स्तोत्र 74:1-9 HCV

स्तोत्र 74:1-9

स्तोत्र 74

आसफ का मसकील.74:0 शीर्षक: शायद साहित्यिक या संगीत संबंधित एक शब्द

परमेश्वर! आपने क्यों हमें सदा के लिए शोकित छोड़ दिया है?

आपकी चराई की भेड़ों के प्रति आपके क्रोध की अग्नि का धुआं क्यों उठ रहा है?

स्मरण कीजिए उन लोगों को, जिन्हें आपने मोल लिया था,

उस कुल को, आपने अपना भागी बनाने के लिए जिसका उद्धार किया था;

स्मरण कीजिए ज़ियोन पर्वत को, जो आपका आवास है.

इन चिरस्थाई विध्वंस अवशेषों के मध्य चलते फिरते रहिए,

पवित्र स्थान में शत्रु ने सभी कुछ नष्ट कर दिया है.

एक समय जहां आप हमसे भेंटकरते थे, वहां शत्रु के जयघोष के नारे गूंज रहे हैं;

उन्होंने वहां प्रमाण स्वरूप अपने ध्वज गाड़ दिए हैं.

उनका व्यवहार वृक्षों और झाड़ियों पर

कुल्हाड़ी चलाते हुए आगे बढ़ते पुरुषों के समान होता है.

उन्होंने कुल्हाड़ियों और हथौड़ों से

द्वारों के उकेरे गए नक़्कशीदार कामों को चूर-चूर कर डाला है.

उन्होंने आपके मंदिर को भस्म कर धूल में मिला दिया है;

उस स्थान को, जहां आपकी महिमा का वास था, उन्होंने भ्रष्‍ट कर दिया है.

उन्होंने यह कहते हुए संकल्प किया, “इन्हें हम पूर्णतः कुचल देंगे!”

संपूर्ण देश में ऐसे स्थान, जहां-जहां परमेश्वर की वंदना की जाती थी, भस्म कर दिए गए.

अब कहीं भी आश्चर्य कार्य नहीं देखे जा रहे;

कहीं भी भविष्यद्वक्ता शेष न रहे,

हममें से कोई भी यह नहीं बता सकता, कि यह सब कब तक होता रहेगा.

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