स्तोत्र 86:11-17 HCV

स्तोत्र 86:11-17

हे याहवेह, मुझे अपनी राह की शिक्षा दीजिए,

कि मैं आपके सत्य का आचरण करूं;

मुझे एकचित्त हृदय प्रदान कीजिए,

कि मैं आपकी महिमा के प्रति श्रद्धा बनाए रखूं.

मेरे प्रभु परमेश्वर, मैं संपूर्ण हृदय से आपका स्तवन करूंगा;

मैं आपकी महिमा का आदर सदैव करता रहूंगा.

क्योंकि मेरे प्रति आपका करुणा-प्रेम अधिक है;

अधोलोक के गहरे गड्ढे से,

आपने मेरे प्राण छुड़ा लिए हैं.

परमेश्वर, अहंकारी मुझ पर आक्रमण कर रहे हैं;

क्रूर पुरुषों का समूह मेरे प्राणों का प्यासा है,

ये वे हैं, जिनके हृदय में आपके लिए कोई सम्मान नहीं है.

किंतु प्रभु, आप कृपालु और दयालु परमेश्वर हैं,

आप विलंब से क्रोध करनेवाले तथा अति करुणामय एवं सत्य से परिपूर्ण हैं.

मेरी ओर फिरकर मुझ पर कृपा कीजिए;

अपने सेवक को अपनी ओर से शक्ति प्रदान कीजिए;

अपनी दासी के पुत्र को बचा लीजिए.

मुझे अपनी खराई का चिन्ह दिखाइए, कि इसे देख मेरे शत्रु लज्जित हो सकें,

क्योंकि वे देखेंगे, कि याहवेह, आपने मेरी सहायता की है,

तथा आपने ही मुझे सहारा भी दिया है.

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