स्तोत्र 88:9-18 HCV

स्तोत्र 88:9-18

वेदना से मेरी आंखें धुंधली हो गई हैं.

याहवेह, मैं प्रतिदिन आपको पुकारता हूं;

मैं आपके सामने हाथ फैलाए रहता हूं.

क्या आप अपने अद्भुत कार्य मृतकों के सामने प्रदर्शित करेंगे?

क्या वे, जो मृत हैं, जीवित होकर आपकी महिमा करेंगे?

क्या आपके करुणा-प्रेम88:11 करुणा-प्रेम मूल में ख़ेसेद इस हिब्री शब्द के अर्थ में अनुग्रह, दया, प्रेम, करुणा ये सब शामिल हैं की घोषणा कब्र में की जाती है?

क्या विनाश में आपकी सच्चाई प्रदर्शित होगी?

क्या अंधकारमय स्थान में आपके आश्चर्य कार्य पहचाने जा सकेंगे,

अथवा क्या विश्वासघात के स्थान में आपकी धार्मिकता प्रदर्शित की जा सकेगी?

किंतु, हे याहवेह, सहायता के लिए मैं आपको ही पुकारता हूं;

प्रातःकाल ही मैं अपनी मांग आपके सामने प्रस्तुत कर देता हूं.

हे याहवेह, आप क्यों मुझे अस्वीकार करते रहते हैं,

क्यों मुझसे अपना मुख छिपाते रहते हैं?

मैं युवावस्था से आक्रांत और मृत्यु के निकट रहा हूं;

मैं आपके आतंक से ताड़ना भोग रहा हूं तथा मैं अब दुःखी रह गया हूं.

आपके कोप ने मुझे भयभीत कर लिया है;

आपके आतंक ने मुझे नष्ट कर दिया है.

सारे दिन ये मुझे बाढ़ के समान भयभीत किए रहते हैं;

इन्होंने पूरी रीति से मुझे अपने में समाहित कर रखा है.

आपने मुझसे मेरे मित्र तथा मेरे प्रिय पात्र छीन लिए हैं;

अब तो अंधकार ही मेरा घनिष्ठ मित्र हो गया है.

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