प्रकाशन 18:17-24, प्रकाशन 19:1-10 HCV

प्रकाशन 18:17-24

क्षण मात्र में ही उजड़ गया तेरा वैभव!’

“हर एक जलयान स्वामी, हर एक नाविक, हर एक यात्री तथा हर एक, जो अपनी जीविका समुद्र से कमाता है, दूर ही खड़ा रहा. उसे भस्म करती हुई ज्वाला का धुआं देख वे पुकार उठे, ‘है कहीं इस भव्य महानगरी जैसा कोई अन्य नगर?’ अपने सिर पर धूल डाल, रोते-चिल्लाते, विलाप करते हुए वे कहने लगे:

“ ‘धिक्कार है! धिक्कार है, तुझ पर भव्य महानगरी,

जिसकी संपत्ति के कारण सभी जलयान

स्वामी धनी हो गए!

अब तू घंटे भर में उजाड़ हो गई है!’

“आनंदित हो हे स्वर्ग!

आनंदित, हो पवित्र लोग!

प्रेरित तथा भविष्यद्वक्ता!

क्योंकि परमेश्वर ने उसे तुम्हारे साथ

किए दुर्व्यवहार के लिए दंडित किया है.”

महानगर बाबेल की अंतिम स्थिति

इसके बाद एक बलवान स्वर्गदूत ने विशाल चक्की के पाट के समान पत्थर उठाकर समुद्र में प्रचंड वेग से फेंकते हुए कहा:

“इसी प्रकार फेंक दिया जाएगा

भव्य महानगर बाबेल भी,

जिसका कभी कोई अवशेष तक न मिलेगा.

अब से तुझमें गायकों, वीणा, बांसुरी तथा तुरही,

का शब्द कभी सुनाई न पड़ेगा.

अब से किसी भी कारीगर का,

कोई कार्य तुझमें न पाया जाएगा.

अब से तुझमें चक्की की आवाज,

सुनाई न देगी.

अब से तुझमें एक भी दीप

न जगमगाएगा,

अब से तुझमें वर और वधू का,

उल्‍लसित शब्द भी न सुना जाएगा,

तेरे व्यापारी पृथ्वी के सफल व्यापारी थे.

तेरे जादू ने सभी राष्ट्रों को भरमा दिया था.

तुझमें ही भविष्यद्वक्ताओं और पवित्र लोगों,

तथा पृथ्वी पर घात किए गए सभी व्यक्तियों का लहू पाया गया.”

Read More of प्रकाशन 18

प्रकाशन 19:1-10

स्वर्ग में विजय का यशगान

इसके बाद मुझे स्वर्ग से एक ऐसी आवाज सुनाई दी मानो एक बड़ी भीड़ ऊंचे शब्द में कह रही हो:

“हाल्लेलूयाह!

उद्धार, महिमा और सामर्थ्य हमारे परमेश्वर की हैं,

क्योंकि सही और धर्मी हैं उनके निर्णय.

क्योंकि दंड दिया है उन्होंने उस कुख्यात व्यभिचारिणी को,

जो अपने वेश्यागामी से पृथ्वी को भ्रष्‍ट करती रही है.

उन्होंने उससे अपने दासों के लहू का बदला लिया.”

उनका शब्द दोबारा सुनाई दिया:

“हाल्लेलूयाह!

उसे भस्म करती ज्वाला का धुआं हमेशा उठता रहेगा.”

वे चौबीसों प्राचीन तथा चारों जीवित प्राणी परमेश्वर के सामने, जो सिंहासन पर विराजमान हैं, दंडवत ओर वंदना करते हुए कहने लगे:

“आमेन, हाल्लेलूयाह!”

तब सिंहासन से एक शब्द सुनाई दिया:

“तुम सब, जो परमेश्वर के दास हो,

तुम सब, जो उनके श्रद्धालु हो,

साधारण या विशेष,

परमेश्वर की स्तुति करो.”

तब मुझे बड़ी भीड़ का शब्द तेज लहरों तथा बादलों की गर्जन की आवाज के समान यह कहता सुनाई दिया:

“हाल्लेलूयाह!

प्रभु हमारे परमेश्वर, जो सर्वशक्तिमान हैं, राज्य-कर रहे हैं.

आओ, हम आनंद मनाएं, मगन हों

और उनकी महिमा करें!

क्योंकि मेमने के विवाहोत्सव का समय आ गया है,

और उसकी वधू ने स्वयं को सजा लिया है.

उसे उत्तम मलमल के उज्जवल तथा स्वच्छ वस्त्र,

धारण करने की आज्ञा दी गई.”

(यह उत्तम मलमल है पवित्र लोगों के धर्मी काम.)

तब स्वर्गदूत ने मुझसे कहा, “लिखो: ‘धन्य हैं वे, जो मेमने के विवाह-भोज में आमंत्रित हैं!’ ” तब उसने यह भी कहा, “परमेश्वर के द्वारा भेजा गया-यह संदेश सच है.”

इसलिये मैं उस स्वर्गदूत को दंडवत करने उसके चरणों में गिर पड़ा किंतु उसने मुझसे कहा, “मेरी वंदना न करो! मैं तो तुम्हारे और तुम्हारे भाई बहनों के समान ही, जो मसीह येशु के गवाह हैं, दास हूं. दंडवत परमेश्वर को करो! क्योंकि मसीह येशु के विषय का प्रचार ही भविष्यवाणी का आधार है.”

Read More of प्रकाशन 19