雅各书 3 – CCB & NCA

Chinese Contemporary Bible (Simplified)

雅各书 3:1-18

邪恶的舌头

1我的弟兄姊妹,不要个个当教师,因为你们知道,我们为人师表的将受到更严格的评判, 2因为我们在许多方面难免有过失。如果谁在言语上没有过失,他就是纯全的人,也能在各方面保持自制。 3我们如果把嚼环放在马嘴里,便可以使它顺服,驾驭它。 4一艘大船在遭遇暴风吹袭时,船身虽然庞大,但舵手只要操纵一个小小的舵,就能随意驾驶它。

5同样,人的舌头虽然很小,却能说夸大的话。

看啊,小火星能点燃大森林。 6舌头就是火,是我们身体上的一个充满邪恶的世界,能玷污人的全身,足以毁掉人的一生,它是从地狱点燃的火。 7自然界中的各类走兽、飞禽、爬虫、水族都可以被驯服,也已经被人类驯服了, 8但无人能驯服自己的舌头,因为舌头是个无法控制的邪恶之物,充满了致命的毒气。 9我们用舌头来赞美主和天父,也用舌头来咒诅照着上帝的形象被造的人。 10赞美和咒诅竟然从同一张嘴里发出来。我的弟兄姊妹,这是不应该的! 11同一个泉源能涌出甜苦两样水吗? 12我的弟兄姊妹,无花果树能结出橄榄吗?葡萄树能结出无花果吗?一个咸水泉必流不出甜水来。

天上的智慧

13你们当中谁是有智慧、有见识的呢?请他带着来自智慧的谦和,在善行上表现出来。 14但如果你们心怀苦毒的嫉妒和自私的野心,就不要自夸说有智慧,也不要违背真理去撒谎。 15这种智慧并非来自天上,而是从世俗、私欲和魔鬼来的。 16哪里有嫉妒和自私的野心,哪里就会有混乱和各样的恶事。

17但从天上来的智慧首先是纯洁,然后是爱好和平、温良柔顺、充满怜悯、多结善果、不存偏见、没有虚伪。 18使人和睦的人撒下和平的种子,必收获仁义的果实。

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

याकूब 3:1-18

1हे मोर भाईमन हो, तुमन ले बहुंत झन गुरू झन बनव, काबरकि तुमन जानत हव कि गुरूमन के अऊ कड़ई ले नियाय होही। 2हमन जम्मो झन अक्सर गलती करथन। जऊन कोनो अपन गोठ म कभू गलती नइं करय, ओह सिद्ध मनखे ए; अऊ ओह अपन देहें ला बस म कर सकथे।

3जब हमन अपन गोठ ला मनवाय बर घोड़ामन के मुहूं म लगाम लगाथन, त हमन ओकर पूरा देहें ला घलो अपन बस म कर लेथन। 4देखव, पानी जहाज घलो, जऊन ह बहुंत बड़े होथे; अऊ तेज हवा के दुवारा चलथे, तभो ले एक नानकून पतवार के दुवारा मांझी ह अपन ईछा के मुताबिक ओला जिहां चाहथे उहां ले जाथे। 5वइसनेच जीभ ह घलो देहें के एक नानकून अंग ए, पर ओह बहुंते डींग मारथे। देखव, एक नानकून आगी के चिनगारी ले कतेक बड़े जंगल म आगी लग जाथे। 6जीभ ह घलो आगी सहीं अय। एह हमर देहें म अधरम के एक संसार ए। एह एक अइसने आगी ए, जऊन ला नरक कुन्‍ड के आगी ले बारे गे हवय अऊ पूरा जिनगी म आगी लगाके मनखे ला बरबाद कर देथे।

7हर एक किसम के जीव-जन्तु, चिरई अऊ पेट के भार रेंगइया जीव-जन्तु अऊ पानी के जीव-जन्तु, मनखेमन के बस म हो सकथें अऊ ओमन बस म हो घलो गे हवंय। 8पर जीभ ला कोनो मनखे अपन बस म नइं कर सकय। ओह अइसने सैतान ए, जऊन ह कभू चुप नइं रहय। ओह अइसने जहर ले भरे हवय, जऊन ह परान ले लेथे।

9जीभ ले हमन परभू अऊ ददा के महिमा करथन अऊ इही जीभ ले मनखेमन ला सराप घलो देथन, जऊन मन परमेसर के सरूप म बनाय गे हवंय। 10ओहीच मुहूं ले महिमा अऊ सराप दूनों निकरथे। हे मोर भाईमन हो, अइसने नइं होना चाही। 11का मीठा अऊ नूनचूर पानी झरना के एकेच मुहूं ले निकर सकथे? 12हे मोर भाईमन, का अंजीर के रूख म जैतून या अंगूर के नार म अंजीर फर सकथे? वइसने नूनचूर झरना ले मीठा पानी नइं निकर सकय।

दू किसम के बुद्धि

13तुमन म बुद्धिमान अऊ समझदार कोन ए? ओह अपन काम अऊ बने चाल-चलन के दुवारा एला नमरता सहित देखावय, जऊन ह बुद्धि ले उपजथे। 14पर कहूं तुमन अपन मन म भारी जलन अऊ सुवारथ रखथव, त एकर बर घमंड झन करव अऊ सत के बिरोध झन करव। 15अइसने बुद्धि ह स्‍वरग ले नइं आवय, पर एह संसारिक, सारीरिक अऊ सैतान के अय। 16काबरकि जिहां जलन अऊ सुवारथ होथे, उहां झंझट अऊ हर किसम के बुरई पाय जाथे।

17पर जऊन बुद्धि ह स्‍वरग ले आथे, ओह पहिली सुध, ओकर बाद मिलनसार, कोमल, नम्र सुभाव, दया, अऊ बने फर ले भरे रहिथे अऊ ओम भेदभाव अऊ कपट नइं रहय। 18अऊ जऊन मेल-मिलाप करइयामन ह मेल-मिलाप करवाथें, ओमन धरमीपन के फर उपजाथें।