以赛亚书 29 – CCB & HCV

Chinese Contemporary Bible (Simplified)

以赛亚书 29:1-24

耶路撒冷被围

1耶和华说:“亚利伊勒29:1 亚利伊勒”在此处用来指锡安/耶路撒冷,2节、7节同。亚利伊勒

大卫安营的城啊!

你有祸了!

尽管你年复一年地守节期,

2我还是要叫你受苦。

你必悲伤哀号,

在我面前成为一座祭坛。

3我必把你团团围住,

屯兵围困你,

修筑高台攻打你。

4你必一败涂地,

躺在尘土中说话,

你细微的声音从土中传来,

好像地下幽灵的声音。

你耳语般的低声从土中传来。

5但你的众仇敌必像纤细的尘埃一样消散,

众多的残暴之徒必如被风刮去的糠秕。

突然,刹那之间,

6万军之耶和华必带着雷轰、地震、巨响、旋风、暴风和烈火来临。

7攻打、围困耶路撒冷及其堡垒的各国军队必如梦幻,

如夜间的异象一样消失。

8他们好像饥饿的人梦中吃饭,

醒来仍然饥饿;

像口渴的人梦中喝水,

醒来仍然渴得发昏。

攻打锡安山的各国军队结局都必如此。”

9你们驻足惊奇吧!

你们自我蒙蔽,继续瞎眼吧!

你们醉了,但不是因为酒;

你们东倒西歪,但不是因为烈酒。

10因为耶和华把沉睡的灵倾倒在你们身上,

祂封住你们的眼睛,

盖住你们的头。

你们的眼睛就是先知,

你们的头就是先见。

11对你们而言,所有的启示都好像封了印的书卷。你们把书卷交给识字的人读,他会说:“我不能读,这书卷是封着的。” 12你们把书卷交给不识字的人读,他会说:“我不识字。”

13主说:“这些人嘴上亲近我,

尊崇我,心却远离我。

他们敬拜我不过是遵行人定的规条。

14所以,我要再次行奇妙无比的事,使他们震惊。

他们智者的智慧必泯灭,

明哲的聪明必消失。”

15那些向耶和华深藏计谋的人有祸了!

他们暗中行事,

自以为无人看见也无人知道。

16他们太愚蠢了!

窑匠怎能跟泥土相提并论?

被造的怎能对造它的说:

“你没有造我”?

陶器怎能对陶匠说:

“你什么也不懂”?

17再过不久,黎巴嫩将变成沃野,

沃野上庄稼茂密如林。

18那时,聋子必听见那书卷上的话,

黑暗中的瞎子必能看见。

19卑微的人必因耶和华而欢喜,

贫穷的人必因以色列的圣者而快乐。

20残暴之徒必消失,

嘲讽者必绝迹,

所有心怀不轨者必被铲除。

21他们诬陷人,

暗算审判官,

冤枉无辜。

22因此,关于雅各家,

救赎亚伯拉罕的耶和华说:

雅各的子孙必不再羞愧,

脸上再无惧色。

23因为他们看见我赐给他们的子孙时,

必尊我的名为圣,

必尊雅各的圣者为圣,

必敬畏以色列的上帝。

24心里迷惘的必明白真理,

发怨言的必欣然受教。”

Hindi Contemporary Version

यशायाह 29:1-24

दावीद के नगर पर हाय!

1हाय तुम पर, अरीएल, अरीएल,

वह नगर जिसे दावीद ने अपने रहने के लिए बनाए थे!

अपने वर्षों को

और अधिक बढ़ा लो और खुशी मना लो.

2मैं तुम पर विपत्ति लाऊंगा;

और अरीएल नगर विलाप और शोक का नगर हो जाएगा,

यह मेरे लिए अरीएल29:2 अरीएल अर्थात् अग्निकुण्ड समान होगा.

3मैं तुम्हारे चारों ओर दीवार लगाऊंगा,

और तुम्हें घेर लूंगा

और मैं तुम्हारे विरुद्ध गढ़ खड़े करूंगा.

4तब तुम्हारा पतन पूरा हो जाएगा;

अधोलोक से तुम्हारे स्वर सुनाई देंगे.

धूल में से तुम्हारी फुसफुसाहट सुनाई देगी;

एक प्रेत के समान तुम्हारे शब्द पृथ्वी से सुनाई देंगे.

5किंतु तुम्हारे शत्रुओं का बड़ा झुंड धूल के छोटे कण के समान

और क्रूर लोगों का बड़ा झुंड उस भूसी के समान हो जाएगा.

जो उड़ जाता है,

6सेनाओं के याहवेह की ओर से बादल गर्जन,

भूकंप, आंधी और भस्म करनेवाली आग आएगी.

