創世記 37 – CCBT & HCV

Chinese Contemporary Bible (Traditional)

創世記 37:1-36

約瑟的夢

1雅各住在他父親寄居的迦南2以下是有關雅各一家的記載。

十七歲的少年約瑟跟哥哥們,就是雅各的妾辟拉悉帕生的兒子們一同放羊。他向父親報告哥哥們做的壞事。 3約瑟以色列年老時生的,以色列特別寵愛他,為他做了一件彩衣。 4約瑟的哥哥們見父親偏愛他,就懷恨在心,對他惡言相向。

5約瑟做了一個夢,並告訴了哥哥們,他們更恨他了。 6約瑟對哥哥們說:「你們聽聽我做的夢—— 7我們在田裡捆莊稼,我捆的莊稼站起來,你們捆的莊稼都圍著我捆的莊稼下拜。」 8他的哥哥們回答說:「難道你真想做我們的王統治我們嗎?」他們因約瑟的夢和他說的話而更恨他。

9後來,約瑟又做了一個夢,他又去對哥哥們說:「你們聽聽我做的另一個夢,我夢見太陽、月亮和十一顆星星都向我下拜。」 10約瑟把夢告訴了父親和哥哥們,他父親就責備他說:「你做的是什麼夢!難道你的父母弟兄都要來向你俯伏下拜嗎?」 11約瑟的哥哥們嫉恨他,他父親卻把這些話記在心裡。

12約瑟的哥哥們到示劍放父親的羊。 13以色列約瑟叫來,對他說:「你哥哥們在示劍放羊,我要派你去他們那裡。」約瑟說:「好的。」 14以色列說:「你去看看你哥哥們以及羊群是否平安,然後回來告訴我。」於是,約瑟就從希伯崙谷出發去示劍15有人見他在田野走迷了路,就問他:「你在找什麼?」 16約瑟回答說:「我在找我哥哥們,你知道他們在哪裡放羊嗎?」 17那人說:「他們已經走了,我聽他們說要到多坍去。」約瑟就趕往多坍,在那裡找到了他們。

18約瑟的哥哥們遠遠看見他走來,趁他還沒有到跟前,就合謀要害死他。 19他們彼此商量說:「看!做夢的來了。 20來吧!我們殺了他,把他扔在井裡,就說有野獸把他吃掉了,看他的夢怎麼實現。」 21呂便聽後想救約瑟的性命,就說:「我們不要害他性命。」 22他又說:「不要殺人流血,把他扔在這口井裡吧,不要下手害他。」呂便想救約瑟,把他交回給父親。 23這時候,約瑟來了,他們就脫去他身上的彩衣, 24把他扔到井裡。當時,那口井是乾的,沒有水。

25他們坐下來吃飯的時候,看見一隊從基列來的以實瑪利商人用駱駝馱著香料、乳香、沒藥去埃及26猶大對他的眾弟兄說:「我們殺死弟弟、掩蓋罪行有什麼益處呢? 27不如把他賣給以實瑪利人,不要下手害他,他畢竟是我們的弟弟,我們的骨肉啊!」其他弟兄都贊成他的意見。 28於是,那些米甸商人經過的時候,他們就把約瑟從井裡拉上來,以二百二十克銀子的價錢把他賣給了以實瑪利人。這些商人把他帶到埃及去了。

29呂便回到井邊發現約瑟不見了,就傷心地撕裂了身上的衣服, 30回到弟兄們那裡說:「那少年不見了,我現在怎麼辦?」 31他們宰了一隻公山羊,把血染在約瑟的彩衣上, 32拿去給父親,說:「我們撿到這件衣服,你看看是不是你兒子的?」 33雅各認出那件彩衣,說:「這是我兒子的衣服,一定是野獸把他吃了,約瑟一定被撕碎了!」 34雅各撕裂自己的衣服,束上麻布,為約瑟哀傷了好幾天。 35他的兒女都來安慰他,他卻不肯接受他們的安慰,說:「我一定會淒淒慘慘地下到陰間,去我兒子那裡。」約瑟的父親為他哀哭。

36那些米甸人把約瑟帶到埃及後,把他賣給了法老的內臣——護衛長波提乏

Hindi Contemporary Version

उत्पत्ति 37:1-36

योसेफ़ का स्वप्न

1याकोब कनान देश में रहते थे. वहीं तो उनके पिता परदेशी होकर रहे थे.

