स्तोत्र 89:19-29 HCV

स्तोत्र 89:19-29

वर्षों पूर्व आपने दर्शन में

अपने सच्चे लोगों से वार्तालाप किया था:

“एक योद्धा को मैंने शक्ति-सम्पन्‍न किया है;

अपनी प्रजा में से मैंने एक युवक को खड़ा किया है.

मुझे मेरा सेवक, दावीद, मिल गया है;

अपने पवित्र तेल से मैंने उसका अभिषेक किया है.

मेरा ही हाथ उसे स्थिर रखेगा;

निश्चयतः मेरी भुजा उसे सशक्त करती जाएगी.

कोई भी शत्रु उसे पराजित न करेगा;

कोई भी दुष्ट उसे दुःखित न करेगा.

उसके देखते-देखते मैं उसके शत्रुओं को नष्ट कर दूंगा

और उसके विरोधियों को नष्ट कर डालूंगा.

मेरी सच्चाई तथा मेरा करुणा-प्रेम उस पर बना रहेगा,

मेरी महिमा उसकी कीर्ति को ऊंचा रखेगी.

मैं उसे समुद्र पर अधिकार दूंगा,

उसका दायां हाथ नदियों पर शासन करेगा.

वह मुझे संबोधित करेगा, ‘आप मेरे पिता हैं,

मेरे परमेश्वर, मेरे उद्धार की चट्टान.’

मैं उसे अपने प्रथमजात का पद भी प्रदान करूंगा,

उसका पद पृथ्वी के समस्त राजाओं से उच्च होगा—सर्वोच्च.

उसके प्रति मैं अपना करुणा-प्रेम सदा-सर्वदा बनाए रखूंगा,

उसके साथ स्थापित की गई मेरी वाचा कभी भंग न होगी.

मैं उसके वंश को सदैव सुस्थापित रखूंगा,

जब तक आकाश का अस्तित्व रहेगा, उसका सिंहासन भी स्थिर बना रहेगा.

Read More of स्तोत्र 89