历代志下 33 – CCB & HCV

Chinese Contemporary Bible (Simplified)

历代志下 33:1-25

犹大王玛拿西

1玛拿西十二岁登基,在耶路撒冷执政五十五年。 2他做耶和华视为恶的事,效法耶和华在以色列人面前赶走的外族人的可憎行径。 3他重建他父亲希西迦拆毁的丘坛,为巴力筑造祭坛,制造亚舍拉神像,并祭拜和供奉天上的万象。 4耶和华曾指着祂的殿说:“我的名必永远在耶路撒冷。”他却在耶和华的殿内建造异教的祭坛。 5他在耶和华殿的两个院子里建造祭拜天上万象的祭坛。 6他还在欣嫩子谷把自己的儿子烧死,献作祭物。他行巫术、占卜、观兆,求问灵媒和巫师。他做了许多耶和华视为恶的事,惹耶和华发怒。 7他雕刻偶像,放在上帝的殿中。关于这殿,上帝曾经对大卫和他儿子所罗门说:“我从以色列众支派中选择了这殿和耶路撒冷,我的名要在这里永远受尊崇。 8只要以色列人谨遵我借着摩西颁给他们的一切法度、律例和典章,我就不再把他们从我赐给他们祖先的土地上赶走。” 9玛拿西诱使犹大人和耶路撒冷的居民作恶,比耶和华在以色列人面前所毁灭的各族更严重。

玛拿西悔改

10耶和华警告玛拿西和他的百姓,他们却不肯听从。 11所以,耶和华就差遣亚述王的将领来攻击他们,他们捉住玛拿西,用钩子钩着他,用铜链锁着他押往巴比伦12在困苦中,玛拿西祈求他的上帝耶和华的帮助,并且在他祖先的上帝面前极其谦卑。 13耶和华应允他的祷告,垂听他的恳求,使他返回耶路撒冷继续做王。玛拿西这才明白耶和华是上帝。

14这事以后,玛拿西重建大卫城的外墙,从谷中基训泉的西边直到鱼门口,环绕俄斐勒,筑高城墙。他又派将领驻扎犹大各坚城。 15玛拿西将偶像和外族人的神像从耶和华的殿中除去,又把他在圣殿山和耶路撒冷筑造的一切祭坛全部拆掉,扔在城外。 16他重建耶和华的祭坛,在上面献平安祭和感恩祭,又吩咐犹大人事奉以色列的上帝耶和华。 17然而,众人仍然在丘坛献祭,只是献给他们的上帝耶和华。

玛拿西逝世

18玛拿西其他的事、他向上帝的祷告以及先见奉以色列的上帝耶和华的名对他说的话,都记在以色列的列王史上。 19他的祷告,上帝的答复,他在谦卑下来之前的罪恶和不忠,他在哪里修筑丘坛以及设立亚舍拉神像和其他偶像的事,都记在《先知书》33:19 《先知书》或译《何赛的书》。上。 20玛拿西与祖先同眠后,葬在宫内,他儿子亚们继位。

亚们做犹大王

21亚们二十二岁登基,在耶路撒冷执政两年。 22亚们效法他父亲玛拿西,做耶和华视为恶的事。他祭拜和供奉他父亲玛拿西制造的一切偶像。 23可是,亚们没有像他父亲玛拿西一样在耶和华面前谦卑下来。相反,他犯的罪日益增加。 24他的臣仆谋反,在王宫里杀了他。 25民众杀死那些背叛亚们王的人,立他儿子约西亚为王。

Hindi Contemporary Version

2 इतिहास 33:1-25

मनश्शेह यहूदिया का राजा

1शासन शुरू करते समय मनश्शेह की उम्र बारह साल थी. येरूशलेम में उसने पचपन साल शासन किया. 2उसने वही किया, जो याहवेह की दृष्टि में गलत था, वही सभी जो उन जनताओं के समान घृणित था, जिन्हें याहवेह ने इस्राएल के सामने से निकाल दिया था. 3उसने उन सभी ऊंचे स्थानों को दोबारा बनवा दिया, जो उसके पिता हिज़किय्याह द्वारा गिराए गए थे. उसने बाल के लिए वेदियां और अशेराहें बनाईं. उसने आकाश के सभी तारों और नक्षत्रों की पूजा करनी भी शुरू कर दी. 4उसने याहवेह के उसी भवन में अनेकों वेदियां बनवा दीं, जिस भवन के बारे में याहवेह कह चुके थे, “येरूशलेम में मेरा नाम हमेशा के लिए रहेगा.” 5उसने याहवेह के ही भवन के दो आंगनों में आकाशमंडल के सारे नक्षत्रों के लिए वेदियां बनवाई. 6बेन-हिन्‍नोम की घाटी में उसने अपने पुत्रों को आग में से होकर निकलने की प्रथा पूरी कराई थी. वह मोहिनी, शकुन विचारने वालों, प्रेत-सिद्धियों से व्यवहार रखता था. उसने याहवेह की दृष्टि में बड़ी बुराई करते हुए उनके क्रोध को भड़का दिया.