2यह है याकोब के परिवार का इतिहास.

याकोब के वंश में योसेफ़ जब सत्रह वर्ष के थे वह अपने भाइयों के साथ भेड़-बकरियों को चराते थे, उनके पिता की पत्नियों बिलहाह तथा ज़िलपाह के पुत्र भी उनके साथ ही थे. योसेफ़ अपने पिता को अपने भाइयों की गलत आदतों के बारे में बताया करते थे.

3इस्राएल अपने सभी बच्चों से ज्यादा योसेफ़ को प्यार करते थे; क्योंकि वह उनके बुढ़ापे की संतान थी. याकोब ने योसेफ़ के लिए रंग बिरंगा वस्त्र बनवाया था. 4योसेफ़ के भाइयों ने देखा कि उनके पिता उनसे ज्यादा योसेफ़ को प्यार करते हैं; इसलिये वे योसेफ़ से नफ़रत करने लगे.

5योसेफ़ ने एक स्वप्न देखा था, जिसे उसने अपने भाइयों को बताया. योसेफ़ के भाई योसेफ़ से ज्यादा नफ़रत करने लगे. 6योसेफ़ ने अपने भाइयों से कहा, “कृपया मेरा स्वप्न सुनिए. 7हम सब खेत में पूला बांध रहे थे. मैंने देखा कि मेरा पूला उठकर सीधा खड़ा हो गया. और आपके पूले मेरे पूले के आस-पास एकत्र हो गये और मेरे पूले को प्रणाम करने लगे.”

8यह सुन उनके भाई कह उठे, “तो क्या तुम हम पर अधिकार करने का विचार कर रहे हो? क्या तुम सच में हम पर अधिकार कर लोगे?” इसके बाद वे योसेफ़ से और ज्यादा नफ़रत करने लगे.

9फिर योसेफ़ ने दूसरा सपना देखा. योसेफ़ ने कहा, “मैंने दूसरा सपना देखा है; मैंने सूरज, चांद और ग्यारह नक्षत्रों को मुझे प्रणाम करते देखा.”

10यह स्वप्न योसेफ़ ने अपने पिता एवं भाइयों को बताया, जिसे सुन उनके पिता ने उसे डांटते हुए कहा, “यह कैसा स्वप्न देखते हो तुम! क्या यह वास्तव में संभव है कि मैं, तुम्हारी माता एवं तुम्हारे भाई तुम्हारे पास आएंगे और तुम्हें प्रणाम करेंगे?” 11योसेफ़ के भाई उससे लगातार ईर्ष्या करते रहे. किंतु योसेफ़ के पिता ने इन सभी बातों को अपने मन में रखा.

भाइयों द्वारा योसेफ़ बेचा जाता हैं

12योसेफ़ के भाई अपने पिता की भेड़-बकरियों को चराने के लिए शेकेम गए थे. 13इस्राएल ने योसेफ़ से कहा, “तुम्हारे भाई शेकेम में भेड़-बकरी चरा रहे हैं न? मैं तुम्हें उनके पास भेजना चाहता हूं.”

योसेफ़ ने कहा, “मैं चला जाता हूं.”

14याकोब ने योसेफ़ से कहा, “तुम जाओ और अपने भाइयों का हाल पता करके आओ और मुझे बताओ.” योसेफ़ को याकोब ने हेब्रोन घाटी से रवाना किया.

और योसेफ़ शेकेम पहुंचे, 15जब योसेफ़ एक मैदान में इधर-उधर देख रहे थे, तब एक व्यक्ति उन्हें मिला, जिसने उससे पूछा, “क्या ढूंढ़ रहे हो तुम?”

16योसेफ़ ने कहा, “मैं अपने भाइयों को ढूंढ़ रहा हूं. क्या आप कृपा कर मुझे बताएंगे वे अपनी भेड़-बकरियां कहां चरा रहे हैं?”

