Забур 81 – CARSA & HCV

Священное Писание (Восточный перевод), версия с «Аллахом»

Забур 81:1-8

Песнь 81

Песнь Асафа.

1Аллах возглавляет великое собрание,

среди богов81:1 Боги – слово, стоящее здесь на языке оригинала, имеет более широкое значение и в данном случае обозначает не божественных существ, а либо судей, поставленных Аллахом решать земные дела, либо ангелов, либо народ Исраила во время получения им Закона (ср. Ин. 10:34). произносит суд:

2«Как долго ещё вы будете судить несправедливо

и оказывать предпочтение нечестивым? Пауза

3Защищайте дело слабого и сироты,

угнетённому и бедному явите справедливость.

4Избавляйте слабого и нищего,

спасайте их от нечестивых.

5Ваше знание – ничто, вы ничего не понимаете.

Вы ходите во тьме.

Содрогаются все основания земли.

6Я сказал: „Вы – боги,

все вы – дети Высочайшего“.

7Но вы умрёте, как все люди,

и вы падёте, как любой из властителей».

8Восстань, Аллах, и суди землю,

потому что Тебе принадлежат все народы!

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 81:1-16

स्तोत्र 81

संगीत निर्देशक के लिये. गित्तीथ81:0 शीर्षक: शायद संगीत संबंधित एक शब्द पर आधारित. आसफ की रचना.

1परमेश्वर के लिए, जो हमारा बल हैं, आनंद के साथ गाओ;

याकोब के परमेश्वर के लिए उच्च स्वरनाद करो!

2संगीत प्रारंभ हो, किन्‍नोर के साथ नेबेल के वादन से,

मधुर ध्वनि उत्पन्‍न की जाए.

3नवचंद्र के अवसर पर शोफ़ार बजाओ,

वैसे ही पूर्णिमा के अवसर पर, जब हमारा उत्सव होता है;

4इस्राएल के लिए यह विधि है,

यह याकोब के परमेश्वर का नियम है.

5जब परमेश्वर मिस्र देश के विरुद्ध प्रतिकार के लिए कटिबद्ध हुए,

उन्होंने इसे योसेफ़ के लिए अधिनियम स्वरूप बसा दिया.

जहां हमने वह भाषा सुनी, जो हमारी समझ से परे थी:

6“प्रभु ने कहा, मैंने उनके कांधों से बोझ उतार दिया;

टोकरी ढोने के कार्य से वे स्वतंत्र हो गए.

7जब तुम पर संकट का अवसर आया, तुमने मुझे पुकारा और मैंने तुम्हें छुड़ा लिया,

मेघ गरजना में से मैंने तुम्हें उत्तर दिया;

मेरिबाह जल पर मैंने तुम्हारी परीक्षा ली.

8मेरी प्रजा, मेरी सुनो, कि मैं तुम्हें चिता सकूं,

इस्राएल, यदि तुम मात्र मेरी ओर ध्यान दे सको!

9तुम्हारे मध्य वे देवता न पाए जाएं, जो वस्तुतः अनुपयुक्त हैं;

तुम उन देवताओं की वंदना न करना.

10मैं, याहवेह, तुम्हारा परमेश्वर हूं,

जो तुम्हें मिस्र देश से छुड़ाकर लाया हूं.

तुम अपना मुख पूरा-पूरा खोलो कि मैं उसे भर दूं.

11“किंतु मेरी प्रजा ने मेरी नहीं सुनी;

इस्राएल ने मेरी आज्ञा नहीं मानी.

12तब मैंने उसे उसी के हठीले हृदय के अधीन छोड़ दिया,

कि वह अपनी ही युक्तियों की पूर्ति करती रहे.

13“यदि मेरी प्रजा मात्र मेरी आज्ञा का पालन कर ले,

यदि इस्राएल मेरी शिक्षा का पालन कर ले,

14शीघ्र मैं उसके शत्रुओं का पीछा करूंगा,

और उसके शत्रुओं पर मेरा प्रहार होगा!

15जो याहवेह से घृणा करते हैं,

वे आज्ञाकारिता का दिखावा करेंगे और उनको बड़ा दंड होगा.

16किंतु तुम्हारा आहार होगा सर्वोत्तम गेहूं;

मैं तुम्हें चट्टान के उत्कृष्ट मधु से तृप्‍त करूंगा.”