7उसने मूर्ति की प्रतिष्ठा उस भवन में कर दी, जिसके विषय में परमेश्वर ने दावीद और उनके पुत्र शलोमोन से यह कहा था, “मैं इस भवन में और येरूशलेम नगर में, जिसे मैंने इस्राएल के सारे गोत्रों में से चुन लिया है, हमेशा के लिए अपना नाम स्थापित करूंगा, 8यदि केवल वे उन सभी आदेशों का पालन करें, जो मोशेह द्वारा दी हुई विधियों, आज्ञाओं और नियमों के अनुसार हैं, मैं उस भूमि से इस्राएल के पग अलग न होने दूंगा, जो भूमि मैंने तुम्हारे पूर्वजों के लिए ठहराई है.” 9इस प्रकार मनश्शेह ने यहूदिया और येरूशलेम वासियों को भटका दिया कि वे उन राष्ट्रों से भी भयंकर पापों में लग जाएं, जिनको याहवेह ने इस्राएल वंशजों के सामने से खत्म कर दिया था.

10याहवेह ने मनश्शेह और उसकी प्रजा से बातें की, मगर किसी ने भी उनकी ओर ध्यान न दिया. 11तब याहवेह ने अश्शूर के राजा की सेना के सेनापति उस पर हमला करने के लिए भेजे. उन्होंने मनश्शेह को नकेल डालकर पकड़ा, कांसे की बेड़ियों से बांधकर उसे बाबेल ले गए. 12जब वह इस दुःख में पड़ा था उसने याहवेह अपने परमेश्वर से प्रार्थना की, उसने अपने आपको अपने पूर्वजों के परमेश्वर के सामने बहुत ही नम्र बना लिया. 13जब उसने याहवेह से प्रार्थना की, याहवेह उसकी प्रार्थना से पिघल गए और उन्होंने उसकी विनती को स्वीकार किया और वह उसे उसके राज्य में ही येरूशलेम लौटा ले आए. इससे मनश्शेह को मालूम हो गया कि याहवेह ही परमेश्वर है.

14यह होने पर उसने घाटी गीहोन के पश्चिमी ओर दावीद के नगर की बाहरी शहरपनाह को बनवाया, जो मछली फाटक तक बनाई गई थी. उसने इससे ओफेल को घेरकर बहुत ऊंचा बना दिया. इसके बाद उसने यहूदिया के सभी गढ़ नगरों में सेनापति ठहरा दिए.

15याहवेह के भवन से उसने वह मूर्ति और पराए देवता हटा दिए. साथ ही वे सारी वेदियां भी, जो उसने याहवेह के भवन के पर्वत पर और येरूशलेम में बनाई गई थी. इन्हें उसने नगर के बाहर फेंक दिया. 16उसने याहवेह की वेदी दोबारा से बनवाई और उस पर मेल बलि और धन्यवाद बलि चढ़ाईं. उसने सारे यहूदिया में यह आदेश दे दिया कि सेवा-आराधना सिर्फ इस्राएल के परमेश्वर याहवेह की ही की जाए. 17फिर भी लोग ऊंची जगहों पर ही बलि चढ़ाते रहे हालांकि यह वे याहवेह अपने परमेश्वर ही को चढ़ा रहे होते थे.

18मनश्शेह के बाकी कामों का वर्णन, यहां तक कि परमेश्वर से की गई उसकी प्रार्थना, इस्राएल के परमेश्वर याहवेह द्वारा भेजे दर्शियों के वचन, जिन्होंने उससे बातें की, यह सब इस्राएल के राजाओं की पुस्तक में किया गया है. 19उसके द्वारा की गई प्रार्थना, किस प्रकार उसकी प्रार्थना से परमेश्वर पिघल गए, उसके द्वारा किए गए पाप, उसका विश्वासघात, उसके द्वारा ऊंचे स्थानों पर बनाई वेदियां, अशेराह देवियां, खोदकर गढ़ी हुई मूर्तियां, सब कुछ जो उसने नम्र होने के पहले किया था, इन सभी का वर्णन होत्साई के प्रलेख में मिलता है. 20मनश्शेह हमेशा के लिए अपने पूर्वजों में जा मिला. उन्होंने उसे उसी के घर में गाड़ दिया. उसके स्थान पर उसका पुत्र अमोन राजा हो गया.

अमोन यहूदिया का राजा

21राजा बनने के अवसर पर अमोन की उम्र बाईस साल थी. येरूशलेम में उसने दो साल शासन किया. 22उसने वह किया, जो याहवेह की दृष्टि में बुरा है, जैसा उसके पिता ने भी किया था. अमोन अपने पिता द्वारा बनाई गई और सभी खोदी गई मूर्तियों के लिए बलि चढ़ाता रहा और वह उनकी सेवा भी करता रहा. 23जैसा उसके पिता ने याहवेह के सामने अपने आपको नम्र किया था, उसने ऐसा नहीं किया, बल्कि अमोन अपने ऊपर दोष इकट्ठा करता चला गया.

24उसके सेवकों ने उसके विरुद्ध षड़्‍यंत्र रचा और उसी के घर में उसका वध कर दिया. 25मगर प्रजाजनों ने उन सभी की हत्या कर दी, जिन्होंने राजा अमोन के विरुद्ध षड़्‍यंत्र रचा था. उन्होंने उसके स्थान पर उसके पुत्र योशियाह को राजा बनाया.