7पूरे देश जिसने अरीएल से लड़ाई की यद्यपि वे सभी,

जिन्होंने इस नगर अथवा इसके गढ़ों के विरुद्ध आक्रमण किया तथा उसे कष्ट दिया है,

वे रात में देखे गए स्वप्न,

तथा दर्शन के समान हो जाएंगे—

8यह ऐसा होगा जैसे एक भूखा व्यक्ति स्वप्न देखता है कि वह भोजन कर रहा है,

किंतु जब वह नींद से जागता है तब वह पाता है कि उसकी भूख मिटी नहीं;

उसी प्रकार जब एक प्यासा व्यक्ति स्वप्न देखता है कि वह पानी पी रहा है,

किंतु जब वह नींद से जागता है वह पाता है कि उसका गला सूखा है और उसकी प्यास बुझी नहीं हुई है.

उसी प्रकार उन सब देशों के साथ होगा

जो ज़ियोन पर्वत पर हमला करते हैं.

9रुक जाओ और इंतजार करो,

अपने आपको अंधा बना लो;

वे मतवाले तो होते हैं किंतु दाखरस से नहीं,

वे लड़खड़ाते तो हैं किंतु दाखमधु से नहीं.

10क्योंकि याहवेह ने तुम्हारे ऊपर एक भारी नींद की आत्मा को डाला है:

उन्होंने भविष्यवक्ताओं को अंधा कर दिया है;

और तुम्हारे सिर को ढंक दिया है.

11मैं तुम्हें बता रहा हूं कि ये बातें घटेंगी. किंतु तुम मुझे नहीं समझ रहे. मेरे शब्द उस पुस्तक के समान है, जो बंद हैं और जिस पर एक मुहर लगी है. तुम उस पुस्तक को एक ऐसे व्यक्ति को दो जो पढ़ सकता हो, तो वह व्यक्ति कहेगा, “मैं पुस्तक को पढ़ नहीं सकता क्योंकि इस पर एक मुहर लगी है, और मैं इसे खोल नहीं सकता.” 12अथवा तुम उस पुस्तक को किसी भी ऐसे व्यक्ति को दो, जो पढ़ नहीं सकता, और उस व्यक्ति से कहो कि वह उस पुस्तक को पढ़ें. तब वह व्यक्ति कहेगा, “मैं इस किताब को नहीं पढ़ सकता, क्योंकि मैं अनपढ़ हूं!”

13तब प्रभु ने कहा:

“ये लोग अपने शब्दों से तो मेरे पास आते हैं

और अपने होंठों से मेरा सम्मान करते हैं,

किंतु इन्होंने अपने दिल को मुझसे दूर रखा है.

और वे औरों के दबाव से

मेरा भय मानते हैं.

14इसलिये, मैं फिर से इन लोगों के बीच अद्भुत काम करूंगा

अद्भुत पर अद्भुत काम;

इससे ज्ञानियों का ज्ञान नाश हो जाएगा;

तथा समझदारों की समझ शून्य.”

15हाय है उन पर जो याहवेह से

अपनी बात को छिपाते हैं,

और जो अपना काम अंधेरे में करते हैं और सोचते हैं,

“कि हमें कौन देखता है? या कौन जानता है हमें?”

16तुम सब बातों को उलटा-पुलटा कर देते हो,

क्या कुम्हार को मिट्टी के समान समझा जाए!

या कोई वस्तु अपने बनानेवाले से कहे,

कि तुमने मुझे नहीं बनाया और “तुम्हें तो समझ नहीं”?

17क्या कुछ ही समय में लबानोन को फलदायी भूमि में नहीं बदला जा सकता

और फलदायी भूमि को मरुभूमि में नहीं बदला जा सकता है?

18उस दिन बहरे उस पुस्तक की बात को सुनेंगे,

और अंधे जिन्हें दिखता नहीं, वे देखेंगे.

19नम्र लोगों की खुशी याहवेह में बढ़ती चली जाएगी;

और मनुष्यों के दरिद्र इस्राएल के पवित्र परमेश्वर में आनंदित होंगे.

20क्योंकि दुष्ट और ठट्ठा

करनेवाले व्यक्ति नहीं रहेंगे,

और वे सभी काट दिये जाएंगे जिनको बुराई के लिए एक नजर हैं.

21वे व्यक्ति जो शब्दों में फंसाते हैं,

और फंसाने के लिए जाल बिछाते हैं

और साधारण बातों के द्वारा धोखा देते हैं.

22इसलिये याहवेह, अब्राहाम का छूडाने वाला, याकोब को कहते हैं:

“याकोब को अब

और लज्जित न होना पड़ेगा.

23जब याकोब की संतान परमेश्वर के काम को देखेंगे,

जो परमेश्वर उनके बीच में करेगा;

तब वे मेरा नाम पवित्र रखेंगे;

और वे इस्राएल के

पवित्र परमेश्वर का भय मानेंगे.

24उस समय मूर्ख बुद्धि पायेंगे और जो कुड़कुड़ाते हैं;

वे शिक्षा ग्रहण करेंगे.”