स्तोत्र 89:38-45 HCV

स्तोत्र 89:38-45

किंतु आप अपने अभिषिक्त से अत्यंत उदास हो गए,

आपने उसकी उपेक्षा की, आपने उसका परित्याग कर दिया.

आपने अपने सेवक से की गई वाचा की उपेक्षा की है;

आपने उसके मुकुट को धूल में फेंक दूषित कर दिया.

आपने उसकी समस्त दीवारें तोड़ उन्हें ध्वस्त कर दिया

और उसके समस्त रचों को खंडहर बना दिया.

आते जाते समस्त लोग उसे लूटते चले गए;

वह पड़ोसियों के लिए घृणा का पात्र होकर रह गया है.

आपने उसके शत्रुओं का दायां हाथ सशक्त कर दिया;

आपने उसके समस्त शत्रुओं को आनंद विभोर कर दिया.

उसकी तलवार की धार आपने समाप्‍त कर दी

और युद्ध में आपने उसकी कोई सहायता नहीं की.

आपने उसके वैभव को समाप्‍त कर दिया

और उसके सिंहासन को धूल में मिला दिया.

आपने उसकी युवावस्था के दिन घटा दिए हैं;

आपने उसे लज्जा के वस्त्रों से ढांक दिया है.

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