17उस व्यक्ति ने कहा, “वे तो यहां से जा चुके हैं, क्योंकि मैंने उन्हें यह कहते सुना था, ‘चलो, अब दोथान जायें.’ ”

इसलिये योसेफ़ अपने भाइयों को ढूंढ़ते दोथान पहुंचे. 18जब भाइयों ने दूर से योसेफ़ को आते देखा, उसके नज़दीक आने के पहले ही उन्होंने उसको मार डालने का विचार किया.

19उन्होंने कहा, “यह लो, आ गया स्वप्न देखनेवाला! 20चलो, उसकी हत्या कर यहां किसी गड्ढे में फेंक दें, और हम कह देंगे, कि उसे किसी जंगली जानवर ने खा लिया; फिर हम देखते हैं उसके स्वप्न का क्या होता है.”

21किंतु रियूबेन योसेफ़ को बचाना चाहता था. इसलिये रियूबेन ने कहा “हम योसेफ़ को जान से नहीं मारेंगे; 22बल्कि हम उसे बंजर भूमि के किसी गड्ढे में डाल देते हैं,” रियूबेन ने ऐसा इसलिये कहा कि वह योसेफ़ को बचाकर पिता को सौंप देना चाहता था.

23जैसे ही योसेफ़ अपने भाइयों के पास आये, उन्होंने योसेफ़ का रंग बिरंगा वस्त्र, जो वह पहने हुए थे उतार दिया, 24और योसेफ़ को एक सूखे गड्ढे में डाल दिया, गड्ढा खाली था; उसमें पानी नहीं था.

25यह करके वे भोजन करने बैठे. तभी उन्होंने देखा कि गिलआद की ओर से इशमाएलियों का एक समूह आ रहा था. उनके ऊंटों पर सुगंध गोंद, बलसान तथा गन्धरस लदे हुए थे. यह सब वे मिस्र ले जा रहे थे.

26यहूदाह ने अपने भाइयों से कहा, “अपने भाई की हत्या कर उसे छुपाने से हमें कुछ नहीं मिलेगा. 27हम इसे इन इशमाएलियों को बेच दें. हम इसकी हत्या न करें; अंततः वह हमारा भाई ही है, हमारा अपना खून.” भाइयों को यह बात ठीक लगी.

28उसी समय कुछ मिदियानी37:28 मिदियानी हो सकता है कि यह यिशमाएलियों का ही एक झुंड का नाम है, या उनके साथी हैं. व्यापारी वहां से निकले, तब उन्होंने उनकी सहायता से योसेफ़ को गड्ढे से ऊपर खींच निकाला और उसे इशमाएलियों को बीस चांदी के सिक्कों में बेच दिया.

29जब रियूबेन उस गड्ढे पर लौटा, तब उसने देखा कि योसेफ़ वहां नहीं हैं. यह देख उसने अपने वस्त्र फाड़ लिए. 30उसने अपने भाइयों के पास जाकर पूछा, “वह तो वहां नहीं हैं! मुझे समझ नहीं आ रहा, अब मैं क्या करूं?”

31भाइयों ने एक बकरी को मारा और उसके खून में योसेफ़ के सुंदर अंगरखे को डुबो दिया 32और उस वस्त्र को अपने पिता के पास ले जाकर कहा, “हमें यह वस्त्र मिला; क्या यह आपके पुत्र का वस्त्र तो नहीं?”

33याकोब ने वस्त्र देखकर कहा, “यह मेरे पुत्र का ही वस्त्र है. किसी जंगली पशु ने उसे खा लिया है.”

34तब याकोब ने अपने वस्त्र फाड़े, टाट पहन लिए और कई दिनों तक अपने बेटे के लिए रोते रहे. 35सबने याकोब को दिलासा देने की कोशिश की, पर याकोब का दुःख कम न हुआ, और वे योसेफ़ के लिए रोते ही रहे. याकोब ने कहा, “मैं मरने के दिन तक (शीयोल तक) अपने पुत्र योसेफ़ के शोक में डूबा रहूंगा.”

36वहां, मिदियानियों ने मिस्र पहुंचकर योसेफ़ को पोतिफर को बेच दिया, जो फ़रोह का एक अधिकारी, अंगरक्षकों का प्रधान था.