैं कोई कुत्ता हूं, जो मेरी ओर यह लाठी लिए हुए बढ़े चले आ रहे हो?” और वह अपने देवताओं के नाम लेकर दावीद का शाप देने लगा. 44दावीद को संबोधित कर वह कहने लगा, “आ जा! आज मैं तेरा मांस पशु पक्षियों का आहार बना छोड़ूंगा.”

45तब दावीद ने उस फिलिस्तीनी से कहा, “तुम मेरी ओर यह भाला, यह तलवार, बरछा तथा शूल लिए हुए बढ़ रहे हो, मगर मैं तुम्हारा सामना सेनाओं के याहवेह के नाम में कर रहा हूं, जो इस्राएल की सेनाओं के परमेश्वर हैं, तुमने जिनकी प्रतिष्ठा को भ्रष्‍ट किया है. 46आज ही याहवेह तुम्हें मेरे अधीन कर देंगे. मैं तुम्हारा संहार करूंगा और तुम्हारा सिर काटकर देह से अलग कर दूंगा. और मैं आज फिलिस्तीनी सेना के शव पक्षियों और वन्य पशुओं के लिए छोड़ दूंगा कि सारी पृथ्वी को यह मालूम हो जाए कि परमेश्वर इस्राएल राष्ट्र में हैं, 47तथा यहां उपस्थित हर एक व्यक्ति को यह अहसास हो जाएगा कि याहवेह के लिए छुड़ौती के साधन तलवार और बर्छी नहीं हैं. यह युद्ध याहवेह का है और वही तुम्हें हमारे अधीन कर देंगे.”

48यह सुनकर वह फिलिस्तीनी दावीद पर प्रहार करने के लक्ष्य से आगे बढ़ा. वहां दावीद भी फिलिस्तीनी पर हमला करने युद्ध रेखा की ओर दौड़े. 49दावीद ने अपने झोले से एक पत्थर निकाला, गोफन में रख उसे फेंका और वह पत्थर जाकर फिलिस्तीनी के माथे पर जा लगा, और भीतर गहरा चला गया और वह भूमि पर मुख के बल गिर पड़ा.

50इस प्रकार दावीद सिर्फ गोफन और पत्थर के द्वारा उस फिलिस्तीनी पर विजयी हो गए. उन्होंने इनके द्वारा उस फिलिस्तीनी पर वार किया और उसकी मृत्यु हो गई. दावीद के पास तलवार तो थी नहीं.

51तब वह दौड़कर उस फिलिस्तीनी की देह पर चढ़ गए, उसकी म्यान में से तलवार खींची, उसकी हत्या करने के लिए उसका सिर उस तलवार द्वारा अलग कर दिया.

जब फिलिस्ती सेना ने यह देखा कि उनका शूर योद्धा मारा जा चुका है, वे भागने लगे. 52यह देख इस्राएल तथा यहूदिया के सैनिकों ने युद्धनाद करते हुए उनका पीछा करना शुरू कर दिया. वे उन्हें खदेड़ते हुए गाथ तथा एक्रोन के प्रवेश द्वार तक जा पहुंचे. घायल फिलिस्तीनी सैनिक शअरयिम से गाथ और एक्रोन के मार्ग पर पड़े रहे. 53इस्राएली सैनिक उनका पीछा करना छोड़कर लौटे और फिलिस्तीनी शिविर को लूट लिया.

54दावीद उस फिलिस्तीनी का सिर उठाकर येरूशलेम ले गए और उसके सारे हथियार अपने तंबू में रख लिए.

55जब दावीद फिलिस्तीनी से युद्ध करने जा रहे थे, शाऊल उनकी हर एक गतिविधि को ध्यानपूर्वक देख रहे थे. उन्होंने अपनी सेना के सेनापति अबनेर से पूछा, “अबनेर, यह युवक किसका पुत्र है?”

अबनेर ने उत्तर दिया, “महाराज, आप जीवित रहें, यह मैं नहीं जानता.”

56राजा ने आदेश दिया, “यह पता लगाया जाए यह किशोर किसका पुत्र है.”

57उस फिलिस्तीनी का संहार कर लौटते ही सेनापति अबनेर दावीद को राजा शाऊल की उपस्थिति में ले गए. इस समय दावीद के हाथ में उस फिलिस्तीनी का सिर था.

58शाऊल ने दावीद से पूछा. “युवक, कौन हैं तुम्हारे पिता?”

दावीद ने उन्हें उत्तर दिया, “आपके सेवक बेथलेहेम के यिशै.”